पंचायती राज मंत्रालय
पंचायती राज मंत्रालय ने आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह को मनाने के लिए स्वस्थ गांव और सामाजिक रूप से सुरक्षित गांव पर एसडीजी के स्थानीयकरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया
Posted On:
15 APR 2022 8:31PM by PIB Delhi
पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री सुनील कुमार ने इस अवसर पर अपने स्वागत भाषण में कहा कि अगर हम चाहते हैं कि हमारे गांव स्वस्थ रहें तो हमें इसे समग्र रूप से देखना होगा। अभी तक हम गांवों में स्वास्थ्य के बारे में सोचते थे, हम केवल अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के बारे में सोचते थे, अब हम समग्र रूप से गांव के स्वास्थ्य के बारे में विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें केवल इलाज ही नहीं बल्कि बीमारी की रोकथाम की भी जरूरत है, जो स्वास्थ्य के लिए भी उतना ही जरूरी है।
श्री सुनील कुमार ने स्वस्थ गांव और सामाजिक रूप से सुरक्षित गांव पर एसडीजी के स्थानीयकरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किए। आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह को चिह्नित करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलनों की श्रृंखला में यह सम्मेलन पांचवां है। इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री सुनील कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव श्री नागेंद्रनाथ सिन्हा, इंदिरा गांधी पंचायती राज और ग्रामीण विकास संस्थान (आईजीपीआर और जीवीएस) जयपुर के महानिदेशक श्री रविशंकर श्रीवास्तव, डब्ल्यूएचओ के देश प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच ओफ्रिन, पंचायती राज मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. चंद्रशेखर कुमार और पंचायती राज मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती रेखा यादव भी उपस्थित थीं।
श्री सुनील कुमार ने बताया कि कैसे बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) को स्वास्थ्य सेवाओं और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार करके नियंत्रित किया गया। केंद्रीय सचिव श्री सुनील कुमार ने कहा कि अगर हम उस समस्या की जड़ का पता लगाते हैं जो समस्याओं और बीमारियों को बढ़ा रही है, तो हम जमीनी स्तर पर अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित कर सकते हैं।
पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री सुनील कुमार ने कहा कि सभी तक पहुंचना एक चुनौती है क्योंकि स्थानीय लोगों से उनकी अपनी भाषा में संवाद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इस दिशा में काम कर रहे हैं और हमें यकीन है कि हम इस चुनौती का भी सामना करेंगे। यह निश्चित रूप से एक बड़ी चुनौती है लेकिन हमें विश्वास है कि हम इस बाधा को भी दूर कर लेंगे। श्री सुनील कुमार ने गांवों के विकास में स्वास्थ्य के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि गांवों में स्वास्थ्य को अन्य विभागों के साथ सामंजस्य बनाते हुए प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि भारत सरकार के 26 मंत्रालयों और विभागों ने एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक साथ आने का संकल्प लिया है और स्वास्थ्य प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से एक है।
इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव श्री नागेन्द्रनाथ सिन्हा ने कहा कि स्वास्थ्य केवल उपचार के संदर्भ में नहीं है, अपितु आपका खानपान, स्वच्छता की स्थिति, पर्यावरण सब कुछ एक व्यक्ति को स्वस्थ रखने और स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने में शामिल है। इन्हें हासिल करने में ग्राम पंचायतों की अहम भूमिका होती है। ग्राम स्तर पर इन्हें सुनिश्चित करने के लिए ग्राम पंचायतों और ग्रामीण स्थानीय निकायों के सभी प्रतिनिधियों को इस पर विचार करना चाहिए। डॉ नागेंद्रनाथ सिन्हा ने कहा कि अगर हम ध्यान देते हैं तो हमारी कहावतों और मुहावरों में ही प्राचीन ज्ञान का इतना भंडार छिपा है जो हमें स्वस्थ रखने में काम आ सकता है। हमें एक स्वस्थ गांव के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सदियों से संचित अपने स्थानीय ज्ञान का उपयोग करना चाहिए।
