विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की इंस्पायर योजना के फैलो अस्थि ऊतक पुनरुत्पादन (बोन टिश्यू रीजेनेरेशन) के लिए जैव सामग्री विकसित कर रहे है

Posted On: 07 JUL 2021 6:41PM by PIB Delhi

सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से इंस्पायर फैकल्टी फेलो डॉ गीतांजलि तोमर द्वारा संश्लेषित दो अणुओं या एक हार्मोन नैनोकॉन्जुगेट के बीच एक स्थिर संयोजन (लिंक) के साथ एक नैनो जैव सामग्री (बायोमटेरियल) जिसे हाइड्रोक्सीपटाइट-पैराथायराइड कहा जाता है, जल्द ही ऊतक (टिश्यू) पुनर्जनन/पुनरुत्पादन में मदद कर सकता है। उन्होंने एक्टिनोमाइसेट, नोकार्डियोप्सिसडासनविले एनसीआईएम 5124 नामक सूक्ष्मजीव से सोने के नैनोकणों (एयूएनपी) को संश्लेषित करने के साथ ही उसके गुणों अथवा विशेषताओं का भी उल्लेख किया है।

नैनोमेडिसिन: नैनोटेक्नोलॉजी, बायोलॉजी, एंड मेडिसिन (एनबीएम) और एप्लाइड माइक्रोबायोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी  नामक शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित गोल्ड नैनोपार्टिकल सिंथेसिस इस पत्रिका में प्रकाशित पहले के शोध पुनर्योजी उपचारों के लिए अस्थि ऊतकों (बोन टिश्यूज) में दवाओं के वितरण के लिए नैनोकैरियर प्रणाली (सिस्टम) के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

डॉ. गीतांजलि की प्रयोगशाला ऊतक पुनर्जनन/पुनरुत्पादन के लिए उनकी उपयुक्तता के संदर्भ में स्टेम कोशिकाओं के गुणों का अध्ययन करने पर केंद्रित है। साथ ही, वे कुछ गंभीर अस्थि दोषों में चिकित्सीय अनुप्रयोगों (एप्लीकेशंस) के लिए सामग्री के विकास पर भी काम कर रहे हैं। खोपड़ी और चेहरे की हड्डियों (अस्थियों) (क्रैनियोमैक्सिलोफेशियल हड्डी) ऊतक इंजीनियरिंग के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्रियों और तकनीकों की वर्तमान स्थिति पर उनका शोध हाल ही में प्रकाशित हुआ था। अपने एक लेख में उनकी टीम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उन्नत सामग्री, नैनोबायोटेक्नोलॉजी, कोशिका जीवविज्ञान (सेल बायोलॉजी), कंप्यूटर-असिस्टेड तकनीक, रोबोटिक्स और कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) टूल सहित नवीन और बहु-विषयक दृष्टिकोण, क्रानियोमैक्सिलोफेशियल टिश्यू इंजीनियरिंग के विकास और संवर्द्धन के लिए बहुत बड़ी क्षमता प्रदान करते हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई इंस्पायर फेलोशिप के इस प्राप्तकर्ता की प्रयोगशाला, भारत की ऐसी बहुत कम प्रयोगशालाओं में से है जहां दांतों के आसपास के मसूड़ों से प्राप्त उन स्टेम कोशिकाओं (सेल) पर काम किया जा रहा है, जिन्हें तकनीकी रूप से मानव जिन्जाईवा कहा जाता है। अस्थि मज्जा, दंत लुगदी (डेंटल पल्प), वायुकोशीय हड्डी (ऐल्विओलर बोन), पेरियोडोंटल लिगामेंट, गर्भनाल, अम्ब्लिकल कॉर्ड, एंडोमेट्रियम, स्तन से प्राप्त दूध और वसा ऊतक स्टेम सेल के प्रमुख और अच्छी तरह से अध्ययन किए गए स्रोत हैं। इसलिए, उसके समूह का लक्ष्य अन्य स्टेम सेल स्रोतों के समान होने के लिए जिन्जाईवा का विकास करना है, क्योंकि इसे तैयार करना बहुत आसान है और इसके लिए मेजबान प्रणाली में न्यूनतम हस्तक्षेप करना शामिल है। उनका समूह स्टेम सेल उपचारों के व्यावसायीकरण हेतु स्टेम सेल सुविधाएं स्थापित करने के लिए पुणे और उसके आसपास कुछ विकासशील प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर काम कर रहा है।

