आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय

शहरी बदलाव के 6 साल


एमओएचयूए ने मनाई पीएमएवाई-यू, अमृत और स्मार्ट सिटी मिशन के शुभारम्भ की छठी वर्षगांठ

पीएमएवाई-यू के तहत 1.12 लाख घरों को स्वीकृति मिली और 83 लाख से ज्यादा घर तैयार हुए

पीएमएवाई-यू की क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) से 16 लाख परिवारों ने लाभ उठाया

पीएमएवाई-यू के तहत सरकार के निवेश के माध्यम से लगभग 689 करोड़ मानव दिवस रोजगार पैदा होने से लगभग 246 लाख नौकरियों का सृजन हुआ

पीएमएवाई-यू के तहत शहरी प्रवासियों/ गरीबों के लिए अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्पलेक्स योजना को जमीनी स्तर पर शानदार प्रतिक्रिया मिली

अभी तक, अमृत मिशन के तहत 105 लाख घरों को नल कनेक्शन और 78 लाख सीवर/सेप्टेज कनेक्शन उपलब्ध कराए गए

88 लाख स्ट्रीटलाइट की जगह ऊर्जा दक्ष एलईडी लाइट लगा दी गई हैं, जिनसे 193 करोड़ यूनिट बिजली की बचत होगी

टीईआरआई के अनुसार, अमृत के तहत की गईं विभिन्न पहलों के माध्यम से 84.6 लाख टन कार्बन फुटप्रिंट में कमी आ गई है

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 70 शहरों में एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) विकसित और परिचालित कर दिए गए हैं

310 स्मार्ट रोड परियोजनाएं, 57 स्मार्ट सोलर परियोजनाएं और 101 स्मार्ट वाटर परियोजनाएं पूरी कर दी गई हैं

आज जारी इंडिया स्मार्ट सिटीज पुरस्कार, 2020 के तहत, इंदौर और सूरत को संयुक्त रूप से शहरी पुरस्कार और उत्तर प्रदेश को प्रदेश पुरस्कार मिला

अहमदाबाद, वाराणसी और रांची को स्मार्ट सिटीज लीडरशिप पुरस्कार मिला

क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज एसेसमेंट फ्रेमवर्क के तहत, सूरत, इंदौर, अहमदाबाद, पुणे, विजयवाड़ा, राजकोट, विशाखापट्टनम, पिंपरी-छिंछवाड़ और वडोदरा सहित 9 शहरों को 4 स्टार रेटिंग मिली

कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय इंडिया स्मार्ट सिटीज फेलोशिप रिपोर्ट, ट्यूलिप वार्षिक रिपोर्ट और शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) द्वारा विकसित नॉलेज उत्पाद जारी किए गए

Posted On: 25 JUN 2021 6:10PM by PIB Delhi

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) ने तीन परिवर्तनकारी शहरी मिशनों स्मार्ट सिटी मिशन (एससीएम), अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) और प्रधानमंत्री आवास योजना– शहरी (पीएमएवाई-यू) के 6 साल पूरे होने पर आज यहां एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ये तीनों मिशन 25 जून, 2015 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लॉन्च किए गए थे। इस वर्षगांठ कार्यक्रम में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत लागू की जा रहीं कुछ प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता आवासन और शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप एस. पुरी ने की और इसमें राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, शहरों के नगर आयुक्तों और स्मार्ट सिटीज के एमडी/ सीईओ सहित केन्द्र व राज्य सरकार के प्रमुख शहरी हितधारक शामिल हुए। 45 साल पहले इसी दिन शहरीकरण से संबंधित अनुसंधान और प्रक्रियाओं के बीच अंतर को दूर करने के कार्य के लिए राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान की स्थापना की गई थी, जो एमओएचयूए की एक स्वायत्त संस्था है।

 

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प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी (पीएमएवाई)

केन्द्रीय एमओएचयूए राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने एक लघु फिल्म का विमोचन किया, जिसमें करोड़ों भारतीयों के एक पक्के मकान के सपने को पूरा करने के छह सुनहरे वर्षों के सफर को दर्शाया गया है। प्रधानमंत्री के विजन– 2022 तक सबके लिए घर की तर्ज पर पीएमएवाई-यू ने शानदार सफलता हासिल की है। अभी तक, इसके लाभार्थियों को 1.12 करोड़ घरों को स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 83 लाख घरों के आधार तैयार किए जा चुके हैं और 50 लाख से ज्यादा पूरे हो चुके हैं।

एक कार्यक्रम, जिसमें एमओएचयूए सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा, एमओएचयूए, राज्यों/ यूटी/ यूएलबी के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया, में 75वें स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर विद्यार्थियों, युवाओं, गैर सरकारी संगठनों, संस्थानों और व्यक्तियों/ समूहों के लिए एक लघु फिल्म प्रतियोगिता खुशियों का अभियानकी घोषणा की गई। इस क्रम में, प्रतिष्ठित लोगों की ज्यूरी द्वारा हाउसिंग फॉर आल, सपनों का आशियाना, लाभार्थियों की जुबान से, महिला सशक्तिकरण, आजीविका, जीवन में बदलाव जैसे मिशन के विविध पहलुओं के अंतर्गत 75 ऐसी फिल्मों का चयन किया जाएगा। गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज श्रेणियों के तहत एमओएचयूए द्वारा नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र सहित 25 पुरस्कार (प्रत्येक) प्रदान किए जाएंगे।

कार्यक्रम में पीएमएवाई-यू लाभार्थियों का एक वीडियो घर हुआ अपना, पूरा हुआ सपना का विमोचन किया जाएगा, जिसमें एक पक्के मकान में रह रहे लोगों के जीवन में बदलाव के अनुभव दिखाए जाएंगे।

