जनजातीय कार्य मंत्रालय
जनजातीय मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत जनजातीय सांस्कृतिक अनुसंधान और प्रशिक्षण मिशन (टीआरआई), आंध्र प्रदेश के नए भवन परिसर का उद्घाटन किया
जनजातीय अनुसंधान संस्थान न केवल "जनजातीय समुदायों पर शोध करें बल्कि जनजातीय समुदायों के लिए शोध करें" : श्री अर्जुन मुंडा
Posted On:
15 AUG 2021 7:52PM by PIB Delhi
जनजातीय मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, जनजातीय मामलों के राज्यमंत्री, रेणुका सिंह सरुता और आंध्र प्रदेश सरकार के उप-मुख्यमंत्री और जनजातीय कल्याण मंत्री, श्रीमती पामुला पुष्पा श्रीवाणीजी ने आजादी का अमृत महोत्सव, इंडिया@75 के एक हिस्से के रूप में 15 अगस्त, 2021 को आंध्र प्रदेश के जनजातीय सांस्कृतिक अनुसंधान और प्रशिक्षण मिशन (टीआरआई) के लिए नए भवन परिसर का उद्घाटन किया।
कार्यक्रम का आयोजन टीआरआई आंध्र प्रदेश द्वारा किया गया था। श्रीमती पामुला पुष्पा श्रीवाणीजी ने टीआरआई आंध्र प्रदेश की विभिन्न गतिविधियों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने अधिकारियों की टीम के प्रयासों की सराहना की और टीआरआई आंध्र प्रदेश को भवन और विभिन्न परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान करने के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय को धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा, श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि जनजातीय सांस्कृतिक विरासत को संरक्षण करने में, साक्ष्य आधारित योजना और कानून के निर्माण के लिए राज्यों को इनपुट प्रदान करने में, जनजातीय आबादी की क्षमता वृद्धि करने में और सूचना के प्रसार और जागरूकता पैदा करने में टीआरआई की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि टीआरआई को न केवल " जनजातीय समुदायों पर शोध बल्कि जनजातीय समुदायों के लिए शोध" करनी चाहिए। उन्हें जनजातीय विकास के लिए एक थिंक टैंक के रूप में ज्ञान और अनुसंधान के निकाय के रूप में अपनी मुख्य जिम्मेदारियों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंत्रालय जनजातीय जीवन और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान के लिए 27 जनजातीय अनुसंधान संस्थानों को वित्त पोषण कर रहा है और 10 टीआरआई को भवन निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन भी प्रदान किया है।
जनजातीय मामलों की राज्यमंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता ने कहा कि राज्य सरकार को अनुसंधान गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए अपने संबंधित टीआरआई में पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन /शोधकर्ता प्रदान करना चाहिए। उन्होंने आंध्र प्रदेश को बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए बधाई दी जो जनजातीय के मुद्दों पर गुणवत्तापूर्ण शोध में मदद करेगा।
प्रधानमंत्री ने 20 जनवरी 2015 को समीक्षा बैठक में इस बात पर जोर दिया था कि "अनुसूचित जनजातियों से संबंधित नीति बनाने में टीआरआई की बड़ी भूमिका होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि टीआरआई को "उच्च श्रेणी के अनुसंधान केंद्रों" के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। इसके बाद नीति आयोग ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय, टीआरआई और अन्य मंत्रालयों के प्रतिनिधित्व के साथ डॉ. एस.एम. झारावल, चांसलर, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक की अध्यक्षता में एक उप-समूह का गठन किया था।
उप-समूह की रिपोर्ट में पाया गया था कि जनजातीय मामलों के अनुसंधान और विकास के लिए कोई राष्ट्रीय स्तर का संस्थान नहीं था और मौजूदा टीआरआई को मजबूत और पुर्नोत्थान करने की आवश्यकता है। हालांकि, जनजातीय विकास के लिए एक थिंक टैंक के रूप में ज्ञान और अनुसंधान के निकाय के रूप में काम करने की परिकल्पना की गई थी, लेकिन कई टीआरआई राज्य समाज कल्याण/जनजातीय कल्याण विभागों में नियमित प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त थे। इसलिए, वे सौंपे गए कार्यों को करने में विफल रहे थे।
विशेषज्ञ समूह और नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर, टीआरआई योजना का बजट बढ़ा दिया गया है। जहां 2013-14 में इस मद में 13 करोड़ रुपये का बजट था उसे 2019-20 में बढ़ाकर 120 करोड़ रुपये कर दिया गया। वर्ष 2014-15 के बाद 9 टीआरआई को मंजूरी दी गई है। "टीआरआई को सहायता" योजना के तहत कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेश राज्य टीआरआई स्थापित करने के लिए आगे आए हैं और कई मौजूदा टीआरआई को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन उपलब्ध कराया गया है। भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के परिसर में एक राष्ट्रीय स्तर का जनजातीय अनुसंधान संस्थान स्थापित किया जा रहा है और इसे क्रियाशील बनाया जा रहा है। 27 टीआरआई में से 13 टीआरआई का अपना भवन है, जिसमें आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं। टीआरआई उत्तराखंड भवन 2019 में बनकर तैयार हुआ और इसका उद्घाटन किया गया। 9 टीआरआई के भवन निर्माणाधीन हैं। 5 टीआरआई सरकारी या विश्वविद्यालय भवनों से संचालित होते हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सचिव श्री अनिल कुमार झा ने कहा कि मंत्रालय जनजातीय अनुसंधान संस्थान के समर्थन की योजना का संचालन कर रहा है और जनजातीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए उनकी ढांचागत जरूरतों, अनुसंधान और दस्तावेजीकरण गतिविधियों, मूल्यांकन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए सहायता प्रदान कर रहा है। उन्होंने जनजातीय मामलों के मंत्री के बायान को दोहराते हुए कहा कि टीआरआई को वैसे अनुसंधान करने चाहिए जो न केवल जनजातीय से संबंधित समस्याओं की पहचान करता हो बल्कि समाधान भी ढूंढता हो। उन्होंने सभी राज्यों से टीआरआई भवनों और जनजातीय संग्रहालयों को पूरा करने में तेजी लाने को कहा।
मंत्रालय ने डिजिटल कोष भी विकसित की है जिसमें सभी शोध पत्रों, पुस्तकों, थीसिस, पत्रिकाओं, वीडियो और फोटो को डिजीटल किया गया है और सार्वजनिक डोमेन में रखा गया है। मंत्रालय ने मंत्रालय द्वारा किए जा रहे सभी प्रशिक्षणों का भंडार और प्रशिक्षुओं और संसाधन सामग्री का डेटाबेस बनाने के लिए आदिप्रशिक्षण पोर्टल भी विकसित किया है।
इस अवसर पर बोलते हुए, मंत्रालय के संयुक्त सचिव, डॉ. नवल जीत कपूर ने कहा कि मंत्रालय ने टीआरआई को दी गई परियोजनाओं की निगरानी के लिए टीआरआईपोर्टल, डिजिटल रिपोजिटरी और आदिप्रशिक्षण पोर्टल विकसित करने जैसी विभिन्न आईटी पहल की है।
श्री कांतिलाल दांडेजी, सचिव, जनजातीय कल्याण, आंध्र प्रदेश सरकार, श्री रविंदर बाबू, निदेशक टीआरआई ने कार्यक्रम का आयोजन किया और टीआरआई आंध्रप्रदेश की विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला।
****
एमजी/एएम/एके/सीएस
(Release ID: 1746369)
Visitor Counter : 389