आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय
आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने दिल्ली में डंपसाइटों की समस्या के समयबद्ध समाधान के लिए उच्चस्तरीय बैठक की
सभी एमसीडी से अपने कचरे को स्रोत के स्तर पर ही अलग करने का प्रयास तेज करने का आग्रह किया गया
Posted On:
11 APR 2022 4:09PM by PIB Delhi
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) द्वारा आज दिल्ली के ओखला, गाजीपुर और भलस्वा स्थित तीन पुराने डंपसाइटों की समस्या के समाधान में हुई प्रगति पर चर्चा करने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। आवासन और शहरी कार्य सचिव की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में विभिन्न मंत्रालयों और संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में अपर सचिव (दिल्ली) - आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, अपर सचिव- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सचिव-शहरी विकास, केंद्र - शासित प्रदेश दिल्ली, उपाध्यक्ष-दिल्ली विकास प्राधिकरण, सभी एमसीडी के आयुक्त, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
भारत के शहरों में पुराने डंपसाइटों की समस्या लगातार पर्यावरण संबंधी चिंता का एक कारण बनी हुई है। स्वच्छ भारत मिशन - शहरी (2.0) (एसबीएम-यू 2.0), जिसे आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है, ने देश में अपनी तरह की पहली पहल के जरिए लक्षित तरीके से इस चुनौती को स्वीकार किया है। एसबीएम-यू 2.0 का मुख्य ध्यान अब ठोस अपशिष्ट प्रबंधन श्रृंखला के दोनों सिरों - यानी नगरपालिका ठोस अपशिष्ट की उत्पत्ति के साथ-साथ उसके सुरक्षित निपटान का प्रबंधन सुनिश्चित करने - पर है ताकि आगे चलकर कोई नया डंपसाइट नहीं बनाना पड़े और सभी पुराने डंपसाइटों को समुचित तरीके से ठीक किया जा सके। तदनुसार, यह मिशन थोक मात्रा में अपशिष्ट पदार्थों के उत्पादकों (प्रति दिन 100 किलो से अधिक अपशिष्ट उत्पन्न करने वाले प्रतिष्ठानों) द्वारा अपने कचरे का प्रबंधन करने का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए ठोस अपशिष्ट का स्रोत के स्तर पर पृथक्करण, अलग किए गए अपशिष्ट अंशों के संग्रहण एवं परिवहन, अशोधित ताजा कचरे को लैंडफिल में जाने से रोकने के लिए अधिकतम संसाधन वसूली एवं अपशिष्ट के अलग किए गए सभी अंशों (प्लास्टिक कचरे सहित) का वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रसंस्करण और देश भर में लगभग 16 करोड़ टन पुराने अपशिष्ट के नीचे दबे हुए 15,000 एकड़ बेहतरीन रियल एस्टेट को फिर से हासिल करने के लिए सभी पुराने डंपसाइटों का जैविक समाधान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके साथ ही, इस मिशन ने अशोधित एवं प्रक्रियागत कचरों के निपटान के लिए वैज्ञानिक लैंडफिल का प्रावधान किया है ताकि नए डंपसाइटों को बनने से रोका जा सके। इस पूरी प्रक्रिया में राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देशों को भी पूरक के रूप में लिया गया है। अधिकरण ने सभी पुराने डंपसाइटों की समस्या का समयबद्ध तरीके से समाधान करना अनिवार्य बना दिया है। इसी के समानांतर, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय इन प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए सभी हितधारकों के बीच केंद्रित क्षमता निर्माण और व्यवहारगत बदलाव के उपायों पर जोर दे रहा है।