इसके अलावा, एमओएचयूए ने घोषणा की कि हाउसिंग फॉर आल को एक राष्ट्रीय विषय के रूप में प्रचारित करने के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों/कॉलेजों/संस्थानों में 75 आवास पर संवाद कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।

पीएमएवाई (यू) कार्यान्वयन में सहकारी संघ की लोकनीति का पालन किया गया है, जिसमें एमओएचयूए ने परियोजना निर्माण, मूल्यांकन और स्वीकृति के लिए राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों को अधिकार दे दिए गए हैं। इसके अलावा, मिशन की सफलता का श्रेय इसके मजबूत वित्तीय मॉडल को दिया जा सकता है, जिसमें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण एक अहम तत्व है। इसके अलावा, रियल टाइम निगरानी और तकनीक नवाचार के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग, बजटीय आवंटनों के अलावा अतिरिक्त बजटीय संसाधन के माध्यम से अतिरिक्त वित्तपोषण बड़े योगदानकर्ता रहे हैं। मिशन के अंतर्गत अभी तक स्वीकृत घरों में 1.81 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ कुल 7.35 लाख करोड़ रुपये का निवेश शामिल है। अभी तक, 1,00,000 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता पहले ही जारी की जा चुकी है। इतनी बड़ी मात्रा में धनराशि लगाए जाने से अर्थव्यवस्था को गति मिली है। बजटीय समर्थन के अलावा निर्माण गतिविधियों की रफ्तार बनाए रखने के लिए टिकाऊ वित्तीय समर्थन के लिए, राष्ट्रीय शहरी आवासीय कोष (एनयूएचएफ) के तहत ईबीआर के माध्यम से 60,000 करोड़ रुपये की धनराशि जुटाई गई थी, जिसमें से 43,000 करोड़ रुपये पहले ही निकाल लिए गए हैं। पिछले तीन साल से 20,000 करोड़ रुपये के अफोर्डेबल हाउसिंग फंड का उपयोग किया जा रहा है।

देश के विभिन्न आय समूहों में आवासों की मांग में विविधता को स्वीकार करते हुए, पहली बार 18 लाख रुपये तक वार्षिक आय वाले मध्यम आय समूह को पीएमएवाई- यू की क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) के तहत होम लोन पर ब्याज सब्सिडी दी गई। आर्थिक रूप से कमजोर तबकों (ईडब्ल्यूएस), निम्न आय समूह (एलआईजी) और एमआईजी से जुड़े 16 लाख लाभार्थियों को अभी तक सीएलएसएस के दायरे में लाया जा चुका है।

अन्य क्षेत्रों से इसके संबंधों को देखते हुए, सरकार द्वारा क्षेत्र में किए गए मौजूदा निवेश से अनुमानित तौर पर 689 करोड़ मानव दिवस के रोजगार पैदा होने से लगभग 246 लाख नौकरियां सृजित हुईं और 370 लाख एमटी सीमेंट और 84 लाख एमटी इस्पात की खपत हुई। 

वर्षों से, सरकार ने आवासीय क्षेत्र में निर्माण तकनीक सुधारों को अपनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। एमओएचयूए ने सस्ते आवासों के क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव को संभव बनाने के लिए वैश्विक स्तर पर उपलब्ध टिकाऊ, हरित और आपदा लचीली निर्माण तकनीकों की पहचान और इन्हें लागू करने के लिए वर्ष 2019 में ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज इंडिया (जीएचटीसी- इंडिया) का आयोजन किया था। 1 जनवरी, 2021 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र में निर्माण प्रौद्योगिकी एक नए दौर की शुरुआत की थी। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से देश में छह लाइट हाउस प्रोजेक्ट (एलएचपी) का शिलान्यास किया। पीएमएवाई-यू के तहत बनाए जा रहे एलएचपी द्वारा आवासीय निर्माण क्षेत्र में जीएचटीसी-इंडिया द्वारा चयनित नई पीढ़ी की सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक वैश्विक तकनीक का प्रदर्शन किया जा रहा है।

कोविड-19 के चलते शुरू हुए पलायन की स्थिति को पलटने के लिए, एमओएचयूए ने शहरी प्रवासियों/ गरीबों के लिए पीएमएवाई (यू) के तहत एक उप योजना, अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्पलेक्सेस (एआरएचसी) की शुभारम्भ किया। मॉडल 1 के तहत, चंडीगढ़ और सूरत (गुजरात) में 2,588 घर परिचालन में आ गए और अन्य राज्यों में 6,649 घरों के लिए आरएफपी जारी कर दिए गए हैं। मॉडल 2 के अंतर्गत, अभी तक 17 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में सार्वजनिक/ निजी इकाइयों से 80,000 एआरएचसी इकाइयों के लिए प्रस्ताव मिल चुके हैं। 30 जून, 2021 की अंतिम तारीख के साथ अतिरिक्त इकाई की छंटनी के लिए ईओआई का दूसरा चरण जारी है। एआरएचसी के तहत निवेश से 11.74 करोड़ मानव दिवस का रोजगार पैदा होने का अनुमान है, जिनमें से 3.89 करोड़ प्रत्यक्ष और 7.84 करोड़ अप्रत्यक्ष होंगे। नौकरियों के मामले में 1.39 लाख प्रत्यक्ष और 2.80 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार के साथ कुल 4.19 लाख रोजगार पैदा होंगे। एआरएचसी को जमीनी स्तर पर अच्छी प्रतिक्रिया हासिल हुई है। योजना के मॉडल 2 के अंतर्गत, 17 राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों में सार्वजनिक/ निजी कंपनियों से लगभग 80,000 इकाइयों के लिए प्रस्ताव मिल चुके हैं। इस प्रतिक्रिया से उत्साहित, एमओएचयूए ने एआरएचसी के तहत आमंत्रित प्रस्तावों के लिए दूसरा ईओआई जारी किया है। लगभग 22,000 पीएमएवाई-यू घरों को कोविड सुविधाओं के रूप में इस्तेमाल किया गया।

