विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

जेएनसीएएसआर के वैज्ञानिक ने अल्जाइमर्स और फेफड़ों के कैंसर के इलाज में अभूतपूर्व खोजों के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार जीता

Posted On: 04 OCT 2021 3:28PM by PIB Delhi

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संस्थान, जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्र के प्रोफेसर टी गोविंदराजू को उनकी व्यापक परिवर्तनकारी अवधारणाओं और खोजों, जिसमें अल्जाइमर्स, फेफड़ों के कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के पहचान और उपचार की सार्थक क्षमता है, के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, 2021 के लिए चयन किया गया है। सूक्ष्म अणुओं, पेप्टाइड और प्राकृतिक उत्पादों पर किये गये उनके अभिनव कार्य रोग की पहचान और रोग चिकित्सा दोनों ही प्रदान करते हैं, जिससे व्यक्ति को विशिष्ट उपचार प्राप्त होता है। 

बैंगलोर ग्रामीण जिले के एक सुदूर गाँव के रहने वाले, प्रोफेसर गोविंदराजू ने पहली बार स्कूल के दिनों में न्यूरो-जेनरेटिव बीमारियों के बारे में जाना, जब उन्होंने मानसिक रोगियों के उपचार में असंवेदनशीलता देखी, जिसने उनके शोध क्षेत्र के चुनाव में एक बड़ा प्रभाव डाला।

“मेरे बचपन के दिनों में, मानसिक बीमारी को बढ़ती उम्र के असर से जोड़ना आम था, इसलिये रोगियों की उपेक्षा की जाती थी यहां तक कि उपचार से भी मना कर दिया जाता था। दुख की बात है कि जब मैं बड़े शहरों में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहा था, तब भी मैंने रोगियों के साथ ऐसा ही व्यवहार देखा। जब मैंने स्वतंत्र रुप से अपना शोध कार्य शुरू किया तो इन सभी अनुभवों ने मुझे न्यूरोसाइंस में शोध करने के लिए प्रेरित किया।

सीएसआईआर-एनसीएल से पीएचडी एवं यूएसए और जर्मनी के अग्रणी शोध संस्थानों से पोस्ट-डॉक्टरेट फेलोशिप पूरी करने के बाद, बायोऑर्गेनिक और कैमिकल बायोलॉजी पर केन्द्रित प्रोफेसर गोविंदराजू का शोध मानव के स्वास्थ्य से संबंधित अनसुलझी समस्याओं जिसमें न्यूरो-डिजेनरेटिव बीमारियों के साथ-साथ कैंसर तक शामिल हैं का हल प्रदान कर रहा है जिसका सीधे समाज को लाभ मिल रहा है।

प्रोफेसर गोविंदराजू के पिछले 10 वर्षों से निरंतर जारी अनुसंधान प्रयासों ने इस वर्ष की शुरुआत में परिणाम दिया। उन्होंने एक नोवल ड्रग कैंडिडेट मॉलिक्यूल (टीजीआर 63) की खोज की है, जो अल्जाइमर्स रोग से प्रभावित मस्तिष्क में एमलॉइड नामक विषाक्त प्रोटीन को एकत्र करने वाली प्रजाति को प्रभावी तरीके से कम करता है और पशु मॉडल में संज्ञान संबंधी गिरावट को वापस पाने में मदद करता है। एक दवा कंपनी ने इस मॉलिक्यूल को क्लिनिकल ट्रायल के लिए चुना है, जो मनुष्यों में अल्जाइमर्स रोग के इलाज का मजबूत विश्वास जगाता है।

मॉलिक्यूलर टूल्स पर उनका अग्रणी कार्य अल्जाइमर्स रोग का पहचान कर उसका पता लगाता है और इसे अन्य न्यूरो डीजेनरेटिव रोगों से अलग करता है। प्रोफेसर गोविंदराजू ने अल्जाइमर्स की शुरुआती पहचान के लिए एनआईआर, पीईटी और रेटिना-आधारित प्लेटफॉर्म विकसित करने के लिए एक कंपनी-वीएनआईआर बायोटेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (https://vnir.life/) की भी स्थापना की है। चार साल पुरानी इस फर्म को भारत की बढ़ती हुई बायोटेक कंपनियों में से एक ने मान्यता दी है और इसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में जगह मिली है।

“मैं मानव स्वास्थ्य से संबंधित क्षेत्र के अविजित पथ पर चलने के लिए उत्सुक था। यह तथ्य कि अल्जाइमर्स जैसी न्यूरो संबंधी बीमारियों में शुरुआती पहचान या इलाज के प्रभावी तरीके नहीं थे, ने मुझे इस क्षेत्र को चुनने के लिए प्रेरित किया। मुझे उम्मीद है कि मेरे योगदान और शोध से रोग की शीघ्र पहचान के साथ-साथ उपचार का मार्ग प्रशस्त होगा” प्रोफेसर गोविंदराजू ने विस्तार से बताया।

अल्जाइमर्स रोग और कैंसर के बीच संबंधों को समझने में उनकी रुचि के परिणामस्वरूप फेफड़ों के कैंसर जिसकी शुरुआती पहचान और उपचार काफी कठिन है, के लिये पहली सूक्ष्म मॉलीक्यूल आधारित ड्रग कैंडिडेट (टीजीपी 18) की खोज हुई। खास बात ये है कि ये मॉलिक्यूल डाइग्नोस्टिक टूल के रूप में भी कार्य कर सकता है, और विश्व स्तर पर थेरानॉस्टिक्स (डायग्नोसिटक थेरेपी) के उम्मीदवारों में वर्गीकृत कुछ मॉलिक्यूल में एक है। प्रोफेसर गोविंदराजू इसे प्रयोगशाला से चिकित्सीय इस्तेमाल तक ले जाने के प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं।

रेशम से प्राप्त फॉर्मूलेशन पर उनके शोध का मानव स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है, जिसमें नियंत्रित इंसुलिन वितरण, मधुमेह के घाव भरने, अल्जाइमर्स रोग के इलाज के लिए सेल-आधारित न्यूरोनल ऊतक इंजीनियरिंग के लिये स्केलटल मसल्स का उपयोग तक शामिल हैं। रेशम आधारित ये इनोवेशन रेशम उत्पादन उद्योग और किसानों को प्रोत्साहन प्रदान कर सकते हैं।

फंक्शनल एमलॉयड पर गोविंदराजू के परिवर्तनकारी कार्य ने मॉलिक्यूलर आर्किटेक्टॉनिक्स की अवधारणा को प्रेरित किया, जो मॉलिक्यूल के क्षेत्र और प्राप्त नैनो-स्केल मॉलिक्यूलर आर्किटेक्चर को कार्यात्मक बायोमैटिरियल्स में एकीकृत करता है।

अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और जापान के प्रमुख विश्वविद्यालयों में विजिटिंग फैकल्टी के अलावा, प्रो गोविंदराजू ग्रामीण स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को लेकर काफी सक्रिय हैं और आउटरीच पहल में शामिल रहे हैं। वह कर्नाटक और अन्य राज्यों के स्कूली बच्चों के बीच मानसिक बीमारी को लेकर जागरूकता पैदा कर रहे हैं। 

 

 Description: A person in a white shirtDescription automatically generated with medium confidence

 

*****

एमजी/एएम/एसएस


(Release ID: 1760995) Visitor Counter : 463


Read this release in: English , Punjabi , Tamil