पंचायती राज मंत्रालय

पंचायती राज मंत्रालय ने आजादी का अमृत महोत्सव को मनाने के लिए आइकॉनिक सप्ताह समारोह के हिस्से के रूप में स्वच्छ एवं हरित गांव और पर्याप्त जलयुक्त  गांव को लेकर एसडीजी के स्थानीयकरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया

Posted On: 16 APR 2022 8:41PM by PIB Delhi

हमें अपने खास सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) जिसे हमने नौ विषयों के रूप में अपनाया और शुरू किया है, को प्राप्त करने के लिए सोच और मानसिकता में सकारात्मक बदलाव लाना होगा। हमें लोगों के जीवन में बदलाव लाने और ग्रामीण भारत को बदलने के लिए जमीनी स्तर पर प्रतिक्रिया देने की जरूरत है", श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल, केन्द्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री ने आजादी का अमृत महोत्सव को मनाने के लिए आइकॉनिक सप्ताह समारोह के हिस्से के रूप में पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आयोजित एसडीजी के स्थानीयकरण पर सम्मेलन में देश भर से आए पंचायत प्रतिनिधियों की सभा को संबोधित करते हुए कहा।

श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने अपने संबोधन में बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने 2000 में सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों की शुरुआत की थी, उसके बाद सतत विकास लक्ष्य अस्तित्व में आए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर हम अपनी जीवन शैली में सुधार लाना चाहते हैं, तो हमें एसडीजी लक्ष्य निर्धारित करने होंगे और एसडीजी को साकार करने के लिए काम करना होगा क्योंकि सभी सतत विकास लक्ष्य महत्वपूर्ण हैं। केन्द्रीय मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने महात्मा गांधी के साफ और स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने के लिए पंचायतों का आह्वान किया। श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने लोगों से स्वच्छता अभियान में भाग लेने और समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी की भावना के साथ स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने की अपील की।

आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए आइकॉनिक वीक समारोह के छठे दिन, पंचायती राज मंत्रालय ने सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण पर राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें व्यापक सतत विकास लक्ष्यों के साथ  विषय 5 : स्वच्छ और हरित गांव और विषय 4: पर्याप्त जलयुक्त गांव पर ध्यान केंद्रित किया गया।

सम्मेलन का उद्घाटन केन्द्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने श्री सुनील कुमार, सचिव, पंचायती राज मंत्रालय, श्रीमती विनी महाजन, सचिव, पेयजल और स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, डॉ. चंद्रशेखर कुमार, अपर सचिव, एमओपीआर और श्रीमती रेखा यादव, संयुक्त सचिव, एमओपीआर की उपस्थिति में दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

 

पंचायती राज सचिव श्री सुनील कुमार ने गांवों के विकास में स्वच्छता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्वच्छता को लेकर जागरूकता बहुत महत्वपूर्ण है और इसे समुदायों के बीच परिपूर्णता रूप में जारी रखा जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को इस लक्ष्य को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में निर्धारित करना चाहिए। उन्होंने आगे स्वच्छ और हरित ऊर्जा पर पंद्रहवें वित्त आयोग (एफएफसी) अनुदान के अधिकतम उपयोग के लिए रणनीतियों और कार्य-योजना के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सभी 9 विषय एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, इसलिए हमें प्रत्येक विषय पर उसी के अनुसार ध्यान देना चाहिए। पर्याप्त जल युक्त गांव पर उत्तराखंड की कुथार ग्राम पंचायत और स्वच्छ और हरित गांव के विषय पर तेलंगाना के मेटापल्ली ग्राम पंचायत के  विषयगत वीडियो प्रदर्शित किए गए।

श्रीमती विनी महाजन सचिव पेयजल और स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय ने साझा किया कि कैसे भारत ने खुले में शौच को खत्म किया और ओडीएफ मुक्त बना और ओडीएफ प्लस प्लस की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने जैव-अपशिष्ट ऊर्जा, ठोस-तरल अपशिष्ट प्रबंधन, धूसर जल प्रबंधन आदि के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों से पंद्रहवें वित्त आयोग, मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के तहत उपलब्ध धन के परिसमापन या उसका उपयोग करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत जल शक्ति मंत्रालय का उद्देश्य 2024 तक हर घर को नल के जरिये स्वच्छ और पीने योग्य पानी उपलब्ध कराना है।

राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले तकनीकी सत्र को आगे बढ़ाते हुए, श्री कपिल चौधरी, निदेशक (एसबीएम), पेयजल और स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय ने स्वच्छता के महत्व के बारे में बताया। कर्नाटक के एसबीएम के नोडल अधिकारी श्री श्रीनिवास ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर उडुपी की विषयगत वीडियो फिल्म साझा की।

श्री अतुल बगई, प्रमुख, कंट्री ऑफिस, यूएनईपी, भारत ने लोगों के सतत  विकास की दिशा में जमीनी स्तर पर स्वच्छ और हरित पर्यावरण के महत्व पर बात की। प्रो. प्रतीक शर्मा, कुलपति, टेरी स्कूल ऑफ एडवांस स्टडी और एनटीपीसी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से डॉ. देबजीत पालित ने ग्रामीण संदर्भ में एलएसडीजी के लिये अक्षय ऊर्जा के मुद्दों के लंबी अवधि के कारगर समाधान पर ध्यान केंद्रित किया। लद्दाख, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और मेघालय की ग्राम पंचायतों की राज्यवार वीडियो प्रस्तुति का एक विषयगत वीडियो दिखाया गया और पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों ने भी अपने अनुभव साझा किए।

द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता श्री पंकज कुमार सचिव, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय ने की। श्री प्रतुल सक्सेना, निदेशक, एमओजेएस ने पर्याप्त जलयुक्त गांव को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किया। वाटरएड इंडिया और दीपक पारेख संस्थान के वक्ताओं ने भी ग्रामीण संदर्भ में पर्याप्त अक्षय ऊर्जा से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एलएसडीजी पर अपने विचार साझा किए। राजस्थान, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मिजोरम और नागालैंड राज्य ने अपने अनुभव, चुनौतियां और सफलता की कहानियां साझा की।

 

 

 

****

एमजी/एएम/एसएस



(Release ID: 1817496) Visitor Counter : 521


Read this release in: English , Urdu , Manipuri