जैसे-जैसे मिशन आगे बढ़ता है, तो जीवन में बदलाव से जुड़े मुद्दों के समाधान की जरूरत होती है जो एक नए घर में आने और पड़ोस से जुड़े होते हैं।इसके समाधान के लिए, हाउसिंग फॉर आल (एचएफए) मिशन द्वारा 29 अगस्त, 2019 को सामाजिक बदलाव के प्रबंधन के लिए एक अभियान अंगीकार शुरू किया गया था। इसने जल एवं ऊर्जा संरक्षण, स्वास्थ्य, स्वच्छता और वित्तीय साक्षरता में सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं पर घर-घर जागरूकता के माध्यम से बदलाव को अपनाने में पीएमएवाई-यू लाभार्थियों को सक्षम बनाने का उद्देश्य हासिल कर लिया है। इसके अलावा, विभिन्न शहरी मिशनों और केंद्रीय मंत्रालयों की योजनाओं को मिलाकर एक बेहतर माहौल तैयार किया गया है। शहरी आवासीय क्षेत्र में यह एक खास पहल है जिसने राज्य व केन्द्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को अपनाया और अपने दायरे में ले लिया।

शहरी आवासीय क्षेत्र में इतना बढ़ा अभियान सामूहिक प्रयासों और पीएमएवाई (यू) लाभार्थियों, राज्यों/ यूटी/ यूएलबी और चुने गए प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी का परिणाम है। लगभग 18,500 अंगीकार रिसोर्स पर्संस को पीएमएवाई (यू) के 4,427 शहरों में काम कर रहे सिटी लेवल टेक्निकल सेल्स (सीएलटीसी) के लगभग 2,200 विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया था। उन्होंने पैदल सैनिकों की तरह काम किया और अभियान के संदेश के प्रसार में सहायता की थी।

अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत)

अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) को पहले राष्ट्रीय जल मिशन पर केंद्रित किया गया था और 25 जून, 2015 को 60 प्रतिशत शहरी आबादी को कवर करने वाले 500 शहरों में इसका शुभारम्भ किया गया था। 1 लाख से ज्यादा आबादी वाले सभी शहरों को इस मिशन के तहत कवर किया गया है। मिशन का मुख्य जोर शहरों में पाइप से जल आपूर्ति और सीवरेज व सेप्टेज प्रबंधन पर है। बेहतर जल निकासी, गैर मोटरीकृत शहरी परिवहन, हरित स्थल और पार्क इस मिशन के छोटे भाग हैं। मिशन के लिए 50,000 करोड़ रुपये के केंद्र के अंश सहित कुल 1 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। मूलभूत इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए 77,640 करोड़ रुपये की राज्य कार्य योजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें से 79,772 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास कर दिया गया है। अभी तक 52,477 करोड़ रुपये (66 प्रतिशत) का काम पूरा हो गया है।

अभी तक, मिशन और अन्य योजनाओं के सम्मिलन के तहत घरेलू पानी के 105 लाख नल के कनेक्शन और 78 लाख सीवर/ सेप्टेज कनेक्शन उपलब्ध करा दिए गए हैं। 1,240 एमएलडी की क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) तैयार कर दिए गए हैं, जिनसे 907 एमएलडी रिसाइकिल/ पुनः उपयोग किया जा रहा है। 4,800 एमएलडी का एक अन्य एसटीपी निर्माणाधीन है। निकासी क्षेत्र में परियोजनाओं के माध्यम से, जल जमाव के 1,840 बिंदुओं को खत्म कर दिया गया है। 1,850 पार्क और हरित स्थल (3,770 एकड़) बढ़ाए गए हैं। 800 पार्क (1,600 एकड़) पर काम जारी है। गैर मोटरीकृत शहरी परिवहन में 180 परियोजनाएं पूरी कर दी गई हैं।

अमृत के सुधार के एजेंडे में ई-गवर्नेंस, ऊर्जा ऑडिट, यूएलबी की क्रेडिट रेटिंग, कुशल नगरीय नियोजन, ऑनलाइन निर्माण स्वीकृति प्रणाली और यूएलबी द्वारा म्युनिसिपल बांड जारी करके पूंजी जुटाने पर जोर है। ऊर्जा ऑडिट के तहत, 101 लाख के लक्ष्य की तुलना में 88 लाख स्ट्रीटलाइट्स की ऊर्जा दक्ष एलईडी लाइट्स लगा दी गई हैं, जिससे प्रति वर्ष 193 करोड़ यूनिट बिजली की बचत और सीओ2 के उत्सर्जन में 15.4 लाख टन तक की कमी आई है। 27 राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों में 396 शहरों में पानी के पम्पों का ऊर्जा ऑडिट पूरा हो गया है। बदले जाने के लिए पानी के 11,385 पम्पों की पहचान कर ली गई है, जिसमें से 667 पम्प बदल दिए गए हैं। द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) के मुताबिक, अमृत के अंतर्गत विभिन्न पहलों के माध्यम से 84.6 लाख टन कार्बन फुटप्रिंट में कमी आई है।

485 शहरों के लिए क्रेडिट रेटिंग का काम सौंप दिया गया है और यह 470 जिलों में पूरा हो गया है। 164 शहरों को निवेश योग्य ग्रेड रेटिंग (आईजीआर) हासिल हुई है, जिसमें 36 शहरों को ए- या उससे ऊंची रेटिंग मिली है। 10 यूएलबी अहमदाबाद, अमरावती, भोपाल, गाजियाबाद, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, पुणे, सूरत और विशाखापट्टनम म्युनिसिपल बांड जारी करके 3,840 करोड़ रुपये जुटा चुके हैं।

