जनजातीय कार्य मंत्रालय

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर संग्रहालयों के महत्व पर प्रकाश डाला


जनजातीय कार्य मंत्रालय संग्रहालयों के माध्यम से ब्रिटिश शासन और अन्य शोषकों का विरोध करने वाले आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता की गाथाओं को आगे बढ़ा रहा है: श्री अर्जुन मुंडा

Posted On: 18 MAY 2022 6:55PM by PIB Delhi

अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज नई दिल्ली में संग्रहालयों के महत्व पर प्रकाश डालने के लिए ब्रीफिंग की।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस का उत्सव दुनिया भर के लोगों के लिए संग्रहालयों के माध्यम से उनके इतिहास, संस्कृति को जानने का एक अवसर है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (आईएमडी) के अवसर पर, संस्कृति मंत्रालय 16 मई से 20 मई 2022 तक संग्रहालयों में एक सप्ताह के उत्सव का आयोजन कर रहा है और मंत्रालय के तहत देशभर के सभी संग्रहालयों ने पूरे सप्ताह के दौरान आगंतुकों के लिए निःशुल्क प्रवेश की घोषणा की।


श्री अर्जुन मुंडा ने विस्तार से बताया कि जनजातीय कार्य मंत्रालय को जनजातीय संग्रहालयों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है ताकि भारत और दुनिया भारत की अनुसूचित जनजातियों के इतिहास को जान सकें।


उन्होंने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भगवान बिरसा मुंडा स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन 15 नवंबर 2021 को रांची में किया गया था जो देशभर के आदिवासियों के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण था।


उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि संग्रहालयों का निर्माण और पुरातात्विक जांच परिणामों का अन्वेषण और संवर्धन समुचित ढंग से सुनिश्चित किया जाए और देश के लोगों को संग्रहालयों के माध्यम से अपना इतिहास जानने का मौका मिले।


श्री अर्जुन मुंडा ने यह भी कहा कि आदिवासी कार्य मंत्रालय संग्रहालयों के माध्यम से उन आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता की कहानियों को सामने ला रहा है जिन्होंने ब्रिटिश शासन और अन्य शोषकों का विरोध किया और उन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में अंग्रेजों के खिलाफ अपने अधिकारों के लिए आंदोलन शुरू किया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर सभी को अपने परिवार के साथ इन संग्रहालयों का दौरा करना चाहिए और हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और बलिदान से परिचित होना चाहिए।

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अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस हर साल 18 मई को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। भारत की संस्कृति, इतिहास और हमारे पूर्वजों की अनमोल यादें संग्रहालयों में रखी हुई हैं। दुनियाभर में संग्रहालयों की भूमिका के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए यह दिन प्रतिवर्ष मनाया जाता है।



भारत में सांस्कृतिक विरासत का इतिहास, इसका संवर्धन और संरक्षण स्वदेशी या आदिवासी लोगों के वास्तविक आख्यानों, जीवन शैली और कलात्मक रूपों में मौजूद है। भारत की विभिन्न अनूठी जनजातियों के इन सांस्कृतिक इतिहास को संरक्षित करने, दस्तावेज बनाने और बढ़ावा देने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए जनजातीय कार्य मंत्रालय ने कई सक्रिय पहले की हैं। मंत्रालय के मुख्य उद्देश्यों में से एक आदिवासी कला और संस्कृति को बढ़ावा देना और युवाओं में इसके लिए जागरूकता फैलाना भी है।


आजादी का अमृत महोत्सवके अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में सरकार ने घोषणा की कि भगवान बिरसा मुंडा की जयंती हर साल जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जाएगी।


रांची संग्रहालय के अलावा, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय गुजरात में एक राष्ट्रीय स्तर का जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय भी स्थापित कर रहा है। रांची संग्रहालय और गुजरात संग्रहालय दोनों को राष्ट्रीय महत्व के संग्रहालय के रूप में स्थापित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2016 को अपने भाषण में घोषणा की थी कि सरकार उन राज्यों में स्थायी संग्रहालयों की योजना बना रही है जहां आदिवासी निवास करते थे, ब्रिटिश उपनिवेशवादियों के खिलाफ लड़ाई करते थे और उन्होंने ब्रिटिश शासन को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।



प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अपने ठोस प्रयासों के माध्यम से आदिवासी संस्कृतियों, भाषाओं और विरासत को सामने लाकर और पूरे भारत में दस स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों को मंजूरी देकर महान आदिवासी नायकों को श्रद्धांजलि दी है। गुजरात, झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, मिजोरम और गोवा में ऐसे दस संग्रहालय विभिन्न राज्यों के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की यादों को संजोएंगे, जहां ज्यादातर आदिवासी आंदोलन हुए थे।
इसके अलावा, ये संग्रहालय विभिन्न आदिवासी समुदायों के मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक इतिहास दोनों को संजोएंगे और भारत के आदिवासी समुदायों के कौशल को उजागर करने के लिए विभिन्न युगों से महत्वपूर्ण कलाकृतियों, हस्तशिल्प, मूर्तियों, वस्तुओं और इतिहास को प्रदर्शित करेंगे। ये संग्रहालय अपनी अवस्थिति के कारण पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केंद्र होंगे।

 

 

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