रक्षा मंत्रालय

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा सैनिक भाइयों एवं बहनों से सम्बोधन

Posted On: 14 AUG 2021 7:39PM by PIB Delhi

मेरे प्यारे सैनिक भाइयों एवं बहनों,  

     राष्ट्र आज मध्य रात्रि से स्वतंत्रता के एक महत्वपूर्ण पड़ाव, यानि इसके 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस अवसर पर देश में चहुंओर उत्सव का वातावरण है। हिमालय की ऊंची चोटियों से लेकर महासागर की गहराइयों तक एवं थार के मरुस्थल से लेकर पूर्वोत्तर के दुरूह जंगलों तक राष्ट्र की रक्षा में तल्लीन थलसेना, नौसेना, वायुसेना एवं तटरक्षक बल के बहादुर सैनिकों एवं सैन्य अधिकारियों को मैं इस ऐतिहासिक क्षण में कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से हार्दिक बधाई देता हूं।

 

हमारी सेना के सूबेदार नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में ट्रैक एवं फील्ड इवेंट की भाला फेंक प्रतियोगिता में देश के लिए सर्वप्रथम स्वर्ण पदक अर्जित कर इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस को और भी आनंददायी बना दिया है।  सूबेदार नीरज के साथ–साथ अन्य ओलंपिक पदक विजेता भारतीय खिलाड़ी कल लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में विशेष रूप से आमंत्रित किए गए हैं। इसके लिए मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का आभार प्रकट करता हूँ। 

 

मैं इस पावन घड़ी में देश के उन वीर पूर्व सैनिकों को भी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देता हूं जो राष्ट्र की रक्षा में सदैव तत्पर रहे। और... हमारे वीर सैनिकों के परिजनों को कौन भूल सकता है जिन्होंने अपने सबसे प्रिय युवाओं को राष्ट्र की सेवा में समर्पित किया है।

यह वर्ष इसलिए भी कुछ खास है क्योंकि पचास वर्ष पूर्व 1971 में आपने अपनी वीरता के झंडे गाड़े थे। इस उपलब्धि को भी राष्ट्र आज गर्व से याद करता है। 

 

आज का यह अवसर वीरगति प्राप्त उन सूरमाओं को भी स्मरण करने का है जिन्होंने राष्ट्र की सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। मैं उनके परिवारजनों को आश्वासन देता हूं कि हम सब भारतवासी न केवल आपके साथ हैं बल्कि कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें सदा याद करता रहेगा। सरकार ने इस वर्ष जनवरी में वीरगति प्राप्त सैनिकों को सदा के लिए अमर करने के लिए गैलंट्री अवार्ड पोर्टल शुरू किया।  अनुरोध है कि आप भी इससे जुड़कर माँ भारती के उन महान वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करें।

 

प्यारे सैनिकों, भारतवर्ष की सभ्यता प्राचीन काल से ही शांतिप्रिय रही है परंतु शक्ति के बिना शांति संभव भी नहीं है। हमारे यहाँ कहा भी जाता है:

अहिंसा परमोधर्मः धर्महिंसा तथैव च

यदि अहिंसा हमारा परम धर्म है तो राष्ट्र धर्म की रक्षा भी उतना ही प्रासंगिक! अतः देश की रक्षा में हम सदैव कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहेंगे, भले ही उसके लिए कोई भी मूल्य चुकाना पड़े! 

 

अत: देश में शांति और समृद्धि बने रहने के लिए आवश्यक है कि आप जल, थल, नभ चाहे जहाँ भी हों, राष्ट्र की रक्षा में सदैव सचेत और सजग रहें। कृतज्ञ राष्ट्र परिवार एवं परिजनों से दूर देश की सेवा में तत्पर आपके इन महान कर्तव्यों की सदैव प्रशंसा करता है।

 

आज़ादी के इस पावन पर्व के अवसर पर मैं पिछले वर्ष की कुछ प्रमुख घटनाओं एवं निर्णयों को  साझा करना चाहता हूँ जो हमारे देश की स्वतन्त्रता को और भी सुदृढ़ करने वाले हैं।

 

हमारी सजगता एवं अदम्य पराक्रम के कारण गत एक वर्ष में जम्मू एवं काश्मीर में नियंत्रण रेखा पर परिस्थितियां नियंत्रण में रहीं हैं। फरवरी 2021 के बाद युद्ध विराम उल्लंघन भी कम हुआ है। सीमा पार से घुसपैठ पर सेना और सैन्य सुरक्षा बलों की सतर्कता के कारण रोक लगी है।

 