वर्तमान में वे विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी विभाग की एक महिला वैज्ञानिक (डब्ल्यूओएस-बी) के रूप में कार्यरत हैं और उन्होंने उसने अस्थि मज्जा की सतह पर अस्थि कोशिकाओं का सह-संवर्धन करके अस्थि मज्जा सूक्ष्म पर्यावरण की प्रतिकृति बनाने के लिए एक बहुलक (पॉलीमर) प्रणाली विकसित की है। यह शोधकर्ताओं को लक्षित अणुओं की चिकित्सीय जांच में सक्षम बनाएगा। वे अपने समूह के साथ इस समय में वर्टेब्रल और इंटर-वर्टेब्रल विकारों के लिए एक न्यूनतम इनवेसिव पुनर्योजी दृष्टिकोण को डिजाइन करने के लिए हाइड्रोजेल-आधारित सेल-सीडेड स्कैफोल्ड्स के विकास पर काम कर रही है। उन्होंने इस तकनीक के पेटेंट की प्रक्रिया शुरू कर दी है और वे चिकित्सीय उत्पादों के विकास के लिए कई उद्योगों के लिए सलाहकार के रूप में भी काम कर रही है। 

 

चिकित्सा विज्ञान के लिए आनुवंशिक इंजीनियरिंग दृष्टिकोण के बारे में डॉ गीतांजलि की टीईडी एक्स वार्ता के लिए उनकी प्रशंसा हुई है

प्रकाशन विवरण:

जी बी तोमर*, जे आर दवे, एस एस चंडेकर, एन भट्टाचार्य, एस नाइक, एस कुलकर्णी, एस मठ, के यू देसाई, एन.बी सपकाल। 2020 क्रैनियोमैक्सिलोफेशियल अस्थि पुनर्निर्माण (बोन रिकंस्ट्रक्शन) के लिए टिश्यू इंजीनियरिंग पहल, नई जानकारियाँI ऊतक इंजीनियरिंग और 5 आर का पुनर्निर्माण, बहाली, प्रतिस्थापन, मरम्मत और पुनर्जनन/पुनरुत्पादन। इंटेक ओपन। https://doi.org/10.5772/intechopen.94340

एस.ई मोरे, जे.आर दवे, पी.के मकर, एस.वी भोरास्कर, एस. प्रेमकुमार, जी बी तोमर*, वी.एल माथे*। 2020 ऑस्टियोब्लास्ट और ऑस्टियोक्लास्ट अंतरण के लिए ई सी आर प्लाज्मा का उपयोग करके यूएचएमडब्ल्यूपीई का भूतलीय संशोधन। एप्लाइड सरफेस साइंस 506: 144665। https://doi.org/10.1016/j.apsusc.2019.144665 [आईएफ: 5.155]।

जे आर दवे, ए एम ड्यूले, एस टी म्हास्के, पी टी फूलपागर, वी एल माठे, एस ई मोरे, ए ए खान, ए  वी आर मूर्ति, एस एस दातार, ए जे जोग, एम पेज, जीबी तोमर*। 2019 पैराथाइरॉइड हार्मोन (पीटीएच) से भरे हाइड्रॉक्सीपैटाइट नैनोरोड्स सह-क्रियात्मक रूप से पीटीएच एनाबॉलिक थेरेपी के शुद्ध प्रारंभिक प्रभाव को बढ़ाते हैं। नैनोमेडिसिन: नैनोटेक्नोलॉजी, बायोलॉजी एंड मेडिसिन 15(1) 218-230. https://doi.org/10.1016/j.nano.2018.10.003 [आईएफ: 6.69; उद्धरण: 5]।

टी बेन्नूर, वी जावडेकर, जी बी तोमर*, स्मिता ज़िंजार्डे*। 2020 Nocardiopsisdassonvillei एन सी आई एम 5124 द्वारा जैव संश्लेषित (बायोसिंथाइज़) किए गए गोल्ड नैनोपार्टिकल्स जिंजिवल मेसेनकाइमल स्टेम सेल में ओस्टोजेनेसिस को बढ़ाते हैं। एप्लाइड माइक्रोबायोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी 104: 4081-4092।

https://doi.org/10.1007/s00253-020-10508-z

 

*सम्बन्धित लेखक

अधिक जानकारी के लिए डॉ. गीतांजलि तोमर (ईमेल: geetanjalitomar13[at]gmail[dot]comjoshigeet[at]gmail[dot]com) से संपर्क किया जा सकता है।

 

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