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भारत में तकनीकी वस्त्र बाजार के विकास की दिशा में एक ठोस उपाय के लिए मजबूत अंतर-मंत्रालयी समन्वय और सहयोग कायम करना समय की आवश्यकता: श्रीमती दर्शना जरदोश


पूर्वोत्तर क्षेत्र में, विशेष रूप से मणिपुर में आधारभूत परियोजनाओं में जियो-टेक्सटाइल जैसे तकनीकी वस्त्र में पर्याप्त अवसर मौजूद हैं: श्री एन. बीरेन सिंह, मुख्यमंत्री, मणिपुर

कृषि, खेल, बुनियादी ढांचे, हस्तशिल्प के क्षेत्रों में तेजी से विकास का लाभ पाने के लिए राज्य में प्रतिष्ठित उद्योगों को आमंत्रित किया

भविष्य में कृषि, वानिकी, रेलवे, बागवानी, रोडवेज सहित अन्य क्षेत्रों में, विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में उपयोग के साथ तकनीकी वस्त्रों का इस्तेमाल बढ़ेगा: श्रीमती नेमचा किपजेन, कपड़ा वाणिज्य एवं उद्योग विभाग और सहकारिता विभाग मंत्री, मणिपुर सरकार

बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए फ्लैगशिप पीएम गति शक्ति मॉडल के तहत अनुमोदन और अनुमतियों के लिए फास्ट-ट्रैक पहुंच स्थापित की गई है, जिसमें तकनीकी वस्त्रों, विशेष रूप से जियो-टेक्सटाइल के इस्तेमाल के लिए पर्याप्त अवसरों की पहचान की गई है

Posted On: 23 AUG 2022 6:03PM by PIB Delhi

कपड़ा मंत्रालय ने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) के सहयोग से 23 अगस्त, 2022 को इंफाल, मणिपुर में तकनीकी वस्त्र सम्मेलन का आयोजन किया। मणिपुर के मुख्यमंत्री और मुख्य अतिथि श्री एन. बीरेन सिंह ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केंद्रीय वस्त्र एवं रेल राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश सम्मानित अतिथि के रूप में और मणिपुर सरकार में वस्त्र, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग तथा सहकारिता विभाग की मंत्री श्रीमती नेमचा किपजेन विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। यह सम्मेलन जियो-टेक्सटाइल और एग्रोटेक्सटाइल के इस्तेमाल और उपयोगिता से संबंधित तकनीकी सत्रों पर केंद्रित था।

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सम्मेलन में 150 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिसमें मणिपुर सरकार, भारतीय सेना, संबंधित मंत्रालयों और केंद्र सरकार के विभागों, भारत के प्रख्यात उद्योगपतियों और अनुसंधान संघों के अधिकारी और प्रतिनिधि शामिल थे।

 

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इस अवसर पर अपने संबोधन में वस्त्र और रेल राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश ने भारत में तकनीकी वस्त्र आदेश के इस्तेमाल और उपयोग को आगे बढ़ाने में मंत्रालयों के बीच सक्रिय सहयोग की सराहना की। भारत में तकनीकी वस्त्र बाजार के विकास के लिए एक मजबूत मार्ग प्रशस्त करने में वस्त्र मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और रेल मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय सहित मजबूत अंतर-मंत्रालयी समन्वय और सहयोग इस कार्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश ने पारंपरिक सूती-आधारित वस्त्र हब से तकनीकी वस्त्र और विश्व के एमएमएफ हब के रूप में परिवर्तित करने की दिशा में उन्होंने वस्त्र के लिए पीएलआई, पीएम मित्रा और एनटीटीएम सहित वस्त्र मंत्रालय की विभिन्न पहलों और योजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “गति शक्ति मॉडल न्यूनतम अनुमोदन और अनुमति के साथ बुनियादी ढांचा परियोजना शुरू करने के लिए राज्यों को आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करता है।'' उन्होंने यह भी बताया कि पिछले कुछ वर्षों में देश के माननीय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में कारोबारी सुगमता, व्यापार के अवसर और निवेश के अनुकूल इको-सिस्टम के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है।

श्रीमती जरदोश ने यह भी बताया कि पीपीई किट और मास्क के नेट-आयातक से उसके दूसरे सबसे बड़े निर्यातक तक, भारत ने काफी कम समय में चिकित्सा वस्त्रों में भी अपनी क्षमताओं का विस्तार किया है। कार्पेट के स्वदेशी विकास से लेकर एयरबैग तक, रक्षा संगठनों से लेकर पीपीई किट तक, भारत इस सेगमेंट में एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की दिशा में उत्पादन और निर्यात क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी वस्त्र बाजार के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक अन्य प्रमुख महत्वपूर्ण घटक पर्याप्त कौशल और प्रशिक्षण है, जिसमें एनटीटीएम योजना के तहत 400 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

उन्होंने मणिपुर सरकार के अधिकारियों को अपने संबंधित विभागों के माध्यम से जियो-टेक्सटाइल और एग्रो-टेक्सटाइल उत्पादों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए, मणिपुर के मुख्यमंत्री श्री एन. बीरेन सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मणिपुर में तकनीकी वस्त्रों, विशेष रूप से जियो-टेक्सटाइल के इस्तेमाल में अपनी सड़कों और रेलवे, विशेष रूप से राज्य के इंफाल से लेकर माओ क्षेत्र तक अद्वितीय और जबरदस्त संभावनाएं हैं। मणिपुर में इंफाल-जिरीबाम लाइन पर रेलवे ट्रैक में जियो-टेक्सटाइल तकनीक पहले से ही उपयोग में है। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्वी राज्यों, विशेष रूप से मणिपुर में पूरे वर्ष भारी वर्षा होने का खतरा रहता है, जिससे बाढ़, भूस्खलन और मिट्टी का कटाव होता है, जिससे जियो-टेक्सटाइल के उपयोग के अवसर पैदा होते हैं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार और उद्योग क्षेत्र से जुड़े हितधारकों को राज्य की आवश्यकता को समझने पर प्राथमिकता देनी चाहिए और अधिकारियों तथा उद्योगपतियों से अनुरोध किया कि वे अद्वितीय बुनियादी ढांचे के अवसरों की पहचान के लिए राज्य का दौरा करें। उन्होंने यह भी कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण और मार्गदर्शन के तहत, पिछले पांच वर्षों में मणिपुर राज्य में काफी बदलाव आया है।

मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से राज्य में रसद और परिवहन में आसानी के लिए इंफाल-जिरीबाम क्षेत्र और इंफाल-दीमापुर क्षेत्र के साथ सड़कों के विकास के प्रबंधन के लिए समर्पित टीमों की स्थापना करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कृषि, खेल, बुनियादी ढांचे, हस्तशिल्प के क्षेत्रों में तेजी से विकास का लाभ पाने के लिए राज्य के प्रतिष्ठित उद्योगों को आमंत्रित किया।

मणिपुर सरकार की वस्त्र, वाणिज्य और उद्योग विभाग और सहकारिता विभाग कि मंत्री श्रीमती नेमचा किपजेन ने भारत में विशेष रूप से उत्तर-पूर्व क्षेत्र में तकनीकी वस्त्रों के महत्व पर प्रकाश डाला, जो कि उदीयमान क्षेत्रों में से एक के रूप में मुख्य रूप से विकसित हुए हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में कृषि, वानिकी, रेलवे, बागवानी, रोडवेज सहित अन्य क्षेत्रों में तकनीकी वस्त्रों का उपयोग बढ़ेगा।

बुनियादी ढांचा वाले क्षेत्रों, विशेष रूप से जियो-टेक्सटाइल की गुणवत्ता में सुधार के लिए निर्माण परियोजनाओं में तकनीकी वस्त्रों को व्यापक रूप से बढ़ावा देने का समय गया है। उन्होंने कहा कि जियो-टेक्सटाइल मणिपुर के साथ-साथ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक जीवन की बेहतरी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव श्री गिरिधर अरमाने ने कहा कि सरकार पिछले 3 वर्षों में लगातार 30-40 किलोमीटर सड़क बना रही है, जिससे जियो-टेक्सटाइल के उपयोग के पर्याप्त अवसर मिले हैं। जियो-टेक्सटाइल के उपयोग से सड़कों का निर्माण शीघ्रता से, बेहतर ढंग से और बेहतर गुणवत्ता के तौर पर किया जाता है। उन्होंने कहा कि जियो-टेक्सटाइल के इस्तेमाल से फुटपाथ को 30-50 वर्ष तक टिकाऊ बनाया जा सकता है।

श्री अरमाने ने कहा कि 14 दिसंबर, 2020 को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य संरचनाओं के निर्माण के लिए जियो-सिंथेटिक उत्पादों के उपयोग पर एक समर्पित हिस्से में सड़कों के निर्माण में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर देते हुए एक परिपत्र निकाला। उन्होंने कहा कि सड़क विकास, तटबंध आदि के लिए विभिन्न जियो-टेक्सटाइल के उपयोग के लिए विभिन्न कोड और मानक विकसित किए गए हैं।

मंत्रालय की परियोजनाओं में उपयोग किए जाने वाले जियो-टेक्सटाइल उत्पादों में बुने हुए अथवा बिना बुने हुए जियो-टेक्सटाइल, बायएक्सियल तथा मल्टी-एक्सियल जियो-ग्रिड, जियो-सेल, जियो-नेट, जियो-कंपोजिट का इस्तेमाल फुटपाथ के लिए सुदृढीकरण, ढलानों, बैरियरों, सिपरेशन, फिल्ट्रेशन, जल निकासी, सुरक्षा और स्थिरीकरण के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि अधिकांश जियो-टेक्सटाइल उत्पाद भारत में निर्मित होते हैं।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भी आईआईटी हैदराबाद और आईआईटी चेन्नई सहित भारत के प्रमुख संस्थानों के साथ जियोसिंथेटिक्स, जियोग्रिड, जियोनेट, प्राकृतिक फाइबर आदि से संबंधित अनेक अध्ययन कर रहा है। भारत में जियो-टेक्सटाइल के उपयोग को व्यापक बनाने के लिए उद्योग, शिक्षा और सरकार को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि वस्त्र मंत्रालय और सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय के बीच एक सहयोगी कार्यक्रम की परिकल्पना की जा सकती है, जिसमें निर्माता और ठेकेदार मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक साथ सकते हैं।

वस्त्र मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री राजीव सक्सेना द्वारा राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) योजना के घटकों पर एक प्रस्तुति दी गई। उन्होंने अनुसंधान, विकास और नवाचार सहित योजना के चार घटकों ; कौशल, प्रशिक्षण और शिक्षा; संवर्धन और बाजार विकास; और निर्यात संवर्धन पर जोर दिया।

इस योजना के तहत अनेक पहल की गई हैं, जिसमें स्पेशलिटी फाइबर और जियो-टेक्सटाइल के क्षेत्रों में 108 करोड़ रुपये की 31 अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी देना, तकनीकी टेक्सटाइल उत्पादों को समर्पित 31 नए एचएसएन कोड विकसित करना, और अन्य के साथ-साथ बीआईएस के सहयोग से 500 से अधिक मानकों का विकास करना शामिल है।

 

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एमजी/ एएम/ एसकेएस



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