रक्षा मंत्रालय

स्वतंत्रता दिवस 2021 की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा भारतीय नौसेना कर्मियों के लिए अनुमोदित वीरता पुरस्कारों की सूची

Posted On: 14 AUG 2021 10:50PM by PIB Delhi

15 अगस्त, 2021, 0001 बजे से पहले सोशल मीडिया पर प्रकाशित/प्रसारित/या उपयोग नहीं किया जाना चाहिए

 

राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने स्वतंत्रता दिवस 2021 की पूर्व संध्या पर भारतीय नौसेना कर्मियों को निम्नलिखित वीरता पुरस्कारों को मंजूरी दी है।

शौर्य चक्र

  1. कैप्टेन सचिन रूबेन सिकेरा

नौसेना मेडल (वीरता)

कप्तान प्रशांत हांडू

कमांडर सुनील एस कोर्टी
पणिकर

लेफ्टिनेंट कमांडर राज कृष्ण मनु

प्रह्लाद, एमसीए (फ्लाइट डाइवर) II

 

शौर्य चक्र के लिए प्रशस्ति पत्र

कैप्टन सचिन रूबेन सिकेरा (04272-एच)

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कैप्टन सचिन आर सिकेरा को फिलहाल आईएनएस कोच्चि का कमांडिंग ऑफिसर नियुक्त किया गया है। उत्तरी अरब सागर में हाल ही में आए चक्रवाती तूफान तौकते के दौरान आईएनएस कोच्चि ने उनके सक्षम नेतृत्व में मौसम और समुद्र की बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति में खोजबीन एवं बचाव अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप अपतटीय विकास क्षेत्र (ओडीए) में परेशानी में फंसे बार्ज पी 305 से 125 से अधिक लोगों की जान बचाई गई।

दिनांक 17 मई 2021 को इस जहाज को बार्ज पी -305 की सहायता करने के लिए रवाना किया गया था, जो ओडीए से दूर गंभीर चक्रवाती तूफान तौकते के प्रभाव में डूब रहा था । रवाना होने के निर्देश पर जहाज एक घंटे के भीतर 40-45 kns हवाओं, अंधाधुंध बारिश और शून्य दृश्यता की अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सफलतापूर्वक तैयार होने और निकलने में सफल रहा। पूरी तरह से पेशेवराना रवैये, अनुकरणीय नेतृत्व का प्रदर्शन करते हुए, अधिकारी जहाज़ को परेशानी में घिरे बार्ज के करीब ले गए और संकटग्रस्त चालक दल को भारतीय नौसेना द्वारा सहायता का आश्वासन दिलाया।
kns हवाओं की बढ़ती खतरनाक स्थिति, लहरों की 10 मीटर से ऊपर की ऊंचाई, 7/8 "की समुद्र की स्थिति और तेज़ बारिश के चरणों ने नाव से बचाव, जेमिनी गोताखोर या तट आधारित हवाई अभियानों को रोक दिया। बेहद सीमित विकल्पों का सामना करते हुए अधिकारी ने जहाज को करीब ले जाकर सीधे समुद्र से लोगों को बचाने का साहसिक निर्णय लिया। इसके लिए अत्यधिक साहस, साहसिक कार्रवाई, कुशल जहाज संचालन और चतुराई भरी सोच की आवश्यकता थी क्योंकि क्षेत्र में ड्रिफ्ट की स्थिति 5 kns से अधिक थी और ऊंची उठती लहरों के परिणामस्वरूप जहाज तेज़ी से हिचकोले खा रहा था। बचे हुए लोगों को फिर भी विभिन्न नवीन तौर तरीकों का इस्तेमाल कर जैसे कि स्क्रैम्बल नेट जंपिंग लैडर और लाइन्स के माध्यम से जहाज पर लाया गया।अधिकारी ने अपनी टीम और जहाज की सुरक्षा पर जीवन बचाने के मिशन को सबसे आगे रखते हुए 36 घंटे की अवधि तक रात दिन अपने अधिकारियों और जहाज की कंपनी का निरंतर नेतृत्व और मार्गदर्शन किया। उनकी साहसी कार्रवाई, चालक दल को प्रेरित करने और दिमाग शांत रखते हुए निर्णय लेने से 125 कर्मियों को बचाया जा सका, जिनमें 65 से अधिक जीवित वो लोग बचे थे जिनको बिना कोई चोट लगे अंधेरे में बचाया गया।