आंतरिक/ बाहरी एजेंसियों के निर्बाध एकीकरण के साथ ऑनलाइन भवन स्वीकृति प्रणाली (ओबीपीएस) का परिचालन 452 अमृत शहरों सहित 2,465 शहरों में शुरू कर दिया गया है। निर्माण मंजूरियों में कारोबारी सुगमता (ईओडीबी) के मामले में विश्व बैंक की रिपोर्ट (डीबीआर)- 2020 में भारत की रैंक बढ़कर 27 हो गई है, जो 2018 में 181 थी।

अमृत शहरों के मास्टर प्लान्स को 515 करोड़ रुपये की लागत वाली एक उप योजना के माध्यम से भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के आधार पर तैयार किया जा रहा है। सैटेलाइट फोटो उपलब्ध कराने और शहरी मानचित्रों के डिजिटलीकरण के लिए राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), हैदराबाद को जोड़ा गया है। अभी तक, 66 शहरों के लिए जीआईएस आधारित मास्टर प्लान तैयार कर लिए गए हैं और अन्य 61 शहरों के लिए मसौदा योजनाएं तैयार कर ली गई हैं। जमीन का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के क्रम में, 25 शहरों में 50 करोड़ रुपये की लागत से स्थानीय क्षेत्र नियोजन और शहरी नियोजन योजना (एलएपी/ टीपीएस) पर एक उप योजना पर काम जारी है।

 

स्मार्ट सिटी मिशन

     I.        एससीएम की भौतिक प्रगति :

एससीएम, देश में शहरी विकास के कार्य में व्यापक बदलाव लागने के उद्देश्य से शुरू किया गया परिवर्तनकारी मिशन है। एससीएम के तहत प्रस्तावित कुल परियोजनाओं में से, अभी तक 1,78,500 करोड़ रुपये (मूल्य के आधार पर 87 प्रतिशत) की 5,924 परियोजनाओं (संख्या के आधार पर 115 प्रतिशत) के लिए निविदा जारी कर दी गई हैं, 1,46,125 करोड़ रुपये (मूल्य के आधार पर 71 प्रतिशत) की 5,236 परियोजनाओं (संख्या के आधार पर 101 प्रतिशत) के लिए वर्क ऑर्डर जारी कर दिए गए हैं। 45,080 करोड़ रुपये (मूल्य के आधार पर 22 प्रतिशत) की 2,665 परियोजनाएं पूरी हो गई हैं और परिचालन में हैं। (23 जून, 2021 तक)

   II.        एससीएम में वित्तीय प्रगति:

     i.        स्मार्ट सिटी मिशन को सभी परियोजनाओं विशेष रूप पीपीपी परियोजनाओं में शानदार सफलता हासिल हुई है।

क.   सफल पीपीपी परियोजनाओं का कुल मूल्य:स्मार्ट सिटी मिशन में 24,964 करोड़ रुपये की 212 पीपीपी परियोजनाओं स्थापित/ पूरी हो गई हैं।

ख.   57 शहरों का भौगोलिक फैलाव : ये परियोजनाएं 57 शहरों में स्थित हैं और इनमें न सिर्फ बड़े शहर बल्कि छोटे शहर भी शामिल हैं।

ग.  सफल पीपीपी परियोजनाओं का विविध क्षेत्रवार मिश्रण : ये सफल पीपीपी परियोजनाएं विविध (10+)और विशेष क्षेत्रों में फैली हैं।

    ii.        यह भी उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटी मिशन में औसत मासिक खर्च कोविड के कारण पैदा चुनौतियों के बावजूद बीते साल लगभग दोगुना हो गया है। टीम के द्वारा किए गए प्रयासों और इस चुनौतीपूर्ण दौर में भी निर्माण गतिविधियों के निरंतर जारी रहने की केंद्रीय मंत्री और सचिव, एमओएचयूए ने प्रशंसा की थी।

    III.        मुख्य परिणाम क्षेत्र:

     i.        स्मार्ट सिटी मिशन के तहत विकसित की गईं परियोजनाएं बहु-क्षेत्रीय और स्थानीय आबादी की आकांक्षाओं का आइना हैं। अभी तक, देश में 70 स्मार्ट सिटी ने अपने एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्रों (आईसीसीसी) को विकसित और उनका परिचालन शुरू कर दिया है। ये परिचालित आईसीसीसी ने कोविड प्रबंधन के लिए वार-रूम के तौर पर काम किया और मिशन के तहत विकसित अन्य स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर ने शहरों को सूचना प्रसार, संवाद में सुधार, अनुमान जारी करने वाले विश्लेषण और सहायक प्रभावी प्रबंधन के माध्यम से महामारी से लड़ाई में मदद की है। इन्हें देश के सभी 100 स्मार्ट सिटी में विकसित किया जा रहा है।

    ii.        इससे संबंधित अन्य परियोजनाओं को देखें, तो 310 स्मार्ट रोड परियोजनाएं पूरी हो गई हैं और 459 स्मार्ट रोड परियोजनाएं निविदा/ कार्यान्वयन के चरण में हैं।

   iii.        इसी प्रकार, स्मार्ट सोलर, स्मार्ट वाटर एंड वाइब्रैंट पब्लिक स्पेस परियोजनाएं मिशन में प्रगति की राह पर बढ़ रही हैं। (विवरण नीचे दिया गया है)

 

क्षेत्र

पूर्ण

निर्माणाधीन

परियोजनाएं

लागत

परियोजनाएं

लागत

एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र

70

8,100

18

2,991

स्मार्ट रोड

310

5,362

459

21,518

स्मार्ट सोलर

57

563

38

481

स्मार्ट वाटर

101

5,081

185

18,146

पीपीपी

123

4,420

178

25,049

वाइब्रैंट पब्लिक प्लेस (जीवंत सार्वजनिक स्थल)

