उप राष्ट्रपति सचिवालय
उपराष्ट्रपति ने तथ्यों के आधार पर भारत के इतिहास का पुनर्मूल्यांकन करने की अपील की
श्री नायडु ने भारत के अतीत के औपनिवेशिक दृष्टिकोण से दूर रहने का आह्वान करते हुए युवाओं से भारत के स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन के बारे में पढ़ने का आग्रह किया
देश के नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों पर भारतीय भाषाओं में और किताबों की जरूरत है: उपराष्ट्रपति
निर्वाचित प्रतिनिधि सार्वजनिक जीवन में उच्चतम मूल्यों का अनुकरण करें, संसद का अनादर और लोकतंत्र का स्तर नीचे न गिराएं: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने श्री यारलागड्डा लक्ष्मी प्रसाद की पुस्तक ’गांधीटोपी गवर्नर’ का विमोचन किया
Posted On:
15 DEC 2021 6:17PM by PIB Delhi
उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज भारतीय इतिहास का उद्देश्यपूर्ण पुनर्मूल्यांकन बेहतर तथ्य आधारित शोध के जरिये करने की आवश्यकता बताई। भारत के अतीत के औपनिवेशिक परिप्रेक्ष्य में तथ्यों को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत करने का उल्लेख करते हुए उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं पर अधिक पुस्तकों के साथ भारतीय इतिहास के लिए एक नए दृष्टिकोण का आह्वान किया।
श्री नायडु ने युवाओं से भारत के स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने और स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन से सबक लेने की अपील की। उन्होंने युवाओं से औपनिवेशिक शासन के दौरान भारतीयों के दिमाग में डाले गए ’फूट डालो और राज करो’ की मानसिकता से उबरकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आग्रह किया।
आंध्रप्रदेश राजभाषा आयोग के अध्यक्ष, श्री यारलागड्डा लक्ष्मी प्रसाद द्वारा लिखित पुस्तक ’गांधीटोपी गवर्नर’ का यहां उपराष्ट्रपति निवास में विमोचन करते हुए उपराष्ट्रपति ने विभिन्न भारतीय भाषाओं में स्वतंत्रता सेनानियों पर और अधिक पुस्तकें लाने की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि देश ’आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है। उन्होंने राज्यों से इस संबंध में आगे आने और अपने-अपने क्षेत्रों के नेताओं पर किताबें प्रकाशित करने का आह्वान किया।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने ब्रिटिश प्रशासन में प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, विधायक और मध्य प्रांत के राज्यपाल श्री एडपुगंती राघवेंद्र राव को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। पुस्तक श्री राव के जीवन के बारे में बताती है।
उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि श्री राघवेंद्र राव ने ब्रिटिश सरकार में काम करते हुए भी स्वशासन और स्वराज के लिए अपना संघर्ष जारी रखा। राज्यपाल के रूप में उन्होंने खादी का उपयोग खुद करते हुए उसका प्रचार-प्रसार भी किया और दूसरों के लिए एक उदाहरण पेश किया।
श्री राघवेंद्र राव द्वारा सार्वजनिक जीवन में पालन किए गए अनुकरणीय मूल्यों का उल्लेख करते हुए, श्री नायडु ने सुझाव दिया कि आज के कानून निर्माताओं को हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं द्वारा निर्धारित उच्च मानकों का आत्मनिरीक्षण और अनुकरण करने की आवश्यकता है। हाल की कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को यह याद रखना चाहिए कि वे संसद का अनादर और लोकतंत्र का स्तर नीचा नहीं कर सकते हैं।
श्री नायडु ने लेखक श्री यारलागड्डा लक्ष्मी प्रसाद और प्रकाशक श्री विजय कुमार द्वारा पुस्तक को प्रकाशित करने में उनके प्रयासों की सराहना की।
तमिलनाडु के पूर्व राज्यपाल, श्री पी.एस. राममोहन राव, पुस्तक के लेखक श्री यारलागड्डा लक्ष्मी प्रसाद, एमेस्को बुक्स के सीईओ, श्री विजय कुमार और अन्य उपस्थित थे।
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