विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

अगली पीढ़ी के ट्रांजिस्टरों के लिए कम संपर्क प्रतिरोध धातु-अर्धचालक इंटरफ़ेस डिज़ाइन किया गया

Posted On: 08 APR 2022 2:37PM by PIB Delhi

शोधकर्ताओं ने अगली पीढ़ी के (नेक्स्ट जेनेरेशन) ट्रांजिस्टरों  के लिए द्वि-आयामी (2डी) मोनोलयर्स के साथ ऐसा कम संपर्क प्रतिरोध धातु-अर्धचालक (सेमी-कन्डक्टर) इंटरफेस को कम्प्यूटेशनल रूप से डिजाइन किया है, जो इस उपकरण की कार्यक्षमता को बढ़ावा दे सकता है। 2डी हनीकॉम्ब जाली (लैटीस) में व्यवस्थित कार्बन परमाणुओं के एक फ्लैट मोनोलेयर ग्राफीन की खोज ने द्वि-आयामी (2डी) क्षेत्रों  की  सामग्री में भारी शोध रुचि को प्रेरित किया है। प्राचीन ग्राफीन में प्रतिरोध  की कमी होना  इलेक्ट्रॉनिक्स और स्विचिंग उपकरणों में इसके अनुप्रयोगों में एक बड़ी बाधा है। यह इसके माध्यम से बहने वाली धारा  (करेंट) को नियंत्रित नहीं कर सकता है और स्वयं  को ऑन से ऑफ़  स्थिति में बदल  नहीं कर सकता है। इसलिए, ग्राफीन द्वारा उत्पन्न सीमाओं से  आगे निकलने  के लिए समय के साथ 2डी अर्धचालक सामने आए हैं।
 
द्वि-आयामी (2डी) स्तर पर उत्पन्न होने के लिए अनूठे गुण देखे जाते हैं, जो आमतौर पर उनके थोक समकक्षों में अनुपस्थित होते हैं। चार्ज और स्पिन एक इलेक्ट्रॉन के दो प्रसिद्ध गुण हैं। अपनी गति या स्पिन-ऑर्बिट कपलिंग (एसओसी) और टूटी हुई उलटा समरूपता (ब्रोकन इनवर्स सिमेट्री) के साथ एक कण (पार्टिकल) के  स्पिन की अंतर्क्रिया की उपस्थिति में 2डी सामग्री में रूपांतरण को स्पिन करने के लिए इलेक्ट्रॉन के आंतरिक स्पिन और इसके संबंधित चुंबकीय क्षण (स्पिंट्रोनिक्स) के नैनोस्केल अध्ययन में नए रास्ते खुल गए हैं। परमाणु रूप से पतले (एटोमिकली) स्पिन क्षेत्र-प्रभाव ट्रांजिस्टर में अनुप्रयोगों के लिए मजबूत  एसओसी का होना  एक आवश्यक शर्त है।