72

1,662

76

8,551

*सभी लागत करोड़ रुपये में

 

 

 

 

 

 IV.        कार्यक्रम के दौरान महत्वपूर्ण लॉन्च/ विमोचन:

     i.        भारतीय स्मार्ट सिटी पुरस्कार 2020:

आज, 2020 के लिए स्मार्ट सिटी पुरस्कारों की घोषणा की गई थी। ये पुरस्कार, सामाजिक पहलुओं, गवर्नेंस, संस्कृति, शहरी पर्यावरण, स्वच्छता, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण तैयार करने, पानी, शहरी परिवहन जैसे विषयों पर दिए गए थे। आईसीसीसी के टिकाऊ कारोबारी मॉडल और विशेष रूप से कोविड प्रबंधन में नवाचार पुरस्कार के लिए इस साल कुछ दिलचस्प विषय जोड़े गए थे।

इंदौर और सूरत ने इस साल अपने समग्र विकास के लिए संयुक्त रूप से शहरी पुरस्कार जीता और और उत्तर प्रदेश ने राज्य पुरस्कार हासिल किया। ऊपर उल्लिखित विषयों पर हर विजेता की विस्तृत सूची और श्रेणियां अनुलग्नक 1 में संलग्न हैं।

 

   ii.        क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज एसेसमेंट फ्रेमवर्क 2.0

भारत में शहरी जलवायु से जुड़े कदमों के निर्धारण, कार्यान्वयन और निगरानी के लिए एक व्यापक रोडमैप उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सितंबर, 2020 में क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज एसेसमें फ्रेमवर्क (सीएससीएएफ) 2.0 को लॉन्च किया गया था। शहरों के मौजूदा प्रदर्शन के मूल्यांकन और इस आधार पर निर्माण के लिए एक साधन के तौर पर पेश इस फ्रेमवर्क में पांच विषयगत क्षेत्रों के 96 डाटा बिंदुओं को कवर करते हुए 28 विभिन्न संकेतक शामिल हैं। 100 स्मार्ट सिटी और 5,00,000 से ज्यादा आबादी वाले 26 शहरों सहित 126 शहरों ने 2020 मूल्यांकन चक्र में भाग लिया था।

4 स्टार रेटिंग हासिल करने वाले शीर्ष 9 बेहतर शहरों में सूरत, इंदौर, अहमदाबाद, पुणे, विजयवाड़ा, राजकोट, विशाखापट्टनम, पिंपरी- छिंछवाड़ और वड़ोदरा शामिल हैं। सीएससीएएफ 2.0 के परिणाम http://amplifi.mohua.gov.in पर ऑनलाइन उपलब्ध हैं।

 

    iii.        डाटा मैच्योरिटी एसेसमेंट फ्रेमवर्क 2.0

इस कोविड महामारी के दौरान शहरों का डाटा और तकनीक के इस्तेमाल तथा संकट से बचने, रोकथाम व समाधान के लिए प्रभावी प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करने के अनुभव से उनका डाटा की ताकत और संभावना में भरोसा बढ़ा है। साथ ही उनको डाटास्मार्ट बनने के विजन की ओर प्रोत्साहन मिला है।

हर साल, डाटा मैच्योरिटी एसेसमेंट फ्रेमवर्क पर स्मार्ट सिटीज को रैंक दी जा रही है, जिससे यूएलबी अपने डाटा इकोसिस्टम के विकास और उसे मजबूत बनाने में निवेश जारी रखें। डाटास्मार्ट सिटीज स्ट्रैटजी के कार्यान्वयन में परिपक्वता और तैयारी को समझने व डाटा के क्षेत्र में शहरों की उपलब्धियों को मान्यता देने व अमल करने के लिए नवंबर, 2020 में डाटा मैच्योरिटी एसेसमेंट फ्रेमवर्क के दूसरे चक्र को लॉन्च किया गया था।

बीते कुछ महीनों से, सभी 100 स्मार्ट सिटी सक्रिय रूप से इस कवायद में भाग ले रही हैं और पिछले 2 साल में खासी परिपक्वता और सुधार प्रदर्शित किया है। कुल 42 शहरों ने एक प्रमाणन स्तर हासिल किया है- जिनमें से शीर्ष 4 शहरों सूरत, पिंपरी छिंछवाड़, भोपाल और पुणे – को कनेक्टेड के रूप में, 8 शहरों को इनेबल्ड, 11 को एक्सप्लोरर स्तर और 19 शहरों को इनिशीएटर के रूप में प्रमाणित किया गया है। बाकी 58 शहरों ने अपना डाटा का सफर शुरू किया है और वे बिगिनर के स्तर पर हैं। इस मूल्यांकन के परिणाम http://dmaf.mohua.gov.inपरउपलब्ध हैं।

एमओएचयूए अपनी सिटी डाटा टीम्स की निरंतर क्षमता बढ़ाने और व्यापक स्तर पर देश का शहरी डाटा इकोसिस्टम तैयार करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। शहरों के लिए टिकाऊ डाटा अलायंस का विकास आसान बनाने के लिए बिल्डिंग डाटा अलायंसेज पर दिशानिर्देश लॉन्च किए गए थे, जिससे डाटा की सम्मिलित शक्ति को सामने लाने और सह निर्माण व नवाचार को प्रोत्साहन देने में मदद मिल सकती है। एक शहरी डाटा नीति के संचालन और हैकाथन के आयोजन पर संदर्भ दस्तावेज के साथ, डाटा और तकनीक के दोहन के इन प्रयासों से फैसले लेने व समावेशी गवर्नेंस में सुधार को सक्षमत बनाकर नागरिकों के जीवन में बदलाव में मदद मिलेगी।

