महिला एवं बाल विकास मंत्रालय

एनसीपीसीआर ने सड़क पर रहने वाले बच्चों के पुनर्वास में सहायता करने के लिए बाल स्वराज पोर्टल के तहत "सीआईएसएस एप्लिकेशन" का शुभारंभ किया

Posted On: 08 JUN 2022 5:53PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बाल स्वराज पोर्टल के तहत सड़क पर रहने वाले बच्चों (सीआईएसएसएस- चिल्ड्रेन इन स्ट्रीट सिचुएशन्स) के पुनर्वास की प्रक्रिया में सहायता करने के लिए एक "सीआईएसएस एप्लिकेशन" का शुभारंभ किया है।  

एनसीपीसीआर ने देखभाल और सुरक्षा की जरूरत वाले बच्चों की ऑनलाइन निगरानी और डिजिटल रीयल-टाइम निगरानी तंत्र के लिए बाल स्वराज पोर्टल को शुरू किया है। इस पोर्टल के दो कार्य हैं- कोविड देखभाल और सीआईएसएस। कोविड देखभाल लिंक उन बच्चों की देखभाल को लेकर है, जिनके माता-पिता, दोनों कोविड-19 के कारण या मार्च 2020 के बाद नहीं रहें।

यह बच्चों के पुनर्वास के लिए छह चरणों के ढांचे का अनुसरण करता है। पहला चरण बच्चे के विवरण का संग्रह है, जिसे पोर्टल के माध्यम से पूरा किया जाता है। दूसरा चरण सामाजिक जांच रिपोर्ट (एसआईआर) है यानी कि बच्चे की पृष्ठभूमि की जांच से संबंधित है। यह काम जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू) की निगरानी में जिला बाल संरक्षण अधिकारी (डीसीपीओ) बच्चे से बातचीत और परामर्श करके पूरा करते हैं। तीसरा चरण बच्चे के लिए एक व्यक्तिगत देखभाल योजना (आईसीपी) तैयार करना है। इसके बाद चौथा चरण सीडब्ल्यूसी को सौंपे गए एसआईआर के आधार पर बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) का आदेश है। पांचवां चरण उन योजनाओं और लाभों का आवंटन करना है, जिनका लाभार्थी लाभ उठा सकते हैं और छठे चरण में प्रगति के मूल्यांकन के लिए एक जांच सूची यानी कि फॉलो अप्स बनाई जाती है।

सड़क पर रहने वाले बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) 2.0 किसी भी बच्चे को 'सड़क पर रहने वाले बच्चे की स्थिति' के तहत वर्गीकृत करती है, अगर वह बच्चा अकेले सड़कों पर रह रहा है, दिन के दौरान सड़कों पर रह रहा है, या परिवार के साथ सड़कों पर रह रहा है। इस घटना का मूल कारण बेहतर जीवन स्तर की तलाश में ग्रामीण परिवारों का शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन है।

एनसीपीसीआर की ओर से विकसित यह पोर्टल भारत में सड़क पर रहने वाले बच्चों की सहायता करने के लिए अपनी तरह की पहली पहल है। सीआईएसएस एप्लिकेशन का उपयोग सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से सड़क पर रहने वाले बच्चों के डेटा प्राप्त करने, उनके बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए किया जाता है। यह पहल भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशन में की गई है।

यह कार्यक्रम भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 (ए) का प्रतीक है, क्योंकि यह जनता और संगठनों को सहायता की जरूरत वाले किसी भी बच्चे की रिपोर्ट करने को लेकर बच्चों के कल्याण के लिए एक मंच प्रदान करता है। यह मंच उनके लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए डेटा एकत्र करने और जिला बाल संरक्षण अधिकारी (डीसीपीओ) को रिपोर्ट करने का कार्य करता है।

"सड़क पर रहने की स्थिति में बच्चे (चिल्ड्रन इन स्ट्रीट सिचुएशन)" के तहत एक बच्चे की रिपोर्ट करने के लिए- https://ncpcr.gov.in/baalswaraj/login पर जाएं, "सिटीजन पोर्टल" पर क्लिक करें। इसके "रिपोर्ट ए सीआईएसएस टू हेल्प ए चाइल्ड" पर जाएं। यह एक फॉर्म उपलब्ध कराएगा, जिसमें बच्चे और सूचना देने वाले का विवरण देना होगा। एक बार पंजीकृत होने के बाद आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित डीसीपीओ की संपर्क जानकारी के साथ एक पंजीकरण आईडी तैयार की जाती है। डीसीपीओ को आगे की कार्रवाई यानी बचाव और पुनर्वास के लिए डैशबोर्ड पर बच्चे की जानकारी मिलेगी।

 

यह पेशेवरों और संगठनों को जरूरतमंद बच्चों के लिए कोई भी सहायता प्रदान करने के लिए एक मंच भी प्रदान करता है। यह सहायता खुले आश्रयों, परामर्श सेवाओं, चिकित्सा सेवाओं, प्रायोजन, नशामुक्ति सेवाओं, शिक्षा सेवाओं, कानूनी/अर्द्धन्यायिक सेवाओं, स्वयंसेवा, छात्र स्वयंसेवा, हॉटस्पॉट की पहचान, सीआईएसएस की पहचान या किसी अन्य रूप में प्रदान की जा सकती है। संगठन और संस्थान जैसे कि गैर-सरकारी संगठन, नागरिक समाज संगठन, उच्च शैक्षणिक या तकनीकी संस्थान, फाउंडेशन, सोसायटी या न्यास (ट्रस्ट) इस मंच का उपयोग कर सकते हैं।

 

वहीं, पेशेवर सहायता प्रदान करने के लिए https://ncpcr.gov.in/baalswaraj/login पर जाएं. इसके बाद "सिटिजन पोर्टल" पर क्लिक करें, फिर "प्रोवाइडिंग सर्विस टू हेल्प सीआईएसएस" पर जाएं। सभी आवश्यक विवरण भरें और इसे जमा करें । एक बार पंजीकृत होने के बाद राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के डीसीपीओ की संपर्क जानकारी के साथ एक पंजीकरण आईडी तैयार की जाती है।

 

प्रतिभागियों यानी सूचना प्रदाता व पेशेवरों या संगठनों को डीसीपीओ के मूल्यांकन के बाद सड़क पर रहने वाले बच्चों की सहायता करने में उनके योगदान को स्वीकार करते हुए उन्हें एक डिजिटल प्रमाणपत्र से सम्मानित किया जाएगा।

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