शिक्षा मंत्रालय

समग्र शैक्षिक विकास के लिए भारतीय भाषाओं के सुदृढ़ीकरण पर राष्ट्रीय वेबिनार


देश की एकता और अखंडता के लिए भारतीय भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन महत्वपूर्ण है - श्रीमती अन्नपूर्णा देवी

Posted On: 23 SEP 2021 6:07PM by PIB Delhi

शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नेआज समग्र शैक्षिक विकास के लिए भारतीय भाषाओं केसुदृढ़ीकरण पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया।इस वेबिनार का आयोजन17 सितंबर, 2021 से लेकर 7 अक्टूबर, 2021 तक आयोजित की जाने वाली सुशासन पर वेबिनारों की श्रृंखला के एक हिस्से के रूप में किया गया था।शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमतीअन्नपूर्णा देवीइस वेबिनार की मुख्य अतिथि थीं।

इस वेबिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने आत्मनिर्भर भारत से संबंधित प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के बारे में चर्चा की। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश की एकता और अखंडता के लिए भारतीय भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारतीय भाषाओं की ओर उचित ध्यान नहीं दिया गया है और उनकी देखभाल सही तरीके से नहीं कीगई है।देश ने पिछले 50 वर्षों में 220 से अधिक भाषाओं को खो दिया है। शिक्षा राज्यमंत्रीने कहा कि भारतीय भाषाओं के पठन और पाठन को हर स्तर पर स्कूली और उच्च शिक्षा के साथ जोड़ने की जरूरत है।

श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्षेत्रीय बोलियों और भारतीय भाषाओं में पठन-पाठनके अवसर पैदा करके स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर के बीच संपर्क के एक माध्यम के रूप में कार्य करेगी। उन्होंने आगे कहा कि हमारी भारतीय भाषाओं को मजबूत और संरक्षित करके ही देश का विकास संभव है। श्रीमती देवी ने शिक्षार्थियों और शिक्षकों सहित शिक्षा के क्षेत्र के समग्र विकास के लिए भारतीय भाषाओं को मजबूत करने की दिशा में अकादमिक और सामाजिक सहयोग देने के महत्व पर जोर दिया।

इस वेबिनार को संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा सचिव श्री अमित खरेने अपनी मातृभाषा में सीखने के लाभों जैसे कि आलोचनात्मक सोच विकसित करने, ज्ञान प्रणाली की बेहतर समझ का निर्माण करने आदि के बारे में चर्चा की। श्री खरे ने विलुप्त होती जा रही भारतीय भाषाओं को पुनर्जीवित करने की दिशा में एनईपी की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया।

समग्र शैक्षिक विकास के लिए भारतीय भाषाओं के सुदृढ़ीकरण पर आयोजित इस वेबिनार ने शिक्षार्थियों के समग्र विकास के लिए भारतीय भाषाओं, बोलियों पर अपेक्षित ध्यान देने और उस दिशा में प्रयास करने के भविष्य के तरीकों का पता लगाने के लिए प्रख्यात विद्वानों, शिक्षाविदों एवंप्रशासकों को एक मंच प्रदान किया।

इंडियन गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स के सदस्य सचिव प्रोफेसर सच्चिदानंद जोशी ने अपने मुख्य वक्तव्य में लोगों से भारतीय भाषाओं के प्रति अपनी धारणा को बदलने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमारा अधिकांश ज्ञान 0-6 वर्ष की आयु में आकार लेता है और यह बाल मनको उसकी मातृभाषा में शिक्षित करने का एक महत्वपूर्ण समय है। उन्होंने संस्कृति और शिक्षा के बीच संबंधों के बारे में चर्चा की क्योंकि ये दोनों अविभाज्य हैं, फिर भी स्वतंत्र हैं। उन्होंने हमारे शब्दकोशों और शब्दावलियों को समृद्ध बनाने के लिए विभिन्न भाषाओं के अलग-अलग शब्दों को समायोजित करने का आग्रह किया।

इस वेबिनार में सचिव (उच्च शिक्षा)श्री अमित खरे, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसरडी.पी. सिंह, शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

इस वेबिनार के तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर बलवंत जानी, चांसलर, डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर ने की।इस सत्र में विशेषज्ञों के रूप में प्रोफेसर संजय द्विवेदी, महानिदेशक, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली; प्रोफेसर हनुमान प्रसाद शुक्ला, प्रो-वाइस चांसलर, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा और प्रोफेसर आर. के. पांडे, कुलपति, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने भारतीय भाषाओं के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।

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एमजी/एएम/आर/एसएस



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