 

  iv.        स्मार्ट सिटीज के अंतर्गत आईसीटी पहल

क.            आईसीसीसी मैच्योरिटी एसेसमेंट फ्रेमवर्क का विमोचन (आईएमएएफ):

आईसीसीसी मैच्योरिटी एसेसमेंट फ्रेमवर्क (आईएमएएफ) एक स्व आकलन टूल किट है, जिसे कार्यक्षमता, तकनीक, गवर्नेंस और नागरिक/ हितधारक जुड़ाव जैसे प्रमुख पहलुओं पर एकीकृत कमान और नियंत्रण केन्द्रों (आईसीसीसी) की परिपक्वता के आकलन के लिए विकसित किया गया है। इस टूल किट से शहरों को नागरिकों को बेहतर सेवाएं देने के लिए उनके आईसीसीसी में सुधार के क्षेत्रों की पहचान में मदद मिलेगी। विचार विमर्श, सार्वजनिक परामर्श के कई चरणों और सभी संबंधित हितधारकों के विचारों को शामिल किए जाने के बाद इस फ्रेमवर्क को अंतिम रूप दिया गया है।

शहरों को इस फ्रेमवर्क को तैयार करने में किए गए प्रयासों का फायदा उठाने और स्व आकलन की कवायद करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे शहरों में लागू/ लागू होने जा रहे आईसीसीसी की क्षमताओं को सामने लाया जा सके। इस फ्रेमवर्क के साथ शहर डाटा-चालित गवर्नेंस में सुधार और सही परिणाम हासिल करना संभव होगा।

ख.            आईसीसीसी के लिए मॉडल आरएफपी का विमोचन:

नागरिकों की जरूरतों के बेहतर समाधान की कल्पना के साथ सभी 100 स्मार्ट सिटीज में एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्रों (आईसीसीसी) की स्थापना की जा रही है। इस प्रकार इन्हें नागरिक केंद्रित समग्र शासन की स्थापना करना है और फैसले लेने से जुड़ी सहायक प्रणाली के रूप में काम करना है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 69 शहरों में पहले ही आईसीसीसी विकसित किए जा चुके हैं और 31 शहर में ऐसा किया जाना है। वर्ष 2017 में पहले आईसीसीसी के कार्यान्वयन के बाद से, क्षेत्र स्तर पर तैनातियों, कार्यान्वयन प्रक्रिया में मानकीकरण में सुधार की जरूरत, पीपीपी-एमआईआई दिशानिर्देशों, नई तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाने और डाटा चालित गवर्नेंस पर ध्यान देने से काफी कुछ सबक मिले हैं। यह भी देखने में आया है कि शहरों द्वारा आरएफपी के प्रकाशन के बाद, उद्योग संगठनों ने ऐसे आरएफपी में दिख रहे सीमित उत्पाद/ वेंडर केंद्रित जरूरतों पर चिंताएं जाहिर की हैं, जो घरेलू कंपनियों सहित बोलीदाताओं के लिए एक समान अवसर देने में बाधक हैं।

इसे ध्यान में रखते हुए, आईसीसीसी कार्यान्वयन में तेजी लाने और मिशन के दिशानिर्देशों/ परामर्शों, मानकों और सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं पर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आईसीटी/ आईसीसीसी के लिए संशोधित मॉडल आरएफपी जारी किया गया था। इसका उद्देश्य विभिन्न आरएफपी क्लॉज और नियमों व शर्तों को मिलाना भी है।

 

ग.            स्मार्ट सिटी आईसीटी मानक जारी करना

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत मानकीकरण का सफर, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा दिसंबर 2018 में वाराणसी में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के साथ शुरू हुआ था। पिछले दो से ज्यादा साल से बीआईएस और उद्योग जगत के लंबे जुड़ाव के फलस्वरूप इस साल जनवरी में 4 स्वदेशी आईसीटी स्टैंडर्ड का पहला सेट जारी किया गया और अतिरिक्त 4 अंतर्राष्ट्रीय मानकों को अपनाया गया, जिससे एक स्मार्ट सिटी में मौजूद मल्टी-वेंडर, मल्टी-नेटवर्क और मल्टी सर्विस माहौल में उत्पादों के बीच इंटरऑपरेबिलिटी की सुविधा मिलेगी। स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत आईसीटी और ईगवर्नैंस के लिए 7 अतिरिक्त मानकों को आज जारी किया गया था। 

   v.        इंडिया स्मार्ट सिटीज फेलोज रिपोर्ट

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने युवा नेतृत्व को प्रोत्साहन देने और भारत के शहरी भविष्य के डिजाइन में जीवंतता लाने के लिए इंडिया स्मार्ट सिटीज फेलोशिप कार्यक्रम शुरू किया था। हर साल, इस फेलोशिप से अंतर अनुभागीय शहरी क्षेत्रों से प्रतिभाशाली और सक्रिय पेशेवर साथ में आते हैं और साथ-साथ सीखने और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के माहौल को प्रोत्साहन मिलता है, जिन्हें बाद में शहरों में प्रभावी रूप से काम करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।

अपने दूसरे साल में,  46 फेलोज के समूह ने अपने कार्यकाल के दौरान स्थानीय योजना, नागरिक जुड़ाव, पर्यटन, स्थानीय अर्थव्यवस्थाएं, शहरी परिवहन, पर्यावरण, आपदा प्रबंधन, पानी, शिक्षा, पलायन एवं स्वास्थ्य के क्षेत्रों को प्रभावित करने वाली 13 परियोजनाएं विकसित की थीं। 2020-21 के समूह की परियोजनाओं का संग्रह फेलोज द्वारा भारत के 13 स्मार्ट सिटीज में समस्या समाधान और नवाचार के एक वर्ष लंबे प्रयास की परिणति है। 

  vi.        ट्यूलिप रिपोर्ट

ट्यूलिप-द अर्बन लर्निंग इंटर्नशिप प्रोग्राम 4 जून, 2020 को एआईसीटीई के साथ भागीदारी में शुरू किया गया था। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो हमारे शहरों के लिए नए समाधान खोजने के लिए शहरी स्थानीय निकायों और स्मार्ट सिटीज के ग्रेजुएट्स को जोड़ता है। कार्यक्रम के प्रदर्शन पर एक रिपोर्ट आज जारी की गई थी।

