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300 से अधिक प्रतिनिधियों ने तकनीकी वस्त्रों के लिए मानकों - इंडिया@2047 के लिए मानकों का निर्माण - पर आयोजित 5वें राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया


वैश्विक मानकों के साथ भारतीय तकनीकी वस्त्र मानकों के सामंजस्य की दिशा में काम करने के लिए कपड़ा मंत्रालय, भारतीय मानक ब्यूरो, अनुसंधान संगठनों, उद्योग तथा शिक्षाविदों के बीच सहयोगात्मक दृष्टिकोण

2011 से भारत में बीआईएस द्वारा तकनीकी वस्त्र उत्पादों के लिए 500 से अधिक मानक तैयार किए गए हैं

Posted On: 10 JUN 2022 5:30PM by PIB Delhi

कपड़ा मंत्रालय ने फेडेरेशन फ इंडियन चैंबर्स कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ( फिक्की ) की साझीदारी में आज यहां तकनीकी वस्त्रों के लिए मानकों - इंडिया@2047के लिए मानकों का निर्माण - पर 5वें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।

इस सम्मेलन का उद्घाटन कपड़ा मंत्रालय के सचिव श्री यू पी सिंह द्वारा किया गया। इसमें प्रोटेक एवं स्पेशियलिटी फाइबर, एग्रोटेक एवं मेडीटेक, जियोटेक एवं बिल्डटेक, मोबिलटेक, कंपोजिट्स तथा इंदुटेक सहित तकनीकी वस्त्रों के विभिन्न क्षेत्रों को कवर करते हुए मानकों एवं विनियमनों पर सत्रों तथा परिचर्चाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल थी। भारतीय मानक ब्यूरो ( बीआईएस ), भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो ), भारत सरकार तथा राज्य सरकारों के लाइन मंत्रालयों तथा विभागों और भारत के विख्यात उद्योगपतियों ने हाईब्रिड मोड ( वास्तविक एवं वर्चुअल ) के माध्यम से इसमें भाग लिया।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कपड़ा मंत्रालय के सचिव श्री यू पी सिंह ने रेखांकित किया कि राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन ( एनटीटीएम ) तथा वस्त्रों में पीएलआई का उद्वेश्य भारत में तकनीकी वस्त्रों की पैठ और निर्यात में  सहायता करना है। उन्होंने कहा कि ये मानक भारत में तकनीकी वस्त्र विनिर्माताओं के लिए संरचना को सुगम प्रदान करते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रत्येक उत्पाद श्रेणी एवं खंड के लिए मानकों को निरंतर अपनाने तथा उन्नयन का भारत में तकनीकी वस्त्र उत्पादांे की खपत पर जरुर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने जोर देकर कहा कि हाई-एंड तकनीकी वस्त्रों के लिए भारतीय मानकों का विकास और अंगीकरण समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुछ तकनीकी वस्त्रों की सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के दृष्टिकोण से गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों ( क्यूसीओ ) की संभावना की जांच करने की आवश्यकता है।

अंतरालों की पहचान करने तथा वैश्विक मानकों के साथ भारतीय तकनीकी वस्त्र मानकों के सामंजस्य की दिशा में काम करने के लिए कपड़ा मंत्रालय, भारतीय मानक ब्यूरो, अनुसंधान संगठनों, उद्योग तथा शिक्षाविदों के बीच घनिष्ठतापूर्वक का करने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। श्री यू पी सिंह ने कहा कि सरकार सरकार विश्व भर में भारतीय तकनीकी वस्त्र क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने का प्रयास करेगी।

अपने मुख्य भाषण के दौरान, वीएसएम, सीमावर्ती सड़क संगठन ( बीआरओ ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल श्री राजीव चौधरी ने भारत की सीमाओं, पर्वतों तथा वर्षा प्रभावित क्षेत्र में विभिन्न सड़क निर्माण संगठनों के बीच जियोग्रिड, जियोसेल्स, जियोफैब्रिक्स तथा जियोड्रेंस सहित जियो-टेक्सटाइल उत्पादों के व्यापक उपयोग को प्रोत्साहित करने में बीआरओ की सक्रिय भूमिका पर जोर दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि बीआरओ ने नई सामग्री और प्रौद्योगिकी समाधानों के विकास के लिए उद्योग तथा शिक्षा क्षेत्र के साथ गठबंधन किया है। इस प्रकार, इन उत्पादों का मानकीकरण आगे चल कर इनके उपयोग को और आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

बीआईएस के उप महानिदेशक ( मानकीकरण ) श्री राजीव शर्मा ने रेखांकित किया कि 2011 से भारत में बीआईएस द्वारा तकनीकी वस्त्र उत्पादों के लिए पहले ही 500 से अधिक मानक तैयार कर लिए गए हैं तथा कपड़ा मंत्रालय, उद्योगों एवं अन्य लाइन मंत्रालयों तथा विभागों के घनिष्ठ समन्वयन में 40 से अधिक मानकों का विकास किया जा रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि बीआईएस ने तकनीकी वस्त्रों के लिए मानकों के निर्माण और सामंजस्य में तेजी लाने के लिए कई पहल की है जिसमें तकनीकी वस्त्रों के लिए विशेष समिति का गठन, आईएसओ तकनीकी समिति में पूर्व सदस्यता, मानकीकरण गतिविधि का डिजीटलीकरण, कार्रवाई-अनुसंधान आधारित दृष्टिकोण, निशुल्क स्वदेशी मानक सूचना तथा विख्यात संस्थानों के साथ एमओयू शामिल हैं। उन्होंने बताया कि ये केंद्रीकृत पहले बीआईएस द्वारा भारत में तकनीकी वस्त्र मानकों के निर्माण की दिशा में की गई हैं।

फिक्की टेक्स्टाइल समिति के अध्यक्ष तथा ट्राईडेंट लिमिटेड के चेयरमैन श्री राजेंद्र गुप्ता ने कहा कि प्रौद्योगिकी तेजी से बदल रही है और अपने व्यापक उपयोग के साथ तकनीकी वस्त्र अगले 20 से 25 वर्षों में देश के रूपांतरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। 

 

एमजी/एमए/एसकेजे



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