जनजातीय कार्य मंत्रालय
ट्राइब्स इंडिया वन धन बिग बास्केट के साथ मिलकर ऑनलाइन मार्केटिंग का बड़े पैमाने पर विस्तार करेगा, ट्राइफेड और बिग बास्केट के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए
ट्राइफेड ने देशभर में सीप की खेती में जनजातीय समुदाय के उद्यमिता विकास के लिए झारखंड के पुरती एग्रोटेक के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के तहत सरकार जनजातीय लोगों की आजीवका को बढ़ाने के लिए परिवर्तनकारी कार्यक्रम चला रही है
Posted On:
20 SEP 2021 4:37PM by PIB Delhi
मुख्य बिंदुः
• ऑर्गेनिक, प्राकृतिक वन धन उत्पादों और ट्राइफूड उत्पादों के प्रचार और बिक्री के लिए ट्राइफेड और बिग बास्केट के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
• अन्य जनजातीय उद्यमियों के बीच सीप की खेती को बढ़ावा देने के लिए ट्राइफेड और पुरती एग्रोटेक के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने कहा “सरकार महत्वकांक्षी परिवर्तनकारी कार्यक्रम चला रही है जो आने वाले समय में जनजातीय लोगों की आजीविका के लिए गेम चेंजर साबित होंगे। श्री अर्जुन मुंडा आज नई दिल्ली में जनजातीय लोगों की आजीविका को बढ़ावा देने के लिए दो प्रमुख पहलों की शुरुआत, पहला ट्राइफेड और बिग बास्केट के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर और दूसरा ट्राइफेड और झारखंड के पुरती एग्रोटेक के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के अवसर पर बोल रहे थे।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि जैसा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, यह प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण है कि हम अंतिम छोर के व्यक्ति तक पहुंचें और एक आत्मनिर्भर भारत की स्थापना की दिशा में काम करें। उन्होंने यह भी कहा कि इसी भावना से जनजातीय कार्य मंत्रालय और ट्राइफेड बड़ी संख्या में इस तरह की पहल के माध्यम से जनजातीय लोगों के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं।
ट्राइफेड और बिग बास्केट के बीच बिग बास्केट प्लेटफॉर्म के जरिये प्राकृतिक वन धन उत्पादों के प्रचार और बिक्री के लिए समझौता ज्ञापन और ट्राइफेड एवं पुरती एग्रोटेक के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौता ज्ञापन में देश भर के अन्य जनजातीय उद्यमियों के बीच सीप उगाने की कला को बढ़ावा दिया जाएगा और इस बाजार की क्षमता का दोहन किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री का फोकस जनजातीय कारीगरों, जनजातीय उत्पादकों, उनके उत्पादों और आजीविका कार्यक्रमों पर हैं। उन्होंने आगे बताया कि अब ट्राइफेड और जनजातीय कार्य मंत्रालय की विभिन्न पहलों के माध्यम से अनुसंधान और डिजाइन की मदद से मूल्यवर्धन और उत्कृष्ट गुणवत्ता सुनिश्चित करके जनजातीय उत्पादों को बाजार में लाया जा रहा है। जनजातीय लोगों में छिपी हुई प्रतिभा और उत्कृष्ट उत्पाद बनाने की एक बड़ी क्षमता है और वे “मेरा वन- मेरा धन- मेरा उद्यम” में विश्वास करते हैं। एक राष्ट्र के रूप में यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि उनके कौशल, कला और शिल्प भावी पीढ़ी के लिए नष्ट न हों, इसलिए देश भर में जनजातीय लोगों के लाभ के लिए ये कार्यक्रम आज शुरू किए गए हैं।
इस अवसर पर ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्ण ने कहा कि ट्राइफेड अनूठे जनजातीय उत्पादों और लघु वनोपज की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर नए और बेहतर मार्केटिंग अवसरों को खोजने के लिए दिन-रात काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि इन दो नई पहलों का कार्यान्यवन इस साल 2 अक्टूबर से होगा और जनजातीय लोगों की आजीविका को भी बल मिलेगा।
