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साउंड के पास स्थान और अर्थ को परिभाषित करने की क्षमता है: रेसुल पुकूट्टी


साउंड डिजाइनर दर्शकों के लिए चुनिंदा ध्वनियों को सुनता है

Posted On: 03 JUN 2022 6:25PM by PIB Delhi

रेसुल पुकूट्टी ने कहा, “ध्वनि (साउंड) के पास स्थान और अर्थ को परिभाषित करने की क्षमता है। कैमरा केवल एक तस्वीर खींचता है, जो अमूर्त है, लेकिन साउंड के साथ इसका अर्थ परिभाषित होता है।

उन्होंने 17वें मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ)- 2022 में 'सिनेमा में साउंड के सौंदर्यशास्त्र' विषयवस्तु पर एक मास्टरक्लास को संबोधित किया। रेसुल पुकूट्टी ने कहा, "साउंड एक फिल्म में वैसा ही वांछित अर्थ उत्पन्न करता है, जैसा कि निर्देशक ने परिकल्पना की थी।”

उन्होंने कहा कि दर्शकों के लिए एक साउंड डिजाइनर चुनिंदा ध्वनियों को सुनता है। श्री पुकूट्टी ने कहा, "बतौर एक साउंड डिजाइनर मैं अपने पास उपलब्ध कई ध्वनियों में से चयन करता हूं और दर्शकों के लिए एक पैकेज प्रस्तुत करता हूं, जो उनके लिए एक व्यापक अनुभव बन जाता है।"

 

 

 

उन्होंने ऑस्कर पुरस्कार विजेता फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर के अपने अनुभव के बारे में बताया। श्री पुकूट्टी ने कहा कि मानव मस्तिष्क ध्वनि को एक निश्चित तरीके से संसाधित करता है, जिसे एक ध्वनि डिजाइनर को समझना चाहिए। उन्होंने कहा, "मैंने स्लमडॉग मिलियनेयर के लिए साउंड उस आधार पर तैयार किया है कि कैसे मानव मस्तिष्क ध्वनि की प्रक्रिया करता है? इसके अनुरूप हमने कई कैमरों का उपयोग करके साउंड को रिकॉर्ड किया और इसे डिजाइन किया।

प्रसिद्ध साउंड डिजाइनर ने फिल्म निर्माण में प्रयुक्त विभिन्न प्रकार की ध्वनियों के बारे में बाताया। उन्होंने फिल्म 'द गुड रोड' के अनुभव का हवाला देते हुए कहा, "साउंड डिजाइन करते समय हमें कहानी के संदर्भ, निर्देशक की सोच और उन सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं को ध्यान में रखना होगा, जिसमें इसे स्थापित (सेट) किया जा रहा है।"

उन्होंने एक संवाद और भाषण के बीच का अंतर बताया। श्री पुकूट्टी ने कहा कि एक ध्वनिक (एकॉस्टिक) वातावरण में संवाद को जब तंरगभाव के साथ एक माइक्रोफोन पकड़ता है, तो वह भाषण बन जाता है। उन्होंने कहा, "जब हम किसी फिल्म में एक संवाद को करते हैं, तो हम वास्तव में उसे एक भाषण बनाने की कोशिश कर रहे होते हैं, जो दर्शकों के साथ भावनात्मक संबंध स्थापित करेगा।"

रेसुल पुकूट्टी एक प्रसिद्ध साउंड डिजाइनर, प्रोडक्शन मिक्सर, साउंड इफेक्ट, फॉले एडिटर और पोस्ट-प्रोडक्शन री-रिकॉर्डिंग मिक्सर हैं, जिन्होंने भारतीय सिनेमा साउंड को एक नए स्तर पर पहुंचाया है। वे साउंड को लेकर उत्साही हैं।  इसके अलावा श्री पुकूट्टी कई तकनीकों और उपकरणों के उस्ताद हैं, जो मजबूत भारतीय सौंदर्यशास्त्र के साथ तकनीकी सम्मिश्रण करते हैं। पुकूट्टी ने अपने शानदार करियर की एक छोटी सी अवधि में 90 से अधिक फिल्मों को रिकॉर्ड, संपादित, संशोधित और डिजाइन किया है। उन्होंने अपने काम के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान प्राप्त की है।

सिनेमा में उनके योगदान के लिए पुकूट्टी को कई पुरस्कार और सम्मान प्रदान किया गया है। इनमें स्लमडॉग मिलियनेयर (2008) में उनके काम के लिए अकादमी अवार्ड ऑफ मेरिट, ब्रिटिश एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन आर्ट्स- बाफ्टा और सिनेमा ऑडियो सोसाइटी (सीएएस) पुरस्कार शामिल हैं। उनकी पुरस्कार विजेता फिल्मोग्राफी में रोअर- टाइगर्स ऑफ सुंदरबन, अनफ्रीडम, इंडियाज डॉटर और केरल वर्मा पजहस्सी राजा शामिल हैं। इसके अलावा उन्हें 2010 में भारत सरकार ने पद्मश्री से भी सम्मानित किया है।

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