अभूतपूर्व तनाव और अत्यधिक खराब मौसम में खोज और बचाव अभियान का सफल और साहसयुक्त निष्पादन अधिकारी के असाधारण नेतृत्व, पेशेवराना रवैये और धैर्य को प्रकट करता है। नेतृत्व और साहस का यह साहसिक कार्य नौसेना के लोकाचार को ध्यान में रखते हुए और संकट और विपत्ति के समय राष्ट्र की सेवा में किया गया था। उनकी असाधारण बहादुरी, साहसी नेतृत्व, अनुकरणीय धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के लिए अधिकारी को शौर्य चक्र से सम्मानित करने की अनुशंसा की जाती है।

 

नौसेना मेडल वीरता हेतु प्रशस्ति पत्र

कैप्टन प्रशांत हांडू (04454-वाई)

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कैप्टन प्रशांत हांडू (04454-वाई) वर्तमान में आईएनएस कोलकाता के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में नियुक्त हैं। उत्तरी अरब सागर में हाल ही में आए चक्रवाती तूफान तौकते के दौरान उनके कुशल नेतृत्व में जहाज ने बेहद चुनौतीपूर्ण मौसम/ समुद्री परिस्थितियों में खोज और बचाव अभियान चलाया जिसके परिणामस्वरूप अनेक लोगों की जान बचाई गई।

17 मई, 2021 को चक्रवात तौकते के जवाब में आईएनएस कोलकाता को मुंबई के तट पर संकट में पड़े जहाजों की सहायता के लिए रवाना होने का आदेश दिया गया था। कप्तान प्रशांत हांडू की अगुवाई में जहाज बेहद प्रतिकूल मौसम, 60 समुद्री मील तक हवाओं के झोंकों और नगण्य दृश्यता के बीच रवाना हुआ था।
जहाज को एमवी गल कंस्ट्रक्टर को सहायता प्रदान करने का आदेश दिया गया था जिस जहाज़ के इंजन कक्ष में पानी घुस गया था और इसके डूबने का खतरा था। दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति के साथ ऑन-सीन कमांडर के रूप में अधिकारी ने
आवश्यकता पड़ने पर चालक दल को निकालने के लिए तैयार रहते हुए परेशानी में पड़े जहाज का उथले पानी में पीछा किया। अधिकारी ने एमवी गल कंस्ट्रक्टर के मास्टर को जहाज नहीं छोड़ने के लिए मना लिया, क्योंकि ऐसा करने पर ख़राब समुद्री परिस्थितियों में जनहानि हो सकती थी। इसके बजाय जहाज को माहिम से दूर चले जाने के लिए उथले पानी में बहने दिया गया। इस नवीन दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप जहाज के चालक दल के सभी 137 सदस्य सुरक्षित रूप से एयरलिफ्ट हो पाए।

इसके बाद कोलकाता को बार्ज पी-305 के लिए खोजबीन एवं राहत के प्रयास को बढ़ाने का निर्देश दिया गया। भीषण समुद्री स्प्रे, बारिश और 7/8 की समुद्री स्थिति के बावजूद अधिकारी ने जीवित बचे लोगों की तलाश के लिए अपने सभी संसाधनों का उपयोग कर असाधारण नेतृत्व, पेशेवराना रवैये और धैर्य का प्रदर्शन किया। किसी भी साथी नाविक को पीछे नहीं छोड़ने के दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने मृतकों की खोज के लिए अपने जहाज के गोताखोरों को नीचे उतरने का आदेश भी दिया। उन्होंने अगले दो दिन तक कोलकाता के खोजबीन एवं राहत प्रयासों का नेतृत्व किया, जिसमें पांच लोग जीवित बच पाए और 18 मृतकों के शव बरामद हुए। एक ऐसी समुद्री परिस्थिति जिसने उनके जहाज, नौसैनिक और मशीनरी को कड़ी परीक्षा में डाल दिया, कैप्टन प्रशांत हांडू का दृढ़ निश्चय और साहस उनके जहाज के चालक दल के लिए एक प्रकाशस्तंभ सरीखा था।

