सूचना और प्रसारण मंत्रालय
माइम (मूक अभिनय) एक शक्तिशाली कला रूप है जो दिल को छू जाती है: अशोक कुमार चट्टोपाध्याय
Posted On:
31 MAY 2022 2:44PM by PIB Delhi
माइम (मूक अभिनय) एक शक्तिशाली कला रूप है जो बिना किसी शब्द का उपयोग किए हुए आपके दिल को छू सकती है। यह कहना है डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘एन ओड टू क्यिूट्यूड’ के निदेशक श्री अशोक कुमार चट्टोपाध्याय का। फ्रांस की क्रांति के दौरान क्रांतिकारियों ने अपने विरोध के एक माध्यम के रूप में माइम का उपयोग किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक मुद्दों को सामने लाने के लिए इसमें अभी भी काफी शक्ति है। वह 17वें मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के सिलसिले में आयोजित #MIFFDialogues में बोल रहे थे।
अपनी फिल्म की चर्चा करते हुए श्री अशोक कुमार चट्टोपाध्याय ने कहा कि ‘एन ओड टू क्यिूट्यूड’ माइम गुरु तथा भारतीय माइम के प्रतिपादक श्री जोगेश दत्ता की जीवनी तथा एक विश्व विख्यात माइम कलाकार बनने के लिए उन्होंने जिस प्रकार का संघर्ष किया, उसका एक स्केच है। उन्होंने कहा, ‘‘जोगेश दा ने अपने माता-पिता को लगभग 13-14 वर्ष की आयु में ही खो दिया। स्वतंत्रता प्राप्ति की सुबह में, उन्होंने खुद को सियालदह स्टेशन पर तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के एक निर्धन शरणार्थी के रूप में पाया। उन्होंने होटल, चाय के स्टाल पर कई छोटे मोटे काम किए तथा जीवन का ढेर सारा अनुभव एकत्र किया। अपने गहन अवलोकन के माध्यम से उन्होंने दूसरों की नकल तथा मिमिक करने की कला विकसित कर ली। उनका हास्य बोध भी गजब का था। उन्होंने खुद बहुत सारी स्क्रिप्ट विकसित की। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी माइम कला को अपने दम पर विकसित किया। घंटों के अभ्यास ने उन्हें विख्यात व्यक्ति (लीजेंड) बना दिया।’’
माइम के इस उस्ताद के साथ अपने लंबे साहचर्य का स्मरण करते हुए, उन्होंने बताया कि जोगेश दत्ता की अपनी कला रूप के लिए जिस प्रकार की समर्पण की भावना है, वह वास्तव में आश्चर्यजनक है। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘उन्होंने अपने शरीर को एक मंदिर की तरह माना और एक सख्त आहार तथा दैनिक दिनचर्या का पालन किया। आज कल, अधिकांश लोगों में उस तरह के समर्पण की भावना का अभाव है।’’
श्री अशोक कुमार चट्टोपाध्याय ने यह भी विचार व्यक्त किया कि मोबाइल और इंटरनेट के लिए क्रेज के कारण लोग मंचों के कार्यकलापों को भूल रहे हैं। उन्होंने विस्तार से बताया, ‘‘मंच कलाओं को देखने के लिए पहले की तरह सभागारों में भीड़ नहीं आ रही है। हम सभागार के उद्देश्य से कला का निर्माण कर रहे हैं। ढाई इंच की मोबाइल स्क्रीन कलाकृति के साथ न्याय नहीं कर सकती। मेरे लिए यह कोई माध्यम नहीं है। यदि आप गीत, संगीत या नाटक देखना चाहते हैं तो आपको सभागार में जाना होगा।’’
‘एन ओड टू क्यिूट्यूड ‘ का एक संक्षिप्त विवरण
यह फिल्म स्थानीय समारोहों में एक स्टैंडअप कॉमेडियन बनने से लेकर भारतीय माइम के प्रवर्तक बनने की जोगेश दत्ता की यात्रा का वृतांत है जिन्होंने भारत में पहली माइम अकादमी स्थापित की।
निदेशक के बारे में
श्री अशोक कुमार चट्टोपाध्याय फिल्मों तथा कॉमर्शियलों के एक निदेशक हैं। उन्होंने कोलकाता नगर निगम, अउरोड़ा फिल्म निगम तथा संगीत नाटक अकादमी के लिए भी फिल्मों का निर्देशन किया है। उनकी फिल्मोग्राफी में ए डिवाइन पक्र्यूसन (2015), गहना बोरी (2016) तथा द गोल्डेन ग्लोरी (2017) शामिल हैं।
पीआईबी एमआईएफएफ टीम | बीएसएन/एए/डीआर/एमआईएफएफ-27
हमारा मानना है कि आप जैसे फिल्म-प्रेमी के अच्छे शब्दों से अच्छी फिल्में चलती हैं। हैशटैग #AnythingForFilms / #FilmsKeLiyeKuchBhi और # MIFF2022 का उपयोग करके सोशल मीडिया पर फिल्मों के लिए अपने प्यार को साझा करें। हां, फिल्मों के लिए प्यार बांटें!
कौन सी # MIFF2022 फिल्मों ने आपके दिल की धड़कन को कम या ज्यादा कर दिया? हैशटैग #MyMIFFLove का उपयोग करके दुनिया को अपनी पसंदीदा एमआईएफएफ फिल्मों के बारे में बताएं
यदि आप कहानी से प्रभावित हैं, तो संपर्क करें! क्या आप फिल्म या फिल्म निर्माता के बारे में अधिक जानना चाहेंगे? विशेष रूप से, क्या आप पत्रकार या ब्लॉगर हैं जो फिल्म से जुड़े लोगों से बात करना चाहते हैं? पीआईबी आपको उनसे जुड़ने में मदद कर सकता है, हमारे अधिकारी महेश चोपडे से +91-9953630802 पर संपर्क करें। आप हमें miff.pib[at]gmail[dot]com पर भी लिख सकते हैं।
महामारी के बाद महोत्सव के प्रथम आयोजन के लिए, फिल्म प्रेमी उत्सव में ऑनलाइन भी भाग ले सकते हैं। https://miff.in/delegate2022/hybrid.php?cat=aHlicmlk पर एक ऑनलाइन आवेदक (अर्थात हाइब्रिड मोड के लिए) के रूप में मुफ्त में पंजीकरण करें। प्रतियोगिता की फिल्में जैसे ही यहां उपलब्ध होंगी, उन्हें देखा जा सकता है।
एमजी/एमए/एसकेजे/एसएस
(Release ID: 1830070)
Visitor Counter : 928