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भारतीय अर्थव्यवस्था की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत को भारतीय स्टेट बैंक जैसे चार-पांच और बैंकों की जरूरत है- निर्मला सीतारमण


वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय बैंकिंग का दीर्घकालिक भविष्य डिजिटल प्रक्रियाओं द्वारा संचालित होगा;

आईबीए को बैंक शाखाओं की देशव्यापी डिजिटल मैपिंग करने को कहा

सीतारमण ने सुगम एकीकरण के लिए बैंकों की सराहना की

Posted On: 26 SEP 2021 2:05PM by PIB Delhi

केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश को भारतीय स्टेट बैंक जैसे चार-पांच और बैंकों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें अर्थव्यवस्था और उद्योग की हालिया वास्तविकताओं के मद्देनजर बदलती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बैंकिंग को बढ़ाने की जरूरत है। “जिस तरह से अर्थव्यवस्था पूरी तरह से एक अलग स्तर पर स्थानांतरित हो रही है और जिस तरह से उद्योग उसे अपना रहा है उसमें अनेक नई चुनौतियां सामने आती रहती हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमें संख्या में ही अधिक नहीं बल्कि बड़े बैंकों की भी जरूरत है। केंद्रीय मंत्री ने आज मुंबई में भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की 74वीं वार्षिक आम बैठक में अपने मुख्य भाषण के दौरान बैंकिंग समुदाय के साथ इस दृष्टिकोण को साझा किया।

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वित्त मंत्री ने भारतीय बैंक संघ से वैज्ञानिक डिजिटल मैपिंग के माध्यम से पूरे भारत में वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में सुधार करने को कहा

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वित्त मंत्री ने उद्योग जगत से यह कल्पना करने का आह्वान किया कि भारतीय बैंकिंग को तत्काल और दीर्घकालिक भविष्य में कैसा होना चाहिए। “अगर हम कोविड के बाद का ​​​​परिदृश्य देखते हैं तो भारत के बैंकिंग नवोन्मेष को बहुत ही अनूठा पाते हैं जहां डिजिटलीकरण को बेहद सफल तरीके से अपनाया गया है। जबकि कई देशों में महामारी के दौरान बैंक अपने ग्राहकों तक नहीं पहुंच सके, भारतीय बैंकों के डिजिटलीकरण के स्तर ने हमें डीबीटी और डिजिटल तंत्र के माध्यम से छोटे, मध्यम और बड़े खाताधारकों को धन हस्तांतरित करने में मदद की।”

केंद्रीय मंत्री ने भारतीय बैंकिंग उद्योग का एक स्थायी भविष्य बनाने के काम में निर्बाध और परस्पर जुड़े डिजिटल सिस्टम के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि “भारतीय बैंकिंग का दीर्घकालिक भविष्य काफी हद तक डिजिटल प्रक्रियाओं द्वारा संचालित होने वाला है”।

वित्त मंत्री ने कहा कि डिजिटलीकरण के लाभों के बावजूद, वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में व्यापक असमानताएं हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां भौतिक रूप बैंक जरूरी हैं। वित्त मंत्री ने आईबीए को तर्कसंगत दृष्टिकोण और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के अधिकतम उपयोग के जरिए हर जिले में बैंकिंग की पहुंच में सुधार लाने को कहा। इसे प्राप्त करने के लिए, केंद्रीय मंत्री ने आईबीए को देश के प्रत्येक जिले के लिए सभी बैंक शाखाओं का डिजिटलीकृत स्थान-वार नक्शा बनाने की सलाह दी।

उन्होंने कहा कि “लगभग साढ़े सात लाख पंचायतों में से लगभग दो-तिहाई के पास ऑप्टिकल फाइबर कनेक्शन है। आईबीए को इस पर विचार करना चाहिए और पता लगाना चाहिए तथा यह तय करना चाहिए कि बैंकों की भौतिक उपस्थिति कहां होनी जरूरी है और कहां पर हम भौतिक शाखा के बिना भी ग्राहकों को सेवा देने में सक्षम हैं। आईबीए को पहल करके वित्तीय समावेशन और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के सरकार के प्रयासों में मदद करनी चाहिए, खासकर ऐसे क्षेत्रों में जहां अभी बैंक सेवा उपलब्ध नहीं है या कम उपलब्ध है।

"चतुर, चुस्त, अनुकूल बनें। यह 2030 के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है"

