जल शक्ति मंत्रालय

एनएमसीजी के महानिदेशक ने 'शहरी जल संतुलन योजना के माध्यम से शहरों को जलसम्पन्न बनाने पर 'स्टॉकहोम जल सप्ताह के प्रथम दिवस के सत्र में मुख्य पैनलिस्ट के रूप में भाग लिया


एनएमसीजी महानिदेशक ने गंगा नदी या अन्य जल निकायों के किनारों पर बसे गांवों, कस्बों और शहरों के कायाकल्प और पुनर्निर्माण पर जोर दिया

Posted On: 23 AUG 2021 8:45PM by PIB Delhi

सेफ वाटर नेटवर्क, यूएसएआईडी और डब्ल्यूआरआई इंडिया ने संयुक्त रूप से स्टॉकहोम जल सप्ताह के पहले दिन, 'शहरी जल संतुलन योजना के माध्यम से शहरों को जल सम्पन्न बनाना' विषयपर सत्र का आयोजन किया। इस सत्र में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा ने मुख्य पैनलिस्ट के रूप में भाग लिया और शहरों को जल सम्पन्न बनाने के तरीकों पर अपने बहुमूल्य विचार साझा किए। सुरक्षित जल नेटवर्क के तहत वी.पी. कार्यक्रम और भागीदारी सत्र की अध्यक्षता श्रीमती पूनम सेवक ने की और सभी प्रमुख पैनलिस्टों और प्रतिभागियों का परिचय कराते हुए उनका स्वागत किया। उन्होंने इस सत्र के विषय से जुड़ी चुनौतियों का उल्लेख करते हुए शहर के जल मूल्यांकन के लिए प्रमुख घटकों को शामिल करने और स्थानीय स्तर की जल योजना के व्यापक प्रभाव पर अपनी एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी।

'शहरी जल संतुलन योजना के माध्यम से शहरों को जल सम्पन्न बनाने की ई-टूलकिट' को भी जारी किया गया। इसमें शहरों को जल सम्पन्न बनाने के लिए समाधानों को विकसित करने और कार्यान्वित करने में निर्णय कर्ताओं की सहायता के लिए 7 मॉड्यूल और 29 उपकरण शामिल हैं। नीचे दर्शाया गया इन्फोग्राफिक यूएलबी स्तर पर अभ्यासकर्ताओं के लिए विकसित शहरी जल संतुलन दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है।

चर्चा के पहले दौर में, आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के निदेशक (अमृत-द्वितीय), श्री वी.पी. सिंह ने शहरी जल प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण पर ध्यान देने के साथजल जीवन मिशन (शहरी) की विशिष्टता की जानकारी दी। उन्होंने शहर स्तर पर शहरी जल प्रबंधन के लिए अमृत I और II के तहत की गई विभिन्न पहलों के बारे में भी जानकारी प्रदान की।

हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के प्रबंध निदेशक, श्री एम. दाना किशोर ने हैदराबाद शहर के विशेष मामले (2021 में जल प्लस शहर के रूप में मान्यता प्राप्त) के साथ शहर के स्तर पर जल सुरक्षा और प्रभाव के मुद्दों की जानकारी दी। जल संसाधन दक्षता की प्रमुख विशेषता सामुदायिक स्तर पर 14000 सामुदायिक प्रमुखों को बनाने के लिए ऐप-आधारित दृष्टिकोण को शामिल करते हुए नेतृत्व संकट के मुद्दे का समाधान करने पर केंद्रित है। उन्हें वर्षा जल संचयन प्रणाली, जल की उपलब्धता आदि पर ध्यान देने के साथ-साथ जागरूकता पैदा करने और स्व-निगरानी प्रणाली को अभ्यास में लाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक, श्री राजीव रंजन मिश्रा ने गंगा के पुनरुद्धार, जीर्णोद्धार और निगरानी के संदर्भ में विचार व्यक्त किए। उन्होंने गंगा नदी या अन्य जल निकायों के किनारे बसे गांवों, कस्बों और शहरों को फिर से जीवंत और पुनर्स्थापित करने पर जोर दिया। नमामि गंगे मिशन के समग्र दृष्टिकोण की व्याख्या करते हुए उन्होंने जल चक्र और नदी प्रणाली के साथ परिदृश्य अनुकूलता पर ध्यान देने के साथ निर्मित वातावरण के निर्माण के महत्व पर प्रकाश डाला। उनके अनुसार, नदियों के साथ रहना सीखना और शहरों और शहरी डिजाइनों को विकसित करना जल के प्रति संवेदनशील, टिकाऊ और सकारात्मक दृष्टिकोण में शामिल है।

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत एसटीपी के प्रदर्शन पर आधारित संचालन और निगरानी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एनएमसीजी द्वारा हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल (एचएएम) को अपनाया गया है क्योंकि पहले यह मॉडल केवल बुनियादी ढांचे के निर्माण तक सीमित था। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि अब इस मॉडल को गंगा बेसिन के बाहर भी अपनाया जा रहा है क्योंकि हैदराबाद एचएएम पर एसटीपी देने के मामले में अग्रणी है। उन्होंने जल के पुनर्पयोग और वृत्ताकार अर्थव्यवस्था को अपनाने और नगर नियोजन में नदियों को एकीकृत करने की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए अपने संबोधन का समापन किया। उनके सूबोधन में क्षमता निर्माण और नदी के मुहानों के साथ-साथ झील के किनारों के कायाकल्प और इन्हें फिर से जल सम्पन्न बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

यूएसएआईडी के श्री आनंद रुद्र ने स्वच्छ जल और स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच के साथ स्वस्थ शहर बनाने पर ध्यान केंद्रित करने वाली सरकारों के साथ कार्य करने के यूएसएआईडी के दृष्टिकोण के संदर्भ में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2022 तक यूएसएड का लक्ष्य 1.5 करोड़ स्थायी और सुरक्षित जल और स्वच्छता सेवाएं प्रदान करना है। इसका उद्देश्य शासन और वित्त पोषण को मजबूत करना, सतत पहुंच को बढ़ाना और स्वच्छता जल संसाधनों के प्रबंधन को एकीकृत तरीके से उपयोग में लाना है।

अंत में, श्री समरत बसाक ने जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए विकासशील परियोजना, शहर और अन्य क्षेत्रों के साथ परस्पर दृष्टिकोण, इक्विटी समावेश, नवाचार और क्षमता निर्माण के लिए डब्ल्यूआरआई की पांच-स्तरीय रणनीति की व्याख्या की। यह दृष्टिकोण आईपीसीसी कोड रेड रिपोर्ट के अनुरूप है।

प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान, श्री राजीव रंजन मिश्रा ने नमामि गंगे कार्यक्रम में डिजिटल निगरानी की भूमिका से जुड़े प्रश्न के उत्तर में बताया कि परियोजनाओं की निगरानी मैनुअल और रीयल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम दोनों के द्वारा की जाती है। पहले उल्लेख किया गया एचएएम, नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत प्रदर्शन-आधारित दृष्टिकोण के साथ कार्यान्वित प्रभावी निगरानी प्रणाली का उदाहरण है। सत्र का समापन इस समग्र विचार के साथ किया गया कि शहरों को जल सम्पन्न बनाने के लिए एकीकृत योजना और सहयोग दो महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं।

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