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ आपसी बातचीत के द्वारा मतभेदों को सुलझाने का प्रयास जारी है। मतभेद वाले कुछ स्थानों पर  disengagement की प्रक्रिया सफलता पूर्वक पूरी की जा चुकी है।

 

भारत सरकार आपकी परिचालन संबंधी आवश्यकताओं (Operational Requirements) की पूर्ति के लिए सदैव सजग है। रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में ऐतिहासिक प्रयास करते हुए रक्षा पूंजी परिव्यय (Defence Capital Outlay) 1.13 लाख करोड़ से बढ़ाकर 1.35 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है जो पिछले वित्तीय वर्ष से 18.75 प्रतिशत अधिक है। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूँ देश की सुरक्षा के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

 

आपको स्मरण होगा कि वायु सेना के तीक्ष्ण परिचालन (Operational Edge) को बनाए रखने के लिए भारत सरकार ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए फ्रांस की सरकार के साथ समझौता किया था। अब तक 26 विमान भारत आ चुके हैं। बीते 28 जुलाई को पूर्वी वायु कमान के हाशिमारा वायु सेना स्टेशन में राफेल को 101 स्क्वाड्रन में औपचारिक रूप से शामिल किया गया है। अब तक, वायु सेना स्टेशन अंबाला, 17 स्क्वाड्रन द गोल्डन एरो के बाद केवल 101 स्क्वाड्रन को ही राफेल से लैस होने का गौरव प्राप्त हुआ है। शीघ्र ही शेष राफेल विमान भी भारत आ जाएंगे जिससे हमारी वायु सेना की रक्षा क्षमता में गुणात्मक वृद्धि होगी।

 

केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 13 जनवरी 2021 को वायु सेना के लिए लगभग 46 हजार करोड़ रुपये की लागत से 83 एलसीए तेजस एमके-वन ए  देसी लड़ाकू विमानों की खरीद का निर्णय लिया है। हल्के लड़ाकू विमान एमके-वन ए अपने ही देश में डिज़ाइन और विकसित किये गये चौथी पीढ़ी के अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हैं। भारत में ही हिंदुस्तान ऐरोनौटिक्स लिमिटेड इन विमानों का निर्माण करेगा। यह रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के ध्येय को मजबूत करने का एक उल्लेखनीय उदाहरण है। 

 

स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएसी विक्रांत ने 08 अगस्त 2021 को अपनी पहली चार दिवसीय समुद्री यात्रा पूरी की है। नौसेना डिज़ाइन महानिदेशालय के द्वारा इसकी रूपरेखा तैयार की गई एवं निर्माण कार्य कोचीन शिपयार्ड द्वारा किया गया है। छिहत्तर प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ निर्मित यह पोत ‘आत्मनिर्भर भारत’ और भारतीय नौसेना की ‘मेक इन इंडिया’ की एक प्रमुख उपलब्धि है।

 

‘मेक इन इंडिया’ की एक और महत्वपूर्ण पहल में रक्षा मंत्रालय ने प्रोजेक्ट 75 (इंडिया) के अंतर्गत 20 जुलाई को छः पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 40,000 करोड़ रुपए से अधिक लागत की परियोजना प्रारम्भ की है। परियोजना के लिए चयनित साझेदारों को रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत अधिग्रहण कार्यक्रम के लिए आरएफपी जारी किया है। ये पनडुब्बियां भारत के सामरिक हितों की रक्षा में काफी कारगर सिद्ध होंगी।

 

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हाल ही में  हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोस्ट्रेशन व्हीकल (एचएसटीडीवी) के परीक्षण के साथ हाइपरसोनिक स्क्रैमजेट प्रौद्योगिकी का सफल प्रदर्शन किया। साथ ही, परमाणु क्षमता वाली नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि पी और अन्य कई मिसाइलों का सफल परीक्षण भी किया।

 

इसी बीच डीआरडीओ ने मैन पोर्टेबल लांचर के माध्यम से एंटीटैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम) भी लांच किया। नई पीढ़ी आकाश (आकाश-एनजी) मिसाइल का भी सफल परीक्षण इस बीच किया गया है। इस उड़ान परीक्षण से स्वदेश में विकसित आरएफ सीकर, लांचर, मल्टी-फंक्शन रडार और कमांड के साथ साथ मिसाइल से नियंत्रण और संचार प्रणाली के तारतम्य के आधार पर सम्पूर्ण आयुध प्रणाली का परीक्षण सफल हुआ है।

 