मौसम की चरम स्थिति में खोज और बचाव अभियान का सफल और साहसिक निष्पादन, अद्वितीय बहादुरी, साहसिक निर्णय लेने, दिमाग की उपस्थिति और अधिकारी की जोखिम लेने की क्षमता को उजागर करता है। उनका यह व्यहवार 'कर्तव्य, सम्मान और साहस' के नौसैनिक लोकाचार के अनुरूप है। उनके अनुकरणीय नेतृत्व और वीरता के लिए, जिसके परिणामस्वरूप एमवी गल कंस्ट्रक्टर के चालक दल को सुरक्षित निकाला गया, पांच जीवित बचे लोगों और 18 मृतकों की बरामदगी हुई, उन्हें नौसेना मेडल (वीरता) से सम्मानित करने की अनुशंसा की जाती है।

 

नौसेना मेडल वीरता हेतु प्रशस्ति पत्र

कमांडर बिपिन पाणिकर (42711-डब्ल्यू)

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1. कमांडर बिपिन पाणिकर (42711 डब्ल्यू) फर्स्ट पायलट और सीकिंग 42 बी हेलीकाप्टर के कैप्टन ने चक्रवात तौकते के आने के बाद अत्यंत खतरनाक मौसमी परिस्थिति में बार्ज पी 305 के 03 बचे लोगों का साहसी और सफल बचाव करने में असाधारण बहादुरी, साहस और बेजोड़ पेशेवर क्षमता का प्रदर्शन किया। यह कार्य उन्होंने बेहद कम दृश्यता की स्थिति, 45-50 kts की वायु की गति एवं समुद्र में उठने वाली ऊंची लहरों के बीच किया।

2. दिनांक 18 मई को महाराष्ट्र तट के करीब विनाशकारी चक्रवात तौकते के गुजरने के बाद पश्चिमी नौसेना कमान को मुंबई से 60 से 70 नॉटिकल मील दूर अरब सागर में पी 305 नौका पर सवार कर्मियों की तत्काल खोज और बचाव का काम सौंपा गया। कमांडर बिपिन पाणिकर ने पिछली रात की घटनाओं को ध्यान में रख कर जीवित बचे लोगों के बचाव की योजना तैयार करते समय अभूतपूर्व धैर्य एवं समझ का प्रदर्शन किया। अधिकारी ने सावधानीपूर्वक ईंधन की ज़रूरतों की गणना करते समय अभूतपूर्व पेशेवराना क्षमता का प्रदर्शन किया ताकि इस कार्य के लिए अधिकतम समय मिल पाना सुनिश्चित हो पाए चूंकि यह मामला आखिरी व्यक्ति की ज़िंदगी बचाने के लिहाज से जीवन और मृत्यु से जुड़ा मामला था।

