संस्‍कृति मंत्रालय

संस्कृति मंत्रालय ने यूनेस्को के वरिष्ठ प्रतिनिधियों की उपस्थिति में 2021 में मानवता की आईसीएच की प्रतिनिधि सूची में 'कोलकाता में दुर्गा पूजा' के सफल रूप से शामिल होने का उत्सव मनाया


आईसीएच पर दो दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का आज उद्घाटन किया गया

Posted On: 27 AUG 2022 9:21PM by PIB Delhi

संस्कृति मंत्रालय ने संगीत नाटक अकादमी के साथ, आईसीएच के लिए नामित नोडल एजेंसी, राष्ट्रीय संग्रहालय और राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान के सहयोग से 2021 में मानवता की आईसीएच प्रतिनिधि सूची में 'कोलकाता में दुर्गा पूजा' के सफल रूप से शामिल होने के उत्सव का आयोजन किया। फ्रांस के पेरिस में 13 से 18 दिसंबर 2021 तक आयोजित अपने 16वें सत्र के दौरान 'कोलकाता की दुर्गा पूजा' को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया था।

इस अवसर पर राष्ट्रीय संग्रहालय में आईसीएच पर दो दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का भी उद्घाटन किया गया।

इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री लिली पांडेय, यूनेस्को के 2003 आईसीएच सम्मेलन के सचिव श्री टिम कर्टिस, यूनेस्को में भूटान, भारत, मालदीव और श्रीलंका के प्रतिनिधि और निदेशक श्री एरिक फाल्ट, आईसीएच विशेषज्ञ सुश्री ऋतु सेठी, सुश्री शिखा जैन, प्रोफेसर मानवी सेठ, राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान, संस्कृति मंत्रालय में यूनेस्को के निदेशक श्री अरविंद कुमार, संगीत नाटक अकादमी के श्री सुमन कुमार और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।

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इस अवसर पर, यूनेस्को के अमूर्त संस्कृति विरासत सुरक्षा सम्मेलन के सचिव, श्री टिम कर्टिस ने यूनेस्को के 2003 आईसीएच सम्मेलन में हुई निरंतर प्रगति पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यूनेस्को अब मूल्यांकन के लिए अंग्रेजी या फ्रेंच संस्करण के साथ पेशेवरों की भाषा में भी आईसीएच डोजियर स्वीकार करेगा। उन्होंने कहा कि अनौपचारिक शिक्षा एक ऐसा विषय रहा है जिस पर यूनेस्को चार वर्ष से कार्य कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि सजीव विरासत की सुरक्षा में ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना शामिल है, इसलिए शिक्षा इस प्रक्रिया का केंद्र बन जाती है।

भूटान, भारत, मालदीव और श्रीलंका के निदेशक और यूनेस्को के प्रतिनिधि एरिक फाल्ट ने कहा कि उनका मानना है कि इस तरह के नामांकन में शामिल सभी हितधारकों और विभिन्न समूहों और विशेष रूप से इस कार्यशाला को एक साथ लाना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कार्यो को बेहतर रूप से कार्यान्वित करने के तरीके का एक अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने उन सभी अन्य भागीदारों का आभार जताया जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के महत्व और दृश्यता को बढ़ाने के लिए यूनेस्को के साथ काम किया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यूनेस्को उदयपुर में क्षेत्रीय स्तर पर एक आईसीएच कार्यशाला का आयोजन कर रहा है, जिसमें क्षेत्र के विभिन्न देशों के कई प्रतिनिधि शामिल हैं।

इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री लिली पांडेय ने कहा कि भारत लगभग सभी यूनेस्को सांस्कृतिक सम्मेलनों और कार्यक्रमों का सदस्य है। उन्होंने कहा कि 40 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के साथ नवीनतम कोलकाता की दुर्गा पूजा, विश्व रजिस्टर की अंतर्राष्ट्रीय स्मृति में मान्यता प्राप्त 9 दस्तावेजी विरासत घटक और 6 रचनात्मक शहरों के साथ-साथ 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घटकों को इस प्रतिनिधि सूची में अंकित कराते हुए भारत निरंतर रूप से राष्ट्रों के बीच अंतरसांस्कृतिक संवाद के और मजबूत कर रहा है।  उन्होंने यह भी कहा कि दो दिवसीय क्षमता निर्माण राष्ट्रीय कार्यशाला यूनेस्को आईसीएच सम्मेलन के 4 उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

दुर्गा पूजा की भावना का उत्सव मनाने के लिए, प्रसिद्ध ओडिसी नर्तकी और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता कोलकाता से श्रीमती शर्मिला विश्वास और उनकी मंडली द्वारा एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला नृत्य बैले-देवी राइजिंग प्रस्तुत किया गया। इसने दर्शकों और अतिथियों को देवी दुर्गा के रूप में स्त्री शक्ति के चित्रण के साथ सौंदर्य की अवधारणात्मक कोरियोग्राफी, संगीत, वेशभूषा और विषयवस्तु के माध्यम से मंत्रमुग्ध कर दिया।

श्रीमती शर्मिला बिस्वास की प्रस्तुति के पश्चात, "अमूर्त भारत के विविध भाव" नामक एक लघु वृत्तचित्र फिल्म की स्क्रीनिंग की गई।

