विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

भारत की भू-स्थानिक अर्थव्यवस्था के 12.8% की वृद्धि दर से 2025 तक 63,000 करोड़ रुपये को पार करने और इससे 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की सम्भावना है


केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज हैदराबाद में द्वितीय संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएन –डब्ल्यूजीआईसी) 2022 में मुख्य भाषण दिया

इस 5 दिवसीय कांग्रेस में लगभग 120 देशों के 700 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों सहित 2000 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं

भारत में 250 से अधिक भू-स्थानिक स्टार्ट–अप्स भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों को प्रदर्शित करने के लिए अपशिष्ट संसाधन प्रबंधन, वानिकी, शहरी नियोजन और सड़कों के मानचित्रण जैसे कई क्षेत्रों में काम कर रहे हैं : डॉ. जितेंद्र सिंह

भू-स्थानिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं प्रशिक्षित जनशक्ति भारतीय भू-स्थानिक उद्योग के लिए एक अंतरराष्ट्रीय जीआईएस सेवा बाजार को विकसित करने में सहायता करेगी

Posted On: 11 OCT 2022 3:58PM by PIB Delhi

भारत की भू-स्थानिक अर्थव्यवस्था के 2025 तक 12.8% की वृद्धि दर से 63,000 करोड़ रुपये को पार करने और इसके द्वारा मुख्य रूप से भू-स्थानिक स्टार्ट-अप्स के माध्यम से 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करने की सम्भावना है।

यह बात आज यहां केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने हैदराबाद में द्वितीय संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएन – डब्ल्यूजीआईसी) 2022 को संबोधित करते हुए कही।


https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/djs-1TDZT.jpg

5 दिवसीय इस सम्मेलन में लगभग 150 देशों के 700 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों सहित 2,000 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय सर्वेक्षण विभाग जैसी राष्ट्रीय मानचित्रण एजेंसियां ​​(एनएमएएस), जिसका 255 वर्षों का गौरवशाली इतिहास है, विश्व भर के वरिष्ठ अधिकारी, गैर-सरकारी संगठन, शिक्षाविद एवं उद्योग, उपयोगकर्ता और निजी क्षेत्र इस भू–स्थानिक कांग्रेस में भाग ले रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप्स के वर्तमान उछाल के दौर में, भारत में इस समय लगभग 250 भू-स्थानिक स्टार्टअप्स हैं तथा  इस क्षेत्र को और बढ़ावा देने के लिए, मंत्री महोदय ने आज एक भू- स्थानिक इनक्यूबेटर का अनावरण भी किया।

मंत्री महोदय ने बताया कि भारतीय सर्वेक्षण विभाग, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, राष्ट्रीय एटलस और विषयगत मानचित्रण संगठन (एनएटीएमओ), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो–आईएसआरओ) और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र जैसे राष्ट्रीय संगठनों ने भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों को प्रदर्शित करने के लिए अपशिष्ट संसाधन प्रबंधन, वानिकी, शहरी नियोजन आदि जैसे क्षेत्रों (डोमेन) में कई जीआईएस-आधारित पायलट परियोजनाओं को लागू किया है।

मंत्री महोदय ने कहा कि सरकार, उद्योग, शोधकर्ता, शिक्षाविद एवं  नागरिक समाज प्रमुख समाधान तैयार करने के लिए गुणवत्तापूर्ण भू-स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र (इंडियन जिओ-स्पैचियल इकोसिस्टम) स्थापित करने के लिए एक साथ आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय भू- स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र का लोकतंत्रीकरण घरेलू नवाचार को बढ़ावा देगा तथा आधुनिक भू- स्थानिक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर "आत्मनिर्भर भारत" अथवा स्वयम समर्थ भारत'' के सपने को पूरी तरह से साकार करके वैश्विक मानचित्रण पारिस्थितिकी तंत्र में भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएगा।


https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/djs-2KLHJ.jpg

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत जिस तरह से इस तकनीक को अपना कर आगे बढ़ रहा है, उस पर भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालने जा रही है। उन्होंने कहा कि दुनिया अब भारत की ओर देख रही है कि वह कैसे कुछ प्रमुख मानवीय और स्थिरता समस्याओं से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है। मंत्री महोदय ने कहा कि भले ही भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों का उत्पादन, उपयोग और प्रबंधन देश में पांच दशकों से अधिक समय से किया जा रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भू-स्थानिक लोकतंत्रीकरण, उसकी पक्षधरता और एकीकरण की दिशा में भारत सरकार के क्रांतिकारी कदमों ने इस क्षेत्र को एक नई गति दी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मानचित्रों की 21 डेटा परतों का उपयोग करके 45 लाख किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों का मानचित्रण (मैपिंग) किया  है, जिसमें जल स्रोतों, हरित क्षेत्रों, भूखंडों और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए आवश्यक अन्य संरचनाओं के बारे में आवश्यक जानकारी का डिजिटलीकरण किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय द्वारा लगभग 2.6 लाख ग्राम पंचायतों को मानचित्रण और डिजिटलीकरण की योजना के अंतर्गत शामिल  किया गया है। मंत्री  महोदय ने कहा कि भू-स्थानिक क्षेत्र में विकसित प्रौद्योगिकियों से परिवर्तनकारी बदलाव हुए हैं, जिससे भारत में एक इंच भूमि का भी मानचित्रण किया जा सकता है और भारत में भूमि सुधारों के लिए ठोस बैकअप प्रदान किया जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग के सदस्यों, संयुक्त राष्ट्र – वैश्विक भू-स्थानिक सूचना प्रबन्धन (यूएन- जीजीआईएम) सचिवालय, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों और भू-स्थानिक कांग्रेस में सम्मानित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत सरकार ने 2021 में नए भू-स्थानिक डेटा दिशानिर्देश जारी किए, जिनमें  अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में भू-स्थानिक डेटा के व्यापक, अत्यधिक सटीक, सूक्ष्म एवं  निरंतर अद्यतन प्रतिनिधित्व की उपलब्धता के लाभों को इस विश्वास के साथ स्वीकार किया गया है कि इससे देश में नवाचार को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा मिलेगा और यह आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए देश की तैयारी को बढ़ा देगा।

