रक्षा मंत्रालय

अमरीका के नौसेना सचिव श्री कार्लोस डेल टोरो भारत की यात्रा पर पहुंचे

Posted On: 18 NOV 2022 4:45PM by PIB Delhi

अमरीका के नौसेना सचिव श्री कार्लोस डेल टोरो 17-21 नवंबर 2022 तक पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर भारत आये हुए हैं। इस दौरान वे नई दिल्ली में नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार और भारत सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। श्री कार्लोस डेल टोरो कोच्चि में भारतीय नौसेना के दक्षिणी नौसेना कमान का भ्रमण करेंगे, वे वहां पर दक्षिणी नौसेना कमान के कमांडर-इन-चीफ के साथ बातचीत करेंगे और कोचीन शिपयार्ड में भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक आईएनएस विक्रांत का दौरा भी करेंगे।

भारत और अमरीका ने परंपरागत रूप से घनिष्ठ एवं मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किये हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध आपसी विश्वास तथा भरोसे के रहे हैं, जो जून 2016 में भारत को प्रमुख 'रक्षा भागीदार का दर्जा' देने के बाद काफी बदल चुके हैं। इसके अलावा, दोनों देशों ने 2015 में हस्ताक्षर किए गए रक्षा ढांचा समझौता सहित कुछ अन्य मूलभूत समझौते भी किए हैं, जिनसे दोनों देशों के रक्षा प्रतिष्ठानों के बीच आपसी सहयोग का खाका तैयार होता है। भारत और अमरीका ने वर्ष 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) पर हस्ताक्षर किये थे, जो दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच पारस्परिक सैन्य तंत्र सहयोग की सुविधा प्रदान करने वाला एक मूलभूत समझौता है। इसके बाद, 06 सितंबर 2018 को कम्युनिकेशन कंपैटीबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (सीओएमसीएएसए) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके माध्यम दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच सूचना-साझाकरण की सुविधा उपलब्ध हुई है। हाल ही में, भारत और अमरीका के बीच बेसिक एक्सचेंज कोऑपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए) भी किया गया है, जो रक्षा मंत्रालय और अमरीका की नेशनल जिओ स्पेटियल एजेंसी (एनजीए) के बीच भू-स्थानिक जानकारी साझा करने में सक्षम बनाता है।

भारतीय नौसेना कई मामलों में अमरीकी नौसेना के साथ घनिष्ठ सहयोग करती है, जिसमें मालाबार जैसे नौसैन्य युद्धाभ्यास भी शामिल हैं। इसका पिछला संस्करण जापान के योकोसुका से 09 से 15 नवंबर 2022 तक आयोजित किया गया था। इसके अतिरिक्त, रिमपैक 22 अभ्यासों की श्रृंखला, प्रशिक्षण का आदान-प्रदान, व्हाइट शिपिंग (असैन्य माल वाहक पोत) सूचना का आदान-प्रदान और और विभिन्न क्षेत्रों में विषय वस्तु विशेषज्ञ जैसे विभिन्न परिचालन संबंधी मुद्दे भी सहयोग की इस परम्परा में शामिल हैं। इनमें से सभी का समन्वय वार्षिक रूप से आयोजित कार्यकारी संचालन समूह (ईएसजी) की बैठकों के माध्यम से किया जाता है। इसके अलावा, दोनों नौसेनाओं के युद्धपोत नियमित रूप से एक-दूसरे के बंदरगाहों पर पोर्ट कॉल करते हैं। दोनों देशों की नौसेनाएं 'मुक्त, खुले और समावेशी हिन्द-प्रशांत क्षेत्र' के साझा उद्देश्य के साथ सहयोग के लिए नए विकल्प तलाशने की दिशा में भी सहयोग कर रही हैं।

 

 

 

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