सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के विद्यार्थियों से जैव-सीएनजी, जैव-एलएनजी और जैव-ईंधन से हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए जैव-प्रौद्योगिकी के उपयोग पर अपने शोध पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया


हमें विदेशों से आयात की जा रही वस्तुओं की पहचान करने और फिर उनके लिए स्वदेशी विकल्प विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री

पिछड़े जनपदों के उत्थान के लिए वन आधारित उद्योगों, कृषि और ग्रामीण प्रौद्योगिकी तथा आदिवासी क्षेत्रों पर अनुसंधान को प्राथमिकता दें-श्री गडकरी

Posted On: 29 OCT 2022 6:34PM by PIB Delhi

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के विद्यार्थियों से जैव-सीएनजी, जैव-एलएनजी और जैव-ईंधन से हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए जैव-प्रौद्योगिकी के उपयोग पर अपने शोध पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है। उन्होंने कहा कि हम बड़े पैमाने पर हरित हाइड्रोजन के उपयोग की ओर बढ़ रहे हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बम्बई में शैलेश जे मेहता प्रबंधन विद्यालय द्वारा आयोजित वैश्विक नेतृत्व शिखर सम्मेलन अलंकार-2022 को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बम्बई के विद्यार्थियों से कहा कि हमें आवश्यकता-आधारित शोध को प्राथमिकता देने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान ऐसा होना चाहिए जो आयात का विकल्प बने, लागत प्रभावी हो, प्रदूषण मुक्त और स्वदेशी समाधान प्रदान करने वाला हो। श्री गडकरी ने कहा, "हमें देश में आयात की जा रही वस्तुओं की पहचान करने और फिर उनके लिए स्वदेशी विकल्प विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। इससे आयात में कमी आएगी, निर्यात में वृद्धि होगी और हमारी अर्थव्यवस्था सुदृण होगी।" उन्होंने कहा कि सभी शोध परियोजनाओं के लिए सिद्ध प्रौद्योगिकी, आर्थिक उपयोगिता, कच्चे माल की उपलब्धता और विपणन योग्यता पर विचार किया जाना चाहिए।

माननीय मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि हमारी 65 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है, जबकि कृषि का सकल घरेलू उत्पाद-जीडीपी में केवल 12 प्रतिशत हिस्सा ही है। उन्होंने आगे कहा कि देश में 124 जनपद हैं, जिनमें जनसंख्या का ऐसा अनुपात काफी मात्रा में शामिल है, जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के विद्यार्थियों से उन जनपदों में वन आधारित उद्योगों, कृषि और ग्रामीण प्रौद्योगिकी और आदिवासी क्षेत्रों के लिए अनुसंधान को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। श्री गडकरी ने कहा, "हमें ग्रामीण, कृषि कच्चे माल की पहचान करने की जरूरत है जिसमें क्रांति लाने की क्षमता है। इससे बहुत अधिक विकास होगा और रोजगार के अवसर सृजित होंगे।''

श्री गडकरी ने कहा कि हरित हाइड्रोजन का उपयोग रसायन, उर्वरक, इस्पात आदि जैसे विभिन्न उद्योगों और भविष्य में परिवहन क्षेत्र में भी किया जाएगा। माननीय मंत्री महोदय ने देश के युवा, प्रतिभाशाली इंजीनियरिंग जन-शक्ति से सीवेज के पानी के इलेक्ट्रोलाइज़िंग और जैविक कचरे के जैव पाचन  से हरित हाइड्रोजन के निर्माण के बारे में शोध करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे देश की नगर पालिकाओं को कचरे के रूप में धन के मूल्यवर्धन के साथ-साथ स्वच्छ भारत मिशन को लागू करने में भी मदद मिलेगी। श्री गडकरी ने इस संदर्भ में बताया कि कैसे नागपुर नगर निगम ने सीवेज के पानी का उपचार शुरू करके और फिर इसे कोराडी और खापरखेड़ा तापीय ऊर्जा केन्द्रों पर अपनी बिजली परियोजनाओं के लिए राज्य के बिजली उत्पादक महाजेनकोस को बेचकर कचरे से कंचन के इस दर्शन का व्यावहारिक रूप से प्रदर्शन किया है। इससे 325 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व अर्जित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हमें भविष्य में ऊर्जा का निर्यात करने वाला देश बनना चाहिए। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के विद्यार्थियों से एक बड़ी चुनौती स्वीकार करने का आग्रह किया, जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को पूरा करने के लिए लागू किया जाना है। श्री गडकरी ने कहा की ऊर्जा संकट हमारी समस्या है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा की देश के विद्युत उत्पादन में 38 प्रतिशत हिस्सेदारी है और इसकी हिस्सेदारी बढ़ाई जा रही है, हम अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में तापीय ऊर्जा को नहीं छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा की हालांकि प्रदूषण हमारे पर्यावरण और ईकोसिस्टम के लिए एक बड़ी चिंता है और हमारा देश 16 लाख करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन का आयात करता है। श्री गदकारी ने कहा कि इसलिए हमें हरित ईंधन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