श्री नागेन्द्रनाथ सिन्हा ने बताया कि आज भी गांव के लोग स्वास्थ्य में सुधार के बारे में समृद्ध ज्ञान से भरे हुए हैं और वे अपने ज्ञान और अनुभव से लोगों के स्वास्थ्य को सुरक्षित कर सकते हैं। उन्होंने लातूर जिले का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने सोख्ता गड्ढ़े बनाकर साधारण तरीकों से मलेरिया का खात्मा किया। ऐसे सरल उपाय स्वस्थ गांवों को प्राप्त करने में भी मदद कर सकते हैं।
श्री सिन्हा ने पंचायत प्रतिनिधियों को यह भी सलाह दी कि वे अपने गाँव के कमजोर, विकलांग, बूढ़े या बीमारियों से पीड़ित लोगों के बारे में अधिक चिंता रखते हुए उन्हें अपने विस्तारित परिवारों के सदस्य के रूप में स्थान दें ताकि पूरा गाँव एक स्वस्थ गाँव बन सके।
इस अवसर पर पंचायती राज मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार और भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के देश प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच. ओफ्रिन द्वारा इस आयोजन को यादगार बनाने और इस नेक काम के लिए भविष्य में संयुक्त रूप से कार्य करने के लिए एक संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए गए। आईजीपीआर एवं जीवीएस के महानिदेशक श्री रविशंकर श्रीवास्तव और पंचायती राज मंत्रालय के सचिव ने पंचायत सामग्री को ब्रेल लिपि में जारी किया और आश्वासन दिया कि इसका हर भाषा में अनुवाद किया जाएगा ताकि इसका लाभ सभी को मिले।
डॉ ओफ्रिन ने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा अपने गांवों में बस्ती है और वास्तव में यह सच है, हमें गांवों में लोगों तक पहुंचने की जरूरत है। डॉ. रोडेरिको एच. ओफ्रिन ने पंचायती राज मंत्रालय के सचिव के द्वारा उन्हें आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ उनका पहले से ही पुराना रिश्ता है और अब पंचायती राज मंत्रालय के साथ मिलकर उनके कार्यक्रमों और नीतियों को ग्राम स्तर तक ले जाने से अत्यंत लाभ मिलेगा।
भाग लेने वाले पंचायत प्रतिनिधियों के लाभ के लिए नागालैंड के चांगसू पारंपरिक स्थानीय निकाय से स्वस्थ गांव पर एक फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया।
कार्यक्रम के तकनीकी सत्र-1 में चर्चा करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के फिट इंडिया के निदेशक श्री एम ए बालसुब्रमण्य ने स्वास्थ्य सेवाओं में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका की जानकारी दी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच. ओफ्रिन ने भी संचारी और गैर-संचारी रोगों और इसकी रोकथाम के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री राजेश भूषण ने बताया कि कैसे एक संचारी और गैर-संचारी रोग आम जीवन को प्रभावित करता है और मंत्रालय कैसे काफी हद तक संचारी रोगों को नियंत्रित करने में सफल रहा है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, बिहार, गुजरात और राजस्थान के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा स्वस्थ गांव पर विषयगत वीडियो प्रस्तुतियां चलाई गईं और निर्वाचित प्रतिनिधियों, मुख्य रूप से ग्राम पंचायतों के सरपंचों/मुखिया ने भी सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के संबंध में स्वस्थ गाँव और सामाजिक रूप से सुरक्षित गाँव पर केंद्रित विषय पर अपने अनुभव साझा किए।
दूसरे तकनीकी सत्र में, सामाजिक न्याय मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, हेल्प एज इंडिया और आईआईटी दिल्ली के वक्ताओं ने अपने मंत्रालय की योजना और इस संबंध में किए गए अभिसरण के बारे में चर्चा की। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश, असम, केरल, झारखंड और उत्तराखंड राज्य द्वारा सामाजिक सुरक्षित गांवों पर विषयगत वीडियो प्रस्तुति चलाई गई और निर्वाचित प्रतिनिधियों ने अपनी पंचायतों में अपने अनुभव साझा किए।
स्वस्थ गांव और सामाजिक रूप से सुरक्षित गांव पर एसडीजी के स्थानीयकरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन में आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए पंचायती राज मंत्रालय के इस निर्धारित प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह में देश भर से पंचायत प्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्ण भागीदारी की।
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