स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय

प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के बजट-उपरान्त वेबिनार का उद्घाटन किया


यूनिवर्सल प्राइमरी हेल्थकेयर, एकसमान स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग, अभिनव हेल्थकेयर समाधानों के लिए सशक्त सार्वजनिक निजी भागीदारी की आवश्यकता और स्मार्ट प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं को एक साथ लाने में भारत की ताकत के बारे में बताया

हेल्थकेयर सेवाओं के विस्तार के लिए निजी क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों सहित प्रख्यात वक्ताओं और विशेषज्ञों ने प्लेटफार्मों को जोड़ने जाने के बारे में चर्चा के लिए सक्रिय भागीदारी की

सभी हितधारकों के साथ विचार-मंथन से नागरिक-केंद्रित स्वास्थ्य देखभाल नीतियों और आउटपुट-आधारित कार्यक्रमों के लिए समय पर कार्रवाई के लिए एक व्यवस्थित ब्लूप्रिंट तैयार होगा: डॉ. मनसुख मंडाविया

सुव्यवस्थित तरीके से बजट प्रस्तावों के तेजी से कार्यान्वयन पर जोर दिया

Posted On: 26 FEB 2022 5:37PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के बजट-उपरान्त वेबिनार का उद्घाटन किया। उन्होंने सार्वभौमिक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, समान स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग, अभिनव स्वास्थ्य देखभाल समाधानों के लिए सशक्त सार्वजनिक निजी भागीदारी की आवश्यकता और सभी को आसानी से सुलभ, सस्ती  तथा गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए स्मार्ट प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं को  एक साथ लाने में भारत की ताकत  के बारे में बताया। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल और  स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार, डॉ. वी.के. पॉल (नीति आयोग) और राज्य मंत्री (आयुष) डॉ महेंद्र मुंजापारा की उपस्थिति में समापन भाषण किया।

प्रधानमंत्री द्वारा सम्बोधित बजट-उपरान्त वेबिनारों की कड़ी में यह पांचवां वेबिनार है। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सुविधा प्रोफेशनल, पैरा-मेडिकल, नर्सिंग, स्वास्थ्य प्रबंधन, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान से जुड़े प्रोफेशनल भी उपस्थित थे। केंद्रीय मंत्रियों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के स्वास्थ्य पेशेवरों और पैरा-मेडिक्स, नर्सिंग, स्वास्थ्य प्रबंधन, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के पेशेवरों ने वेबिनार में भाग लिया। वेबिनार का उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार की विभिन्न पहलों को आगे बढ़ाने में हितधारकों को शामिल करना था।

अपने समापन भाषण में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि समग्र स्वास्थ्य सेवा के लिए प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण ने विभिन्न स्वास्थ्य सेवा प्लेटफार्मों के एकीकरण को निर्देशित किया है। उन्होंने कहा, "आज के सभी हितधारकों के साथ विचार-मंथन सत्र नागरिक-केंद्रित नीतियों और आउटपुट-आधारित कार्यक्रमों के लिए समय पर कार्रवाई के लिए एक अच्छी तरह से ब्लूप्रिंट बनाने में मदद करेगा।उन्होंने  कहा कि निजी क्षेत्र, गैर-सरकारी संगठनों सहित विशेषज्ञों और स्वास्थ्य क्षेत्र के हितधारकों के साथ  विचार विमर्श करते हुए गहन चर्चा मंत्रालय की नीतियों, पहलों और कार्यों को समृद्ध बनाने की दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा, "भारत अपनी केंद्रित, एकीकृत और समग्र नीतियों के माध्यम से " टोटल हेल्थ एंड वन हेल्थ" के ढांचे को लागू करने के लिए दृढ़ता से तैयार है।" आयुर्वेद और मानसिक स्वास्थ्य संपूर्ण स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे टेलीमेडिसिन सेवाओं के माध्यम से बढ़ाया जाना चाहिए।

 उन्होंने जोर देकर कहा कि पहले की केंद्रीय बजट प्रस्तुति  के प्रति नए दृष्टिकोण के साथ, धन आवंटन और कार्यक्रम कार्यान्वयन अब ठीक समय पर शुरू किया जा सकता है, जिससे असामयिक योजना के कारण आवंटित धन का समय पर खर्च ना हो पाने से बचा जा सके। समयबद्ध तरीके से सुधार  के बल पर यह सुनिश्चित किया गया है कि भारत वैश्विक मंच पर पीछे ना रहे। उन्होंने कहा, "वैक्सीन अनुसंधान और निर्माण की हमारी रणनीतिक नीतियां विश्व स्तर पर उभरते विकास के अनुरूप हैं।"