सुदूर उत्तर और पूर्वी भारत के दुर्गम क्षेत्रों में सड़क सम्पर्क सुनिश्चित करने के लिए सीमा सड़क संगठन के कार्मिक सदा प्रयत्नशील रहे हैं किंतु पिछले कुछ समय से उन्होंने भागीरथ योगदान किया है। इसका सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण हिमाचल प्रदेश के पीर पंजाल पर्वतमाला के दुर्गम क्षेत्र में अटल सुरंग का निर्माण है। इस सुरंग का उद्घाटन आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 03 अक्तूबर 2020 को किया था। 9.2 किलोमीटर लंबी यह सुरंग 10 हज़ार फीट से अधिक ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है।

 

सीमा सड़क संगठन ने इसी महीने 19 हजार 300 फीट ऊंचाई पर उर्मलिंगला दर्रे के पास पूर्वी लद्दाख में तारकोल की 52 किलोमीटर लंबी सड़क बनायी है जो एक विश्व कीर्तिमान है। इस क्षेत्र में तापमान प्राय: शून्य से 50 डिग्री कम रहता है और शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 50 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। मैं इस उपलब्धि के लिए सीमा सड़क संगठन के सभी साथियों को हार्दिक बधाई देता हूं।

प्रतिभाशाली वीर योद्धाओं की भावी पीढी तैयार करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 100 नये सैनिक स्कूल स्थापित करने का निर्णय लिया है। ये सारे स्कूल सह-शिक्षा वाले होंगे जिससे हमारे देश की बेटियों को भी लाभ होगा और राष्ट्र की रक्षा में उनकी तत्पर भागीदारी बढ़ेगी।

 

भारतीय सेना की सभी शाखाओं में महिलाओं की भागीदारी बढाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में महिला सैन्य पुलिस के पहले बैच को भारतीय सेना में शामिल किया गया है। मई 2021 में 61 सप्ताह के कड़े प्रशिक्षण के पश्चात उत्तीर्ण हुई 83 महिला सैनिकों को मैं इस अवसर पर विशेष शुभकामनाएं देता हूं।

 

आदरणीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आलोक में महिला अधिकारियों के स्थायी कमीशन के लिए सरकार ने सितम्बर 2020 में स्पेशल नम्बर 05 सेलेक्शन बोर्ड गठित किया था। बोर्ड की अनुशंसा पर नवंबर 2020 में कुछ अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान किया गया। आदरणीय सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च 2021 में एक और आदेश देकर उन महिला अधिकारियों को भी स्थायी सेवा बहाल करने को कहा था जिन्हें पुनरीक्षित मानकों के कारण स्थायी कमीशन दिया नहीं जा सका था। तत्पश्चात बोर्ड की अनुशंसा पर गत माह 147 और महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया गया। अब तक 615 में 424 महिला अधिकारी यह लाभ प्राप्त कर चुकी हैं।

 

भारतीय तटरक्षक बल भी महिला सशक्तीकरण की दिशा में लगातार प्रगति कर रहा है और सभी क्षेत्रों में महिला अधिकारियों को समान अवसर प्रदान करता है। वे पुरुष अधिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं, जिसमें पायलटों, पर्यवेक्षकों और एयर कुशन व्हीकल (होवरक्राफ्ट) ऑपरेटरों के रूप में लड़ाकू भूमिका शामिल है।

 

सेना के अल्पकालिक सेवा कमीशन के अधिकारियों की दशकों से यह मांग थी कि सेवानिवृत्त होने पर उन्हें भी अपने रैंक के प्रयोग का अधिकार हो। रक्षा मंत्रालय ने इस विषय पर सकारात्मक निर्णय लिया। आशा है कि इससे न केवल उन अधिकारियों की शिकायतें दूर होंगी वरन् नए अभ्यर्थियों को अल्प सेवा कमीशन में आने की प्रेरणा प्राप्त होगी।

 

फरवरी 2021 में ई-छावनी पोर्टल का भी आरम्भ किया गया है। इससे 62 छावनी बोर्डों के 20 लाख निवासियों को ऑनलाइन नागरिक सेवाएं प्राप्त हो रही हैं।

 

प्राकृतिक आपदाओं के समय भारतीय सेनाएं सदैव सेवा के लिए तत्पर रही हैं। गत वर्ष निवार, बुरेवी, तौकाते और यास जैसे चक्रवातों तथा मानसूनी बाढ़ के दौरान हमारी सेनाओं और तटरक्षक बल ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल के साथ दिन-रात एक कर जान-माल के नुकसान को टालने में अहम भूमिका निभायी।

 

