पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने पंजाब द्वारा कार्य योजना के खराब कार्यान्वयन पर चिंता और असंतोष प्रकट किया


अध्यक्ष, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्‍यूएम ) चूककर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए वैधानिक शक्तियों का उपयोग करें; केंद्रीय मंत्री

राज्यों को सीएक्यूएम को सौंपी गई कार्य योजना की बारीकी से निगरानी करने और उसे कार्यान्वित करने का निर्देश

Posted On: 30 SEP 2022 6:09PM by PIB Delhi

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष अक्टूबर- जनवरी के बीच की अवधि के दौरान आम तौर पर प्रचलित रहने वाली वायु की खराब गुणवत्ता की स्थिति के मद्देनजर वायु प्रदूषण में कमी लाने के लिए संबंधित सभी हितधारकों द्वारा नियोजित उपायों और कार्यों की 30.09.2022 को विस्तृत समीक्षा की।

केंद्रीय मंत्री ने वायु प्रदूषण में योगदान देने वाले और आगामी 3-4 महीनों की अवधि में महत्वपूर्ण रहने वाले प्रमुख क्षेत्रों के प्रति सजग किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ठोस निवारक और शमन कार्य करने के लिए धान की पराली जलाने, खुले बायोमास/नगरपालिका द्वारा ठोस अपशिष्ट को जलाने, औद्योगिक उत्सर्जन और निर्माण/तोड़-फोड़ की गतिविधियों और सड़कों/खुले क्षेत्रों से निकलने वाले पार्टिकुलेट मैटर/धूल उत्सर्जन जैसे वायु प्रदूषण के स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया गया था।

केन्द्रीय मंत्री ने धान की पराली जलाने के प्रबंधन के संबंध में सीएक्यूएम फ्रेमवर्क/निर्देशों के अनुसार एनसीआर राज्यों और पंजाब द्वारा विकसित विस्तृत कार्य योजना के विभिन्न संघटकों के समयबद्ध और प्रभावी कार्यान्वयन के निर्देश दिए। सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पंजाब से राज्य सरकार द्वारा अग्र-सक्रिय कार्रवाई के माध्यम से बायो-डीकंपोजर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र का विस्तार करने का आह्वान किया, विशेष रूप से इसलिए क्‍योंकि बायो-डीकंपोजर के अंतर्गत क्षेत्र के कवरेज में बहुत मामूली वृद्धि यानी 2021 में 7500 एकड़ से 2022 में महज 8000 एकड़ करने का प्रस्ताव किया गया है ।

अध्यक्ष, सीएक्यूएम ने विशेष रूप से पंजाब द्वारा कार्य योजना के समयबद्ध कार्यान्वयन की आवश्यकता पर भी बल दिया। पराली के प्रभावी प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में राज्यों के पास उपलब्ध फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनरी के इष्टतम उपयोग की पहचान की गई थी। बैठक के दौरान ऐसी सीआरएम मशीनरी की मांग और आपूर्ति की मैपिंग के लिए सीएचसी और सहकारी समितियों के माध्यम से प्रौद्योगिकी और मोबाइल एप्लिकेशन के व्यापक उपयोग पर जोर दिया गया। पराली के यथास्‍थान  प्रबंधन के लिए पूसा बायो डीकंपोजर एप्लिकेशन के जाल को बढ़ाने पर भी जोर दिया गया। धान के भूसे के उसके प्राकृतिक क्षेत्र से दूर (अर्थात एक्स-सिटू )उपयोग की दिशा में अब बायोमास बिजली उत्पादन, बायो-इथेनॉल उत्पादन, सीबीजी उत्पादन, तापीय बिजली घरों में को-फायरिंग, औद्योगिक बॉयलरों के लिए ईंधन और अन्य विविध अनुप्रयोग,खाद, पशु चारा और फर्निशिंग सामग्री एवं पैकेजिंग आदि में वाणिज्यिक अनुप्रयोग आदि सहित विविध विकल्पों को आगे बढ़ाया जा रहा है। तापीय बिजली घरों में बायोमास की को-फायरिंग के संबंध में प्रगति वांछित स्तर की नहीं रही है। ऐसे में मंत्री महोदय ने तापीय बिजली घरों द्वारा को-फायरिंग को पर्याप्त रूप से बढ़ाने के लिए तत्काल सुधारात्मक उपाय किए जाने का आह्वान किया। मंत्री महोदय  ने चूक करने वाले बिजली संयंत्रों और किसी भी अन्य चूककर्ता संस्था के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सीएक्यूएम को अपनी वैधानिक शक्तियों का उपयोग करने के लिए कहा।