3. स्क्वाड्रन के 2i/C के रूप में, अधिकारी ने व्यक्तिगत साहस का उदाहरण पेश करते हुए मामले में स्वेच्छा से सबसे पहले पहल की और प्रतिकूल मौसम की स्थिति में हेलीकॉप्टर को उसकी अधिकतम परिचालन सीमा पर उड़ाया । उड़ान भरने के बाद अधिकारी ने मुंबई के पास खराब मौसम की अनेक स्थितियों का सामना किया और उपलब्ध भौतिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए अपने चालक दल को उनकी जिम्मेदारी समझाते हुए एक विस्तृत ब्रीफिंग ली। लगभग 45-50 किलोमीटर की हवाओं और हेलीकॉप्टर के लिए उपलब्ध बिजली के कम मार्जिन के परिणामस्वरूप मँडराने में आने वाली कठिनाई के बीच अधिकारी ने क्षेत्र में जीवित बचे दो लोगों को उठाने में जबरदस्त उड़ान कौशल और बेजोड़ क्षमता का प्रदर्शन किया। बचे हुए इन दो लोगों को खींचने और ख़राब मौसम से निपटना पूरा होते ही उन्होंने एक और व्यक्ति को देखा। चालू ऑपरेशन के बीच अधिकारी को यह एहसास हो गया कि वे एन्ड्योरेंस के मामले में कम हो रहे हैं और बेस पर वापस लौटते समय 45 -50 किलोमीटर की तेज हवाओं का सामना करेंगे। अधिकारी ने एक भी व्यक्ति नहीं छूटना चाहिए के सिद्धांत का अनुसरण करते हुए सोच समझ के साथ ख़तरा मोल लेते हुए संकल्प से हेलीकाप्टर उड़ाने का फैसला किया ताकि एक और जान बचाई जा सके। स्वयं और हेलीकाप्टर में अपार विश्वास रखते हुए, अधिकारी सफलतापूर्वक तीसरे व्यक्ति को भी उठाया और हैलीकॉप्टर की एन्ड्योरेंस सीमा पर पहुंचकर बेस की ओर लौटे, हालांकि यह करते समय उन्होंने यह करते समय क्षेत्र में मौजूद लोगों की सही स्थिति पास ही एक जहाज़ तक भेज दी जिससे उनकी तेज़ी से निकासी हो पाई।

4. प्रथम पायलट और एयरक्राफ्ट के कप्तान के रूप में कमांडर बिपिन जी. पणिकर द्वारा बेहद खतरनाक और प्रतिकूल मौसम की स्थिति में प्रदर्शित असाधारण साहस, बहादुरी और धैर्य के परिणामस्वरूप डूबे हुए बार्ज पी 305 के तीन लोगों की जान बचाने में सफलता मिली । अत्यंत असाधारण साहस, धैर्य, कौशल और डूबे हुए बार्ज पी 305 के जीवित बचे लोगों की खोज और बचाव अभियान के दौरान शौर्य के प्रदर्शन के लिए, कमांडर बिपिन पणिकर (42711 डब्ल्यू) की नौसेना मेडल (वीरता) के पुरस्कार के लिए दृढ़ता से सिफारिश की जाती है।

 

नौसेना मेडल वीरता के लिए प्रशस्ति पत्र

लेफ्टिनेंट कमांडर राज कृष्ण मनु (07267-आर)

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आईएनएस कोच्चि के एएसडब्ल्यूओ/डाइविंग ऑफिसर के रूप में लेफ्टिनेंट कमांडर आरके मनु ने चक्रवात तौकते के दौरान जहाज द्वारा किए गए खोज और बचाव कार्यों के दौरान अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की पूरी उपेक्षा करते हुए असाधारण नेतृत्व कौशल और साहस का परिचय दिया, जिसके परिणामस्वरूप 125 लोगों की जान बच गई। स्वयं उदाहरण पेश करते हुए अधिकारी ने अत्यंत प्रतिकूल मौसम की स्थिति में बचाव अभियान के दौरान लगातार 36 घंटे तक अपनी टीम का नेतृत्व किया।

