कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

आईबीबीआई ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (परिसमापन प्रक्रिया) विनियम, 2016 और भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया) विनियम, 2017 में संशोधन किया

Posted On: 20 SEP 2022 6:32PM by PIB Delhi

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड ने 16 सितंबर, 2022 को भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (परिसमापन प्रक्रिया) (दूसरा संशोधन) विनियम, 2022 (‘संशोधन परिसमापन विनियम’) और भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया) (दूसरा संशोधन) विनियम,2022 ('संशोधन स्वैच्छिक परिसमापन विनियम') को अधिसूचित किया।

हितधारकों की बेहतर भागीदारी को संभव बनाने और देरी को कम करने एवं बेहतर मूल्य प्राप्त करने हेतु परिसमापन प्रक्रिया को कारगर बनाने के उद्देश्य से, यह संशोधन परिसमापन विनियमों में निम्नलिखित प्रमुख बदलाव करता है:      

  • कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के दौरान गठित ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) पहले 60 दिनों में हितधारक परामर्श समिति (एससीसी) के रूप में कार्य करेगी। दावों पर निर्णय हो जाने के बाद और प्रक्रिया शुरू होने के 60 दिनों के भीतर, स्वीकृत दावों के आधार पर एससीसी का पुनर्गठन किया जाएगा।
  • परिसमापक को हितधारकों की बेहतर भागीदारी के साथ व्यवस्थित और समयबद्ध तरीके से एससीसी की बैठकों का संचालन करना अनिवार्य किया गया है।
  • एससीसी के साथ परिसमापक द्वारा अनिवार्य परामर्श का दायरा बढ़ा दिया गया है। अब, एससीसी न्यायनिर्णायक प्राधिकरण (एए) को परिसमापक के प्रतिस्थापन का प्रस्ताव भी दे सकता है और सीआईआरपी के दौरान सीओसी द्वारा परिसमापक की फीस तय नहीं किए जाने की स्थिति में इस फीस को तय कर सकता है।
  • यदि परिसमापन प्रक्रिया के दौरान कोई दावा दायर नहीं किया जाता है, तो सीआईआरपी के दौरान एकत्रित दावे की राशि का परिसमापक द्वारा सत्यापन किया जाएगा।
  • जब कभी भी सीओसी इस आशय का निर्णय लेता है कि परिसमापन प्रक्रिया के दौरान समझौता या व्यवस्था की प्रक्रिया का पता लगाया जा सकता है, परिसमापक केवल ऐसे मामलों में समझौता या व्यवस्था के प्रस्ताव, यदि कोई हो, पर विचार करने के लिए परिसमापन के आदेश के तीस दिनों के भीतर न्यायनिर्णय प्राधिकारी के समक्ष आवेदन दायर करेगा
  • नीलामी प्रक्रिया के लिए विशिष्ट घटना-आधारित समय-सीमा निर्धारित की गई है।
  • प्रक्रिया को भंग करने या बंद करने के लिए एक आवेदन दाखिल करने से पहले, एससीसी परिसमापक को यह सलाह देगा कि परिसमापन की कार्यवाही को बंद करने के बाद  लेनदेन में टालमटोल या धोखाधड़ी या गलत व्यापार के संबंध में कार्यवाही कैसे की जाएगी।

संशोधन परिसमापन विनियम और संशोधन स्वैच्छिक परिसमापन विनियम क्रमशः एक कॉरपोरेट देनदार या कॉरपोरेट व्यक्ति के परिसमापन और स्वैच्छिक परिसमापन से संबंधित अभिलेखों को बनाए रखने के तरीके और अवधि को निर्धारित करते हैं।

संशोधन परिसमापन विनियम और संशोधन स्वैच्छिक परिसमापन विनियम 16 ​​सितंबर, 2022 से प्रभावी हैं। ये www.mca.gov.in  और www.ibbi.gov.in  पर उपलब्ध हैं।

****

एमजी/एएम/आर/डीवी


(Release ID: 1860976) Visitor Counter : 441


Read this release in: English , Urdu , Telugu