उप राष्ट्रपति सचिवालय

उपराष्ट्रपति ने कर प्रणाली को और सरल बनाने का आह्वान किया


उपराष्ट्रपति ने एक स्थिर, उपयोगकर्ता के अनुकूल और पारदर्शी कर व्यवस्था बनाने की दिशा में प्रयास जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया

करदाताओं के अनुकूल व्‍यवस्‍था बनाने में प्रौद्योगिकी बेहद सक्षम : उपराष्ट्रपति

करदाताओं और कर लेने वालों के बीच बातचीत में विश्वास, पारदर्शिता और आपसी सम्मान की भावना होनी चाहिए: उपराष्ट्रपति

नए विचारों को ग्रहण करें और दुनिया भर की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को अपनाएं - उपराष्ट्रपति की प्रशासनिक अधिकारियों को सलाह

उपराष्ट्रपति ने नागपुर में आईआरएस (आयकर) के 74वें बैच के विदाई समारोह को संबोधित किया

Posted On: 29 APR 2022 5:23PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज कर प्रणाली को और सरल बनाने का आह्वान किया ताकि स्वेच्‍छा से अनुपालन को बढ़ावा दिया जा सके और मुकदमेबाजी को कम किया जा सके। जटिल और उबाऊ प्रक्रियाओं को दूर करने के सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए, उन्होंने एक स्थिर, उपयोगकर्ता के अनुकूल और पारदर्शी कर व्यवस्था बनाने की दिशा में प्रयासों को तेज करने का आह्वान किया।

नागपुर में राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी (एनएडीटी) में भारतीय राजस्व सेवा (आयकर) के 74वें बैच के विदाई समारोह को आज संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक पारदर्शी और करदाता के अनुकूल व्‍यवस्‍था बनाने के हमारे प्रयास में प्रौद्योगिकी बेहद सक्षम हो सकती है। उन्‍होंने कहा, "वित्तीय समावेशन, सेवा वितरण को आसान बनाने और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से रिसाव को रोकने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना महत्वपूर्ण है।"

यह देखते हुए कि देश सभी प्रशासनिक अधिकारियों से उच्च स्तर की दक्षता और अखंडता की अपेक्षा करता है, उपराष्ट्रपति ने अधिकारियों से एक उच्च बेंचमार्क स्थापित करने, लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रणाली में सुधार करने को कहा। उन्होंने जोर देकर कहा, हम यथास्थिति से संतुष्‍ट नहीं हैं। हम अपने स्‍वराज को सुराज में परिवर्तित करना चाहते हैं।

कर संग्रह के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में भारतीय राजस्व सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए, श्री नायडू चाहते थे कि वे कर कानूनों और प्रक्रियाओं को स्‍पष्‍ट और आसान बनाए ताकि कर अनुपालन प्रतिमान बन जाए और नागरिक स्वेच्छा और सहजता से समय पर करों का भुगतान करें। महाभारत से एक उपमा का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि एक शासक को लोगों से उसी तरह कर वसूल करना चाहिए जैसे मधुमक्खियां फूल को नुकसान पहुंचाए बिना फूलों से अमृत निकालती हैं।

प्रभावी कर प्रशासन को राष्ट्रीय विकास का आधार और सुशासन के स्तंभों में से एक बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने जोर देकर किया कि कर संग्रह को बढ़ाने की आवश्यकता है, लेकिन इसे पारदर्शी और उपयोगकर्ता के अनुकूल तरीके से किया जाना चाहिए, न कि मनमाने तरीके से। करदाताओं पर कराधान के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने की आवश्यकता पर बल देते हुए, उन्होंने कहा, "यदि करदाता अपनी संबंधित उत्पादक गतिविधियों में वृद्धि करना जारी रखते हैं, तो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद और राजस्व संग्रह दोनों में वृद्धि जारी रहेगी।

हाल के वर्षों में अनेक कर सुधारों जैसे बार-बार अपीलों से बचने के लिए मुकदमेबाजी के पर ध्‍यान केन्द्रित करने, फेसलैस रेजीम और करदाताओं को अपनानेके चार्टर की चर्चा करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा, "मेरा दृढ़ विश्वास है कि करदाताओं और कर लेने वालों के बीच बातचीत में विश्वास, पारदर्शिता और आपसी सम्मान की भावना होनी चाहिए"

श्री नायडू ने करों को न केवल सरकार के लिए राजस्व का एक स्रोत बताया, बल्कि वांछित सामाजिक-आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करने और आने वाले वर्षों में खुशहाल समाज के लिए एक प्रभावी साधन भी कहा। भारत के लिए प्रधानमंत्री के विजन @ 100 की चर्चा करते हुए, उन्होंने सभी से आने वाले वर्षों में भारत को एक विकसित, समृद्ध और खुशहाल समाज बनाने के लिए काम करने की अपील की।

युवा अधिकारियों को अपने कर्तव्यों के निर्वहन में आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों से अभिभूत न होने का आह्वान करते हुए, वह चाहते थे कि वे दुनिया भर की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों से परामर्श और ज्ञान लेकर समाधान खोजने में माहिर हों। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘ आपको नये विचारों को ग्रहण करने और उन्‍हें आत्‍मसात करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

स्वतंत्रता के 75वर्ष होने पर चल रहे समारोहों का जिक्र करते हुए, उपराष्ट्रपति ने न केवल राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने में बल्कि राष्ट्रों के समूह में इसकी गरिमा को बढ़ाने और विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की उल्लेखनीय भूमिका की सराहना की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रशिक्षण पूरा करने वाले अधिकारी अपने व्यक्तिगत करियर में सेवा की समान भावना और संवैधानिक मूल्यों के प्रति समर्पण रखेंगे। उन्होंने कहा, "यह आपकी दक्षता बढ़ाने और उन लोगों के जीवन की गुणवत्ता को समृद्ध करने के लिए महत्वपूर्ण है जिनकी आप सेवा करेंगे।"

उपराष्ट्रपति ने कर प्रशासन की समकालीन और भविष्य की जरूरतों के अनुसार अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए एनएडीटी के अधिकारियों और संकाय की सराहना की। इस अवसर पर, उन्होंने इस वर्ष अब तक का सबसे अधिक आयकर संग्रह सुनिश्चित करने में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को उनकी सफलता के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, "परिवर्तन कभी भी आसान नहीं होते हैं, लेकिन आपने अब तक इस कट्टरपंथी नागरिक मित्रवत पहल को बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित किया है, और समय के साथ, मुझे यकीन है कि यह सब और भी बेहतर हो जाएगा।"

इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल, श्री भगत सिंह कोश्यारी, महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री, श्री नितिन राउत, सीबीडीटी के अध्यक्ष श्री जेबी महापात्र, एनएडीटी पीआर डीजी श्री प्रवीण कुमार, एनएडीटी के एडीजी (इंडक्शन) श्री बी वेंकटेश्वर राव, एडीजी (योजना एवं अनुसंधान), डॉ विनय कुमार सिंह, पाठ्यक्रम निदेशक, श्री ऋषि बिशन, आईआरएस के 74वें बैच के अधिकारी और अन्य लोग उपस्थित थे।

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एमजी/एएम/केपी
 



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