पर्यटन मंत्रालय
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श्री जी. किशन रेड्डी ने पर्यटन से संबंधित विषयों पर पहले अतुल्य भारत अंतर्राष्ट्रीय क्रूज सम्मेलन 2022 के दौरान विभिन्न चर्चाओं में भाग लिया


भारत का लंबा तट न केवल व्यापार और निर्यात को बढ़ाने के लिए बल्कि पर्यटन को बढ़ावा देने का एक अवसर भी है: श्री जी. किशन रेड्डी

क्रूज पर्यटन विश्राम और यात्रा उद्योग के सबसे जीवंत और तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है: केन्‍द्रीय पर्यटन मंत्री

Posted On: 15 MAY 2022 8:33PM by PIB Delhi

पहला अतुल्य भारत अंतर्राष्ट्रीय क्रूज सम्मेलन 14 मई और 15 मई, 2022 को मुंबई में आयोजित किया गया। केन्‍द्रीय पर्यटन, संस्कृति और उत्‍तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री (डोनर) श्री जी. किशन रेड्डी ने भी 15 मई को पर्यटन से संबंधित विभिन्न विषयोंपर प्रतिभागियों को संबोधित किया और चर्चाओं में हिस्‍सा लिया जिसमें पोटेन्शियल ऑफ रिवर क्रूजिंग एंड क्रूज टूरिज्‍म: स्‍क्‍सेस स्‍टोरीज एंड डेस्‍टीनेशन डेवलपमेंट जैसे विषय शामिल किए गए थे।

अपने संबोधन के दौरान केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा, "भारत की 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा उन्हें समुद्री क्षेत्र में अग्रणी बनाती है। हमारा समृद्ध समुद्री इतिहास पूरे एशिया में हमारी सभ्यता और संस्कृति के प्रभाव से स्‍पष्‍ट है। भारत का लंबा तट केवल व्यापार और हमारे निर्यात को बढ़ाने की दृष्टि से ही महत्‍वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह पर्यटन को बढ़ावा देने का अवसर भी है। उन्होंने कहा, "भारत लंबे समय से नदियों की भूमि के रूप में जाना जाता है। हिंदुस्तान नाम सिंधु नदी से लिया गया है। हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहां नदियों को देवी-देवताओं के रूप में पूजा जाता है।"

दो दिवसीय सम्मेलन में देश के क्रूज पर्यटन क्षेत्र में व्यापार के पर्याप्‍त अवसरों को दर्शाया गया, जिसका उद्देश्य पहले भारत को क्रूज यात्रियों के लिए एक वांछित गंतव्य के रूप में प्रदर्शित करना, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को उजागर करना, नए गंतव्यों के निर्माण को बढ़ावा देना,प्रकाश स्‍तम्‍भ जैसे आकर्षण और क्रूज पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारत की तैयारियों के बारे में जानकारी का प्रसार करना था। नदी भ्रमण और क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा, "2014 से भारत में क्रूज पर्यटन और नदी भ्रमण को विकसित करने के लिए नए सिरे से प्रयास किया गया है। क्रूज पर्यटन विश्राम और यात्रा उद्योग के सबसे अधिक जीवंत और तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है। केन्‍द्रीय वित्तीय सहायता योजना के माध्यम से बंदरगाहों और क्रूज टर्मिनलों को विकसित करने, प्रकाशस्तंभों के विकास, नौकाओं की खरीद और नदी क्रूज सर्किट के विकास के लिए पर्यटन मंत्रालय पर्यटन बुनियादी ढांचे के विकास का समर्थन कर रहा है।"

