सूचना और प्रसारण मंत्रालय
चुनौतीपूर्ण समय होने के बावजूद आपको आज़ादी की चिंगारी महसूस करनी चाहिए : 52वें इफ्फी में निर्देशक वासलाव काद्रान्का
रोशनी और उम्मीद की फिल्म है ‘सेविंग वन हू वॉज़ डेड’
जीवन का बहुत मुश्किल और चुनौतीपूर्ण समय होने के बावजूद हमें उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए और आज़ादी की किरण को महसूस करना चाहिए। गोवा में 52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (इफ्फी) के दौरान आज एक संवाददाता सम्मेलन में मीडिया के साथ बातचीत में ‘सेविंग वन हू वॉज़ डेड’के निर्देशक वासलाव काद्रान्का ने कहा कि यह रोशनी और उम्मीद की फिल्म है।
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री वासलाव ने कहा कि यह फिल्म उनके निजी अनुभव पर आधारित है। उन्होंने बताया, “मेरे पिता को स्ट्रोक हो गया था और उसके बाद वह कोमा में चले गए थे। डॉक्टर के उम्मीद छोड़ देने के बावजूद मेरी मां और मैंने उन्हें वापस सामान्य हालत में लाने की कोशिश की।”
फिल्म निर्देशक ने कहा कि यह चिकित्सा संबंधी फिल्म नहीं है। उन्होंने कहा, “यह मेरे निजी अनुभवों पर आधारित सकारात्मकता की फिल्म है। यह फिल्म बताती है कि अपने प्रियजनों से प्रेम करके और हमेशा उनके साथ रहकर कितना अच्छा महसूस होता है।”
अपने अनुभव के बारे में बताते हुए श्री वासलाव ने कहा कि पहले उन्हें हानि और दर्द का दुख महसूस हुआ, लेकिन जब वह मजबूती से डटे रहे, तो धीरे-धीरे सकारात्मकता की अनुभूति होने लगी। उनकी मां और उनके लिए यह एक तरह से किसी स्याह दौर से आज़ादी के समान था। श्री वासलाव ने बताया, “उन्होंने हमारी कही हरेक बात सुनी, उन्होंने हमारी सभी भावनाओं को महसूस किया। धीरे-धीरे सेहत सुधरने पर, उन्होंने हमारे साथ सभी बातें साझा कीं। यह हमारे लिए बेहद खुशी का लम्हा था।”
फिल्म के बारे दर्शकों की प्रतिक्रिया के बारे में उन्होंने बताया कि जिन लोगों के इससे मिलते-जुलते अनुभव थे, वह उनके पास आए और उन्होंने अपने अनुभव साझा किए और यह बेहद शानदार अहसास था।
अपने पिता की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, “मेरे पिता फिल्म से बहुत खुश थे और हमारे बीच फिल्म निर्माण के समय उसके बारे में बहुत अच्छी चर्चा हुई।”
सेविंग वन हू वॉज़ डेड
(अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा श्रेणी)
निर्देशक के बारे में: वासलाव काद्रान्का चेक फिल्म निर्माता हैं। एफएएमयू में स्नातक स्तर की शिक्षा के बाद उन्होंने अपनी मां के पत्रों के आधार पर ऐटी लैटर्स (2011) फीचर फिल्म बनाई। उनकी मां ने ये पत्र उनके पिता को कम्युनिस्ट शासन से आव्रजन के समय लिखे थे। इसका प्रीमियर बर्लिनेल में हुआ था। 2017 में उन्होंने अपनी दूसरी फिल्म लिटिल क्रूसेडर बनाई जिसका प्रीमियर कार्लोवी वैरी में हुआ और इस फिल्म ने ग्रां प्री क्रिस्टल ग्लोब जीता ।
फिल्म के बारे में: स्ट्रोक के बाद पिता कोमा में चले जाते हैं। पुत्र और मां का सामना एकाएक एक गतिहीन शरीर से होता है। जिस व्यक्ति से वे प्रेम करते हैं वह कहीं दूर जा चुका है और कोई नहीं जानता कि वह वापस लौटेगा या नहीं। डॉक्टर उन्हें किसी तरह की कोई उम्मीद नहीं बंधाते। अब वे दोनों अपनी सारी ताकत बटोरते हैं और काम पर जुट जाते हैं। सबसे पहले वे अपने पिता के शरीर को संबोधित करते हैं, लेकिन जल्द ही उन्हें अहसास होता है कि उन्हें कुछ और कोशिश करनी होगी।
इस फिल्म को कार्लोवी वैरी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल 2021 और सेविली यूरोपीयन फिल्म समारोह 2021 के लिए चुना गया था।
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एमजी/एएम/आरके
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