पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय

तटीय जिलों के समग्र विकास के लिए अभिसरण मोड के अंतर्गत 567 परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिसकी अनुमानित लागत 58,700 करोड़ रुपये है-श्री सर्बानंद सोनोवाल


राष्ट्रीय सागरमाला शीर्ष समिति (एनएसएसी) ने सागरमाला कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा की और विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया

Posted On: 06 MAY 2022 4:49PM by PIB Delhi

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा है कि सागरमाला कार्यक्रम की सफलता के आधार पर, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने “तटीय जिलों के समग्र विकास” के लिए सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत एक योजना तैयार की है। राष्ट्रीय सागरमाला शीर्ष समिति (एनएसएसी) की बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हितधारकों के साथ कई परामर्शों के बाद, मंत्रालय ने अभिसरण मोड के अंतर्गत कुल 567 परियोजनाओं की पहचान की है, जिसकी अनुमानित लागत 58,700 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि सागरमाला बंदरगाह आधारित परियोजना है और आवागमन लागत में कमी और आयात-निर्यात प्रतिस्पर्धा पर ध्यान केंद्रित करती है। इसके अंतर्गत तटीय जिलों के समग्र विकास का उद्देश्य तटीय क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में मौजूद अंतराल को पाटना और आर्थिक अवसर में सुधार करना है। मंत्री महोदय ने कहा कि तटीय जिलों के समग्र विकास में पहचानी गई परियोजनाओं और सागरमाला परियोजना के अंतर्गत प्राप्त नई योजनाओं के प्रस्तावों के साथ, कुल परियोजनाओं की संख्या 1537 है और इन पर कुल 6.5 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी।

श्री सोनोवाल ने कहा कि समिति ने सागरमाला कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा की और विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत 5.5 लाख करोड़ रुपये लागत की 802 परियोजनाएं हैं, जिन्हें वर्ष 2035 तक कार्यान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से 99,281 करोड़ रुपये लागत की 202 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी-पीपीपी मॉडल के अंतर्गत 45,000 करोड़ रुपये लागत से कुल 29 परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी जा चुकी हैं, जिससे सरकारी खजाने पर वित्तीय बोझ कम हुआ है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के अंतर्गत अतिरिक्त 32 परियोजनाएं 51,000 करोड़ रुपये की लागत से वर्तमान में कार्यान्वित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, 2.12 लाख करोड़ रुपये की 200 से अधिक परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और इनके 2 वर्ष में पूरा होने की आशा है।

राष्ट्रीय सागरमाला शीर्ष समिति (एनएसएसी) की आज हुई बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने की। इस बैठक में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य और खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री, श्री पीयूष गोयल, केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री, श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, श्री अश्विनी वैष्णव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन और श्रम तथा रोजगार मंत्री, श्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, संस्कृति, पर्यटन और विकास मंत्री, श्री जी. किशन रेड्डी, गोवा के मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सावंत और तटीय राज्यों के अन्य मंत्री शामिल हुए।

मंत्रालय अब तक 140 परियोजनाओं के लिए 8748 करोड़ रुपये का अनुदान दे चुका है और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भेजे गए अतिरिक्त प्रस्तावों की समीक्षा कर रहा है। फ्लोटिंग जेट्टी यानी तैरते हुए घाट के विकास के लिए 200 से अधिक स्थानों की पहचान की गई है और 50 स्थानों को चरण 1 के कार्यान्वयन का हिस्सा बनाया गया है। यह भी जानकारी दी गई कि 33 मत्स्य बंदरगाह परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 22 मत्स्य बंदरगाह परियोजनाओं के लिए 2400 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

प्रमुख राष्ट्रीय सागरमाला कार्यक्रम के 7 वर्ष के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने से देश के समुद्री व्यापार के व्यापक विकास और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान मिला है। कार्यक्रम के अंतर्गत, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने इस परियोजना के आरंभ होने के बाद से बड़े पैमाने पर विभिन्न परियोजनाओं को लागू किया है। इन परियोजनाओं में बंदरगाह आधुनिकीकरण, सम्पर्क, औद्योगीकरण, सामुदायिक विकास, तटीय पोत परिवहन और अंतर्देशीय जलमार्ग विकास शामिल हैं। इस तरह के प्रयास के परिणामस्वरूप, राष्ट्र ने बढ़ी हुई क्षमता, दक्षता, रोजगार सृजन, निजी भागीदारी में वृद्धि, आने-जाने के समय में कमी, परिवहन लागत में कमी, व्यापार करने में सुगमता में वृद्धि और भारत को प्रमुख समुद्री राष्ट्रों के वैश्विक मानचित्र में शामिल करने जैसी विभिन्न उपलब्धियां हासिल की हैं।

