विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
बैक्टीरिया की एक अनूठी विपरीत दिशा में गति के लिए नई सैद्धांतिक व्याख्या से अधिक कुशल कृत्रिम सूक्ष्म और नैनो-मोटर बनाने में मदद मिल सकती है
Posted On:
30 JUL 2021 4:15PM by PIB Delhi
भारतीय वैज्ञानिकों ने हाल के एक अध्ययन में एक सैद्धांतिक मॉडल की खोज की है जो एक अनूठी प्रकार की ऐसी गति की व्याख्या करता है जिसे विपरीत दिशा में त्वरित गति (डायरेक्शन रिवर्सिंग एक्टिव मोशन) कहा जाता है और जिसे कुछ ऐसे बैक्टीरिया प्रदर्शित करते है जो अपने भोजन के लिए अन्य सूक्ष्मजीवों पर निर्भर हैं। इस विश्लेषण से दवा वितरण और जैव-छायांकन (इमेजिंग) में विपरीत गति (रिवर्स गियर) की अवधारणा का उपयोग करके अधिक कुशल कृत्रिम सूक्ष्म और नैनो-मोटर बनाने में मदद मिल सकती है।
जीवाणु बेतरतीब ढंग से दिशा बदलते हुए अपने आप को एक ऐसे वेग से आगे बढाते हैं जिसे सक्रिय गति से बढना कहा जाता है। जीवाणुओं की ऐसी गति के अलावा, इस तरह की गति सभी जीवित प्रणालियों में सूक्ष्म पैमाने पर कोशिका गतिशीलता से लेकर बड़े (मैक्रोस्कोपिक) पैमाने पर पक्षियों और मछलियों की विभिन्न प्रजातियों के समूहों के साथ-साथ नैनो- मोटर सहित कृत्रिम प्रणालियों और दानेदार पदार्थ वाले स्व-उत्प्रेरित तैराकों में पाई जाती है। यह सर्वव्यापी -संतुलन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण उप-समूह बनाता है, जिसके लिए अभी तक कोई सामान्य सैद्धांतिक ढांचा मौजूद नहीं है। कुछ सूक्ष्मजीव, जैसे कि परभक्षी (प्रीडेटर) बैक्टीरिया मायक्सोकोकस ज़ैंथस और सैप्रोट्रॉफ़िक बैक्टीरिया स्यूडोमोनास पुटिडा, एक अनूठी प्रकार की विपरीत /उलट सक्रिय गति का भी प्रदर्शन करते हैं, जिसमें दिशा के एक विसरित परिवर्तन के अलावा, इनकी गति भी बीच -बीच में पूरी तरह से अपनी जारी दिशा के विपरीत उलटी दिशा में हो जाती है। हालांकि, इस तरह की गति के सांख्यिकीय गुणों के बारे में सैद्धांतिक रूप से बहुत कम समझा गया है।
लेटर इन द फिजिकल रिव्यू ई के रूप में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत आने वाले स्वायत्तशासी संस्थानों- रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट और एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, विज्ञान के वैज्ञानिकों के समूह ने ऐसे बैक्टीरिया द्वारा प्रदर्शित सक्रिय गति को उलटने की दिशा में प्रसार और वेग उत्क्रमण के परस्पर क्रिया से उत्पन्न अद्वितीय और अनूठे गतिशील चरणों का खुलासा किया है।
इस अध्ययन से एक प्रतिदर्श (मॉडल) का उपयोग करके स्थिति के वितरण और लक्ष्य की खोज-समय वितरण के लिए सटीक विश्लेषणात्मक परिणामों के माध्यम से इस तरह की गति की सैद्धांतिक समझ प्राप्त हुई। अध्ययन के लेखकों के अनुसार "यह मॉडल गत्यात्मक विपरीतता (डायरेक्शनल रिवर्सल) के लाभ की व्याख्या करता है, अर्थात्, तेजी से फैलने के बाद खोज में भी तेजी आती है"। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे उनके शोध में यह पता चला कि एम. ज़ैंथस बैक्टीरिया अपने प्रसार को बढ़ाने के लिए दिशात्मक उत्क्रमण पर निर्भर करता है और ई. कोलाई जैसे तेज गति बैक्टीरिया, जिसकी गति एक सेकंड में लगभग तीस माइक्रोन है , की तुलना में बहुत धीमी गति (लगभग एक माइक्रोन प्रति मिनट) के बावजूद अपने लक्ष्य की कुशलता से खोज कर लेता है। इसके अलावा, इस काम की सबसे महत्वपूर्ण खोज एक ऐसे नए चरण की भविष्यवाणी है जहां दो आयतीय (ऑर्थोगोनल) दिशाओं में प्रसरण को नियंत्रित करने वाले गतिशील गत्यात्मक नियम मौलिक रूप से बिलकुल भिन्न हैं।
रामानुजन फैलोशिप के तहत विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी), भारत द्वारा आंशिक रूप से वित्त पोषित यह अध्ययन जिसमे सूक्ष्म गतिकी से शुरू होकर सक्रिय गति को उलटने की दिशा का सैद्धांतिक विश्लेषण शामिल है , बैक्टीरिया के विपरीत दिशा में गति करने की अन्य जटिल घटनाओं का अध्ययन करने वाले जीवविज्ञानियों और प्रयोगात्मक भौतिकविदों के लिए एक आधार बनेगा ।
प्रकाशन लिंक:
डीओआई: https://doi.org/10.1103/PhysRevE.104.L012601
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एमजी/एएम/एसटी
(Release ID: 1740996)
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