विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

‘‘टीडीबी रक्षा एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 4जी /5जी टेलीकॉम एवं इंटरनेट सेवाओं की डिलीवरी के लिए गीगामेश सॉल्यूशंस के उत्पादीकरण और व्यवसायीकरण के लिए मेसर्स एस्ट्रोम टेक्नोलॉजिज प्राइवेट लिमिटेड की सहायता करता है''


टीडीबी-डीएसटी महिला केंद्रित स्टार्टअप ‘एस्ट्रोम टेक्नोलॉजिज' द्वारा विकसित ग्रामीण भारत की इंटरनेट समस्याओं का समाधान करने के लिए ‘गीगा मेश'  - एक नवोन्मेषी वायरलेस उत्पाद की सहायता करेगा

‘‘टीडीबी इंटरनेट कनेक्टिविटी को ग्राम से आस पास के गांवों तक विस्तारित करने के लिए छोटे तथा प्रभावी ‘फ्लैट एंटीना' बनाने के लिए नवोन्मेषी विचार के साथ एक और स्टार्टअप की सहायता करेगा

‘‘90वें मन की बात फेम मेसर्स एस्ट्रोम टेक्नोलॉजिज की संस्थापक सुश्री नेहा सातक को टीडीबी-डीएसटी से सहायता मिलेगी''

Posted On: 23 JUL 2022 1:52PM by PIB Delhi

सभी अलग अलग क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए डिजिटल कनेक्टिविटी एक प्रमुख कारक है। डिजिटल कनेक्टिविटी के अभाव में तेजी से भागती यह जिंदगी ठहर गई प्रतीत होती है। जिस तरह से भारत एक डिजिटल अर्थव्यवस्था के रूप में वैश्विक रूप से उभर रहा है, सभी भौगोलिक क्षेत्रों में निर्बाधित इंटरनेट कनेक्टिविटी का होना आवश्यक हो गया है। यह न केवल ई- गवर्नेंस, पारदर्शिता, व्यवसाय करने की सुगमता में सहायता करती है बल्कि नागरिकों के विशेष रूप से सामाजिक आर्थिक विकास में भी मदद करती है।

‘अंत्योदय' के सिद्धांत तथा प्रधानमंत्री के विजन को अपनी मुख्य मार्गदर्शक शक्ति के रूप में रखते हुए, भारत सरकार का लक्ष्य समाज के प्रत्येक व्यक्ति को इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना है। इसलिए, सबको डिजिटल कनेकिटविटी सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों पर सबसे अधिक फोकस किया जा रहा है। इसे अर्जित करने के लिए, सरकार कोई कसर नहीं छेड़ रही है और भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने ‘यूएसओएफ' के माध्यम से पहले ही विश्व के सबसे बड़े ग्रामीण कनेक्टिटिंग प्रोग्राम ‘भारतनेट' का कार्यान्वयन आरंभ कर दिया है जिससे कि इसके एसपीवी ‘बीबीएनएल' के जरिये प्टिकल फाइबर के साथ 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को कनेक्ट किया जा सके।

इसे और सक्षम बनाने के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का एक सांविधिक निकाय टेक्नोलॉजिज डेवलपमेंट बोर्ड (टीडीबी) ‘रक्षा एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 4जी /5जी टेलीकॉम एवं इंटरनेट सेवाओं की डिलीवरी के लिए गीगामेश सॉल्यूशंस के उत्पादीकरण और व्यवसायीकरण के लिए मेसर्स एस्ट्रोम टेक्नोलॉजिज प्राइवेट लिमिटेड की सहायता करता है।' यह बोर्ड भारत में नवोन्मेषण तथा उद्यमिता को बढ़ावा देने के जरिये एक अनुकूल स्टार्टअप परितंत्र के विकास में सहायक रहा है। अब, ग्रामीण भारत की इंटरनेट समस्याओं का समाधान करने के लिए टीडीबी ने मेसर्स एस्ट्रोम टेक्नोलॉजिज के कुल 19.79 करोड़ रुपये की परियोजना लागत में से 2.97 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने पर सहमति जता दी है।

गीगामेश के विकास के पीछे का विचार यह है कि, प्रत्येक टेलीकॉम साइट पर फाइबर की तरह की क्षमता की आवश्यकता होती है लेकिन लागत तथा पहुंच संबंधी बाधाओं के कारण इसे प्रत्येक साइट पर तैनात करना व्यवहार्य नहीं है। जब 5जी डिप्लॉयमेंट होता है तो सेल साइट की संख्या में वृद्धि होगी और प्रत्येक सेल साइट को मल्टी-जीबीपीएस थौरोपुट की आवश्यकता होगी। इसलिए, अर्धशहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में वायरलेस उत्पादों की आवश्यकता होगी जो क्षमता तथा रेंज दोनों ही प्रदान कर सकता है। इसे पूरा करने के लिए, एस्ट्रोम ने गीगामेश यानी ‘पहला ई-बैंड रेडियो जिसमें मल्टीपल प्वाइंट टू प्वाइंट (मल्टी- पी2पी) कम्युनिकेशन है जो कम कैपेक्स लागत तथा ओपेक्स लागत की पेशकश करता है।

इसके अतिरिक्त, यह डिवाइस 2प्लस जीबीपीएस क्षमता प्रत्येक, जो 10 मिलामीटर के रेंज तक कम्युनिकेट कर सकता है, के साथ 40 लिंक उपलब्ध करा सकता है। रेंज में यह लचीलापन इसे घने शहरी नेटवर्क की भीड़भाड़ को कम करने के साथ साथ ग्रामीण कवरेज को बढ़ाने के लिए उपयुक्त बनाता है, साथ ही यह डिवाइस मौजूदा बुनियादी ढांचे को 5जी के लिए तैयार करने में भी सक्षम है। हाई स्पीड मल्टीपल प्वाइंट टू प्वाइंट (मल्टी- पी2पी) कम्युनिकेशन के प्रति यह क्रांतिकारी दृष्टिकोण अत्याधुनिक प्वाइंट टू प्वाइंट (पी2पी) वायरलेस सॉल्यूशंस की तुलना में प्रति लिंक पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में 6 गुना तक की कमी लाता है।

टीडीबी के आईपी एवं टीएएफएस के सचिव श्री राजेश कुमार पाठक ने कहा, ‘‘5जी स्पेक्ट्रम नीलामी के बाद, भारत में 5जी की तैनाती आरंभ होने वाली है, इस तथ्य के साथ कि टीएसपी/एमएनओ को अपने कैपेक्स एवं ओपेक्स आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए धन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए, कम लागत वाला नेटवर्क समाधान ‘वक्त की आवश्यकता' है। ‘गीगामेश‘ प्रौद्योगिकी भारत जैसे देश, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र के लिए किफायती नेटवर्क समाधान के उद्वेश्यो को प्राप्त करने के लिए दीर्घकालिक भूमिका निभाएगी। टीडीबी में हम ऐसे प्रोद्योगिकी स्टार्ट अप की प्राथमिक सहायता करने के लिए सही ढंग से तैयार हैं जिसका उद्वेश्य ‘आत्मनिर्भरता' में अनूठा योगदान देना है।''     

 

एमजी/एएम/एसकेजे/वाईबी



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