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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भारत में वन अग्नि प्रबंधन पर एक दिन की परामर्शी कार्यशाला का आयोजन किया

Posted On: 12 MAY 2022 8:21PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण(एनडीएमए) ने कल नई दिल्ली में "भारत में वन अग्नि प्रबंधन" पर एक दिन की कार्यशाला का आयोजन किया। यह आयोजन पर्यावरण, वन एवम् जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ साझेदारी में किया गया था।

कार्यशाला, ज्यादातर 11 राज्यों के 26 जिलों पर वन अग्नि प्रबंधन के लिए केंद्रित रही, यह जिले जंगल में फैलने वाली आग के चलते सबसे ज्यादा प्रभावित रहे हैं। कार्यशाला भविष्य में फैलने वाली इस तरह की आग को रोकने और ऐसी आपदा में प्रभावी और त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने पर भी केंद्रित रहा। इन चीजों को ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय के अलग-अलग कार्यालयो, एनडीएमए, आईएएफ, एनडीआरएफ, एफएसआई, आईसीएफआरई, आईजीएनएफए और पर्यावरण, वन एवम् जलवायु मंत्रालय और 11 राज्यों के वन विभागों के साथ, जंगल की आग, आग की चेतावनी, शुरुआती चेतावनी, आग का अनुमान लगाने वाले मौसमी संकेत प्रबंधन की चुनौतियां और मुद्दे, दुनिया में वन अग्नि प्रबंधन पर जारी बेहतर तकनीकों, क्षमता और प्रशिक्षण में आने वाली बाधाओं से संबंधित प्रशिक्षण पर सत्र आयोजित किए गए।

अपने उद्घाटन भाषण में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने कहा, "हर वन परिक्षेत्र के लिए अग्नि-रोधी कार्ययोजना का निर्माण किया जाना चाहिए, जिसे मौसम, पानी की उपलब्धता और दूसरे कारकों को ध्यान में रखकर बनाया जाना चाहिए। स्थानीय समुदायों को प्राथमिक प्रतिक्रिया के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। हमारे सामने तैयारियों के बेहतर स्तर और बेहतर अग्नि शमन की कोशिशों को सुनिश्चित करने व जंगल में लगने वाली आग के प्रभावों से निपटने के लिेए प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करने की चुनौती है।" उन्होंने आगे कहा, "प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लिए आपदा प्रबंधन बहुत चिंता का विषय है, उन्होंने स्पष्ट तौर पर एशियाई मंत्री स्तरीय सम्मेलन में 2016 में 10 बिंदुओं वाला एजेंडा रखा था, जो आपदा जोखि़म को घटाने, स्थानीय समुदायों की सहभागिता, आपदा जोखिम को घटाने सोशल मीडिया के इस्तेमाल, आपदाओं को प्रबंधित करने में महिलाओं की सहभागिता के साथ-साथ पुराने अनुभवों से विश्लेषण के जरिए सीखने पर केंद्रित था।"

पर्यावरण, वन एवम् जलवायु परिवर्तन और उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने अपने भाषण में कहा, "हमें उन समुदायों के सशक्तिकरण और उन्हें जागरूक बनाकर वन में लगने वाली आग को रोकना और नियंत्रित करना चाहिए, जो उस इलाके के आसपास रहते हैं। हमें उन्हें राज्य वन विभाग के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। वन अग्नि खोज और चेतावनी तंत्र विकसित कर, अहम संसाधनों की स्थिति को डिजिटल कर, अग्नि शमन में लगे लोगों को तैयार कर, मैदान पर मौजूद स्टाफ को प्रशिक्षित कर और वन अग्नि ख़तरे वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर व मैपिंग के जरिए हम बेहतर क्षमता विकसित कर सकते हैं। यह सारी चीजें आपदाओं से निपटने में बेहद अहम हैं।" उन्होंने यह भी कहा, "प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी देश में आपदा प्रबंधन की स्थिति पर बेहद संवेदनशील हैं। जंगल की आग का ख़तरा महूसस करने वाले राज्यों और जिलों में जोख़िम का सामना करने वाले लोगों को साथ लेकर अभ्यास करने की जरूरत है। उन्होंने सभी राज्य निगरानी समितियों से आदर्श क्रियान्यवयन प्रक्रिया को विकसित करने और प्रसारित करने की अपील भी की।"

वन अग्नि के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से रोडमैप बनाने की कोशिश के तहत, एक दिन की कार्यशाला में अलग-अलग तरह की समस्याओं और समाधान पर जागरुकता बनाने के लिए कई तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। इसमें देश के 26 सबसे ज्यादा वन अग्नि प्रभावित जिलों के डीएफओ के साथ सक्रिय विचार-विमर्श भी किया गया। इसके अलावा अलग-अलग राज्यों में स्थित वन अग्नि के प्रति ज्यादा संवेदनशील क्षेत्रों से आए प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्रों/जिलों में मौजूद चुनौतियों और जरूरतों पर भी विमर्श किया।

जंगल में लगने वाली आग की घटनाओं की व्यापक तस्वीर और इसमें सामने आने वाली चुनौतियों व मुद्दों पर वक्ताओं ने निरोधक तरीकों, तैयारियों, शुरुआती चेतावनियों और प्रतिक्रिया जैसी अलग-अलग चीजों पर विस्तार से चर्चा की। यह जंगल में आग लगने की स्थिति में की जाने वाली कार्यवाहियों की सूची तैयार करने और सुझावों के निर्माण में मददगार साबित होगा, जो राष्ट्रीय स्तर पर और संबंधित राज्य में वन विभाग द्वारा दिए जाएंगे। प्रस्तावित "राष्ट्रीय वन अग्नि प्रबंधन परियोजना" पर चर्चा की गई और आपसी ज्ञान साझा कर समाधानों को खोजने की कोशिश की गई। इस कार्यशाला ने परियोजना के अहम तत्वों का निर्माण करने में मदद की। यह परियोजना वन अग्नि प्रबंधन में प्रभावोत्पादता और अलग-अलग विभागों की समग्र प्रतिक्रिया सुनिश्चित करेगी।

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एमजी/एएम/केसीवी


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