विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

डीबीटी–बीआईआरएसी समर्थित और बायोलॉजिकल ई लिमिटेड द्वारा विकसित  अनूठी कोविड-19 वैक्सीन सीओआरबीईवीएएक्सटीएम को 12-18 वर्ष आयु वर्ग के लिए आपातकालीन उपयोग का अधिकार देने के लिए (ईयूए) के लिए डीजीसीआई का अनुमोदन मिला

Posted On: 24 FEB 2022 9:00PM by PIB Delhi

कोविड-19 के लिए भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन, कोर्बेवैक्सटीएम-  सीओआरबीईवीएएक्सटीएम , जिसे बायोलॉजिकल ई लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है, को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से 12-18 वर्षों के आयु वर्ग लिए आपातकालीन उपयोग का प्राधिकार देने के लिए अनुमोदन प्राप्त हुआ है। यह 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बच्चों और वयस्कों सहित मनुष्यों में प्रशासित होने के लिए स्वीकृत है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और इसके सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) ने तीसरे चरण के नैदानिक ​​अध्ययनों के माध्यम से पूर्व-नैदानिक ​​​​चरण से जैविक ई की कोविड​​​​-19  की संभावित वैक्सीन का समर्थन किया है। इस प्रत्याशी वैक्सीन को पूर्व-नैदानिक ​​अध्ययन और चरण  I / II  के नैदानिक (क्लिनिकल) परीक्षण के लिए राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के माध्यम से कोविड -19  अनुसंधान कंसोर्टियम के अंतर्गत  वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी। आगे के नैदानिक ​​विकास के लिए मिशन COVID सुरक्षा के माध्यम से भी अतिरिक्त सहायता प्रदान की गई थी। कोर्बेवैक्सटीएम-सीओआरबीईवीएएक्सटीएम ( CORBEVAXTM ) एक दोहरी  खुराक है और इस  टीके को  मांसपेशियों में  इंजेक्शन के रूप में लगाया  जाता है और इसे 2 डिग्री सेल्सियस से 8 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहीत किया जा सकता है । वायरल सतह पर स्पाइक प्रोटीन के रिसेप्टर बाइडिंग डोमेन (आरबीडी) से विकसित  प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन को सीपीजी 1018 और फिटकरी के साथ जोड़ा गया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 28 दिसंबर, 2021 को वयस्कों के बीच आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग के लिए कोर्बेवैक्सटीएम -  सीओआरबीईवीएएक्सटीएम( CORBEVAXTM)  को पहले ही मंजूरी दे दी है। अभी जारी  चरण II / III नैदानिक ​​अध्ययन के अंतरिम परिणामों के आधार पर, जैविक ई को 12 से 18 वर्ष आयु वर्ग के किशोरों में आपात स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग के लिए अनुमोदन प्राप्त हो चुका है। नैदानिक ​​अध्ययन  के लिए चल रहे II / III  चरण के उपलब्ध सुरक्षा और प्रतिरक्षीजननता परिणामों ने संकेत दिया है कि यह टीका सुरक्षित और प्रतिरक्षी है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी  विभाग (डीबीटी) के एक स्वायत्त संस्थान ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट ( टीएचएसटीआई), फरीदाबाद ,ने चरण II/III के  के अध्ययन लिए इम्यूनोजेनेसिटी डेटा प्रदान किए हैं । भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव  और बीआईआरएसी के अध्यक्ष डॉ राजेश गोखले ने इस विषय पर बोलते हुए कहा कि “मिशन कोविड  सुरक्षा के माध्यम से बीआईआरएसी द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे आत्म निर्भर भारत पैकेज 3.0 के तहत विभाग  प्रभावी कोविड-19 टीकों के विकास और उनकी सुरक्षा  के लिए प्रतिबद्ध है। यह मिशन के तहत समर्थित दूसरा टीका है, जिसे 12-18 वर्ष के आयु वर्ग हेतु  आपातकालीन उपयोग का अधिकार ( ईयूए ) प्राप्त हुआ है। कोर्बेवैक्स एक समय-परीक्षणित मंच पर आधारित है और यह भारत और दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण टीका होगा। यह अभी तक एक और सफल उदाहरण उद्योग-अकादमिक साझेदारी है ।" सुश्री महिमा दतला, प्रबंध निदेशक, बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड  की प्रबंध निदेशक सुश्री महिमा दतला ने कहा कि  "हम इस महत्वपूर्ण विकास से प्रसन्न हैं, जो हमारे कोर्बेवैक्सटीएम-सीओआरबीईवीएएक्सटीएम को समाहित करने को 12-18 आयु वर्ग के लोगों को समाहित करने करने के लिए हमारी  कोविड-19 टीकाकरण पहल का विस्तार करने में एक और पड़ाव तक  तक पहुँचने में मदद करता है ।  इस मंजूरी के साथ, हम कोविड -19 महामारी के खिलाफ अपनी वैश्विक लड़ाई को खत्म करने के और भी करीब हैं। हम  भारत सरकार के  जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च में असिस्टेंस काउंसिल-  बीआईआरएसी),ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (टीएचएसटीआई) ,के नैदानिक परीक्षणों में सभी प्रतिभागी और प्रमुख जांचकर्ता और क्लिनिकल साइट स्टाफ जिन्होंने पिछले कई महीनों के दौरान अपना समर्थन दिया है, को धन्यवाद देते हैं । डीबीटी के बारे में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत में जैव प्रौद्योगिकी के विकास को बढाने एवं  इसके उन्नयन में तेजी लाता है और इसमें कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, पशु विज्ञान, पर्यावरण और उद्योग के क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी के विकास और अनुप्रयोग शामिल हैं। बीआईआरएसी के बारे में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) एक गैर-लाभकारी धारा 8, अनुसूची बी, सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, जिसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक उत्पाद विकास आवश्यकताओं को संबोधित करते हुए, रणनीतिक अनुसंधान और नवाचार शुरू करने और उभरते बायोटेक उद्यम को मजबूत और सशक्त बनाने के लिए एक इंटरफेस एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया है। बायोलॉजिकल ई लिमिटेड के बारे में 1953 में स्थापित हैदराबाद स्थित फार्मास्युटिकल्स एंड बायोलॉजिक्स कंपनी बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड (बीई) भारत में पहली निजी क्षेत्र की जैविक उत्पाद कंपनी है और यह दक्षिण भारत में पहली दवा कंपनी है। बीई टीकों और चिकित्सा विज्ञान का विकास, निर्माण और आपूर्ति करती है। बीई 100 से अधिक देशों को अपने टीकों की आपूर्ति करती है और इसके चिकित्सीय उत्पाद भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में बेचे जाते हैं। बीई के पास वर्तमान में अपने पोर्टफोलियो में 8 डब्ल्यूएचओ प्रीक्वालिफाईड टीके हैं। हाल के वर्षों में, बीई ने संगठनात्मक विस्तार के लिए नई पहल शुरू की है और इनमे  विनियमित बाजारों के लिए जेनेरिक इंजेक्शन उत्पादों को विकसित करना, सिंथेटिक बायोलॉजी और मेटाबोलिक इंजीनियरिंग को एपीआई के निर्माण के साधन के रूप में तलाशना और वैश्विक बाजार के लिए अनूठे  टीके विकसित करना शामिल है ।

****

एमजी/एएम/एसटी



(Release ID: 1801013) Visitor Counter : 744


Read this release in: English , Urdu , Manipuri