पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास का प्रदर्शन करने के लिए लोथल (गुजरात) में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का निर्माण किया जाएगा
3,500 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जाने वाले इस परिसर में सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर वर्तमान समय तक के भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास का प्रदर्शन किया जाएगा: श्री सर्बानंद सोनोवाल
इस परिसर के पहले चरण को मार्च, 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है
Posted On:
10 SEP 2022 11:04AM by PIB Delhi
गुजरात के लोथल में ऐतिहासिक सिंधु घाटी सभ्यता क्षेत्र में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) का निर्माण कर रहा है। यह भारत में अपनी तरह का पहला परिसर है जिसमें भारत की समृद्ध और विविध समुद्री विरासत का प्रदर्शन किया जाएगा। एनएमएचसी परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखी गई थी और मास्टर प्लान के लिए सहमति मार्च 2019 में दी गई थी।
इस परियोजना को विभिन्न चरणों में पूरा करने की योजना है:
चरण-1ए में भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल द्वारा उपयोग की जाने वाली 5 दीर्घाओं और एक नौसेना दीर्घा सहित संग्रहालय भवन का एक परिसर और 35 एकड़ भूमि का विकास शामिल है। इस चरण को 774.23 करोड़ रुपये की लागत से ईपीसी मोड में विकसित किया जा रहा है।
चरण-1बी में बकाया दीर्घाओं सहित शेष संग्रहालय का निर्माण कार्य शामिल हैं और इसमें लाइट हाउस, 5डी डोम थियेटर, बागीचा परिसर और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल हैं। इस चरण का निर्माण भी ईपीसी मोड के तहत विकसित करने का प्रस्ताव है।
चरण-2 में राज्य पवेलियन, लोथल सिटी, समुद्री संस्थान, (हॉस्टल सहित), इको रिसॉर्ट्स, मैरीटाइम और नवल थीम पार्क, जलवायु परिवर्तन थीम पार्क, स्मारक थीम पार्क तथा रोमांच और मनोरंजन पार्क शामिल होंगे। इस चरण के तहत घटकों का निष्पादन पीपीपी मोड के तहत किया जाएगा।
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन जलमार्ग एवं आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा है कि यह उनके मंत्रालय की सागरमाला योजना के तहत एक प्रमुख परियोजना है जिसमें शिक्षा का दृष्टिकोण शामिल है। नवीनतम तकनीक का उपयोग करके समुद्री विरासत को उपभोक्ता के अनुकूल तरीके से पेश किया जाएगा ताकि लोगों में जागरूकता का प्रचार किया जा सके। ईपीसी और पीपीपी मोड सहित इस एनएमएचसी परियोजना की कुल लागत 3,500 करोड़ रुपये है। एनएमएचसी चरण-1ए का निर्माण कार्य मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
इस परियोजना में गुजरात सरकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। राज्य सरकार बाह्य बुनियादी ढांचे को विकसित करके इस परियोजना में मदद कर रही है जिनमें एसएच1 से एनएमएचसी स्थल तक गुंडी-लोथल-सरगवाला गांव होते हुए 11.58 किलोमीटर लम्बी सड़क को 4 लेन का बनाना तथा एनएमएचसी पर 66 केवी बिजली आपूर्ति उपलब्ध कराकर निर्माण स्थल को जलापूर्ति कनेक्शन उपलब्ध कराना शामिल है।
एनएमएचसी की प्रमुख उपलब्धियां:
- 100 प्रतिशत मिट्टी का काम पूरा (1.7 लाख घन मीटर)
- 3200 मीटर की बाउंड्री फेंसिंग का काम पूरा होना
- 1200 पौधों की रोपाई की गई
- 304 स्तंभों का निर्माण
- एनएमएचसी परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए मंत्रालय ने इंडियन पोर्ट, रेल एंड रोपवे कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईपीआरसीएल), मुंबई को एक कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नामित किया है।
- प्रसिद्ध आर्किटेक्चर फर्म मेसर्स हफीज कॉन्ट्रैक्टर (एएचसी) को एनएमएचसी परियोजना के प्रमुख प्रबंधन सलाहकार (पीएमसी) के रूप में नियुक्त किया गया है। चरण-1ए की निम्नलिखित 5 दीर्घाओं के लिए संकल्पना डिजाइन और योजना तैयार की गई है:
- दीर्घा (गैलरी)-1 अनुकूलनता (ओरिएन्टेशन) और महासागरीय पौराणिक कथाएं
- दीर्घा-2 हड़प्पावासी: पथ प्रदर्शक नाविक
- दीर्घा-3 हड़प्पा के बाद की ट्रजेक्टरी (प्रक्षेप पथ): जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
- दीर्घा-4 ग्रीको-रोमन दुनिया के साथ भारत का संपर्क
- दीर्घा-5 विशेष प्रदर्शनियां
- एएचसी द्वारा भारतीय नौसेना के अधिकारियों के परामर्श के साथ दीर्घा 6 (भारतीय नौसेना का उद्भव) की अवधारणा डिजाइन का कार्य प्रगति पर है और इन दीर्घाओं की कलाकृतियों की समेकित सूची सौंप दी गई है।
- एनएमएचसी चरण-1ए के निर्माण, परीक्षण और शुरुआत के लिए ईपीसी अनुबंध टाटा प्रोजेक्ट्स को 09 मार्च, 2022 को दिए गए हैं और इस चरण को 6 मार्च, 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
- चरण-1बी और चरण-2 के लिए निविदा प्रक्रिया का कार्य प्रगति पर है और इसे दिसंबर, 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- स्टाफ क्वार्टरों के लिए 25 एकड़ अतिरिक्त भूमि की पहचान की गई है।
- एनएमएचसी परियोजना की सरकार द्वारा शीर्ष स्तर पर लगातार निगरानी की जा रही है और इसके साथ-साथ पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा सफल कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों और संबद्ध संस्थानों के साथ नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित की जा रही हैं।
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