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वित्त मंत्री ने बैंकरों को प्रौद्योगिकी में तेजी से बदलाव के अनुरूप स्वयं को बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया। "आज हम जो नया सोचते हैं, वह एक-एक साल में पुराना हो जाएगा, इसलिए हमें खुद को लगातार अपडेट करने के लिए संसाधन हासिल करने होंगे।"

उन्होंने कहा कि इस तरह की तत्परता विशेष रूप से महत्वपूर्ण है ताकि हम अपने लिए निर्धारित महत्वाकांक्षी निर्यात लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम हों। “हमने अपने आप को 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर का निर्यात लक्ष्य दिया है। इस लक्ष्य में व्यापारिक निर्यात एक ट्रिलियन डॉलर और सेवा निर्यात भी एक ट्रिलियन डॉलर का शामिल है। तेजी से बदलाव के इस युग में महामारी के बाद, हम ग्राहकों को कैसे देखते हैं, इसमें बहुत सारी चुनौतियां आने वाली हैं। इन चुनौतियों का समाधान तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि बैंक विभिन्न व्यवसायों और क्षेत्रों की अच्छी समझ के साथ चुस्त न हों। अतः बैंकिंग उद्योग को विविध क्षेत्रों की अनूठी व्यावसायिक आवश्यकताओं और भारत में तेजी से स्थानांतरित होने वाले कई व्यवसायों को समझने के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता है।”

वित्त मंत्री ने हाल ही में गठित एकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क के लाभों के बारे में भी बताया। "अगर ढांचे का अच्छा उपयोग किया जाता है, तो हमें विशेष क्रेडिट आउटरीच की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार आरबीआई के साथ मिलकर प्रोटोकॉल और ढांचे के साथ मदद कर रही है। वह डिजिटल सिस्टम के माध्यम से उद्योग में बैंकों को और अधिक हासिल करने में मदद कर रही है।

वित्त मंत्री ने देश के पूर्वी क्षेत्र में बैंकिंग आउटरीच की उच्च संभावना के बारे में भी बताया। “इस देश के पूर्वी क्षेत्र में पर्याप्त से अधिक चालू खाते, बचत खाते हैं, लेकिन कोई ऋण लेने वाला नहीं है, आपको इस मुद्दे को हल करने की जरूरत है और देखें कि आप बिहार जैसे उन राज्यों में कैसे उधार दे सकते हैं”।

"यूपीआई को मजबूत करें"

वित्त मंत्री ने कहा कि यूपीआई को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने बैंकरों को सलाह दी कि “आज भुगतान की दुनिया में, भारतीय यूपीआई ने वास्तव में बहुत बड़ी छाप छोड़ी है। हमारा रुपे कार्ड जो विदेशी कार्ड की तरह ग्लैमरस नहीं था, अब दुनिया के कई अलग-अलग हिस्सों में स्वीकार किया जाता है, जो भारत के भविष्य के डिजिटल भुगतान के इरादों का प्रतीक है। वित्त तकनीक में यूपीआई इसकी रीढ़ है, आपको इसे महत्व देना होगा और यूपीआई को मजबूत करना होगा।

आपने बैंकों का एकीकरण बिना किसी समस्या के सुनिश्चित किया है

ग्राहकों को सेवाओं में व्यवधान पैदा किए बिना, कोविड-19 महामारी के दौरान भी बैंकों के एकीकरण को क्रियान्वित करने के लिए वित्त मंत्री ने बैंकों की सराहना की। वित्त मंत्री ने कहा "मैं आपकी सराहना करती हूं कि आपने यह सुनिश्चित किया कि एकीकरण से ग्राहकों को असुविधा न हो, आपने यह सुनिश्चित किया कि विभिन्न बैंकों की प्रणालियां एक-दूसरे से सामंजस्य करें, आपने ग्राहकों की सेवा में महामारी के दौरान खुद को उपलब्ध किए रखा। साथ ही आपके प्रयासों से बैंकों का एकीकरण बिना किसी झंझट के सम्पन्न हुआ”।

"एनएआरसीएल एक बैड बैंक नहीं है"

श्रीमती सीतारमण ने नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड और इंडिया डेट रिजॉल्यूशन कंपनी लिमिटेड की स्थापना में साथ आने के लिए आईबीए का आभार व्यक्त किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि "एक साथ काम करते हुए, एनएआरसीएल और आईडीआरसीएल, एनपीए का पुनर्गठन और बिक्री करने में सक्षम होंगे।"

वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि एनएआरसीएल एक बैड बैंक नहीं है। “यह एक फॉर्मूलेशन है जिसका उद्देश्य बैंकों की संपत्ति को स्वच्छ करना और एनपीए का त्वरित तरीके से निपटान करना है। बैंक अब बाजार से पैसा जुटाने में सक्षम हैं, इसलिए बैंकों का पुनर्पूंजीकरण करने का बोझ सरकार पर कम होगा। हम चाहते हैं कि बैंक बहुत अधिक पेशेवर तथा एक बदली हुई मानसिकता के साथ काम करें।" वित्त मंत्री ने कहा कि पेशेवर बनने का बिल्कुल यह सही समय है। उन्होंने कहा कि बैंक वैल्यूएशन में “रेज़र-शार्प” होने चाहिए, जिससे आप सही कीमत पर सही तरह की राशि जुटा सकें।

"निजी क्षेत्र के डीएफआई को विकास की जरूरतों को पूरा करने की जरूरत है"

वित्त मंत्री ने निजी क्षेत्र में भी विकास वित्त संस्थानों के महत्व और आवश्यकता को रेखांकित किया। "सरकार एक विकास वित्त संस्थान ला रही है। साथ ही, हमने निजी क्षेत्र में भी डीएफआई के आने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए हैं। हमें उम्मीद है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के डीएफआई के बीच अच्छी प्रतिस्पर्धा होगी, ताकि प्रतिस्पर्धी कीमतों पर पैसा उपलब्ध हो सके। हमें उम्मीद है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के डीएफआई के बीच अच्छी प्रतिस्पर्धा होगी, ताकि प्रतिस्पर्धी कीमतों पर पैसा उपलब्ध हो सके।

वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री के इस कथन की कि “हमारी मानसिकता और जीने के तरीकों में बदलाव और उसे रीसेट करने की जरूरत है” की याद दिलाते हुए उम्मीद व्यक्त की कि आईबीए इस आह्वान पर खरा उतरेगा। उन्होंने कहा कि "हम भारतीय अर्थव्यवस्था के एक बहुत ही महत्वपूर्ण चरण में हैं, आप इसकी रीढ़ हैं, मैं चाहती हूं कि आईबीए इस अवसर पर आगे आए और भारत को सर्वोत्तम वित्तीय सेवाएं प्रदान करे।"

वित्त मंत्री ने नए डिजिटल और कनेक्टेड युग की बदलती वास्तविकताओं के अनुरूप बैंकों के कॉर्पोरेट संचार की पुनर्कल्पना करने तथा उसे बढ़ावा देने का आह्वान किया। श्रीमती सीतारमण ने अपने संबोधन की शुरुआत में बैंकिंग उद्योग के उन सभी सदस्यों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान देश की सेवा करते हुए अपनी जान गंवा दी।

राज्य मंत्री भागवत कराड ने लोगों तक वित्तीय पैकेज का लाभ पहुंचाने के लिए बैंकों की सराहना की

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वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सरकार द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत पैकेज सहित विभिन्न वित्तीय प्रोत्साहन पैकेजों के लाभों को जनता तक पहुंचाने के लिए बैंकों की सराहना की। मंत्री महोदय ने कहा कि सभी बैंकों को ईज़ 3.0 और 4.0 सुधारों को लागू करने और बैंकों के आधुनिकीकरण के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। उन्होंने जेएएम ट्रिनिटी की भूमिका को भी रेखांकित किया, जो सरकार के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण का लाभ सीधे लोगों तक पहुँचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

इससे पहले, इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के अध्यक्ष श्री राजकिरण राय जी. ने सभी का स्वागत किया, जबकि मुख्य कार्यकारी, आईबीए, श्री सुनील मेहता ने एसोसिएशन की 75 साल की यात्रा पर एक प्रस्तुति दी जिसे यहां पर देखा जा सकता है।

आईबीए के सचिव और प्रबंध समिति के सदस्य, सदस्य बैंकों के प्रबंध निदेशक, सीईओ और कार्यकारी निदेशक भी बैठक में मौजूद थे।

इस कार्यक्रम को यहां पर देखा जा सकता है

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