उप राष्ट्रपति सचिवालय

 ‘लाल बहादुर शास्त्रीजी का जीवन हर किसी को हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखने के लिए प्रेरित करता है’: उपराष्ट्रपति


‘गांधीजी और शास्त्रीजी के भारत को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के विजन को साकार किया जा रहा है’

उपराष्ट्रपति ने प्रतिस्पर्धी वैश्विक बाजार में बढ़त हासिल करने के उद्देश्य से युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों में तेजी लाने का आह्वान किया

उपराष्ट्रपति ने आईआईएम, अहमदाबाद के पूर्व निदेशक डॉ. बकुल ढोलकिया को दिया उत्कृष्टता के लिए 23वां लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार

Posted On: 08 OCT 2022 8:42PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनका जीवन हर किसी को हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि शास्त्रीजी ने इतिहास में सबसे निर्णायक दौर में से एक के दौरान भारत का नेतृत्व किया और उनका नारा जय जवान, जय किसानहर भारतीय के दिल में गूंजता रहता है।

श्री धनखड़ उपराष्ट्रपति निवास में प्रख्यात शिक्षाविद् और अर्थशास्त्री, आईआईएम, अहमदाबाद के पूर्व निदेशक डॉ. बकुल ढोलकिया को उत्कृष्टता के लिए 23वां लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।

शास्त्रीजी के नेतृत्व के बारे में बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनकी सादगी और दृढ़ संकल्प ने उन्हें इतिहास में एक अलग स्थान दिलाया। उन्होंने संकेत किया कि हरित क्रांति के माध्यम से आत्मनिर्भरता के लिए शास्त्री जी का आह्वान आत्मनिर्भर भारत के शुरुआती अवतारोंमें से एक था। उन्होंने कहा कि उनके और गांधीजी के भारत को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के विजन को पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से साकार किया जा रहा है।

एक पद्म पुरस्कार विजेता डॉ. बकुल ढोलकिया को उत्कृष्टता के लिए 23वें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुने जाने पर बधाई देते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और अर्थशास्त्री के रूप में अंशदान के साथ, आईआईएम अहमदाबाद के निदेशक के रूप में उनका कार्यकाल खासा प्रभावशाली रहा है।

उपराष्ट्रपति ने युवाओं के कौशल को बढ़ाने के लिए हाल के वर्षों में सरकार की पहलों का उल्लेख करते हुए प्रतिस्पर्धी वैश्विक बाजार में बढ़त हासिल करने के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों में कौशल सुधार के कदमों को और तेज करने का आह्वान किया।

भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास पर विचार करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि वैश्विक व्यवस्था में भारत की आवाज को गंभीरता से सुना जा रहा है, जो पहले कभी नहीं हुआ। यह दौर उच्चतम वैश्विक बेंचमार्क की तुलना में बेहतर बुनियादी ढांचा विकास का गवाह बन रहा है।

इस अवसर पर लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के चेयरमैन श्री अनिल शास्त्री, आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व निदेशक डॉ. बकुल ढोलकिया, लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के निदेशक प्रो. प्रवीण गुप्ता और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

 

भाषण का पूर्ण विवरण निम्नलिखित है :

 

वास्तव में 23वें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार से जुड़ना सम्मान की बात है, जिसका नाम भारत के सबसे प्रतिष्ठित सपूतों में से एक के नाम पर रखा गया है।

उत्कृष्टता के लिए लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार, शास्त्री जी के विजन को कायम रखता है। यह संतुष्टि की बात है कि यह उन लोगों को महत्व और सम्मान देता है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन किया है।

शास्त्रीजी का नारा जय जवान, जय किसान करोड़ों देशवासियों को प्रोत्साहित और प्रेरित करता है। उनकी कहानी इतिहास और सभी की स्मृतियों में अंकित है।

एक उत्कृष्ट और असाधारण रूप से योग्य डॉ. बकुल ढोलकिया, एक पद्म श्री पुरस्कार विजेता, एक उत्कृष्ट शिक्षाविद् और अर्थशास्त्री के रूप में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले एक बहुमुखी व्यक्तित्व को 23वां लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करके खासा सम्मानित हूं। आईआईएम अहमदाबाद के निदेशक के रूप में उनका कार्यकाल अत्यधिक प्रभावशाली रहा।

डॉ. ढोलकिया के अथक प्रयासों और उनके जैसे भारत के प्रबंधन पेशेवरों की टीम भारत को राष्ट्रों के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था में जल्द ही अपना उपयुक्त स्थान दिलाने में अंशदान करने वालों में से एक होगी।

लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करने और उत्कृष्टता के वैश्विक मानकों की खोज के अपने उद्देश्यों को अच्छी तरह से पूरा कर रहा है।

अपनी स्थापना के बाद से ही यह संस्थान निरंतर आगे बढ़ रहा है। इसके चेयरमैन श्री अनिल शास्त्री को सख्त अनुपालन के साथ अपने सावधानीपूर्ण दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है।