उन्होंने कहा, "भारत सरकार क्रूज यात्रियों और क्रूज जहाजों के लिए समर्पित टर्मिनल विकसित करने की दिशा में भी काम कर रही है। पर्यटन मंत्रालय और जहाजरानी मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से क्रूज पर्यटन पर एक समर्पित टास्क फोर्स का गठन किया गया है। हमने हाल ही में सागरिका का उद्घाटन किया, जो कोच्चि में अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल है जहां से एक लाख से अधिक मेहमान यात्रा कर सकेंगे। इसके अलावा, हमअनेक तटीय स्थानों में क्रूज टर्मिनल, प्रकाश स्‍तम्‍भों और अन्य पर्यटक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भी वित्तीय सहायता दे रहे हैं। हमारा उद्देश्य 2023 तक चुनिंदा बंदरगाहों पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रूज टर्मिनलों को बढ़ावा देना है। चूंकि कई भारतीय क्रूज के लिए विदेशों की यात्रा करते हैं, इसलिए हम इसे भारत के भीतर बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे हैं।

पर्यटन मंत्रालय वर्तमान में पर्यटन से संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 3 प्रमुख योजनाएं और कार्यक्रम संचालित करता है जो स्वदेश दर्शन, प्रसाद और केन्‍द्रीय वित्तीय सहायता है। स्वदेश के तहत अब तक स्वीकृत 76 परियोजनाओं में से 10 तटीय विषय और परियोजनाएं आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गोवा, ओडिशा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और तमिलनाडु से संबंधित हैं। इसके लिए करीब 650 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। 'पर्यटन बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केन्‍द्रीय एजेंसियों को सहायता' योजना के तहत प्रमुख बंदरगाहों पर विभिन्न राज्यों में क्रूज टर्मिनलों और संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में विभिन्न परियोजनाओं के लिए पर्यटन मंत्रालय ने भी 228.61 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। केन्‍द्रीय एजेंसियों को सहायता योजना के तहत बंदरगाहों और जलमार्ग परियोजनाओं का विवरण।

केंद्रीय मंत्री ने इस सम्मेलन के आयोजन के लिए बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की और कहा, "मैं अपने सहयोगी श्री सर्बानंद सोनोवाल जी को इस सम्मेलन के आयोजन के लिए बधाई देना चाहता हूं। आने वाले समय में हम भारत को एक वैश्विक क्रूज हब के रूप में देखना चाहेंगे। स्वतंत्रता के बाद पहली बार, अब हम एक राष्ट्रीय पर्यटन नीति की दिशा में काम कर रहे हैं। नीति में परिकल्पित संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण क्रूज पर्यटन जैसी पहलों का पैमाना सुनिश्चित करेगा। जैसा कि भारत आज़ादी का अमृत महोत्सव के माध्यम से अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, आइए हम नदी परिभ्रमण को नए अभिनव पर्यटन उत्पादों में से एक बनाने का संकल्प लें, जिसे हम 'भारत में क्रूज' के नारे के साथ बड़े पैमाने पर तैयार कर सकते हैं।

केन्‍द्रीय मंत्री ने क्रूज उद्योग के व्यवसाय प्रमुखों और हितधारकों के साथ भी बातचीत की।

 

सम्मेलन में विभिन्न सत्रों का उद्देश्य क्रूज सर्किटों के विकास से संबंधित अलग-अलग विषयों को छूना था जिसमें क्रूज गंतव्यों, क्रूज बुनियादी ढांचे, पर्यटन, आतिथ्य और नौवहन में कुशल जनशक्ति के विकास, अनुकूल नीति वातावरण और महामारी के बाद के दृष्टिकोण और अवसरों पर ध्यान देने से संबंधित विषयों पर विशेष ध्‍यान केन्द्रित किया गया। क्रूज पर्यटन के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए, मंत्रालय और सरकारी एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं। वे अंतरराष्ट्रीय, घरेलू / तटीय और नदी में क्रूज के क्षेत्रों में प्रबंधन और संचालन के लिए नीतिगत ढांचे, एसओपी के विकास में भी शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार क्रूज टर्मिनलों के उन्नयन और आधुनिकीकरण की दिशा में अनेक पहल की जा रही हैं।

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