प्रौद्योगिकी और अनुसंधान और विकास की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. मनसुख मडाविया ने कहा कि आज भारत स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित करने के कारण वैक्सीन अनुसंधान में वैश्विक  स्तर पर अग्रणी देशों के बराबर है। उन्होंने कहा कि टेलीमेडिसिन और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन भारत को स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में एक क्रांति की ओर ले जाएगा। दूरसंचार एक क्रांति है और यह दूर-दराज के क्षेत्रों में भी विशेषज्ञ स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान कर रहा है। डॉ. मंडाविया ने कहा कि आज, भारत विश्व के अग्रणी देशों में शामिल है, जिसने 17 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य आईडी बनाए हैं, जो विश्व स्तर पर सबसे अधिक है।

 

वेबिनार में निम्नलिखित तीन विषयों पर  विस्तृत सत्र  शामिल थे:

 

  1. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ( एबीडीएम), संचालन डॉ. वी. के. पॉल, सदस्य, नीति आयोग

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने इस तथ्य  के बारे में बताया कि एबीडीएम को केवल एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि एक ऐसे सक्षमकर्ता के रूप में देखा जाना चाहिए, जो एक ऐसा  इको-सिस्टम तैयार करेगा जो गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से कई मौजूदा डिजिटल प्लेटफॉर्म को जोड़ेगा।

प्रतिभागियों ने डिजिटल हेल्थकेयर के माध्यम से एकीकृत, गुणवत्तापूर्ण, आसानी से सुलभ स्वास्थ्य देखभाल समाधानों के महत्व पर प्रकाश डाला। एबीडीएम  को स्वास्थ्य उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य संबंधी विकल्पों पर नियंत्रण  प्रदान करने के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा को अधिक न्यायसंगत बनाकर उन्हें सशक्त बनाने के  संदर्भ में महत्वपूर्ण पाया गया। कुछ वक्ताओं ने एबीडीएम को "गेम-चेंजर" कहा। देश में   बड़े पैमाने पर विभाजित स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य के लिए न्यूनतम मानक स्थापित करने में इसका महत्व सर्वोपरि पाया गया, क्योंकि यह सेवा प्रदाताओं और सेवाओं की अस्थिरता को कम करेगा।

प्रख्यात वक्ताओं ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि एबीडीएम में भारत की स्वास्थ्य सेवा को नया रूप देने की क्षमता है। यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी की कमी से ऊपर उठकर नैदानिक ​​प्रयोगशालाओं, फार्मासिस्टों, अस्पतालों आदि के बीच उद्देश्यपूर्ण और रणनीतिक संबद्ध भागीदारी के माध्यम से सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के प्रावधान का विस्तार कर सकता है। यह  बताया गया कि एबीडीएम स्मार्ट स्टार्ट-अप और हेल्थकेयर इन्क्यूबेटरों के माध्यम से नवाचार और अनुसंधान को भी प्रोत्साहित कर सकता है। डिजिटल प्लेटफॉर्म के बल पर विविध भागीदारों को  जोड़ते हुए, वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और स्वास्थ्य सेवा उपभोक्ताओं में हमारी पहुंच काफी  बढ़ेगी, जिससे चिकित्सा मूल्य पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। कुछ वक्ताओं ने  एक मंच पर ऑटोमेटेड डॉक्यूमेंट के माध्यम से सभी चिकित्सा और स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड देखने के लिए उपभोक्ता के लिए तत्काल संतुष्टि के महत्व पर प्रकाश डाला।

एनएचए  के सीईओ डॉ. आर. एस. शर्मा ने हेल्थकेयर डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा के बारे में आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि उपभोक्ता डेटा और पहचान स्पष्ट रूप से परिभाषित प्रोटोकॉल के माध्यम से सुरक्षित हैं। एबीडीएम को स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं दोनों के लिए एक " अत्यंत लाभकारी" मंच के रूप में बताते हुए, उन्होंने विभिन्न भाषाओं को समायोजित करने वाले अच्छी तरह से व्यवस्थित एपीआई के माध्यम से विभिन्न प्रकार की प्रणालियों के स्वास्थ्य देखभाल  से संबंधित समाधानों को  आपस में जोड़ने के लिए एकीकृत स्वास्थ्य इंटरफेस की विशेषता पर प्रकाश डाला।

