रक्षा मंत्रालय

स्वर्णिम विजय वर्ष की विजय ज्योति 03 अगस्त को अंडमान निकोबार द्वीप समूह पहुंचेगी

Posted On: 29 JUL 2021 5:50PM by PIB Delhi

मुख्य बातें

  • भारत द्वारा 1971 के युद्ध में प्राप्त की गई ऐतिहासिक जीत की 50वीं वर्षगांठ को 'स्वर्णिम विजय वर्ष' के रूप में मनाया जा रहा है
  • 31 जुलाई, 2021 को विजय ज्योति की कमान चेन्नई में अंडमान और निकोबार को सौंपी जाएगी
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में विजय ज्योति 03-28 अगस्त, 2021 तक रहेगी
  • दिसंबर 1971 में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान पर निर्णायक विजय प्राप्त की और एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का उदय हुआ

भारत द्वारा 1971 के युद्ध में प्राप्त की गई ऐतिहासिक जीत की 50वीं वर्षगांठ को 'स्वर्णिम विजय वर्ष' के रूप में मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस समारोह की शुरुआत 16 दिसंबर, 2020 को विजय ज्योति प्रज्ज्वलित करते हुए की गई थी। इस विजय ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की निरंतर प्रज्ज्वलित होने वाली ज्योति के माध्यम से जलाया गया और यह युद्ध में शामिल हुए हमारे वीर सैनिकों की बहादुरी का प्रतीक है।जबसे पूरे भारत वर्ष में विजय ज्योति की यात्रा प्रारंभ किया गया है, तबसे बड़ी संख्या में स्मरणीय कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

इस विजय ज्योति को दिनांक 31 जुलाई, 2021 को चेन्नई में अंडमान निकोबार कमांड (एएनसी) को सौंपा जाएगा। विजय ज्योति को एएनसी की संयुक्त-सेवा टीम को सौंप दिया जाएगा और उसी दिन उसे चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर तक भारतीय नौसेना के जहाज के माध्यम से लेकर जाया जाएगा। पोर्ट ब्लेयर नेवल जेटी में विजय ज्योति का भव्य स्वागत किया जाएगा और उसे संयुक्त-सेवा गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया जाएगा।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में विजय ज्योति 03-28 अगस्त, 2021 तक रहेगी। नागरिक प्रशासन एवं एएनसी द्वारा इस दौरान संयुक्त रूप से बड़ी संख्या में कार्यक्रमों का आयोजन करने की योजना बनाई गई है। इन कार्यक्रमों में हमें सेवा दिग्गजों के साथ-साथ स्थानीय लोगों, विशेष रूप से युवाओं की भागीदारी देखने को मिलेगी। 28 अगस्त, 2021 को विजय ज्योति को पोर्ट ब्लेयर में पूर्वी नौसेना कमान को सौंपा जाएगा, उससे पहले इसे अंडमान और निकोबार के सभी प्रमुख द्वीपों की यात्रा करायी जाएगी।

दिसंबर 1971 में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान पर निर्णायक विजय प्राप्त की थी और एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का उदय हुआ था। इस विजय का परिणाम यह निकला कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण अभियान बना, जिसमें पाकिस्तानी सेना के लगभग 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया।

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