ट्राइफेड जनजातीय समुदाय के जीवन तथा आजीविका में सुधार लाने और जनजातीय लोगों के सशक्तिकरण के लिए अपने पहले से चल रहे प्रयासों को आगे बढ़ते हुए, विभिन्न संगठनों के साथ तालमेल बनाने के लिए उनके साथ साझेदारी कर रहा है। इस संदर्भ में, ट्राइफेड ने एक सुव्यवस्थित ई-किराना प्लेटफॉर्म बिग बास्केट के साथ सम्झौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं जो वन धन उत्पादन इकाइयों से उन्हें उपलब्ध कराए जाने वाले प्राकृतिक वन धन उत्पादों की बिक्री के साथ-साथ उनके प्रचार-प्रसार का भी काम करेगा।
ट्राइफेड और बिग बास्केट द्वारा दिनांक 20 सितंबर, 2021 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान बिग बास्केट के चीफ़ मर्चन्डाइजिंग ऑफिसर (सीएमओ) श्री सेशु कुमार और ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्ण द्वारा केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया जिसमें दोनों संगठनों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। ट्राइफेड बिग बास्केट के साथ जुड़कर अपने बुनियादी ढांचे, विशेषज्ञता और पहुंच का लाभ उठाकर पूरे देश में ग्राहकों की व्यापक संख्या को ऑर्गेनिक, प्राकृतिक और ट्राइफूड वन धन उत्पादों को उपलब्ध करा सकता है। इससे जनजातीय समुदाय द्वारा हाथ से बनाये गए प्रामाणिक वन उत्पादों को शामिल करके बिग बास्केट को अपने पोर्टफोलियो को और अधिक समृद्ध करने में भी मदद मिलेगी। यह सहयोग जनजातीय उद्यमिता को बढ़ावा देने और जनजातीय समुदाय के लिए आजीविका के अवसर पैदा करके बिग बास्केट के सामाजिक कल्याण की दिशा में किए जाने वाले कार्यों में भी बढ़ोतरी करेगा।
ट्राइफेड और बिग बास्केट के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
ई-किराना, कंज्यूमर ई-कॉमर्स क्षेत्र में सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक रहा है और इसकी वृद्धि भारत में बढ़ती खपत और डिजिटल पैठ से प्रेरित हुई है। वर्तमान महामारी के चलते इसे अपनाने में और तेजी आई है क्योंकि उपभोक्ता अब घर पर सुरक्षित रहते हुए ही उच्च गुणवत्ता वाली किराने की वस्तु खरीदने की सुविधा चाहते हैं। बिग बास्केट की स्थापना वर्ष 2011 में बैंगलोर शहर में हुई थी और तब से इसने पूरे भारत में 25 से अधिक शहरों में उपस्थिति बनाकर अपना विस्तार किया है। ई-किराने के क्षेत्र में, बिग बास्केट पर सबसे अधिक विविधता उपलब्ध है और साथ ही ग्राहकों को उनकी पसंदीदा तिथि और समय पर होम डिलीवरी की सुविधा प्रदान करता है। यह 12,000 से अधिक किसानों और पूरे भारत में फैले बहुत से संग्रह केंद्रों के साथ मिलकर एक फार्म-टू-फोर्क आपूर्ति श्रृंखला भी संचालित करता है, जिसमें यह अपने ग्राहकों के घर तक उच्च गुणवत्ता वाले ताजे फल तथा सब्जियां भी पहुंचता है। यह साझेदारी, अपने स्वास्थ्य और जीवनशैली की जरूरतों के बारे में अत्यधिक जागरूक आधुनिक उपभोक्ताओं को विशेषतः एक शानदार अवसर प्रदान करेगी। वन धन प्राकृतिक, खाद्यान्न, तेल, बेकरी, पेय पदार्थ, नाश्ता, सफाई और घरेलू, सौंदर्य और स्वच्छता, व्यंजन आदि संभावित उत्पाद श्रेणियों में स्वास्थ्यवर्धक विकल्प हो सकते हैं।
BigBasket.com पर ग्राहकों को ट्राइफेड- ट्राइब्स इंडिया- वन धन की एक विस्तृत एवं विशेष श्रृंखला के माध्यम से बहुत से जनजातीय उत्पादों की पेशकश की जाएगी।
जैसे-जैसे भारत India@75 की अपनी रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है और विकास को एक जन आंदोलन में बदलने का काम कर रहा है, ट्राइफेड जमीनी स्तर पर अपनी उपस्थिति का भरपूर लाभ उठाकर काम करते हुए डिजाइन और कार्यान्वयन दोनों में जनजातीय कल्याण पर जोर दे रहा है। "वोकल फॉर लोकल" और "आत्मनिर्भर भारत" के निर्माण पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ-साथ, ट्राइफेड जनजातीय सशक्तिकरण की दिशा में अपने प्रयासों को फिर से समर्पित करते हुए कई महत्वपूर्ण गतिविधियाँ संचालित कर रहा है।
