जनजातीय कार्य मंत्रालय

माननीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने वन धन विकास योजना पर जोरदिया और आदिवासियों के लिए इसे वरदान बताया

Posted On: 13 JUL 2021 6:48PM by PIB Delhi

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने ट्राइफेड द्वारा आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए लागू की जा रहीं विभिन्न योजनाओं और गतिविधियों की प्रगति की आज समीक्षा की। ट्राइफेड मुख्यालयों पर हुई समीक्षा बैठक में जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह और श्री विश्वेश्वर टुडु भी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर, मंत्रियों के द्वारा ट्राइफेड के संकल्प से सिद्धि- मिशन वन धन के तहत विभिन्न गतिविधियों और पहलों की समीक्षा की गई। उल्लेखनीय है कि आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए ट्राइफेड कई उल्लेखनीय कार्यक्रम लागू कर रहा है। पिछले दो साल में, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के जरिये लघु वन उपज (एमएफपी) के विपणन के लिए तंत्र तथा एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला के विकास से आदिवासियों की स्थिति व्यापक स्तर पर प्रभावित हुई है। एमएफपी के लिए एमएसपी के तहत, राज्यों ने चालू वित्त वर्ष के दौरान 821.48 करोड़ रुपये सहित पिछले दो साल में भारत सरकार के 321.02 करोड़ रुपये और राज्य कोषों के 1,520.72 करोड़ रुपये का इस्तेमाल करते हुए कुल 1,841.74 करोड़ रुपये की खरीद की है। इससे आदिवासी संग्रहकर्ताओं को अपनी उपज के लिए उचित व लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और सरकार द्वारा घोषित एमएसपी से ज्यादा मूल्य पर बाजार खरीद बढ़ाने में मदद मिली है। 9 राज्यों को कवर करते हुए लगभग 1 लाख आदिवासी परिवारों को प्रभावित करने वाली 10 लघु वन उपज के साथ 2013-14 शुरू हुई इस योजना का विस्तार अब 22 राज्यों व 87 एमएफपी उत्पादों तक हो चुका है, जिसका लाभ 25 लाख परिवारों को मिल रहा है। 2020-21 में कुल खरीद 1,870 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जबकि 2014-15 में यह 30 करोड़ रुपये के स्तर पर थी। निजी व्यापारियों द्वारा खरीद मूल्य में भी भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

श्री मुंडा ने कहा, ट्राइफेड लगातार ऐसे नए कदम उठा रहा है, जिनमें आदिवासी सशक्तिकरण के सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाता है। इस नए संपर्क कार्यक्रम के माध्यम से, अब सूचनाओं का प्रसार दोनों तरफ से हो सकता है और इससे विकास से जुड़ी पहलों को बढ़ावा मिल सकता है, साथ ही आदिवासियों को मदद हो सकती है।

वन धन को आदिवासीय संग्रहकर्ताओं के माध्यम से वन और अन्य आदिवासी उत्पादों के मूल्य संवर्धन, ब्रांडिंग, पैकिंग और विपणन के लिए ट्राइबल स्टार्ट अप्स के रूप में पेश किया गया था। ट्राइफेड के मुताबिक, वन धन योजना के तहत जनजातीय क्षेत्रों में 50,000 वीडीवीके के संकल्प पत्र लक्ष्य की तुलना में 37,872 वीडीवीके की स्थापना को स्वीकृति दी जा चुकी है, जो 2,274 वीडीवीके क्लस्टर में शामिल हैं और इनसे सीधे तौर पर 6.76 लाख लाभार्थी लाभान्वित हो रहे हैं/ लगभग 1200 वीडीवीके क्लस्टर परिचालन में हैं। 10 लाख आदिवासी उद्यमियों को मिलाकर 50,000 वीडीवीके की स्थापना का लक्ष्य 30 जुलाई, 2021 तक पूरा किया जाना है।

 

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खुदरा विपणन के तहत, अभी तक कुल 140 ट्राइब्स इंडिया आउटलेट खोले जा चुके हैं, जिनकी कुल बिक्री 55.43 करोड़ रुपये रही है।

इसके अलावा, वन धन केंद्रों के लाभार्थियों द्वारा उपजाए जा रहे विभिन्न वन उत्पादों के मूल्य संवर्धन के लिए जल्द ही जगदलपुर और रायगढ़ (महाराष्ट्र) में दो ट्राइफूड परियोजनाएं स्थापित की जा रही हैं। इनमें से प्रत्येक मेगा-फूड पार्क में व्यावसायिक रूप से प्रबंधित विनिर्माण और उत्पादन हब के रूप में मूल्य संवर्धन, विपणन, पैकेजिंग और ब्रांडिंग परिचालन को बढ़ाया जाएगा और इससे प्रत्यक्ष रूप से 10,000 से ज्यादा आदिवासी परिवारों को आजीविका मिलेगी। ये परियोजनाएं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सहयोग से स्थापित की जा रही हैं।

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