इस जहाज को मुंबई से लगभग 40 एनएम दूर 250 से अधिक कर्मियों के साथ डूबे हुए बार्ज पी 305 को सहायता प्रदान करने के लिए तैनात किया गया था। क्षेत्र में आगमन पर 50 kns से अधिक हवा की गति के साथ मौसम की स्थिति, 10 मीटर से अधिक की ऊंचाई वाली लहरें और 7/8 की समुद्री स्थिति किसी भी प्रकार की नाव/ जेमिनी या गोताखोरी के संचालन को रोकती है। लाइफ राफ्ट और लाइफबॉय को फेंकना भी अप्रभावी साबित हुआ क्योंकि तेज धारा और तेज हवाएं उपकरणों को बहा ले गईं। ऐसी परिस्थितियों में अधिकारी ने बचाव कार्यों के लिए स्क्रैम्बल नेट, जंपिंग लैडर, लाइफबॉय और लाइफलाइन के नवीन उपयोग की सिफारिश करने में उत्कृष्ट संयम और बुद्धि का प्रदर्शन किया। इस बचाव के दौरान अधिकारी ने यह देखते हुए कि कई बचे हुए लोग जाल पर चढ़ने के लिए बहुत कमजोर हैं, एकतरफा और अपनी सुरक्षा के बारे में सोचे बिना, बार-बार खुद को नेट पर झुकाया और बचे लोगों को जहाज पर चढ़ने में सहायता की। इस तरह 10 लोगों की जान बचाने के लिए अधिकारी अकेले जिम्मेदार थे। इसके अलावा जीवित बचे लोगों को लगातार काफी थकता हुआ देख कर उन्होंने अपनी छोटी टीम का नेतृत्व करते हुए उन लोगों को खींचने के लिए अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल किया जो अपनी बची खुची ताक़त के साथ नेट पर चिपके हुए थे। अधिकारी ने 36 घंटे से अधिक समय तक इस तरह के अथक प्रयासों से 30 से अधिक लोगों की जान बचाई और जहाज द्वारा बचाई गई कुल जिंदगियों की बड़ी संख्या के लिए वो अकेले जिम्मेदार थे।

सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करते हुए बहादुरी के इस कार्य के लिए समुद्र में कर्मियों की जान बचाने में साहसिक नेतृत्व प्रदान करने के लिए अधिकारी की नौसेना मेडल (वीरता) के पुरस्कार के लिए अत्यधिक अनुशंसा की जाती है।

 

नौसेना मेडल वीरता हेतु प्रशस्ति पत्र

प्रहलाद, एमसीए (एफडी) II (120312-N)

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आईएनएस शिकरा में मरीन कमांडो फ्लाइट में सवार होकर प्रहलाद एमसीए (एफडी) II, नंबर 120312-एन ने 28 जीवन बचाने में अभूतपूर्व बहादुरी और पराक्रम का प्रदर्शन किया, इनमें से बचाए गए 3 लोग बचे मुंबई से 80 नॉटिकल मील बेहद विपरीत एवं खतरनाक मौसम में खुले समुद्र में डूबने के कगार पर थे।

2. दिनांक 18 मई 2021 को लगभग 0630 बजे सी किंग 515, आईएनएस शिकरा से लॉन्च किया जाने वाला पहला विमान था, जो एकोमोडेशन वर्क बार्ज पी-305 के बचे लोगों के लिए खोजबीन और बचाव अभियान चला रहा था, यह बार्ज पी-305 चक्रवात तौकते के कारण भारी क्षति के बाद डूब गया था। बचे हुए लोग सी स्टेट 4/5 की अत्यंत प्रतिकूल मौसमी स्थिति, 50 kts से अधिक हवा की गति और 5-7 मीटर ऊंची उठती लहरों में 12-14 घंटे से अधिक समय तक पानी में रहे थे। प्रह्लाद, एमसीए (एफडी) II, नंबर 120312-एन बिना किसी हिचकिचाहट के सी किंग ब्रावो विमान एसके 515 के फ्री डाइवर के रूप में फंसे हुए चालक दल के सदस्यों के जीवन को बचाने के लिए अडिग फोकस के साथ इस मिशन के लिए स्वेच्छा से तैयार हुए।