 

  1. राष्ट्रीय टेली-मेडिसिन पहल और -संजीवनी, प्रो. के श्रीनाथ रेड्डी, अध्यक्ष, पीएचएफआई द्वारा संचालित

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री लव अग्रवाल द्वारा "सभी के लिए सुलभ, सस्ती और  एकसमान स्वास्थ्य सेवा" के लक्ष्य को सुनिश्चित करने की दिशा में -संजीवनी की तकनीक का लाभ उठाने पर एक प्रस्तुति दी गई, जिसमें हितधारकों को  एक राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म के रूप में -संजीवनी को बढ़ाने के तरीकों और साधनों से अवगत कराया गया। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि -संजीवनी प्लेटफॉर्म में अब तक 2.68 करोड़ परामर्श दर्ज किए गए हैं और अन्य देशों की तुलना में यह एक वैश्विक उपलब्धि है।

प्रतिभागियों ने सभी को सस्तीएकसमान और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने में सरकार की टेलीमेडिसिन और -संजीवनी पहल के महत्व पर प्रकाश डाला। यह बताया गया कि -संजीवनी ने स्वास्थ्य क्षेत्र में एक क्रांति ला दी है और प्रधानमंत्री की कल्पना के अनुसार स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटल विभाजन को तेजी से पाट रहा है। वक्ताओं ने सराहना  करते हुए कहा कि कैसे -संजीवनी ने विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में विशेष स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में बड़े पैमाने पर सुधार किया है। यह सेवा शहरी क्षेत्रों में भी रोगियों के लिए एक वरदान रही है, विशेष रूप से चल रहे कोविड -19 महामारी के दूसरे उछाल के दौरान जिसने देश में स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली पर बोझ डाला। कुछ वक्ताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कोविड -19 ने देश में टेलीमेडिसिन को अपनाने के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन दिया है, जिससे डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं की उपस्थिति में वृद्धि हुई है। एक आम सहमति बनाई गई कि स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के अभिनव उपयोग में स्वास्थ्य देखभाल प्रतिमान को बदलने की एक बड़ी क्षमता है और -संजीवनी इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देगी।

कुछ वक्ताओं ने कहा कि समुदाय में पहुंच और उपलब्धता बढ़ाने के लिए -संजीवनी को अन्य संबद्ध विशिष्टताओं के साथ एकीकृत किया जा सकता है। इसकी सेवाओं को जेल में बंद कैदियों, वृद्धाश्रमों जैसे  जनसंख्या के कमजोर वर्गों तक बढ़ाया जा सकता है। -आईसीयू और दूरस्थ स्वास्थ्य निगरानी के लिए अभिनव कार्यान्वयन समाधान भी मंच के माध्यम से परिकल्पित हैं। यह प्लेटफॉर्म एक कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम (सीएमएस) के माध्यम से सीएमई और पैरामेडिक्स और अन्य कर्मचारियों  के साथ-साथ डॉक्टरों के लिए टेली-मेंटरिंग प्लेटफॉर्म के रूप में भी काम कर सकता है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि अत्याधुनिक तकनीक, एआई-सक्षम चैटबॉट्स के एकीकरण के साथ -संजीवनी सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए प्रवेश द्वार हो सकता है। यह पशु चिकित्सा सेवाओं के समर्थन के साथ-साथ टेली-फॉलो-अप और रेफरल का समर्थन कर सकता है। विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि हमारे नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण सेवा वितरण सुनिश्चित करने के लिए अभिनव सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी  से जुड़े मुद्दों के समाधान तलाशने की जरूरत है। समग्र दृष्टिकोण अपनाते हुए, श्रम और रेलवे जैसे अन्य मंत्रालयों के विभिन्न प्लेटफार्मों को भी  एक साथ जोड़ा जा सकता है। इस बात पर जोर दिया गया कि अन्य देशों के साथ हमारे समाधान साझा करने के लिए रणनीतियों का पता लगाया जाना चाहिए।