सरकार ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में लागत और आवागमन के समय को कम करने के लिए बंदरगाहों पर कई आधुनिकीकरण, मशीनीकरण और डिजिटल परिवर्तन के उपाय किए हैं जैसे डायरेक्ट पोर्ट डिलीवरी, डायरेक्ट पोर्ट एंट्री, कंटेनर स्कैनर और आरएफआईडी (रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) सिस्टम की स्थापना की जा रही है। इसके अलावा, शिपिंग ईकोसिस्टम के लिए शुरू से अंत तक व्यापार सुविधा प्रदान करने के लिए पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम (पीसीएस 1 एक्स) को एनपीएल-एमएआरआईएनई में अपग्रेड किया जा रहा है।

चूंकि बंदरगाह देश के आयात-निर्यात व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, सरकार का ध्यान बंदरगाहों की क्षमता वृद्धि पर बना रहता है ताकि वे देश की बढ़ती वाणिज्यिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हों। वर्ष 2014-15 के दौरान भारतीय बंदरगाहों की स्थापित क्षमता 1531 एमटीपीए थी, जो अब वर्ष 2020-21 में बढ़कर 2554.61 एमटीपीए हो गई है।

वित्त वर्ष  2021-22 के दौरान प्रमुख बंदरगाहों पर हुए यातायात में पिछले वर्ष की तुलना में 6.94 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। पांच प्रमुख बंदरगाहों ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अपना अब तक का सबसे अधिक यातायात दर्ज किया। कामराज बंदरगाह पर पिछले वर्ष की तुलना में 49.63 प्रतिशत यातायात की वृद्धि दर्ज की गई। जेएनपीटी ने पिछले वर्ष की तुलना में 17.27 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि के साथ इसी अवधि के दौरान अब तक का सबसे अधिक यातायात हासिल किया। दीनदयाल बंदरगाह ने भी 8.11 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर की और 127.1 मिलियन टन के अपने उच्चतम लदान को भी प्राप्त किया। मुंबई बंदरगाह ने पिछले वर्ष की तुलना में 11.46 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। कोचीन बंदरगाह ने वर्ष-दर-वर्ष के आधार पर 9.68 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और अपने अब तक के उच्चतम यातायात को भी प्राप्त किया।

यह विभिन्न बंदरगाहों पर नए बर्थ और टर्मिनलों के निर्माण, मौजूदा बर्थ और टर्मिनलों के मशीनीकरण, पोर्ट चैनलों में बड़े जहाजों को आकर्षित करने के लिए ड्राफ्ट को गहरा करने के लिए कैपिटल ड्रेजिंग के लिए शुरू की गई विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कारण संभव हुआ है। कुल औसत टर्न अराउंड समय वर्ष 2014-15 में 96 घंटे से घटकर 2021-22 में 52.80 घंटे हो गया, जबकि प्रमुख बंदरगाहों पर कंटेनर औसत टर्न अराउंड समय भी वर्ष 2014-15 में 35.21 घंटे से घटकर 2021-22 में 27.22 घंटे हो गया है।

मंत्रालय, मुंबई और मोरमुगाओ बंदरगाह में सागरमाला परियोजना के माध्यम से दो विशाल क्रूज टर्मिनल परियोजनाएं भी विकसित कर रहा है। मुंबई में अंतरराष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल का उन्नयन और आधुनिकीकरण 303 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन है। इस परियोजना का 70 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा हो गया है। मंत्रालय मोरमुगाओ बंदरगाह पर अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रूज टर्मिनल तथा संबद्ध सुविधाओं के विकास के लिए भी सहायता कर रहा है।

मंत्रालय जलमार्ग के माध्यम से रो-रो और यात्री परिवहन को बड़ा बढ़ावा दे रहा है क्योंकि यह आवागमन के लिए पर्यावरण के अनुकूल सुविधा है और इसके परिणामस्वरूप लागत तथा समय की महत्वपूर्ण बचत होती है। रोपैक्स सुविधाएं राज्य या केंद्रीय प्राधिकरणों द्वारा विकसित की जा रही हैं और जहाजों की तैनाती तथा सेवाएं प्रमुख रूप से निजी कम्पनियों द्वारा प्रदान की जाती हैं। यह देखा गया है कि प्राधिकरण के पास आने वाले राजस्व की तुलना में बंदरगाह की सफाई और उसके रखरखाव की लागत अधिक है। इस बारे में सभी तटीय राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में व्यापक मूल्यांकन के लिए एक विस्तृत अध्ययन आयोजित करने की योजना है। शहरी जल परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक फेरी के उपयोग को बढ़ावा देते हुए दीर्घकालिक अनुबंध पर ओ एंड एम के लिए नए व्यापार मॉडल विकसित करने की भी योजना है। प्रचालन चरण के दौरान उपयुक्त वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए हितधारकों के परामर्श से अलग योजना तैयार की जाएगी।