शास्त्री जी की सादगी और फौलादी संकल्प ने उन्हें इतिहास में एक विशेष स्थान दिलाया। भले ही वह कम समय के लिए प्रधानमंत्री रहे, लेकिन उनका कार्यकाल खासा प्रभावशाली था। उनका जीवन हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखने की प्रेरणा देता है। वहीं राष्ट्र हमारी अर्थव्यवस्था के ऐतिहासिक विकास का लुत्फ उठा रहा है।

शास्त्री जी ने उच्चतम मूल्यों के पालन का उदाहरण प्रस्तुत किया। अनुचित लाभ उठाने का विचार उनके मन में कभी नहीं आया।

मैं एक उदाहरण का उल्लेख करूंगा। जेल में उनके कई कारावासों में से एक के दौरान, उनकी बेटी बीमार हो गई थी। उसे देखने के लिए उन्हें 15 दिन की पैरोल मिली। दुर्भाग्य से, जब वह पैरोल पर थे तब उनकी बेटी का निधन हो गया। शास्त्री जी, अपनी पैरोल की अवधि पूरी तरह समाप्त होने की प्रतीक्षा किए बिना, तुरंत जेल में अपना समय काटने के लिए वापस चले आए। उन्होंने कभी भी अनुचित रूप से रियायतों का लाभ नहीं उठाया। यह एक दुर्लभ घटना है।

शास्त्रीजी ने इतिहास के सबसे ज्यादा निर्णायक दौर में से एक के दौरान भारत का नेतृत्व किया। उनका जय जवान, जय किसान का नारा आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजता रहता है।

शास्त्रीजी का हरित क्रांति कार्यक्रम के माध्यम से आत्म निर्भरता का आह्वान आत्म निर्भर भारत के सबसे शुरुआती अवतारों में से एक था।

भारत-पाक युद्ध के दौरान उनका अनाज का त्याग करने का आह्वान- एक सप्ताह में एक दिन में एक बार व्रत- को जनता की तरफ से असाधारण प्रतिक्रिया मिली। वह उपदेश देने के बजाय उनका पालन करने में विश्वास करते थे। इस अनाज का त्याग करने की शुरुआत उन्होंने अपने परिवार से की थी और देश के करोड़ों लोगों ने उनका पालन किया। इसने सभी को राष्ट्र सर्वोपरि रखने के लिए प्रेरित किया।

भारत को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत देखने के लिए गांधीजी और शास्त्रीजी के विजन को पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा उठाए गए सकारात्मक कदमों के जरिये साकार किया जा रहा है। उद्योग और व्यवसाय के सराहनीय योगदान ने इसे हासिल करने में सहायता की है।

यह आश्चर्यजनक है कि इतने छोटे से दौर में भारत के विकास की कहानी और विकास के पथ को वैश्विक मान्यता दिलाना कैसे संभव हुआ है। हमारे पास गर्व और उल्लास के लिए काफी कुछ है।

हमारा प्रदर्शन अजेय होना चाहिए, क्योंकि विश्व गुरु बनना हमारी नियति है और हो भी क्यों नहीं- हम वसुधैव कुटुम्बकम् पर विश्वास करते हैं और उसका पालन करते हैं।

वैश्विक व्यवस्था में भारत की आवाज को सुना जा रहा है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ। यह दौर उच्चतम वैश्विक बेंचमार्क की तुलना में बेहतर बुनियादी ढांचा विकास का गवाह बन रहा है।

देवियों और सज्‍जनो, आज इतने दशकों के प्रयास के बाद, उसी उल्लासपूर्ण भावना के साथ, भारत विश्व की आर्थिक शक्ति बनने के कगार पर है। पिछले महीने भारत, ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। इस दशक के अंत में यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

ये उपलब्धियां हाल के वर्षों में सरकार की सकारात्मक कई पहलों के माध्यम से युवाओं के आर्थिक और प्रबंधकीय कौशल को बढ़ाने का परिणाम हैं। हमें एक प्रतिस्पर्धी वैश्विक बाजार में बढ़त हासिल करने के लिए इनमें और तेजी लानी चाहिए, जिसमें उभरती हुई प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने की आवश्यकता होती है।

उभरते 'न्यू इंडिया' में, जहां युवाओं को अपनी क्षमता और प्रतिभा का दोहन करने के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं, आपके जैसे शैक्षणिक संस्थानों को उत्कृष्टता और नवाचार के लिए इस मिशन का ध्वजवाहक बनना चाहिए।

यह खुशी की बात है कि समावेशी विकास पर सरकार के जोर के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। बैंकिंग प्रणाली में लाखों लोगों को शामिल करना इसी का एक उदाहरण है। इससे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण में बहुत सुधार हुआ है। पारदर्शिता और जवाबदेही अब हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के पहलू बन गए हैं।

लाल बहादुर शास्त्री प्रबंधन संस्थान के कर्मचारियों और छात्रों को उनके सभी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।

नमस्कार। जय हिंद।

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