केंद्रीय मंत्री ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन की दिशा में जमीनी स्‍तर पर ठोस कार्रवाई करने की दिशा में पंजाब की तैयारियों पर चिंता और असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने लगभग 5.75 मिलियन टन पराली के प्रबंधन के लिए पर्याप्त योजना नहीं बनाई है, जो बहुत बड़ी खामी है और जिसका दिल्ली एवं एनसीआर क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।

केंद्रीय मंत्री ने औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए स्वच्छ ईंधन को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्‍होंने सीएक्यूएम द्वारा एनसीआर के लिए निर्देशित की गई अनुमोदित मानक ईंधन सूची के अनुसार स्वच्छ ईंधन की दिशा में त्वरित रुख करने का निर्देश दिया। एनसीआर में बड़ी संख्या में संचालित किए जा रहे डीजल जनरेटर सेटों से होने वाले भारी प्रदूषण को नियंत्रित किए जाने भी पहचान एक प्रमुख कार्य क्षेत्र के रूप में की गई और मंत्री ने इस संदर्भ में डीजी सेट के उपयोग पर प्रतिबंधों और उत्सर्जन नियंत्रण उपायों के सख्त कार्यान्वयन पर जोर दिया।  

समीक्षा के दौरान मानव द्वारा की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों, निर्माण/तोड़-फोड़ की गतिविधियों, सड़कों और खुले क्षेत्रों में धूल नियंत्रण के प्रभावी उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। बैठक के दौरान एनसीआर राज्य सरकारों/जीएनसीटीडी द्वारा मशीनीकृत सड़क सफाई उपकरण, वाटर स्प्रिंकलर और एंटी-स्मॉग गन के प्रभावी उपयोग और संवर्द्धन पर भी जोर दिया गया।

दीवाली के आसपास मौसम की स्थिति सहित वायु प्रदूषण से संबंधित मामलों की गंभीरता को देखते हुए, केंद्रीय मंत्री ने वायु प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए विशेष और समयबद्ध उपाय करने के निर्देश दिए।

इस बात पर गौर करते हुए कि इस क्षेत्र में वायु प्रदूषण बहु-आयामी और बहु-क्षेत्रीय घटना है, जो सभी  भौगोलिक सीमाओं में व्‍याप्‍त है, केंद्रीय मंत्री ने क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए राज्य सरकारों की सभी हितधारक एजेंसियों, विभागों तथा बड़े पैमाने पर जनता द्वारा सामूहिक और ठोस प्रयास किए जाने  की आवश्यकता दोहरायी। उन्‍होंने सीएक्यूएम / सीपीसीबी / राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के सभी निर्देशों, आदेशों और दिशानिर्देशों को सही ढंग से लागू  करने और संबंधित अधिकारियों द्वारा समय-समय पर इसकी निगरानी / समीक्षा किए जाने के निर्देश दिए ।

इस समीक्षा बैठक में, सचिव, अध्यक्ष, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्‍यूएम) सहित  पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, पंजाब, हरियाणा, उत्‍तर प्रदेश  और जीएनसीटी दिल्ली राज्य सरकारों के प्रभारी सचिव, अध्यक्ष, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एनसीआर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीपीसीसी और अन्य प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।

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एमजी/एएम/आरके


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