 
इलेक्ट्रॉनिक्स में आने वाले धातु-अर्धचालक संपर्क प्रतिरोध को कम करके डिवाइस की कार्यक्षमता  में सुधार के लिए सामग्री के इलेक्ट्रॉनिक गुणों में मॉड्यूलेशन एक वरदान साबित हुआ है। इन मोनोलयर्स के गुणों को ट्यून करने का एक संभावित तरीका बाहरी गड़बड़ी के माध्यम से छोटे विद्युत क्षेत्र या यांत्रिक तनाव के अनुप्रयोग  के रूप में प्रशस्त किया जा सकता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय नैनोविज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ नैनोसाइंस एंड टेक्नोलॉजी – आईएनएसटी) के वैज्ञानिकों ने उच्च चार्ज वाहक गतिशीलता (हाई चार्ज करियर मोबिलिटी) वाले नए 2डी सेमीकंडक्टिंग मोनोलयर्स (एमजीएक्स एक्स = एस, एसई, टीई) का सुझाव दिया है।
प्रस्तावित मोनोलयर्स अद्वितीय हैं क्योंकि वे सहक्रियात्मक रूप से लचीलेपन, स्पिंट्रोनिक और पीजोइलेक्ट्रिक गुणों को आपस में  जोड़ते हैं, जिससे उन्हें भविष्य में स्व-संचालित नैनोइलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के  लिए  मांगा जा सकता  है ।
ऊर्ध्वाधर (वर्टिकल) बाहरी विद्युत क्षेत्रों के अनुप्रयोग के लिए इन नए 2डी  मोनोलयर्स की प्रतिक्रिया का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में जानकारी संग्रहीत करने के लिए किया जा सकता है। टूटी हुई उलटा समरूपता (ब्रोकन इनवर्स सिमेट्री) के साथ बकल्ड स्ट्रक्चर ने इन मोनोलयर्स में हाई आउट-ऑफ-प्लेन पीजोइलेक्ट्रिकिटी का उदय किया है, जिसका उपयोग ऊर्ध्वाधर तनाव (वर्टिकल स्ट्रेन) के अनुप्रयोग के माध्यम से पीजोपोटेंशियल उत्पन्न करने में किया जा सकता है। पीजोपोटेंशियल करेंट फ्लो को विनियमित करने में सक्षम है, जिससे एमजीटीई मोनोलेयर-आधारित उपकरणों को स्वयं संचालित किया जा सकता है। नैनोस्केल पत्रिका में प्रकाशित यह शोध स्पिंट्रोनिक्स के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की कल्पना करता है और प्रस्तावित 2डी मोनोलयर्स के उपयोग के माध्यम से स्व-संचालित इलेक्ट्रॉनिक्स को बढ़ावा देता है।

 
फिजिक्स रेव. बी. में इसी से सम्बन्धित एक प्रकाशित शोध में  वैज्ञानिक, प्रो. अबीर डी सरकार और उनके शोध (पीएच.डी.)  छात्र मनीष कुमार मोहंता और अनु अरोड़ा ने सेमीमेटल ग्राफीन और एमजीएक्स के बीच कम संपर्क प्रतिरोध (लो कंटेक्ट रेजिस्टेंस) का पता लगाया है। उन्होंने ग्राफीन और एमजीएस के जंक्शन पर एक सही (परफैक्ट) गैर-प्रतिरोधक संपर्क पाया है, जो पूरे चैनल में सुचारू चार्ज परिवहन (स्मूथ चार्ज ट्रांसपोर्ट) के लिए एक दुर्लभ और बहुत अधिक मांग वाली स्थिति है। विद्युत संपर्क गुणों में मॉडुलेशन  ऊर्ध्वाधर तनाव (वर्टिकल स्ट्रेस)  और विद्युत क्षेत्र के अनुप्रयोग द्वारा प्राप्त किया जाता है। यह काम प्राचीन (प्रिन्सटीन) ग्राफीन में एक गैर-आक्रामक/ गैर-विनाशकारी विधि के माध्यम से बैंड गैप खोलना, आश्रित संपर्क गुणों को स्टैक करना, और चार्ज कैरियर कंसंट्रेशन की टर्नबिलिटी  जैसी  बहुत मौलिक चुनौतियों का समाधान करता है। इस काम को ग्राफीन आधारित इलेक्ट्रॉनिक और स्पिंट्रोनिक उपकरणों तक बढ़ाया जा सकता है।


कम्प्यूटेशनल निष्कर्षों से प्रयोगकर्ताओं को वांछित कार्यक्षमता के साथ पीजोफिल्ड प्रभाव ट्रांजिस्टर जैसे भविष्य के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बनाने के लिए प्रेरणा मिलने  की उम्मीद है।

 





प्रकाशन :
https://pubs.rsc.org/en/content/articlelanding/2021/nr/d1nr00149c

lhttps://journals.aps.org/prb/abstract/10.1103/PhysRevB.104.165421

 
अधिक जानकारी के लिए, प्रो. अबीर डी सरकार, वैज्ञानिक-एफ और डीन (अकादमिक), INST, (abir@inst.ac.in) से संपर्क करें।

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