सूचना और प्रसारण मंत्रालय
जमीनी संघर्षों पर, अपने और दुनिया के साथ संवाद करें: 53वें इफ्फी में कोस्टा रिका की फिल्म की राष्ट्र से अपील
डोमिंगो एंड द मिस्ट: ग्रामीण इलाकों के लोगों द्वारा अपनी जमीन की रक्षा के लिए चुकाई जाने वाली कीमत को दर्शाने की अनिवार्यता के कारण अस्तित्व में आई।
विकास की संदिग्ध ताकतों द्वारा उसे डराने-धमकाने के लिए अपनी शिकारी और जोर-जबरदस्ती वाली रणनीति अपनाने, अपने आसपास के लोगों के डगमगाने के बावजूद, डोमिंगो का रुख नरम नहीं पड़ा। वह उस जमीन पर अपने अधिकार छोड़ने के लिए कतई तैयार नहीं है – वह जमीन, जो उसकी अपनी है, भूमि का वह टुकड़ा जिस पर उसका सांसारिक बसेसा है। इस प्रकार डोमिंगो एंड द मिस्ट एक व्यक्ति के अतीत और अपनी जमीन पर कब्जा कायम रखने के उसके संघर्ष की निराशाजनक और विचारशील दास्तान है; फिल्म विकास के बहाने जमीन से जुड़े टकरावों और संघर्षों की पड़ताल करती है।
गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के अंतर्गत आज आयोजित इफ्फी टेबल टॉक्स सत्र में मीडिया और महोत्सव के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत में फिल्म के निर्देशक एरियल एस्केलेंटे मेजा ने कहा कि ग्रामीण इलाकों के लोगों द्वारा अपनी जमीन की रक्षा की खातिर विवश होकर चुकाई जाने वाली कीमत को दर्शाने की अनिवार्यता के कारण यह फिल्म अस्तित्व में आई।
स्पेनिश में निर्मित कोस्टा रिका की इस फिल्म का 53वें इफ्फी में 'सिनेमा ऑफ द वर्ल्ड' श्रेणी के तहत भारत में प्रीमियर हुआ। फिल्म का इस साल कान फिल्म महोत्सव में वर्ल्ड प्रीमियर हुआ था और 95वें ऑस्कर अवॉर्ड्स में भी बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म के लिए इस फिल्म को कोस्टा रिका की प्रविष्टी के तौर पर चुना गया था। इस फिल्म का कोस्टा रिका और कतर ने सह-निर्माण किया है।
वास्तविकता और कहानी के बीच जटिल संतुलन बनाने की कोशिश करने वाले कथानक का वर्णन करते हुए, एरियल एस्केलेंटे मेजा ने कहा कि यह फिल्म ग्रामीण आबादी को अमानवीय बनाने और विस्थापित करने के लिए अपनाए गए हिंसक तरीकों के खिलाफ कोस्टा रिका के समाज के साथ संवाद शुरू करने का प्रयास करती है।
यह फिल्म कोस्टा रिका के उष्णकटिबंधीय पवर्तीय इलाके में रहने वाले डोमिंगो नाम के विधुर की मार्मिक यात्रा बयान करती है। उसके पास जमीन का एक टुकड़ा है जो एक नये राजमार्ग के निर्माण के लिए मांग में है। डोमिंगो इस जमीन से बेहद अप्रत्याशित रूप से जुड़ा हुआ है, किसी भी तरह के डराने-धमकाने और रिश्वत की पेशकश के सामने झुकने से इनकार कर देता है।
एरियल ने पहले एक आध्यात्मिक विषय पर फिल्म बनाने का फैसला किया था, लेकिन फिर उनका ध्यान जमीन को लेकर होने वाले संघर्ष के इस ज्वलंत मुद्दे की ओर आकृष्ट हुआ; इस प्रकार 'डोमिंगो एंड द मिस्ट' का जन्म हुआ। 'भूत' शब्द की अपनी फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका की ओर इंगित करते हुए एरियल एस्केलेंटे मेजा ने बताया कि लैटिन अमेरिकी मृतकों के साथ बहुत ही खुला और प्यार भरा रिश्ता साझा करते हैं।
डोमिंगो इस खतरनाक रास्ते पर चलने का फैसला सिर्फ इसलिए करता है क्योंकि उसे विश्वास है कि कोहरे से घिरे पर्वत शिखर पर उसकी पत्नी धुंध के रूप में नियमित रूप से उससे मिलने आती है, जहां वह कभी उसके साथ रहा करती थी। निर्देशक ने कहा कि फिल्म के नायक का अपनी पत्नी के साथ ऐसा भावनात्मक रिश्ता होने के कारण वह अपना जीवन संकट में होने के बावजूद अपनी जमीन पर अपना अधिकार बनाए रखने के संकल्प पर दृढ़ता से डटा रहता है।
तो, ऐसा क्या है जिसने निर्देशक को इस व्यक्तिगत, लेकिन राजनीतिक रूप से संवेदनशील विषय पर फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया? एरियल हमें बताते हैं कि भले ही कोस्टा रिका सिर्फ 5 मिलियन आबादी वाला छोटा सा देश है, लेकिन उनके देश में स्वयं और दुनिया के साथ उचित संवाद का अभाव है। उन्होंने कहा, “मेरे देश में जमीन के विवाद को लेकर हिंसक घटनाएं होती हैं। जमीन के एक संघर्ष में शामिल एक आदिम समुदाय के नेता की हत्या कर दी गई थी। यह फिल्म उस घटना पर आधारित नहीं है; लेकिन इसी ने मुझे फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया।”
एरियल ने कहा कि जहां तक जमीन को लेकर संघर्ष की बात है, तो हर समाज में हिंसा होती है। उन्होंने कहा : “मेरा लक्ष्य कोस्टा रिका के समाज को इस विषय पर आपस में संवाद करने के लिए प्रेरित करना है।”
निर्देशक एरियल एस्केलेंटे मेजा ने यूनिवर्सिडाड डि कोस्टा रिका से राजनीति विज्ञान में और क्यूबा के एस्कुएला इंटरनैशनल डि सिने वाई टेलीविज़न (ईआईसीटीवी) और मॉन्ट्रियल, कनाडा में कॉनकॉर्डिया यूनिवर्सिटी से सिनेमा में पढ़ाई की। उनकी पहली फिल्म द साउंड ऑफ थिंग्स (2016) 2018 में ऑस्कर के लिए कोस्टा रिका की प्रविष्टि थी।
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एमजी/एएम/आरके
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