विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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नए नॉन-टॉक्सिक कार्बनिक फोटोकैटलिस्ट कुशलतापूर्वक कार्बन डाइऑक्‍साइड को अवशोषित कर मीथेन में परिवर्तित कर सकते हैं

Posted On: 27 OCT 2021 2:34PM by PIB Delhi

भारतीय वैज्ञानिकों ने दृष्टिगोचर प्रकाश के अवशोषण द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) को मीथेन में परिवर्तित करने के लिए एक सस्‍ता धातु मुक्त उत्प्रेरक तैयार किया है। मौजूदा अनुसंधान मूल्य संवर्धित उत्पादों में कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने का महत्वपूर्ण प्रयास कर रहे हैं, मीथेन (सीएच4) स्वच्छ ज्‍वलनशील जीवाश्म ईंधन के रूप में महत्वपूर्ण उपयोग के साथ एक मूल्य संवर्धित उत्पाद हो सकता है और इसका हाइड्रोजन वाहक के रूप में सीधे ही ईंधन कोशिकाओं में उपयोग किया जा सकता है। यह प्राकृतिक गैस का एक मुख्य घटक भी है और इसमें विद्युत उत्पादन के लिए कोयले का स्‍थान लेने और लचीले नवीकरण जनरेटरों को मजबूत बनाने के लिए लचीली आपूर्ति करने की भी क्षमता है।

फोटोकेमिकल, इलेक्ट्रोकेमिकल, फोटोइलेक्ट्रोकेमिकल, फोटोथर्मल आदि सहित ऐसे अनेक तरीके हैं जिनमें कार्बन डाइऑक्साइड को कम किया जा सकता है। फोटोकेमिकल प्रक्रिया नवीकरण ऊर्जा स्रोत के रूप में सौर प्रकाश का उपयोग करती है।

कार्बन डाइऑक्साइड को मूल्य संवर्धित उत्पादों में परिवर्तित करने के लिए एक फोटो-कैटलिस्‍ट की कुछ प्रमुख जरूरतें होती हैं, जो लाइट हार्वेस्टिंग प्रोपर्टी, चार्ज कैरियर (इलेक्ट्रॉन-होल पेयर) पृथक्करण दक्षता और उचित इलेक्ट्रॉनिक रूप से अनुकूल कंडेक्‍शन बैंड की उपस्थिति पर निर्भर करती हैं। इस प्रकार, कार्बन डाइऑक्साइड को मीथेन में परिवर्तित करने में केवल कुछ ही उत्‍प्रेरक समर्थ हैं और अधिकांश उत्प्रेरकों में धातु समकक्ष होते हैं जो टॉक्सिक होने के साथ-साथ महंगे भी होते हैं।

 इस चुनौती से निपटने के लिए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान, जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च के वैज्ञानिकों के एक दल ने एक धातु मुक्‍त पोरस कार्बनिक पॉलिमर इस तरह से डिजाइन किया है जो दृष्टिगोचर प्रकाश को अवशोषित करने में और कार्बन डाइऑक्साइड न्‍यूनीकरण प्रतिक्रिया को उत्प्रेरित करने में भी सक्षम होगा।

उन्होंने एक मजबूत और ऊष्मीय रूप से स्थिर संयुग्मित माइक्रोपोरस कार्बनिक पॉलिमर बनाने के लिए सी-सी कपलिंग के माध्यम से एक डोनर (ट्रिस-4-एथिनिलफेलेमिन) –एसेप्टर (फेनेंथाक्विनोन) असेंबली तैयार की है जिसका एक हेट्रोजिनस उत्‍प्ररेक के रूप में उपयोग किया गया था। फेनेंथ्राक्विनोन की मात्रा में मौजूद कीटो समूह अन्य पारंपरिक धातु-आधारित उत्प्रेरकों के विपरीत एक उत्प्रेरक साइट के रूप में कार्य करता है, जहां धातु समकक्ष कार्बन डाइऑक्साइड न्‍यूनीकरण प्रक्रिया (सीओ2आरआर) करता है। उत्‍प्रेरक प्रक्रिया के दौरान सबसे पहले, संयुग्मित माइक्रोपोरस पॉलिमर (सीएमपी) नामक रसायन कमरे के तापमान पर अपनी उच्‍च कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषण क्षमता के कारण इसकी सतह पर कार्बन डाइऑक्साइड से आगे निकल सकता है और इसको मूल्य संवर्धित उत्पाद के रूप में मीथेन में परिवर्तन कर सकता है। इलेक्ट्रॉन-रिच डोनर और इलेक्ट्रॉन-कमी वाले एक्‍सेप्‍टर के बीच पुश-पुल प्रभाव के समावेश ने इलेक्ट्रॉन-होल पृथक्करण की सुविधा प्रदान की है और इलेक्ट्रॉन हस्तांतरण काइनेटिक्‍स में बढ़ोतरी की है और एक कुशल उत्‍प्रेरण में सहायता की है। इस कार्य को जर्नल ऑफ द अमेरिकन केमिकल सोसाइटी ने प्रकाशन के लिए स्वीकार कर लिया गया है। मीथेन की उच्च उत्पादन दर के साथ एक सस्‍ती धातु-मुक्त प्रणाली के उपयोग से कुशल पोरस हेट्रोजिनस उत्प्रेरक पर आधारित कार्बन अवशोषण और न्‍यूनीकरण ने मिलकर एक नए रणनीतिक तरीके को बढ़ावा दे सकते हैं।

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धातु-मुक्त रेडॉक्स-सक्रिय संयुग्मित माइक्रोपोरस पॉलिमर का उपयोग करते हुए कार्बन डाइऑक्साइड एवं दृष्टिगोचर प्रकाश अवशोषण एवं दृष्टिगोचर-प्रकाश-चालित रूपांतरण को दिखाया गया है।

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प्रो. तपस के माजी          डॉ. सौमित्र बर्मन         डॉ. आशीष सिंह     फारुक अहमद रहीमी

प्रकाशन लिंक: 10.1021/jacs.1c07916।

अधिक जानकारी के लिए प्रो. तापस के. माजी से tmaji@jncasr.ac.in पर संपर्क किया जा सकता है।

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