प्लेटफॉर्म को राष्ट्र के शिक्षित युवाओं से अच्छी प्रतिक्रिया हासिल हुई है और ट्यूलिप पोर्टल पर 16,500 से ज्यादा इंटर्नशिप के अवसर पोस्ट किए गए, जिनमें से लगभग 1,220 इंटर्नशिप जारी हैं और 467 इंटर्नशिप पूरी हो चुकी हैं। यह आंकड़ा काफी बड़ा होने का अनुमान था, लेकिन कोविड के चलते पैदा अनिश्चितताओं और अचानक लॉकडाउन लगने से इस पर असर पड़ा। 

 vii.        एनआईयूए नॉलेज उत्पाद

क.   शहरी आंकड़ों की पुस्तिका : भारतीय शहरों में विभिन्न क्षमताओं वाले लोगों (दिव्यांगों) की दृश्यता सुनिश्चित करना

शहरी आंकड़ों की पुस्तिका – 2020 अपनी तरह का पहला दस्तावेज है, जिसमें विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) पर विशेष जोर दिया गया है। इसमें विकलांगता की प्रकृति और वजह, पीडब्ल्यूडी की सामाजिक आर्थिक स्थिति और विभिन्न भौतिक व सामाजिक ढांचे तक उनकी पहुंच से जुड़े डाटा के साथ ही भारत की जनसंख्या और लोगों की सामाजिक आर्थिक स्थिति, बुनियादी सुविधाओं और घर तक उनकी पहुंच से जुड़ा ताजा डाटा शामिल है।

यह नीति निर्माताओं और शहरी योजनाकारों के लिए ज्यादा समावेशी व सुलभ शहरों का डिजाइन और नीति निर्माण से जुड़े प्रमाण आधारित फैसले लेने में सहायक एक तैयार डाटा है। इससे उन्हें आवासीय, परिवहन, स्वास्थ्य, आईसीटी आधारित समाधानों, शिक्षा और शहरी शासन में पीडब्ल्यूडी की इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी जरूरतों को बेहतर समझने में सहायता मिलेगी।

यह रिपोर्ट फॉरेन, कॉमनवेल्थ और डेवलपमेंट ऑफिस (एफसीडीओ), यूके समर्थित बिल्डिंग एसेसिबिल सेफ इनक्लूजिव इंडियन सिटीज प्रोग्राम के भाग के रूप में तैयार की गई थी।

 

ख.  सिटीज इनसाइट्स रिपोर्ट कमजोर आबादी; दिव्यांग लोगों, बुजुर्ग, बच्चों और महिलाओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय शहरों के शहरीकरण के रुझान की जांच

सिटीज इनसाइट्स रिपोर्ट, राष्ट्रीय आवासीय कार्य संस्थान के बिल्डिंग एसेसिबिल सेफ इनक्लूजिव इंडियन सिटीज (बेसिक) के तहत शुरू की गई एक अन्य पहल है। रिपोर्ट शहरों में रह रहे पीडब्ल्यूडी और अन्य कमजोर समुदायों के सामने आने वाली आर्थिक और सामाजिक असमानताओं की वैश्विक और राष्ट्रीय रणनीतियों की तुलना व विषमता के द्वारा जांच करती है, जिनको शहरी सेवाओं और इन्फ्रास्ट्रक्चर की समान पहुंच के लिहाज से प्राथमिकता दी गई है।

रिपोर्ट के केंद्र में वे पहल हैं, जिन्हें भारत में 13 स्मार्ट सिटी ने अपनाया है। ये विशेष रूप से शहरों की दिव्यांगता-समावेशी विकास से जुड़ी पहलों और वित्तपोषण व कार्यान्वयन भेदों की पहचान के मानदंडों पर आधारित है।

रिपोर्ट शहरी हितधारकों के लिए एकीकृत, भागीदारीपूर्ण और सहयोगी दृष्टिकोण की जरूरत पर जोर देती है और शहर स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर सेवाओं के शहरवार ऑडिट, दिव्यांगों के अलग-अलग डाटाबेस, स्थानीय भागीदारियों को सक्षम बनाने और समावेशी हस्तक्षेपों की प्रगति की निगरानी के मजबूत मूल्यांकन प्लेटफॉर्म के विकास का प्रस्ताव करती है।

 

ग.    सिटीज –नॉलेज उत्पाद:

स्मार्ट सिटी मिशन की पूरक के रूप में वर्ष 2018 में फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी और यूरोपियन यूनियन के साथ भागीदारी में शुरू किए गए सिटीज कार्यक्रम का उद्देश्य अच्छी परियोजनाओं का विकास करने के साथ ही शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर में स्थायित्व और नवाचार के एजेंडे को प्रोत्साहन देना है। इसकी विशेष परिपक्वता चरण विधि से परियोजनाओं की योजना बनाने और डिजाइन में मदद मिली। इस कवायद के दौरान, कार्यक्रम के तहत 12 स्मार्ट सिटी को विभिन्न हितधारकों से लगातार परामर्श का लाभ मिला है। ये परियोजनाएं एक व्यवस्थित डिजाइन दृष्टिकोण शामिल करने, हितधारक जुड़ाव, रणनीतिक निगरानी और जानकारी साझा करने के दूरगामी लाभों को प्रदर्शित करती हैं। आज दो नॉलेज उत्पाद लॉन्च किए गए थे। 