इस दिशा में, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने पहले ही 14 राज्यों / केंद्र - शासित प्रदेशों के 600 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों में लगभग 5,700 एकड़ में फैले 963 लाख मीट्रिक टन के पुराने डंपसाइटों को ठीक करने के लिए 4,152 करोड़ रुपये की डंपसाइट समाधान परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। इस स्वीकृत राशि में दिल्ली के 3 एमसीडी में 186 एकड़ को कवर करते हुए 253 लाख मीट्रिक टन अपशिष्ट के शोधन के लिए 776 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शामिल हैं। स्वीकृत राशि में से, 529 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता पहले ही राज्यों/केंद्र - शासित प्रदेशों को पहली किश्त के रूप में जारी की जा चुकी है, जिसमें दिल्ली सरकार को जारी किए गए 174 करोड़ रुपये शामिल हैं। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के वित्तीय मानदंडों के अनुसार, राज्यों/केंद्र - शासित प्रदेशों की सरकारों को निधियों का वितरण करते समय संबंधित यूएलबी को अपनी ओर से बराबर का हिस्सा देना होता है।
तीनों एमसीडी ने जानकारी दी कि वे सामूहिक रूप से प्रतिदिन 11,000 टन ठोस अपशिष्ट पैदा करते हैं, जिसमें से वर्तमान में लगभग 5,900 टन अपशिष्ट को प्रतिदिन नरेला बवाना, ओखला और गाजीपुर स्थित तीन अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्रों में वैज्ञानिक रूप से शोधित किया जा रहा है। तीन डंपसाइटों पर, अब तक लगभग 42 लाख मीट्रिक टन अपशिष्ट का शोधन किया गया है। लेकिन इन साइटों पर डाला जाने वाला शेष अशोधित ताजा अपशिष्ट वहां अब तक हुए समाधान को निष्प्रभावी बनाता है।
आज की बैठक के दौरान, इस बात पर जोर दिया गया कि इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को आकर्षित करने की कुंजी स्रोत स्तर पर ही कचरे को अलग करने की ठोस व्यवस्था है जोकि बाद के स्तर पर कचरे के प्रसंस्करण को संभव बनाएगा। सभी एमसीडी से आग्रह किया गया कि वे अपने कचरे को स्रोत के स्तर पर ही अलग करने के प्रयास तेज करें। यह भी निर्णय लिया गया कि एमसीडी और डीडीए संयुक्त रूप से भूमि संबंधी सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे और समाधान प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए उनका हल निकालेंगे। डीडीए से यह भी अनुरोध किया गया कि जहां तक संभव हो वह अपने बागवानी और जैव-विविधता वाले पार्कों में मिट्टी को समृद्ध करने वाले पदार्थ के रूप में 6 मिमी से कम अंशों वाले अपशिष्टों के उपयोग की संभावनाओं का पता लगाए। डंपसाइटों की समस्या के समाधान की प्रक्रिया के वित्त पोषण के संदर्भ में, यह निर्णय लिया गया कि दिल्ली सरकार उत्खनित पुराने कचरे के परिवहन के लिए ग्रीन सेस फंड पर विचार करने की संभावनाओं का पता लगाएगी क्योंकि डंपसाइट समाधान परियोजना दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने में योगदान देगी। इसी के समानांतर, एमसीडी से व्यापक प्रोजेक्टाइजेशन और परियोजना की निगरानी के ठोस उपायों के साथ डंपसाइटों की समस्या के समाधान के लिए प्रक्रिया लागत को अनुकूल बनाने के लिए विस्तृत विश्लेषण करने का अनुरोध किया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय दिल्ली सहित विभिन्न शहरों में बनाए गए निगरानी तंत्र का अध्ययन करने और डंपसाइटों पर उच्च गुणवत्ता वाली निगरानी को शामिल करने से जुड़ी सर्वोत्तम परिपाटी के बारे में जानकारी साझा करने के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी की तैनाती करेगा। तात्कालिक अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में, दिल्ली सरकार से अनुरोध किया गया कि आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई धनराशि के केंद्रीय हिस्से को सभी एमसीडी को इस धनराशि में केंद्र – शासित प्रदेश के अपेक्षित हिस्से को जोड़ने के बाद वितरित किया जाए। सभी एमसीडी से यह भी अनुरोध किया गया कि वे प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले ताजा कचरे के प्रबंधन के लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार करें और उस प्रस्ताव को राज्य सरकार के उचित अनुमोदन के साथ आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय को भेजें ताकि कोई अतिरिक्त डंपसाइट नहीं बनाया जाना सुनिश्चित किया जा सके।
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