हमारी सेनाओं का मुख्य कार्य शत्रुओं से देश की रक्षा करना है। परंतु, जब कोई अदृश्य जैविक शत्रु राष्ट्र पर संकट बनकर आए तो हमारे सेनानी शांति से बैठे कैसे रह सकते हैं! कहा भी जाता है कि संकट के समय सामर्थ्य आगे आकर समाज की रक्षा करते हैं। यही हमारी सेनाओं ने किया। हमारी सेनाओं ने, चाहे थलसेना हो या जलसेना, वायुसेना या फिर तटरक्षक, सबने कोरोना के विरुद्ध हमारे वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, चिकित्साकर्मियों एवं समाज के अन्य कर्मयोगियों के साथ मिलकर राहत एवं बचाव कार्य, कोरोना टीकाकरण, रोगियों की सेवा, एवं ऑक्सीजन आपूर्ति जैसे कार्यों को कुशलता से पूरा किया है।

 

सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा ने अपने अधिकारियों और कार्मिकों की सुरक्षा की परवाह न करते हुए कोराना प्रभावित देशों से भारतीयों को वापस लाने के लिए सबसे पहले क्वारंटीन सेंटर स्थापित किए। महामारी के प्रसार के बावजूद, सशस्त्र बलों ने महामारी नियंत्रक उपायों का दृढ़ता से पालन किया है और सैन्य बलों में महामारी से लड़ने की क्षमता उच्च स्तर पर बनाए रखा है। जिस दौरान गलवान घाटी राष्ट्रीय मीडिया सुर्खियों में था, उस समय सेनाओं ने शांतिपूर्वक नागरिकों की ओर सहायता का हाथ बढ़ाया और कोविड-19 के विरुद्ध केंद्र सरकार की लड़ाई में एकजुटता दिखाई। देश की सुदूरवर्ती सीमाओं पर अग्रिम चौकी पर तैनात सैनिकों का टीकाकरण किया गया, ताकि वे किसी भी समय शत्रु से निपटने के लिए तैयार रहें।

 

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान, रक्षा मंत्रालय के सभी अंगों ने मिलकर देश में विभिन्न स्थानों पर कोविड केयर अस्पतालों को खड़ा किया। चिकित्सा तंत्र में ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए भारतीय वायुसेना ने ऑक्सीजन सिलिंडरों एवं टैंकरों का परिवहन किया। पीएम केयर द्वारा वित्त पोषित व डीआरडीओ की प्रौद्योगिकी पर आधारित 935 मेडिकल ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना की जा रही है।

 

डीआरडीओ को एक बड़ी सफलता कोविड उपचार के लिए दवा खोजने में मिली। डीआरडीओ की प्रयोगशाला इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज ने कोविड-19 के रोगियों के उपचार के लिए डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज, हैदराबाद के सहयोग से टू-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) नामक दवा का चिकित्सकीय अनुप्रयोग विकसित किया जो काफी प्रभावी रही है। आज हम कोरोना से लड़ाई में निर्णायक मोड़ पर हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि कोरोना से युद्ध में अंततः जीत हमारी होगी।

 

हम चाहते हैं कि अगली पीढ़ी हमारे सैनिकों की वीरता से परिचित हो। युवाओं में अनुशासन सहित मूल्य आधारित चरित्र निर्माण में नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) का बड़ा योगदान रहा है। अतः हमने प्रयास किया है कि एनसीसी को देश के कोने-कोने तक पहुंचाया जाए। पिछले डेढ़ वर्ष में तीन लाख एनसीसी वेकेंसी रीलीज की गयी हैं जिनमें एक-एक लाख वेकेंसी सीमावर्ती व तटीय क्षेत्रों, सीनियर और जूनियर डिवीजन के लिए हैं। एनसीसी के पाठ्यक्रम को और भी आधुनिक बनाकर सूचना प्रौद्योगिकी को ट्रेनिंग शैली का अंग बनाया गया है जिससे हमारे युवा अधिक से अधिक लाभान्वित हो सकें।

 

प्यारे सैनिकों, बदलते परिवेश में सुरक्षा के आयाम बदल रहे हैं। अतः आपसे अनुरोध है कि आने वाले किसी भी चुनौती के लिए स्वयं  को तैयार रखें। मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि सरकार आपकी और आपके परिजनों की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए सदैव तत्पर है और आगे भी रहेगी। अंत में, इन्हीं शब्दों के साथ मैं आपसे अनुरोध करुंगा कि हम सब मिलकर करें राष्ट्र का अभिनंदन!

 

भारत माता की जय!

वंदे मातरम्!

 

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