3. इस खोज के दौरान कार्रवाई स्थल पर पहुंचने पर चालक दल ने मुश्किल से होश में रहे एक व्यक्ति को देखा जो निर्मम समुद्र में बह रहा था और बचाए जाने के लिए बेताब था। प्रह्लाद, एमसीए (एफडी) II की सटीक और त्वरित अगुवाई में बेहद मुश्किल परिस्थितियों में विमान को तुरंत घुमाया गया। इसके बाद उसको डबल लिफ्ट विधि द्वारा संघर्ष कर रहे व्यक्ति को लेने के लिए ख़राब समुद्र में उतारा गया। हालांकि तेज हवाओं, लहरों के भारी उफान वाली असाधारण रूप से चुनौतीपूर्ण मौसमी स्थिति की वजह से बचे हुए व्यक्ति को उठाना काफी कठिन साबित हुआ क्योंकि वह लगातार विमान से दूर जा रहा था और असहाय होने के साथ-साथ लगभग बेजान भी था। संकट में पड़े व्यक्ति की अनिश्चित स्थिति को महसूस करते हुए मुक्त गोताखोर ने एक सफल बचाव के लिए तैरने का फैसला किया । अपनी सुरक्षा की पूरी परवाह न करते हुए और कठिन समुद्र को बहादुरी के साथ जाते हुए यह गोताखोर विमान के नीचे जीवित व्यक्ति को लाने में सफल रहा और बाद में उसे विमान तक ले जाया गया। उन्होंने दो और बचे लोगों को बचाया जो इधर उधर बह रहे थे, ऐसा करते समय हर बार वह बहुत ही चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थिति में अपनी जान जोखिम में डालते थे। नाविक द्वारा शारीरिक रूप से काफी सक्षम होने की ज़रूरत वाला यह तरीक़ा अपनाया गया जिसमें धैर्य, असाधारण तैराकी कौशल और हाथ में आए कार्य को पूरा करने के दृढ़ संकल्प की आवश्यकता थी, किया गया।

4. इसी तरह दिनांक 18 मई 2021 को मुंबई के उत्तर में 46 एनएम के आसपास डूबे एक बार्ज से लोगों को बचाने के लिए
एससी 558 से अभियान शुरू किया गया। एक बार फिर प्रह्लाद, एमसीए (एफडी) II थे जो सभी एसएआर मिशनों के लिए निरंतर उड़ान भरने के बावजूद आगे आए और स्वेच्छा से इस मिशन का बीड़ा उठाया। हालांकि बार्ज में हेलो डेक था, लेकिन उसको सी किंग हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के लिए अनुपयुक्त पाया गया। तेज़ हवाओं, रुक-रुक कर होती बारिश और भारी समुद्र की चुनौतीपूर्ण मौसमी स्थिति कार्य को कठिन बनाने में ही योगदान दिया। हेलो डेक के आस-पास खड़ी लंबवत खड़ी संरचनाओं ने इस कार्य की कठिनाई को बढ़ाया। यह उच्चतम स्तर के पेशेवराना रवैये के साथ-साथ डाइवर द्वारा प्रदर्शित ढेर सारे अनुभव और असाधारण दिमागी उपज का ही नतीजा था कि साथ-साथ प्रतिकूल मौसम की स्थिति में बार्ज से 25 लोगों को सफलतापूर्वक सुरक्षित निकाल लिया गया ।


5. प्रह्लाद, एमसीए (एफडी) II, नंबर 120312-एन ने अपनी सुरक्षा और जीवन की परवाह किए बिना समुद्र की बेहद खतरनाक और प्रतिकूल स्थिति में अकेले ही इस अनूठे बचाव मिशन को अंजाम दिया । फ्लाइट डाइवर के रूप में उनके सराहनीय तैराकी कौशल और वर्षों के अनुभव ने 28 कर्मियों के जीवन को मृत्यु के निकट पहुंची स्थिति से बचाया । फ्लाइट डाइवर द्वारा प्रदर्शित असाधारण बहादुरी, पहल और संयम पुरस्कार दिए जाने लायक है और उनके नाम की नौसेना मेडल (वीरता) के पुरस्कार के लिए दृढ़ता से अनुशंसा की जाती है ।

 

नौसेना मेडल (वीरता) पुरस्कार प्राप्तकर्ता

 

कैप्टन प्रशांत हांडू (04454-वाई)

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कमांडर सुनील एस कोर्टी

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कमांडर बिपिन पणिकर

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लेफ्टिनेंट कमांडर राज कृष्ण मनु

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प्रह्लाद, एमसीए (फ्लाइट डाइवर) II

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