नीति आयोग

नीति आयोग ने कोल्लम की अंजू बिष्ट और तिरुवनंतपुरम की आर्द्रा चंद्र मौली को वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया पुरस्कार से सम्मानित किया


नीति आयोग ने वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स के पांचवें संस्करण का आयोजन किया

भारत की आजादी के 75वें वर्ष में 75 महिलाओं को सम्मानित किया गया

Posted On: 23 MAR 2022 3:55PM by PIB Delhi

नीति आयोग की ओर से वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया के रूप में सम्मानित 75 महिलाओं में केरल की अमृता सेरवी (सौख्यम रियूजेबल पैड) की अंजू बिष्ट और एका बायोकेमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड की आर्द्रा चंद्र मौली शामिल हैं।

भारत को 'सशक्त और समर्थ भारत' में रूपांतरित करने में महिलाएं लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। विभिन्न क्षेत्रों में इन महिलाओं की उल्लेखनीय उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए नीति आयोग ने वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (डब्ल्यूटीआई) पुरस्कार को शुरू किया है।

इस साल भारत की स्वतंत्रता के 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव के तहत उपलब्धि प्राप्त करने वाली 75 महिलाओं को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है। अन्य पुरस्कार विजेताओं के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें।

 

  1. अंजु विष्ट, कोल्लम

अमृता सेरवी (सौख्यम रियूजेबल पैड)

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अंजू बिष्ट और उनकी टीम ने विश्व में पहली बार केले के रेशे, जो कृषि-कचरे से प्राप्त होता है, से फिर से उपयोग में आने वाला (रियूजेबल) माहवारी (मेंस्ट्रुअल/पीरियड) पैड बनाया है। सौख्यम रियूजेबल पैड ने कई पुरस्कार जीते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी बिक्री की जाती है। इनकी सोच है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले पैड, जिसे निर्यात किया जाता है, उन्हें बहुत कम कीमत पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। अब तक इस टीम ने 5,00,000 से अधिक पैड की बिक्री और वितरित की है। इससे सालाना 2,000 टन से अधिक कार्बनडायऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन को रोकने में सहायता मिलती है। इसके अलावा इससे अनुमानित 43,750 टन गैर-बायोडिग्रेडेबल (जैविक रूप से नष्ट होने वाला) माहवारी अपशिष्ट को समाप्त करने में भी सहायता मिली है। अमृता सेरवी हर स्थान पर महिलाओं और लड़कियों को केले के रेशे से बने उच्च गुणवत्ता वाले सस्ते माहवारी पैड उपलब्ध करा रही है।

 

  1. आर्द्रा चंद्र मौली, तिरुवनंतपुरम

एका बायोकेमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड

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आर्द्रा एक बायोटेक इंजीनियर, उद्यमी और एक उद्यमिता शोधकर्ता हैं। वह एका बायोकेमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड की संस्थापक और प्रबंध निदेशक हैं। भारत में यह कंपनी पूरी तरह से महिलाओं के स्वामित्व वाली पहली पर्यावरण संबंधी बायोटेक कंपनी है। विज्ञान और उद्यमिता के क्षेत्रों में रुचि रखने वाले सभी लोगों, विशेषकर महिलाओं के लिए इसे सुलभ बनाने के बारे में आर्द्रा उत्साहित हैं।

आर्द्रा ने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) से प्रबंधन में मास्टर ऑफ रिसर्च की पढ़ाई की हैं। इसके अलावा उन्होंने वारविक बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में एमएससी (मास्टर ऑफ साइंस) और केरल यूनिवर्सिटी से बायोटेक्नोलॉजी व बायोकेमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई की हैं।

एका बायोकेमिकल्स हरित उपयोगकर्ता के अनुकूल विकल्पों को शामिल करने में सहायता कर रही है, जो प्रभावी हैं। इसके अलावा यह शहरी खेती, जल उपचार, रीसाइक्लिंग (पुनर्चक्रण), उपचार या अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करती है। धरती पर "ह्यूमन फुटप्रिंट्स" को कम करने की दिशा में इसका एक महत्वपूर्ण योगदान है।

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