विधि एवं न्याय मंत्रालय
सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के निर्णयों के हिंदी विवरण की ऑनलाइन खोज के लिए एक सर्च इंजन तैयार किया जाएगा: केंद्रीय कानून सचिव
"आज़ादी का अमृत महोत्सव" के अवसर पर वाराणसी में द्विभाषी स्पष्ट अधिनियमों, हिंदी कानून पत्रिकाओं और हिंदी पाठ्य पुस्तकों की प्रदर्शनी एवं बिक्री काउंटर का उद्घाटन
Posted On:
09 SEP 2021 9:56PM by PIB Delhi
"आजादी का अमृत महोत्सव" के अवसर पर 9 और 10 सितंबर 2021 (गुरूवार और शुक्रवार) को जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर, वाराणसी में सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत विधि और न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग के एक विंग, विधि साहित्य प्रकाशन ने द्विभाषी स्पष्ट अधिनियमों, हिंदी कानून पत्रिकाओं, हिंदी पाठ्य पुस्तकों की एक प्रदर्शनी एवं बिक्री काउंटर का आयोजन किया। केंद्रीय विधि सचिव श्री अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने आज इस प्रदर्शनी एवं बिक्री काउंटर का उद्घाटन किया।
प्रबुद्ध न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए, श्री मेंदीरत्ता ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदी के योगदान और हिंदी पर महात्मा गांधी के विचारों का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि हिंदी एक विकसित, समृद्ध और वैज्ञानिक भाषा है, यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता का स्रोत है। यह पारदर्शिता को प्रोत्साहन देता ही और सरकार एवंआम नागरिकों के बीच एक सेतु का कार्य करती है।
केंद्रीय कानून सचिव ने घोषणा की कि देश के स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश करने और ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के शुभ अवसर पर, कानून और न्याय मंत्रालयका विधि साहित्य प्रकाशन, “आज़ादी का अमृत महोत्सव” उत्सव के संपन्न होने तक 75 सप्ताह की अवधि समाप्त होने तक विधि साहित्य द्वारा प्रकाशित सभी तीन पत्रिकाओं को अपने पोर्टल पर पीडीएफ (पोर्टेबल दस्तावेज़ प्रारूप) में जनता के लिए निशुल्कः उपलब्ध कराएगा। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों द्वारा हिन्दी में सुनाए गए निर्णयों वाली उक्त पत्रिकाएं वर्तमान में हार्ड कॉपी में नकद/अंशदान पर उपलब्ध हैं।
श्री मेंदीरत्ता ने उपस्थित प्रबुद्धजनों के महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए कहा कि राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 4(1) के तहत राजभाषा पर संसद की एक समिति गठन किया गया था। किसी भी अन्य संसदीय समिति की तरह, यह समिति संसद में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करती है। संसंदीय राजभाषा समिति अपनी रिपोर्ट सीधे भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत करती है। इसके पीछे का कारण यह है कि हमारे देश के कानून निर्माताओं को इस तथ्य की जानकारी थी कि यदि संसदीया राजभाषा समिति संसद में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है, तो हिंदी भाषा राजनीति का शिकार हो जाएगी। इसलिए, राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 4(3) के तहत संसदीय राजभाषा समिति सीधे भारत के राष्ट्रपति के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है।
श्री मेंदीरत्ता ने घोषणा की कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के निर्णयों के हिंदी संस्करण की ऑनलाइन खोज के उद्देश्य से एक खोज इंजन को भी तैयार करने का प्रस्ताव है।
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एसजी/एएम/एसएस/सीएस
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