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'बादल सरकार एंड द अल्टरनेटिव थिएटर' जो इफ्फी 52 के इंडियन पैनोरमा में दिखाए गए एक वृत्तचित्र में गुमनाम दिग्गज की जीवनगाथा को फिर से दोहराता है


वर्तमान समाज की शालीनता पर जमी धूल को हटाने के लिए हमें रंगमंच और सिनेमा की आवश्यकता है: निर्देशक अशोक विश्वनाथन

निर्देशक अशोक विश्वनाथन ने बताया कि बादल सरकार निंदनीय नाटककार, रंगमंच कार्यकर्ता, संवाद लेखक, फिल्म अभिनेता और दार्शनिक तथा कहीं हद तक गुमनाम थे। उन्हें बड़े पैमाने की मान्यता नहीं मिली। विश्वनाथन ने कहा कि बादल सरकार एंड द अल्टरनेटिव थिएटर एक द्वंद्वात्मक, विवादात्मक अर्ध-वृत्तचित्र है, इसके माध्यम से हमने इस दिग्गज की जीवनगाथा को फिर से दोहराने की कोशिश की है, जिनके साथ मुझे काम करने का मौका मिला था।

पणजी, गोवा में आज 52वें इफ्फी के मौके पर एक प्रेस को संबोधित करते हुए विश्वनाथन ने कहा कि दुनिया अचानक से काफी उग्र और जुझारू जगह बन गई है। असली प्रतिभा को पहचाना नहीं जाता, क्योंकि हम अपने छोटे कोकून में ही बहुत व्यस्त हैं।

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निर्देशक अशोक विश्वनाथन ने कहा कि हम आज एक अत्यधिक राजनीतिकरण वाले समाज में रह रहे हैं। इसलिए हमें मध्यम और उच्च वर्गीय समाज की शालीनता पर जमी धूल को हटाने के लिए इस तरह के रंगमंच तथा सिनेमा की आवश्यकता है।

विश्वनाथन ने बताया कि बादल सरकार ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने मुख्यधारा से बाहर काम किया और प्रोसेनियम थिएटर में विश्वास नहीं किया। इसलिए मेरी फिल्म प्रोसेनियम के बाहर एक नाटक के सैद्धांतिक निहितार्थ के बारे में है। जैसे यह हमारे बीच में यहीं पर है। उन्होंने कहा कि यहां एक ऐसे नाटक का उल्लेख है, जिसमें अभिनेता दर्शकों से बात नहीं करते हैं, बल्कि वे दर्शकों के साथ संवाद करेंगे और उन्हें महसूस भी कर लेंगे, ऐसा लगेगा कि जैसे उन्हें छू लिया हो।

बादल सरकार के योगदान के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए, निर्देशक ने कहा कि वह सिर्फ एक बंगाली नाटक लेखक नहीं थे। उनका प्रमुख कार्य एफटीआईआई, पुणे में था जहां पर उन्होंने पढ़ाया था और वे अमोल पालेकर जैसे लोगों के लिए जाने जाते थे।

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विश्वनाथन ने कहा कि बादल सरकार ने दुनिया के रंगमंच पर कुछ अज्ञात को उजागर करने का प्रयास किया है। निर्देशक ने कहा कि मैंने इस फिल्म में न केवल उनकी प्रशंसा की है, बल्कि उनकी आलोचना भी की है।

इस फिल्म के विचार पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि मैंने इस विचार की कल्पना बहुत पहले बादल सरकार और एफटीआईआई में अन्य लोगों के साथ अपनी बातचीत के आधार पर की थी। लेकिन संस्कृति मंत्रालय की पूर्वी क्षेत्रीय परिषद से सहायता मिलने के बाद ही यह फिल्म पूरी हो सकी।

बादल सरकार एंड द अल्टरनेटिव थिएटर
(भारतीय पैनोरमा गैर-फीचर फिल्म श्रेणी)

निर्देशक के बारे में: श्री अशोक विश्वनाथन एक बहुराष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता, थिएटर कलाकार और एसआरएफटीआई, कोलकाता में प्रोफेसर हैं। वे एक एफटीआईआई स्नातक हैं, उन्होंने दो राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं और 40 नाटकों तथा 11 फीचर फिल्मों में काम किया है।

निर्माता: भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय का पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र (ईजेडसीसी), जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और संरक्षित करने का प्रयास करता है।

फिल्म के बारे में: यह वृत्तचित्र प्रसिद्ध नाटककार और रंगमंच निर्देशक बादल सरकार के काम का आकलन और समीक्षा करता है। केंद्रीय विषय के रूप में उनकी कार्य यात्रा का उपयोग करते हुए, फिल्म वैश्विक संदर्भ में वैकल्पिक रंगमंच (या तीसरे रंगमंच) की प्रासंगिकता और प्रभाव की पड़ताल करती है। इसमें वैकल्पिक रंगमंच के सिद्धांत और व्यवहार पर विशेषज्ञों के बीच चर्चा करने की जगह है। यह वृत्तचित्र एक रहस्यमय नोट पर समाप्त होता है, क्योंकि महान व्यक्ति अपनी एकान्त रचनात्मकता के पागलपन में गायब हो जाता है और हम सभी को उसके महत्व पर बहस करने के लिए छोड़ देता है।

कलाकार और सहयोगी

पटकथा: अशोक विश्वनाथन
डीओपी: शांतनु बनर्जी
संपादक: सौनक रॉय
कलाकारः बादल सरकार, पंकज मुंशी, कमल रॉय

 

 

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