उप राष्ट्रपति सचिवालय
उपराष्ट्रपति ने लोगों से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन में अपना नाम दर्ज कराने की अपील की
भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य के इतिहास में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन एक क्रांतिकारी कदम है: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कैंसर के इलाज में परामर्श के महत्व पर बल दिया
स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे लोगों की शुरुआती चिंताओं को दूर करने में हेल्पलाइन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है: उपराष्ट्रपति
कैंसर के इलाज का खर्च कम करने की जरूरत: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने भारत में अपनी तरह की पहली राष्ट्रीय समर्पित स्तन कैंसर और स्तन रोग हेल्पलाइन यूबीएफ हेल्प की शुरुआत की
Posted On:
30 SEP 2021 5:13PM by PIB Delhi
उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज लोगों से आगे आने और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के साथ अपना नाम दर्ज कराने और इस ऐतिहासिक सुधार से खुद को लाभान्वित होने की अपील की। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य के इतिहास में एक क्रांतिकारी कदम बताते हुए, श्री नायडू ने कहा कि यह भारतीय नागरिकों को विशिष्ट स्वास्थ्य आईडी और डॉक्टरों और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए पहचानकर्ताओं के साथ डिजीटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रदान करेगा।
उपराष्ट्रपति ने यह टिप्पणी यूबीएफ हेल्प के शुभारंभ के अवसर पर की, जो उषालक्ष्मी ब्रेस्ट कैंसर फाउंडेशन द्वारा स्थापित भारत में अपनी तरह की पहली राष्ट्रीय समर्पित स्तन कैंसर और स्तन रोग हेल्पलाइन है। हेल्पलाइन का नेतृत्व करने वाले ब्रेस्ट कैंसर 'विजेताओं' (बीमारी से उबर चुके लोगों) के समूह की सराहना करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए उनके प्रयास और अटूट प्रतिबद्धता प्रशंसनीय है, क्योंकि वे स्वयं स्तन कैंसर के गंभीर उपचार से गुजरे थे।
कॉल करने वालों को आमने-सामने गोपनीय सहायता के लिए हेल्पलाइन में प्रशिक्षित परामर्शदाताओं को शामिल करने की सराहना करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि परामर्श पूरे कैंसर उपचार प्रोटोकॉल या किसी अन्य गंभीर बीमारी से ग्रसित चिकित्सा पद्धति का एक अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कैंसर न केवल रोगी के शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। उन्होंने कहा, "काउंसलर मरीजों को इस बीमारी से पूरे उत्साह से लड़ने के लिए प्रेरित करने में मदद कर सकते हैं।"
श्री नायडू ने वेबसाइट पर हेल्पलाइन के अनुभाग में अंग्रेजी और 11 अन्य भारतीय भाषाओं में स्तन कैंसर और स्तन कैंसर मुक्त मरीजों को स्वास्थ्य मुद्दों के हर जानकारी उपलब्ध कराने के लिए यूबीएफ हेल्प की सराहना की। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे लोगों की चिंताओं को दूर करने में हेल्प लाइन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। स्तन कैंसर के बढ़ते खतरे की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्तन कैंसर दुनिया भर में सबसे आम कैंसर है, जिसमें हर साल लगभग 23 लाख नए मरीजों का इलाज किया जाता है और लगभग 6.85 लाख महिलाओं की सालाना मृत्यु हो जाती है।
यह देखते हुए कि कम से कम एक तिहाई साधारण कैंसर को रोका जा सकता है, श्री नायडू ने कहा, "यह जरूरी है कि लोगों को कैंसर के शुरुआती लक्षणों के बारे में जागरूक किया जाए ताकि उन्हें तत्काल इलाज मिल सके जिससे उनके बचने की संभावना बढ़ सके।" उन्होंने कहा, "स्तन कैंसर के मामलों की बढ़ती संख्या और स्तन स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए भी शिविर का आयोजन किया जाना चाहिए।"
कैंसर रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों की गंभीर वित्तीय स्थिति पर प्रकाश डालते हुए, श्री नायडू ने कहा कि कई मामलों में वे अपने परिवार के इलाज के खर्च को पूरा करने के लिए अपनी जीवन भर की बचत को समाप्त कर देते हैं। कैंसर के इलाज में बहुत ज्यादा खर्च का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कैंसर के इलाज की लागत को कम करने की तत्काल जरूरत है।
डॉ. कोठा उषालक्ष्मी कुमारी, संस्थापक अध्यक्ष, यूबीएफ, डॉ. पी. रघु राम, संस्थापक, सीईओ और निदेशक, यूबीएफ, श्री जयेश रंजन, मुख्य सलाहकार, उषालक्ष्मी ब्रेस्ट कैंसर फाउंडेशन, सुश्री के संध्या रानी, संयोजक, सामुदायिक सेवाएं, यूबीएफ, प्रो. एस.पी. सोमशेखर, अध्यक्ष, द एसोसिएशन ऑफ ब्रेस्ट सर्जन ऑफ इंडिया, प्रो. मीना हरिहरन, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ हेल्थ साइकोलॉजिस्ट, विभिन्न डॉक्टर संघों के प्रतिनिधि, यूबीएफ हेल्पलाइन के डेवलपर्स और अन्य ने वर्चुअल कार्यक्रम में भाग लिया।
एमजे/एमएम/एके
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