हमारे देश में शीरा, बी-हैवी शीरा, गन्ना, टूटे चावल, बांस, खाद्यान्न, कृषि-अपशिष्ट से ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकता है। असम में बांस से इथेनॉल बनाने की एक परियोजना शुरू हो गई है, पानीपत में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड-आईओसीएल परियोजना चावल के भूसे (जिसे हिन्दी में पराली के रूप में पहचाना जाता है) से प्रति दिन 150 टन बायो-बिटुमेन तैयार की जाती है। पराली एक कृषि-अपशिष्ट उत्पाद है जिसे जलाने से सर्दियों में दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण में बड़ी मात्रा में वृद्धि होती है। माननीय मंत्री महोदय को बताया गया कि यह परियोजना 1 लाख लीटर बायो-एथेनॉल भी पैदा कर रही है। इसके अलावा, 5 टन पराली आईओसीएल संयंत्र में 1 टन बायो-सीएनजी भी देती है। इस संदर्भ में मंत्री महोदय ने कहा कि उद्योग के लिए पानी, बिजली, परिवहन, संचार पूर्व-आवश्यकताएं हैं, जो बदले में पूंजी निवेश और रोजगार लाएगा।

वैकल्पिक ईंधन आधारित परिवहन के बारे में बोलते हुए श्री नितिन गडकरी ने कहा कि कंपनियां बायो-एथेनॉल ईंधन पर चलने वाली मोटर साइकिल और स्कूटर बना रही हैं। उन्होंने कहा कि अब शोध से पता चला है कि इथेनॉल का माइलेज पेट्रोल के समान ही है, जबकि एथेनॉल की कीमत जो लगभग 60 रुपये है, वह काफी कम है।

यह कहते हुए कि अनुसंधान संगठनों को साइलोस में काम नहीं करना चाहिए, नितिन गडकरी ने आग्रह किया कि शोध पत्रों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए हितधारकों के बीच सहयोग, समन्वय और संचार की आवश्यकता है।

सड़क और परिवहन क्षेत्र में तकनीकी क्रांति के बारे में बोलते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने बताया कि लद्दाख और लेह को जोड़ने के लिए एक सुरंग बन रही है, जिसे 12000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाएगा। श्री गदकारी ने कहा कि "इसमें काफी शोध किया गया है, जिससे लगभग 5000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।" उन्होंने बताया कि एक आईआईटी के विद्यार्थियों ने वहां पर फनिक्युलर रेलवे विकसित करने के लिए एक प्रमुख परियोजना का नेतृत्व किया। अब, इस परियोजना ने उन ऊबड़-खाबड़ पर्वत श्रृंखलाओं के बीच लोगों के लिए दुपहिया वाहनों और भेड़ों के झुंड के फनिक्युलर रेलवे परिवहन के रूप में लागू किए जाने वाले स्मार्ट परिवहन समाधान का विकास किया है। उन्होंने बंगलौर के यातायात की भीड़-भाड़ के लिए एक स्मार्ट परिवहन समाधान के लिए किए जा रहे एक अध्ययन की भी बात की। उन्होंने आईआईटी के विद्यार्थियों से परिवहन क्षेत्र के लिए नई तकनीकों पर अपने शोध पर ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि देश में 10 लाख इलेक्ट्रिक बसें चलाने की क्षमता है, जिसमें डबल डेकर, एसी और लग्जरी बसें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अब देश में इलेक्ट्रिक वाहन लोकप्रिय हो गए हैं। उन्होंने बताया कि देश में 400 स्टार्ट-अप इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए काम कर रहे हैं।

नितिन गडकरी ने कहा कि कई सफल स्टार्टअप आईआईटी से शुरू हुए हैं। उन्होंने युवा प्रतिभाओं को गांवों, गरीबों, श्रमिकों और किसानों के उत्थान के लिए अपने शोध पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। श्री गडकरी ने कहा, "देश में गरीबी, भूख और बेरोजगारी को समाप्त करने के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए काम करें, क्योंकि यह देश के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए लाभदायक होगा। ईमानदारी, प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता 21 वीं सदी की सबसे बड़ी पूंजी है। केंद्रीय मंत्री ने आईआईटी बंबई के विद्यार्थियों को सलाह दी, ''नौकरियों के अवसर का सृजन करने की कोशिश करो - नौकरी देने वाले बनो, नौकरी चाहने वाले नहीं।'' 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की बात करते हुए श्री नितिन गडकरी ने कहा कि उद्यमिता, सफल प्रौद्योगिकी और मानवीय मूल्यों के साथ ज्ञान सफलता के मूल में है।

इस अवसर पर आईआईटी बंबई के निदेशक प्रो. सुभासिस चौधरी और संस्थान के विद्यार्थी भी उपस्थित थे।

 

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