विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
इंटरनेशनल एडवान्स्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स (एआरसीआई) ने लीथियम-आयन बैटरी के लिए बैटरी-ग्रेड कैथोड सामग्री प्रौद्योगिकी हेतु एलॉक्स मिनरल्स के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए
Posted On:
13 AUG 2021 2:46PM by PIB Delhi
लीथियम-आयन बैटरी (एलआईबीज) के लिए कैथोड सामग्री का उत्पादन करने हेतु एक नई स्वदेशी तकनीक के प्रयोग से जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आवश्यक बैटरी के मूल्य में कमी आ सकती है। कैथोड सामग्री की लागत ही (एलआईबीज) की कुल लागत में महत्वपूर्ण योगदान दे देती है, और भारत इन सामग्रियों के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र, पाउडर धातुकर्म और नई सामग्री के लिए अंतर्राष्ट्रीय उन्नत अनुसंधान केंद्र (इंटरनेशनल एडवान्स्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स -एआरसीआई) ने अपने नैनोमटेरियल्स केंद्र में ली-आयन बैटरियों (एलआईबीज) के लिए लीथियम आयरन फॉस्फेट (एलएफपी) कैथोड सामग्री के उत्पादन के लिए एक स्वदेशी तकनीक विकसित की है। एआरसीआई और हैदराबाद स्थित कंपनी एलॉक्स मिनरल्स ने को प्रौद्योगिकी की जानकारी हस्तांतरण के लिए कल 12 अगस्त 2021 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
एआरसीआई प्रशासनिक परिषद के अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोडकर ने पूरक क्षमताओं वाले विभिन्न संगठनों के बीच तालमेल रखने के महत्व पर जोर दिया है। तदनुसार ही अनुसंधान एवं विकास संगठनों, उद्योग और सरकार को भारत में बैटरी चालित वाहनों के प्रचलन (ईवी मोबिलिटी) को विकसित करने और मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने एआरसीआई और एलॉक्स मिनरल्स को प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने और ईवी डोमेन के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों में राष्ट्र की आत्मनिर्भरता में अपना योगदान देने के लिए बधाई दी।
तेलंगाना सरकार में उद्योग और वाणिज्य विभाग, आईटीई और सी विभाग के प्रमुख सचिव श्री जयेश रंजन ने कहा कि तेलंगाना की ईवी नीति और भारतीय संदर्भ में ईवीएस को अधिक किफायती और उपयुक्त बनाने के लिए ढांचागत पहलों के माध्यम से ईवी गतिशीलता के लिए राज्य सरकार एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में जोर शोर से कार्य कर रही है और इस संबंध में हमने एआरसीआई और एलॉक्स मिनरल्स को अपना समर्थन दिया है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), सरकार में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रभाग (एआई डिवीजन) में संयुक्त सचिव श्री सुनील कुमार तथा एआरसीआई प्रशासनिक परिषद के सदस्यों ने अंतरणीय अनुसन्धान एवं नवाचार *ट्रांसलेशनल रिसर्च एंड इनोवेशन) के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के संस्थानों में से एक होने के लिए एआरसीआई की सराहना की और इस महत्वपूर्ण तकनीक के पहले प्राप्तकर्ता होने के लिए ऑलॉक्स मिनरल्स को बधाई दी।
एआरसीआई के निदेशक (अतिरिक्त प्रभार) डॉ. टाटा नरसिंग राव ने कहा कि कैथोड सामग्री की लागत मात्र ही एलआईबी की समग्र लागत में महत्वपूर्ण योगदान दे देती है, और चूंकि भारत इन सामग्रियों के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है, इसलिए इलेक्ट्रोड सामग्री का निर्माण और एलआईबी प्रौद्योगिकी में औद्योगिक संगठनों का समर्थन करके स्वदेशी रूप से इसके लिए प्रौद्योगिकी विकसित करना बहुत आवश्यक हो गया है।
श्री. राजीव रेड्डी, निदेशक मैसर्स। एलॉक्स मिनरल्स प्रा. लिमिटेड, हैदराबाद के निदेशक श्री. राजीव रेड्डी ने कहा कि उनकी कंपनी को एआरसीआई के साथ जुड़ने पर गर्व है और वह एलएफपी प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक वाणिज्यीकरण करने की आशा कर रही है। उन्होंने इस प्रयास में गठजोड़ करने के लिए टीम एआरसीआई का आभार व्यक्त किया।
तेलंगाना राज्य खनिज विकास निगम के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ जी मालसूर, तेलंगाना सरकार में इलेक्ट्रॉनिक्स और ईवी विंग के अतिरिक्त निदेशक श्री एस.के. शर्मा , एलॉक्स मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड के दोनों निदेशक श्री राजीव रेड्डी और श्री मौर्य सुनकवल्ली, एआरसीआई-चेन्नई के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. आर. गोपालन, एआरसीआई के एसोशिएट निदेशक डॉ. रॉय जॉनसन और सेंटर फॉर नैनोमैटेरियल्स के प्रमुख डॉ. आर. विजय भी इस अवसर पर उपस्थित रहे ।
'आत्मनिर्भर भारत अभियान' या 'आत्मनिर्भर भारत मिशन' के अनुरूप इस प्रौद्योगिकी को वैकल्पिक ऊर्जा सामग्री और प्रणालियों पर तकनीकी अनुसंधान केंद्र (टीआरसी) के तहत विकसित किया गया था और इस प्रौद्योगिकी के लिए गैर-अनन्य (नॉन-एक्सक्लूसिव) आधार पर स्थानांतरण की आवश्यक जानकारी भी उपलब्ध है।
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