इस दिशा में एक और ऐसा ही सहयोग झारखंड के मेसर्स पुरती एग्रोटेक के साथ किया गया है। ट्राइफेड ने पुरती एग्रोटेक के श्री बुद्धन सिंह पुरती के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए हैं। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले की मूल निवासी "हो जनजाति" में जन्म लेने वाले श्री बुद्धन सिंह पुरती एक जनजातीय उद्यमी हैं, जिनका सीप अर्थात मोती की खेती को बढ़ावा देने वाला एक अनूठा व्यवसाय है। अन्य जनजातीय उद्यमियों में मोती उगाने की कला को बढ़ावा देने और इस बाजार की क्षमता को अत्यधिक ऊंचे स्तर तक पहुंचाने के लिए, ट्राइफेड ने इस सहयोग के माध्यम से इस अद्वितीय शिल्प के लिए एक व्यापार-उन्मुख उद्यम बनाने और साथ ही इस व्यवसाय को अधिक पेशेवर एवं विकसित करने में पुरती एग्रोटेक के श्री बुद्धन सिंह पुरती की सहायता करने की योजना बनाई है। इस सहयोग के तहत दोनों संगठनों ने जनजातीय समुदाय के समग्र उत्थान की दिशा में संयुक्त रूप से काम करने के लिए निम्नलिखित क्षेत्रों में भागीदारी की है:
ट्राइफेड और पुरती एग्रोटेक के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
- ट्राइफेड, पुरती एग्रोटेक को ट्राइब्स इंडिया के लिए आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी आपूर्तिकर्ता सूची में शामिल करेगा, और उससे सीप/मोती खरीदेगा जिसे 141 ट्राइब्स इंडिया बिक्री केन्द्रों और विभिन्न ई-कॉमर्स पोर्टलों के माध्यम से बेचा जाएगा।
(ii) श्री बुद्धन सिंह पुरती को टेक फॉर ट्राइबल पहल के तहत मास्टर ट्रेनर के रूप में तैयार किया जाएगा और जनजातीय उद्यमियों को मत्स्य पालन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अत्यधिक संख्या में जनजातीय स्वयं सहायता समूहों के साथ इस जानकारी को साझा कर प्रौद्योगिकी और तकनीकी का हस्तांतरण किया जाएगा।
(iii) पुरती एग्रोटेक को आगे चलकर वन धन विकास केंद्र समूह के रूप में विकसित किया जा सकता है और सूक्ष्म लघु एवं माध्यम उद्यम मंत्रालय की स्फूर्ति योजना का और अधिक लाभ उठाकर वनोपजों का मूल्यवर्धन और प्रसंस्करण किया जा सकता है।
(iv) जहां तालाब उपलब्ध है मत्स्य पालन में लगे वहाँ के वन धन विकास केंद्र समूहों को सीप उगाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जिसे एक अतिरिक्त व्यावसायिक गतिविधि के रूप में साथ-साथ किया जा सकता है।
(v) इसके अलावा, झारखंड में 25 वन धन विकास केंद्र समूह विकसित करने की भी योजना है जहां सीप की खेती के लिए इस तरह के मत्स्य पालन व्यवसाय को अंजाम दिया जा सकता है।
सीपों को उगाना और मोतियों का विकास एक स्थायी व्यवसाय है और उन जनजातीय संग्रहकर्ताओं द्वारा आसानी से अपनाया जा सकता है जिनकी आस-पास के जल निकायों अर्थात तालाबों तक आसानी से पहुंच है। ट्राइफेड ने मत्स्य पालन में संलग्न वन धन विकास केंद्र समूहों को चिन्हित कर आगे चलकर उन्हें सीप उगाने के लिए विकसित करने में उनकी सहायता करने की योजना बनाई है।
इन सहयोगों के सफल कार्यान्वयन के साथ, ट्राइफेड जनजातीय लोगों को अपने कौशल को विकसित करने और आय तथा आजीविका के अवसर पैदा करने में सशक्त बनाने की उम्मीद करता है। ऐसी गतिविधियों और अन्य विविध गतिविधियों के माध्यम से, ट्राइफेड देश भर में जनजातीय जीवन और आजीविका के पूर्ण परिवर्तन की दिशा में काम कर रहा है।
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एनबी/एसके
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