कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय

कौशल विकास मंत्रालय ने नागालैंड के बेंत और बांस कारीगरों के कौशल विकास के लिए एक परियोजना की शुरुआत की


प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत पूर्व कौशल की मान्यता का उद्देश्य नागालैंड के 4,000 से ज्यादा कारीगरों का पारंपरिक हस्तशिल्प में कौशल विकास करना है

Posted On: 28 DEC 2021 8:10PM by PIB Delhi

केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमशीलता एवं इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने नागालैंड के बांस और बेत से जुड़े कलाकारों के लिए आज एक पायलट परियोजना डिजिटल माध्यम से लांच की। यह परियोजना प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) और व्यापत कौशल को मान्यता (आरपीएल) योजना का हिस्सा है।

इस पहल का उद्देश्य स्थानीय बुनकरों और कारीगरों को पारंपरिक हस्तशिल्प में आरपीएल मूल्यांकन और प्रमाणन के माध्यम से अपनी उत्पादकता बढ़ाने के लिए कौशल प्रदान करना है। योजना का लक्ष्य 4,000 से अधिक शिल्पकारों और कारीगरों को कौशल प्रदान करना है।

आरपीएल के तहत कौशल विकास परियोजना से इस क्षेत्र में रहने वाले असंगठित क्षेत्र के कामगारों की कुशलता में सुधार करना है। कारीगरों और बुनकरों को मानकीकृत राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के साथ जोड़ा जाएगा। यह पहल कारीगरों और बुनकरों को उनकी आजीविका को दीर्धकालीन बनाने और उनके कौशल और तकनीकी ज्ञान को बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, पायलट परियोजना बेंत और बांस कारीगरों के पारंपरिक और स्थानीय शिल्प को बढ़ावा देने, विपणन कौशल और तकनीक को विकसित करने में भी मदद करेगा ।

यह पहल भारत सरकार के प्रमाणन के माध्यम से अपस्किलिंग ब्रिज मॉड्यूल के जरिए पारंपरिक हस्तशिल्प की गुणवत्ता में बढ़ोतरी करेगी। पहल के तहत, प्रत्येक बैच में 12 दिनों के लिए 12 घंटे ओरिएंटेशन और 60 घंटे ब्रिज मॉड्यूल कार्यक्रम चलाए जाएंगे। इसके अलावा, ब्रिज मॉड्यूल के साथ ओरिएंटेशन प्रोग्राम के बाद, कारीगरों और बुनकरों को रिकॉग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग (आरपीएल) टाइप -1 के साथ प्रमाणित किया जाएगा। कौशल उन्नयन पहल के लिए प्रशिक्षण साझेदार के रुप केन कॉन्सेप्ट और हैंडलूम नागा जुड़ेंगे।

परियोजना की शुरुआत करते हुए श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि शिल्प और कलाकृति की पारंपरिक तकनीकें भारत की समृद्ध विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इन कौशलों को संरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक देश के युवाओं के लिए सही तालमेल बनाना और बुनियादी ढांचे का निर्माण करना हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विजन है। उनका दृढ़ विश्वास है कि भारत का भविष्य युवाओं के प्रयासों, ऊर्जा और सफलता से परिभाषित होगा। जिसमें दीमापुर में प्रशिक्षित होने वाले 4100 कारीगर भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई अकेला आंदोलन नहीं है बल्कि युवाओं को कौशल से सक्षम बनाने के व्यापक नजरिए का हिस्सा है।

श्री चंद्रशेखर ने कहा कि युवाओं को कुशल बनाना हमारे लिए एक महत्वपूर्ण मिशन है और इसलिए आज हम यहां इस परियोजना को शुरू करने के लिए एकत्र हुए हैं। यह परियोजना कारीगरों को प्रशिक्षित और प्रेरित करता है। उन्होंने बताया किया कि नागालैंड की अपनी यात्रा के दौरान, उन्हें इस क्षेत्र की क्षमता और आर्थिक प्रगति में इसकी भूमिका का आभास हुआ। उन्होंने कहा कि इस वजह से कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय को स्थानीय युवाओं की आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा करने और उन्हें विकास के पथ पर ले जाने वाली इस परियोजना को लाने के लिए प्रेरित किया।

परियोजना को विभिन्न चरणों में लागू किया जाएगा, जिसमें कारीगरों और बुनकरों का चयन, प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टीओटी), और ब्रिज मॉड्यूल के साथ आरपीएल के माध्यम से कारीगरों और बुनकरों का कौशल विकास शामिल है। कारीगरों और बुनकरों का चयन नागालैंड के पारंपरिक शिल्प समूहों से किया जाएगा। चयन उम्मीदवारों के मौजूदा अनुभव के आधार पर किया जाएगा। प्रशिक्षकों का चयन या तो मौजूदा डेटाबेस से किया जाएगा या प्रस्तावित समूहों से मौजूदा कारीगरों और बुनकरों के लिए प्रशिक्षक प्रशिक्षण (टीओटी) कार्यक्रम आयोजित कर किया जाएगा। दस्तकारों और बुनकरों को हस्तनिर्मित उत्पाद बनाने की नवीन और उन्नत तकनीकों में प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद सभी कारीगर और बुनकर अपने-अपने क्लस्टर में स्थापित सूक्ष्म इकाइयों में काम कर सकेंगे। इस दौरान लाभार्थियों को बाहरी क्षेत्र में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि अंतिम चरण में वे खुद बाजार की जरूरतों के अनुसार प्रबंधन के लिए तैयार कर सकें।

कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय की नोडल कार्यान्वयन एजेंसी, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम, हस्तशिल्प और कालीन क्षेत्र कौशल परिषद (एचसीएसएससी) द्वारा समर्थित परियोजना की दिन-प्रतिदिन की प्रगति की निगरानी करेगी। परियोजना का उद्देश्य उद्यमिता विकास, डिजिटल साक्षरता, कार्यस्थल पर संचार कौशल और बिक्री के विकास, और विपणन कौशल विकसित करना है। परियोजना को उद्योग जगत की भागीदारी का भी सहयोग मिलेगा।जो इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन और मिल रहे सहयोग के लिए महत्वपूर्ण है। उद्योग जगत 150 प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण, बुनियादी ढांचे तैयार करने, कच्चा माल उपलब्ध कराने और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में शिल्प को बढ़ावा देने जैसे क्षेत्रों में सहयोग करेगा।

सितंबर 2021 में, श्री राजीव चंद्रशेखर ने नागालैंड एवं जम्मू और कश्मीर का दौरा किया था। अपनी यात्रा के बाद, उन्होंने संबंधित राज्यों में खत्म होते हुए पारंपरिक शिल्प के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए एक परियोजना शुरू करने की आवश्यकता व्यक्त की थी। हस्तशिल्प इन राज्यों में रोजगार का प्रमुख साधन है। यह भी देखा गया कि नागालैंड और जम्मू-कश्मीर में विरासत और पारंपरिक कौशल वाले क्लस्टर को पारंपरिक शिल्प की मांग को पूरा करने के लिए गांवों के कुशल कारीगरों की आवश्यकता होती है। यहां के अलावा जम्मू-कश्मीर में भी मंत्री की यात्रा के दो महीने के भीतर परियोजना की संकल्पना कर उसे लागू कर दिया गया। इस पहल का उद्देश्य सूक्ष्म उद्यमिता को प्रोत्साहित करते हुए उद्योग और बाजार को जोड़ना है।


 

****

 

एमजी/एएम/पीएस



(Release ID: 1786214) Visitor Counter : 240


Read this release in: English , Urdu , Manipuri