आईसीएच विशेषज्ञ सुश्री रितु सेठी ने आईसीएच की सुरक्षा और संरक्षण की दिशा में भारत के सहयोग, भूमिका और योगदान के बारे में जानकारी दी। अमूर्त सांस्कृतिक विरासत कार्य समूह (सीआईडीओसी) की अध्यक्ष प्रो. मानवी सेठ ने आईसीएच की कई चुनौतियों और इसकी भविष्य की संभावनाओं पर अपने विचार साझा किए। भारत आईसीएच को न केवल सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के संदर्भ में मानता है, बल्कि ज्ञान, जानकारी और कौशल सम्पदा के तौर पर भी मान्यता देता है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में प्रेषित होता है।

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा परिकल्पित 2 दिवसीय क्षमता-निर्माण कार्यशाला का उद्देश्य पूरे भारत में कार्यशालाओं की एक विशेष श्रृंखला का शुभारंभ करना है, ताकि पेशेवरों और सामुदायिक हितधारकों के बीच सहयोग के तौर-तरीकों की पहचान करते हुए समुदाय आधारित सूची तैयार करने और आईसीएच घटकों के प्रचार, संरक्षण और सुरक्षा प्रथाओं की दिशा में सरकार और समुदाय की जिम्मेदारी पर चर्चा करने के लिए कार्यप्रणाली और सिद्धांतों को सामने लाया जा सके। 28 अगस्त को होने वाली कार्यशाला में डॉ. बी. वेणुगोपाल, संयोजक, इंडिया हेरिटेज एंड म्यूजियम फील्ड स्कूल, कोच्चि द्वारा एक प्रस्तुति और सैद्धांतिक सत्र के साथ-साथ पारंपरिक शिल्प कौशल पर भी एक सत्र का आयोजन शामिल है।

इस आयोजन स्थल में पश्चिम बंगाल से पारंपरिक शिल्प कौशल जैसे पट्टाचित्र, और कांथा के साथ-साथ पुरुलिया छऊ मास्क और अन्य क्षेत्रों जैसे नयाग्राम लकड़ी के खिलौनों का प्रदर्शन करने के लिए कुछ आईसीएच-संबंधित स्टालों को भी लगाया गया। इसके साथ उत्सव के पारंपरिक तरीके की एक झलक और संदर्भ देने के लिए ढाक और धुनुची नृत्य का प्रदर्शन और प्रस्तुति भी किया गया।

कार्यक्रम का समापन टिम कर्टिस द्वारा मानवता की आईसीएच सूची में 'कोलकाता में दुर्गा पूजा' के सफल रूप से शामिल होने के साथ-साथ आईसीएच के वैश्विक परिप्रेक्ष्य और इसके महत्व पर कुछ अंतर्दृष्टिपूर्ण संवादों के साथ हुआ। उन्हें देवी दुर्गा के स्वरूप 'डोकरा' मूर्ति भेंट करते हुए सम्मानित किया गया।

हाल ही में, 7 जुलाई 2022 को, भारत को 2022-2026 समयावधि के लिए अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए यूनेस्को के 2003 कन्वेंशन की अंतर सरकारी समिति के सदस्य के रूप में चुना गया है। अंतर-सरकारी समिति के लिए चुनाव 2003 के 9वें महासभा के दौरान यूनेस्को मुख्यालय, पेरिस में 5 से 7 जुलाई 2022 तक आयोजित किए गए थे। एशिया-प्रशांत समूह के भीतर खाली होने वाली चार सीटों के लिए आठ देशों भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया, थाईलैंड और ईरान ने अपनी उम्मीदवारी पेश की थी। भारत ने उपस्थित और मतदान करने वाले 155 राष्ट्रों में से 110 मतों के सहज बहुमत से चुनाव जीता। भारत के इस निकाय के लिए चुने जाने के साथ, इसका उद्देश्य कन्वेंशन के दायरे और प्रभाव को मजबूत करना और दुनिया भर में अमूर्त विरासत को प्रभावी ढंग से सुरक्षित रखने के लिए दुनिया भर में विभिन्न अभिनेताओं की क्षमता को जुटाना है। अपने वर्तमान कार्यकाल के लिए, भारत ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण तैयार किया है। भारत जिन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा उनमें सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना, अमूर्त विरासत के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर अकादमिक अनुसंधान को बढ़ावा देना और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के साथ कन्वेंशन के कार्य को इसमें जोड़ना करना शामिल है।

13 से 18 दिसंबर 2021 तक पेरिस, फ्रांस में आयोजित अपने 16वें सत्र के दौरान 'कोलकाता में दुर्गा पूजा' को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में अंकित किया गया था। समिति ने दुर्गा पूजा समारोहों की समावेशी प्रकृति और इसकी प्रस्तुति में समूहों के साथ-साथ सुरक्षा घटकों को रूप में स्त्री शक्ति के तौर पर महिलाओं की भागीदारी से संबंधित पहलों की सराहना की। यह न केवल स्त्री देवत्व का उत्सव है बल्कि नृत्य, संगीत, शिल्प, अनुष्ठानों, प्रथाओं और सांस्कृतिक पहलुओं की एक उत्कृष्ट अभिव्यक्ति है। यह त्यौहार जाति, पंथ और आर्थिक वर्गों की सीमाओं से परे है और लोगों को अपने उत्सव में एक साथ जोड़ता है। मानवता की आईसीएच की प्रतिष्ठित यूनेस्को प्रतिनिधि सूची में भारत के पास अब 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घटक हैं।

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