अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा है कि "हुनरहाट" देश की हजारों साल पुरानी कला और शिल्प कौशल की पैतृक विरासत के संरक्षण और प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने विलुप्त होने के कगार पर मौजूद हमारे देश की कला और शिल्प कौशल की पैतृक विरासत को बचाने और बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं: आचार्य देवव्रत।
सरकार ने न केवल देश की कला और शिल्प कौशल की विरासत की रक्षा की है, बल्कि स्वदेशी उत्पादों के लिए बाजार और अवसर भी उपलब्ध कराए हैं: श्री मुख्तार अब्बास नकवी
Posted On:
12 DEC 2021 4:14PM by PIB Delhi
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा है कि "हुनरहाट" देश की हजारों साल पुरानी कला और शिल्प कौशल की पैतृक विरासत के संरक्षण और प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
श्री देवव्रत ने आज सूरत के वनिता विश्राम परिसर में “हुनरहाट” के 34वें संस्करण का उद्घाटन किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री देवव्रत ने कहा कि “हुनरहाट” के कारीगरों और शिल्पकारों ने देश की कला और कौशल की विरासत को पुनर्जीवित किया है। उन्होंने भारत की प्रतिष्ठा और गौरव को बढ़ाया है।
श्री देवव्रत ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने विलुप्त होने के कगार पर मौजूद देश की कला और शिल्प कौशल की पैतृक विरासत के संरक्षण और उसे बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि "हुनरहाट" इस संबंध में एक प्रभावी मंच साबित हुआ है। श्री देवव्रत ने कहा कि "हुनरहाट" ने "वोकल फॉर लोकल" यानी स्थानीय के लिए मुखर होने के अभियान को मजबूत किया है।
उन्होंने कहा कि "हुनरहाट" न केवल भारत की पैतृक विरासत का सम्मान कर रहा है, बल्कि यह देश भर के लाखों कारीगरों और शिल्पकारों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" को "हुनरहाट" में सही मायने में प्रदर्शित किया जाता है। प्राचीन काल से, भारत को कला, शिल्प कौशल, संस्कृति और परंपरा की प्रचुरता के कारण 'सोने की चिड़िया' (गोल्डन बर्ड) के रूप में जाना जाता था। उन्होंने कहा कि देश को "सोने की चिड़िया" बनाने में देश के कारीगरों और शिल्पकारों ने अहम भूमिका निभाई। श्री देवव्रत ने कहा कि आज "हुनरहाट" देश के कोने-कोने से कला और हुनर को एकता के सूत्र में पिरो रहा है।
इस अवसर पर केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हुनरहाट “3-वी” – “विश्वकर्मा विरासत का विकास” का एक “शक्तिशाली आदर्श मंच” सिद्ध हुआ है। सरकार ने न केवल देश की कला और शिल्प कौशल की विरासत की रक्षा की है, बल्कि स्वदेशी उत्पादों के लिए बाजार और अवसर भी उपलब्ध कराए हैं।
श्री नकवी ने कहा कि पिछले लगभग 6 वर्षों में “हुनरहाट” के माध्यम से 7 लाख से अधिक कारीगरों, शिल्पकारों और उनसे जुड़े लोगों को रोजगार और रोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं। इनमें से लगभग 40 प्रतिशत महिला कारीगर हैं।
गुजरात के वरिष्ठ मंत्री श्री पूर्णेशभाई मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे देश के हर क्षेत्र, हर जिले, हर गांव में कौशल में निपुण लोग हैं। सूरत में "हुनरहाट" का स्वागत करते हुए, उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया।
इस 34वें "हुनरहाट" में 30 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के उत्तम और सुरुचिपूर्ण स्वदेशी हस्तनिर्मित उत्पाद उपलब्ध हैं। इस हुनरहाट में लगभग 300 स्टालों के साथ 600 से अधिक कारीगर और शिल्पकार भाग ले रहे हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों के पारंपरिक व्यंजन भी इस "हुनरहाट" में उपलब्ध हैं।
दुर्लभ हस्तनिर्मित स्वदेशी उत्पादों और पारंपरिक व्यंजनों के अलावा; प्रसिद्ध कलाकारों के विभिन्न सांस्कृतिक और संगीत कार्यक्रम और विश्वकर्मा वाटिका भी इस 10 दिवसीय "हुनरहाट" का प्रमुख आकर्षण हैं।
केंद्रीय रेल और वस्त्र राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना जरदोश, गुजरात के सड़क एवं भवन तथा पर्यटन मंत्री श्री पूर्णेशभाई मोदी और कृषि एवं ऊर्जा मंत्री श्री मुकेशभाई पटेल, विधायक श्री अरविंदभाई राणा, श्री कांतिभाई बलार, श्रीमती संगीताबेन पाटिल, श्री विवेकभाई पटेल, श्री प्रवीणभाई घोघरी और श्रीमती ज़ंखानाबेन एच. पटेल, सूरत की माहापौर श्रीमती हेमाली बोघावाला और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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