1. सिटीज मॉडल का उपयोग करते हुए नवीन, एकीकृत और टिकाऊ शहरी विकास परियोजनाओं के विकासपर टूलकिट, 20-चरण वाली प्रक्रिया के तत्वों के पुनर्निर्माण के द्वारा परियोजना विकास के चरणवार दृष्टिकोण को रेखांकित करती है और हर चरण के लिए टूल्स सुझाती है। इस दस्तावेज फायदा यह है कि शहरी प्रबंधक एक शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना की तैयारी में होने वाली सभी गतिविधियोंकी व्यापक रणनीतिक योजना बनाने में सक्षम होते हैं। 

2. सिटीज और सतत विकास के लक्ष्यपर पुस्तिका, एसडीजी लक्ष्यों के साथ सिटीज के लक्ष्य निर्धारित करती हैं और एसडीजी की राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के एक बड़े हिस्से को पूरा करने में स्थानीय स्तर पर निभाई जाने वाली भूमिका पर चर्चा करती है।

अनुलग्नक – I: आईएसएसी 2020 के तहत स्मार्ट सिटीज हासिल करने वालों की सूची

 

परियोजना आवंटन :  विषय-वार विजेता/ संयुक्त विजेता

सामाजिक पहलू

1.   तिरुपति : नगर पालिका संबंधी स्कूलों के लिए स्वास्थ्य बेंचमार्क

2.   भुवनेश्वर : सामाजिक रूप से स्मार्ट भुवनेश्वर

3.   तुमकुरु : डिजिटल पुस्तकालय समाधान

गवर्नेंस

1.   वड़ोदरा जीआईएस

2.   ठाणे डिजी ठाणे

3.   भुवनेश्वरएमई ऐप

संस्कृति

संयुक्त विजेता (इंदौर और चंडीगढ़)

1. इंदौर : विरासत का संरक्षण

2. चंडीगढ़ : कैपिटल कॉम्पलेक्स, हेरिटेज प्रोजेक्ट

3.  ग्वालियर: डिजिटल संग्रहालय

शहरी पर्यावरण

संयुक्त विजेता (भोपाल और चेन्नई)

1. भोपाल  : स्वच्छ ऊर्जा

2. चेन्नई : जल स्रोतों का पुनरोद्धार

3.  तिरुपतिनवीनीकरण ऊर्जा उत्पादन

स्वच्छता

संयुक्त विजेता (तिरुपति और इंदौर)

1. तिरुपति : जैव उपचार और जैव खनन

2. इंदौर : नगरीय अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली

3. सूरत : साफ किए गए अपशिष्ट जल के माध्यम से संरक्षण

अर्थव्यवस्था

1. इंदौर कार्बन क्रेडिट वित्तपोषण तंत्र

दूसरी संयुक्त (तिरुपति और आगरा)

2. तिरुपति  डिजाइन स्टूडियो के माध्यम से स्थानीय पहचान और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन

3. आगरा सूक्ष्म कौशल विकास केंद्र

परिवेश (एन्वारमेंट) निर्माण

1. इंदौर : छप्पन दुकान

2. सूरत: कैनाल कॉरिडोर

3. इरोड : सूक्ष्म खाद केंद्र

पानी

संयुक्त विजेता(देहरादून और वाराणसी)

1. देहरादून :  स्मार्ट वाटर मीटरिंग वाटर एटीएम

2. वाराणसी : अस्सी नदी की पारिस्थितिकी को बहाल करना

3.सूरत :एकीकृत और टिकाऊ जल आपूर्ति प्रणाली

आईसीसीसी का टिकाऊ बिजनेस मॉडल

अगरतला आईसीसीसी

शहरी परिवहन

1. औरंगाबाद : माझी स्मार्ट बस

2. सूरत :डायनैमिक शिड्यूलिंग बस

3. अहमदाबाद :एएमडीए पार्क पर मानव रहित पार्किंग व्यवस्था और ऑटोमैटिक टिकट वितरण मशीनें

नवाचार पुरस्कार

नवीन आइडिया पुरस्कार

इंदौर : कार्बन क्रेडिट वित्तपोषण तंत्र

कोविड नवाचार पुरस्कार

संयुक्त विजेता : कल्याण-डोम्बीवली और वाराणसी

कोविड नवाचार पुरस्कार

(चरण वार विजेता)

चरण 1: चेन्नई

चरण 3 : बंगलुरू

चरण 4 : सहारनपुर

 

 

शहर पुरस्कार

पूर्ण विजेता

संयुक्त विजेता इंदौर और सूरत

चरण 1

(चरणवार मान्यता)

3.   जबलपुर

चरण 2+एफटी

(चरणवार मान्यता)

1. आगरा

2. तिरुपति

3. वाराणसी

चरण 3

(चरणवार मान्यता)

1. देहरादून

2. सागर

3. तिरुनेलवेली

चरण 4

(चरणवार मान्यता)

1.   इरोद

 

 

 

 

 

अनुलग्नक II: राज्य/ यूटी पुरस्कार श्रेणी के तहत विजेताओं की सूची

राज्य पुरस्कार :

राज्य पुरस्कार

1. उत्तर प्रदेश

2. मध्य प्रदेश

3. तमिलनाडु

यूटी पुरस्कार

यूटी पुरस्कार

1. चंडीगढ़

 

 

 

 

अनुलग्नक III: स्मार्ट सिटी लीडरशिप पुरस्कार के तहत विजेताओं की सूची

स्मार्ट सिटी लीडरशिप पुरस्कार:

1. अहमदाबाद

2. वाराणसी

3. रांची


 

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एमजी/एएम/एमपी /एसएस

 



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