सूचना और प्रसारण मंत्रालय
भारतीय पैनोरमा (फीचर फिल्म्स) के जूरी सदस्यों ने मीडिया से बातचीत की
भारतीय पैनोरमा (फीचर फिल्म्स) के जूरी सदस्यों ने गोवा में चल रहे 52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में आज एक संवाददाता सम्मेलन में भाग लिया।
भारतीय पैनोरमा - फीचर फिल्म के अध्यक्ष और जाने - माने फिल्म निर्माता श्री एस वी राजेंद्र सिंह बाबू ने जूरी सदस्यों द्वारा अपनाई गई चयन प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी। श्री बाबू ने बताया कि जूरी को परदे पर व्यापक संस्कृति और अनूठी सामग्री का एक दृश्य प्रबंधन करना था। उन्होंने कहा कि हमने कई खूबसूरत फिल्में देखी हैं, जो हमारी संस्कृति को दर्शाती हैं। श्री बाबू ने यह भी कहा कि जूरी के प्रत्येक सदस्य में विशिष्ट गुण हैं क्योंकि वे सभी फिल्म उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों से आते हैं जिनमें सिनेमैटोग्राफर, फिल्म समीक्षक और ऑडियोग्राफर आदि शामिल हैं।
श्री बाबू ने कहा कि हमने केवल 25 दिनों में 221 फिल्में देखी हैं, प्रत्येक को ए, बी और सी के रूप में वर्गीकृत किया है और अंत में हमने भारतीय पैनोरमा के तहत फिल्मों की अंतिम सूची तय की है। उन्होंने यह भी कहा कि सही फिल्मों का चयन करना बहुत मुश्किल था, क्योंकि एक फिल्म का चयन करने का अर्थ है दूसरी को जाने देना। उन्होंने कहा कि हमने काफी विस्तार में जाकर फिल्मों पर चर्चा की और अंतिम 21 फिल्मों का चयन किया है, क्यूंकि 230 फिल्मों में से केवल 24 को चुनना बहुत कठिन था।
इफ्फी में आने वाली बेशुमार फिल्मों के बारे में उन्होंने कहा कि भारतीय पैनोरमा के तहत प्रदर्शित होने वाली फिल्मों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। श्री बाबू ने कहा कि हमारे पास 30 से अधिक राज्य हैं और सूची को 21 तक सीमित करना बेहद मुश्किल है। उन्होंने बताया कि हमने मंत्रालय और डीएफएफ से इस संख्या 30 से 34 तक करने का अनुरोध किया है।
क्षेत्रीय भाषाओं में बढ़ती फिल्म सामग्री पर प्रकाश डालते हुए श्री बाबू ने कहा कि हम सामग्री निर्माण में समृद्ध हैं, लेकिन इस तरह की फिल्मों को मिलने वाले मंच इस तरह के फिल्मोत्सव तक ही सीमित हैं। उन्होंने इस बारे में भी बताया कि ओटीटी पर क्षेत्रीय सामग्री की स्क्रीनिंग करना कितना कठिन है। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि सरकार को एक नीति बनानी चाहिए कि यदि ओटीटी पर 10 फिल्में चलती हैं, तो इनमें 2 क्षेत्रीय फिल्में भी होनी चाहिए। श्री राजेंद्र सिंह बाबू ने इफ्फी में भारतीय पैनोरमा के उद्घाटन समारोह के दौरान क्षेत्रीय भाषाओं के योगदान के बारे में चर्चा के लिए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर को भी धन्यवाद दिया।
श्री बाबू ने यह भी बताया कि भारत जैसे 130 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश में हमारे पास केवल 6000-7000 स्क्रीन ही हैं। हमें शहरों के सभी दूर दराज़ के इलाकों में भी सिनेमाघर खोलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत में कम से कम 30000 से 40000 डिजिटल थिएटर होने चाहिए।
श्री बाबू ने विशेष रूप से आने वाली पीढ़ी के बीच थिएटर जाने वाले दर्शकों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को इसे बढ़ावा देने के लिए नई पहल करनी चाहिए।
भारतीय पैनोरमा 2021 की ओपनिंग फीचर फिल्म के लिए जूरी की पहली पसंद सुश्री एमी बरुआ की सेमखोर है, जो दिमासा भाषा (असम की बोली) में पहली फिल्म है। उन्होंने सराहना करते हुए कहा कि हमने सर्वसम्मति से फिल्म को चुना और यह बहुत अच्छी तरह से बनाई गई फिल्म है।
सिनेमैटोग्राफर और जूरी सदस्यों में से एक श्री ज्ञान सहाय ने उद्घाटन फिल्म के बारे में भी जानकारी दी और बताया कि कैसे इफ्फी क्षेत्रीय भाषाओं में बनी ऐसी फिल्मों को सही मंच प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि कितने लोग ऐसे हैं जो उद्घाटन फिल्म सेमखोर या यहां तक कि इसकी भाषा 'दिमासा' के कलाकारों को जानते हैं। यह असम के एक दूरस्थ स्थान की कहानी है, लेकिन इफ्फी का यह मंच यह सुनिश्चित करेगा कि फिल्म को अधिक से अधिक दर्शक देखें। उन्होंने स्क्रीन पर प्रदर्शित होने में क्षेत्रीय फिल्मों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए यह बात कही, खासकर जब इसमें कोई खास स्टार कास्ट नहीं है।
श्री सहाय ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी फिल्मों को केवल फिल्म समारोहों तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए बल्कि इसकी व्यापक दर्शक संख्या भी होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और दूरदर्शन ऐसी क्षेत्रीय फिल्मों को डीडी पर प्रसारित करके प्रचारित कर सकते हैं।
फीचर फिल्म जूरी में बारह सदस्य शामिल थे, इसकी अध्यक्षता जाने - माने फिल्म निर्माता और अभिनेता एस वी राजेंद्र सिंह बाबू ने की थी। फीचर जूरी में निम्नलिखित सदस्य होते हैं जो व्यक्तिगत रूप से विभिन्न प्रशंसित फिल्मों, फिल्म निकायों और व्यवसायों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि सामूहिक रूप से वे विविध भारतीय फिल्म निर्माण समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं:
1 श्री राजेंद्र हेगड़े, ऑडियोग्राफर
2 श्री मखोनमणि मोंगसाबा, फिल्म निर्माता
3 श्री विनोद अनुपमा, फ़िल्म समीक्षक
4 सुश्री जयश्री भट्टाचार्य, फिल्म निर्माता
5 श्री ज्ञान सहाय, छायाकार
6 श्री प्रशांतनु महापात्रा, छायाकार
7 श्री हेमेंद्र भाटिया, अभिनेता/लेखक/फिल्म निर्माता
8 श्री असीम बोस, छायाकार
9 श्री प्रमोद पवार, अभिनेता और फिल्म निर्माता
10 श्री मंजूनाथ टी एस, छायाकार
11 श्री मलय रे, फिल्म निर्माता
12 श्री पराग छापेकर, फिल्म निर्माता/पत्रकार
इफ्फी के दौरान कुल 24 फीचर फिल्मों को प्रदर्शित करने के लिए चुना गया है। 221 समकालीन भारतीय फिल्मों के एक विस्तृत पूल से चयनित फीचर फिल्मों का पैकेज भारतीय फिल्म उद्योग की जीवंतता और विविधता को दर्शाता है।
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