हालांकि, डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि एक आधुनिक और विकसित राष्ट्रीय भू- स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र केवल प्रौद्योगिकी में नवाचारों और प्रगति के आधार पर विकसित नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसे सभी राष्ट्रों सहित हितधारकों की व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर आधारित होना चाहिए और यह आम नागरिकों के जीवन और उनकी आजीविका कैसे प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि कुशल भू-स्थानिक जनशक्ति की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, कई विश्वविद्यालयों ने अपने यहां मानव संसाधन क्षमता के निर्माण के लिए भू-स्थानिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित पाठ्यक्रम शुरू किए और प्रशिक्षित भू-स्थानिक जनशक्ति की उपलब्धता को विकसित करने के लिए कई शोध परियोजनाएं शुरू की गईं। उन्होंने कहा कि इन उपायों ने भारतीय भू-स्थानिक उद्योग के लिए एक अंतरराष्ट्रीय भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) सेवा बाजार विकसित करने का अप्रयुक्त अवसर खोल दिया है ।


https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/DJS-3X9H2.jpg

डॉ. जितेंद्र सिंह ने संयुक्त राष्ट्र भू-स्थानिक कांग्रेस को बताया कि विश्व भू-स्थानिक जानकारी और इसके अनुप्रयोगों की पारंपरिक परिभाषा से और आगे निकलकर डिजिटल ट्विन्स और मेटा-वर्स जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके वास्तविक जीवन की समस्याओं के भू-स्थानिक समाधान की अधिक गतिशील परिभाषा की ओर बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि अपने रोजमर्रा के निर्णयों में स्थानिक बुद्धिमत्ता को अपनाने के लिए कागज के नक्शे का उपयोग करने के दिनों से और आगे जाकर कर दुनिया अब बहुत दूरी तय कर चुकी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि हाल ही में कोविड -19 महामारी प्रबंधन एक उल्लेखनीय उदाहरण है जिसमें भू-सक्षम तकनीक का उपयोग एक ऐसा स्वास्थ्य सेवा ऐप विकसित करने के लिए किया गया था, जिसने नियंत्रण क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करने के साथ ही नागरिक अभियानों की निगरानी करने, टीकों का प्रबन्धन करने एवं उचित सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने में सहायता की। अन्य भू-सक्षम प्रौद्योगिकियों ने हॉटस्पॉट को साफ करने, दूरस्थ स्वास्थ्य देखभाल और निदान के लिए टेलीमेडिसिन सुविधाओं की स्थापना तथा स्वास्थ्य संकट को दूर करने के लिए बुनियादी ढांचे की उपलब्धता का विश्लेषण करने जैसी गतिविधियों के प्रबंधन में मदद की है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये गतिविधियां प्रौद्योगिकी की वास्तविक क्षमता को उजागर करने तथा एक ही समय में भू-स्थानिक जानकारी के क्रॉस-सेक्टर निर्माण, उपयोग और प्रबंधन के परिदृश्य को बदलने में मदद कर रहे हैं। सार्वजनिक और निजी हितधारक अब भू-स्थानिक जानकारी को नीचे से ऊपर तक सतत विकास तंत्र की रीढ़ के रूप में देख रहे हैं। साथ ही सरकार, उद्योग, शोधकर्ता, शिक्षाविद और नागरिक समाज प्रमुख समाधानों के निर्माण के लिए गुणवत्तापूर्ण भू-स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए एक साथ आ रहे हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि इस संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएन – डब्ल्यूजीआईसी) 2022 के प्रदर्शनी खंड में हम इस पारिस्थितिकी तंत्र की झलक दिखा रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह कहते हुए अपने सम्बोधन का समापन किया कि भविष्य के राष्ट्रीय भू-स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र को एक समग्र परिवर्तन की आवश्यकता है, ताकि डिजिटल अर्थव्यवस्था में नवाचारों को' जड़ता (साइलो) को तोड़ने और जोड़ने' के लिए बनाए रखा जा सके तथा सभी पारिस्थितिक तंत्रों स्थानिक डाटा के उपयोग को सरल बनाने के लिए इन प्रौद्योगिकी नवाचारों के समन्वयन में अनुकूलन के साथ ही काम किया जा सके। मंत्री महोदय ने इस द्वितीय संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएन – डब्ल्यूजीआईसी) के एक ऐसे युगांतरकारी वैश्विक आयोजन (वाटरशेड ग्लोबल इवेंट) होने की कामना की जिसमें वैश्विक भू-स्थानिक सूचना प्रबंधन का विकास अब उस प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले मानवता विकास की ओर अग्रसर होगा।

*****

एमजी / एएम / एसटी/वाईबी  



(Release ID: 1866891) Visitor Counter : 408


Read this release in: English , Urdu