पीएम गति शक्ति पहल और सागरमाला के बंदरगाह सम्पर्क स्तंभ के अनुरूप, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने सम्पर्क अंतराल की खोज के लिए एक गहन अभ्यास किया है। प्रमुख बंदरगाह और राज्य समुद्री बोर्ड के साथ परामर्श के आधार पर, 52 अंतिम मील सड़क संपर्क परियोजनाओं की एक सूची की पहचान की गई है और मूल्यांकन और विकास के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ साझा की गई है। इसी तरह, 28 अंतिम मील रेल संपर्क परियोजनाओं की पहचान की गई है और मूल्यांकन तथा विकास के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को अवगत करा दिया गया है।

सागरमाला के अंतर्गत किए गए अध्ययनों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 तक लगभग 340 मीट्रिक टन तक तटीय शिपिंग की एक अतिरिक्त क्षमता है, जिसकी अनुमानित वार्षिक लागत 9600 करोड़ रुपये की बचत होगी। कोयला, इस्पात, सीमेंट, ऑटोमोबाइल, खाद्यान्न, उर्वरक, पीओएल, आदि तटीय पोत परिवहन के माध्यम से लाने-ले जाने वाली प्रमुख वस्तुएं हैं। तटीय पोत परिवहन को बढ़ावा देने के एक हिस्से के रूप में, पत्तन पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत "सागरमाला तटीय पोत परिवहन निगरानी समिति" बनाने का प्रस्ताव है, जो सागरमाला योजना की प्रगति की निगरानी करेगी और बुनियादी ढांचे को वित्त पोषण सहायता प्रदान करेगी। जहाज़ों की आवाजाही की सुविधा और जमीनी स्तर पर बुनियादी ढांचे को सक्षम करने के लिए, समर्पित सागरमाला तटीय पोत परिवहन नोडल अधिकारी ने प्रत्येक प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों पर योजना बनाई।

हमारे अंतर्देशीय जलमार्ग अंतरशहरी आवागमन, कम दूरी के यात्री परिवहन की जरूरतों के लिए एक व्यवहार्य माध्यम बन सकते हैं। फेरी, रो-पैक्स जहाजों और हाई-स्पीड लॉन्च के माध्यम से, राज्य सरकारें और शहरी स्थानीय निकाय शहरी और उपनगरीय आबादी को निर्बाध, एकीकृत परिवहन सेवाएं प्रदान कर सकते हैं और दैनिक आवागमन के तनाव और भीड़ को कम कर सकते हैं। कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड ने कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित 23 हाइब्रिड इलेक्ट्रिक नौकाओं की खरीद की है। ऐसे प्रत्येक जहाज में 100 यात्रियों को ले जाने की क्षमता है। आईडब्ल्यूएआई ने 5 स्थानों : वाराणसी, कोलकाता, पटना और गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ के लिए समान सेवाओं का प्रस्ताव दिया है। आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने इस मॉडल की सिफारिश की है। राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया था कि वे मल्टी-मॉडल हरित और सस्ते परिवहन के मॉडल को अपनाएं।

पर्यावरण के अनुकूल और किफायती तरीके से थोक वस्तुओं की आवाजाही को सक्षम करने के लिए अंतर्देशीय जल परिवहन भी एक प्रभावी तरीका हो सकता है। आईडब्ल्यूएआई ने इस वर्ष के शुरुआत में, भारत और बांग्लादेश में गंगा, हुगली, मेघना तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के माध्यम से पटना और गुवाहाटी के बीच 200 टन खाद्यान्न और हल्दिया तथा गुवाहाटी के बीच 2000 टन स्टील पहुंचाने का सफल यात्रा का संचालन किया है। अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में इस अभियान की क्षमता को उजागर करता है। इस मॉडल को कोयला, एलपीजी, उर्वरक कंटेनरों सहित अन्य थोक वस्तुओं के परिवहन के लिए दोहराया और बढ़ाया जा सकता है तथ्‍ज्ञा इसे तटीय शिपिंग के साथ एकीकृत किया जा सकता है। पूर्वोत्तर राज्य कम दूरी और भीड़-भाड़ मुक्त परिवहन के लिए लाभान्वित हो सकते हैं।

राज्य के मंत्रियों ने सागरमाला परियोजनाओं के साथ अपने जुड़ाव के बारे में भी बताया और अपने बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे का एक विस्तृत मास्टर प्लान संचालित करने और सागरमाला फंडिंग के लिए अतिरिक्त परियोजना प्रस्तावों पर काम करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।

राष्ट्रीय सागरमाला शीर्ष समिति (एनएसएसी), बंदरगाह आधारित विकास-सागरमाला परियोजनाओं के लिए नीति निर्देश और मार्गदर्शन प्रदान करने वाली शीर्ष संस्था है जो इसके कार्यान्वयन की समीक्षा करती है। एनएसएसी का गठन 13.05.2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा किया गया था और इसकी अध्यक्षता पत्तन, पोतपरिवहन और जलमार्ग मंत्री करते हैं, जिसमें हितधारक केंद्रीय मंत्रालयों के कैबिनेट मंत्री और समुद्र तटीय राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और प्रशासक सदस्य होते हैं।

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