प्रख्यात वक्ताओं ने अपने नेटवर्क के माध्यम से टेलीकंसल्टेशन को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा की गई विभिन्न व्यक्तिगत पहलों के बारे में भी बताया और वे सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए -संजीवनी प्लेटफॉर्म पर सरकार के साथ सहयोग करने और काम करने के लिए  कितने तत्पर हैं। -संजीवनी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध पहुंच और सुविधाओं का विस्तार करने के लिए -संजीवनी ऐप पर टेली-आईसीयू, टेली-इमरजेंसी, आयुर्वेद और टेली-ऑपरेशंस की शुरुआत करने पर चर्चा की गई। सत्र के प्रतिभागियों ने सहमति व्यक्त  करते हुए बताया कि यदि एक भारत, एक स्वास्थ्य के विजन को साकार करना है तो टेलीमेडिसिन निश्चित रूप से आगे का रास्ता है।

 

  1.   टेली  मेंटल हेल्थ प्रोग्राम, डॉ. प्रतिमा मूर्ति, निदेशक, निमहंस द्वारा संचालित।

श्री विकास शील, एएस एंड एमडी (एनएचएम) ने  शुरुआती प्रस्तुति दी। वक्ताओं ने पहल का स्वागत करते हुए कहा कि प्रस्तावित  क्रियाकलाप विशेष रूप से  हाल की महामारी  के दौरान प्राप्त किए गए अनुभव को ध्यान में रखते हुए एक सामयिक कदम है। यह त्वरित और समय पर पहल सक्रिय शासन को  दर्शाती है।

यह बताया गया कि प्रस्तावित टेली-मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के सभी पहलुओं को शामिल करने की आवश्यकता है, जैसे - देखभाल की पूरी निरंतरता (प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक) में  सभी हितधारकों और सेवा प्रदाताओं को एक ही मंच पर लाना, जिसमें निजी क्षेत्र और आयुष प्रदाता भी शामिल है। वक्ताओं ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि टेली-मानसिक स्वास्थ्य के लिए मॉडल नागरिक केंद्रित होना चाहिए, जो विशिष्ट और विशेष जरूरतों वाले नागरिकों को उपयुक्त सेवाओं तक पहुंचने में सक्षम बना सके। पहल के कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों की  जिम्मेदारी और भागीदारी आवश्यक होगी।

 

 इस बारे में भी चर्चा की गई कि देश में मनोरोग पेशेवरों की भारी कमी को देखते हुए -लर्निंग और प्रशिक्षण पहल कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग होना चाहिए।

प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य  से जुड़ी समस्याओं के लक्षणों की शीघ्र पहचान के लिए और एक बार पहचाने जाने के बाद फ्रंट-लाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं जैसे चिकित्सा अधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, एएनएम और आशा की क्षमताओं का विकास किया जाएगा। यह सुविधाजनक परामर्श के माध्यम से डिजिटल परामर्श तक पहुंच में आने वाली बाधाओं को भी दूर करेगा।

वक्ताओं ने कहा कि आयुष सेवा प्रदाताओं और आयुष  के तौर-तरीकों दोनों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं  के दायरे में लाने के लिए सभी प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में उपयुक्त प्रावधान किए जाने चाहिए। इसके अलावा, मौजूदा टेलीमेडिसिन दिशानिर्देशों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 के प्रावधानों के साथ जोड़ा जाना चाहिए। किसी भी विसंगतियों और कानूनी चुनौतियों को दूर करने के लिए अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों में उपयुक्त संशोधन भी किए जा सकते हैं। यह बताया गया कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) और -संजीवनी प्लेटफॉर्म की ताकत का लाभ उठाया जाना चाहिए।

 स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव श्री राजेश भूषण, आयुष सचिव श्री वैद्य राजेश कोटेचामुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. आर.एस. शर्मास्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के  अपर सचिव एवं प्रबंध निदेशक श्री विकास शीलस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के एनएचए  के संयुक्त सचिव श्री लव अग्रवाल, एनएचए के अपर सीईओ डॉ प्रवीण गेदाम, निमहंस की निदेशक डॉ. प्रतिमा मूर्ति, पद्मश्री पुरस्कार विजेता और निमहंस के पूर्व निदेशक प्रोफेसर बीएन गंगाधर, पीएचएफआई  के अध्यक्ष प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी, मनोचिकित्सा के नैदानिक ​​​​प्रोफेसर, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय डॉ. मोहन इसाकसंगत-यूएसए/गोवा के रिसर्चर इन ग्लोबल हेल्थ डॉ. अनंत भान, पीएचएफआई  की उपाध्यक्ष डॉ. प्रीति कुमार के साथ-साथ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, निमहंस, एनएचएम और सार्वजनिक-निजी संगठनों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी  इस बैठक में उपस्थित थे।

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एमजी/ एएम/ एसकेएस



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